Surmayi Aankho wali - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

सुरमयी आंखों वाली - 3

बहुत दिनों तक मेरे दिल ओर दिमाग मे बस सुरमयी ही घूमती रही..!! मैंने एक दिन तय किया उस अनाथालय जाकर सुरमयी के बारे में पता लगाने का।
दो दिन बाद मैं पहुँच गया बच्चो के लिए ढेर सारी स्केच बुक्स और कलर पेंसिल्स लेकर। बच्चे बड़े खुश हुए ! मुझे भी बहुत आत्मिक सुख की अनुभूति हुई।
मैं काफी देर तक बच्चो के साथ खेलता रहा ! वो इशारो से बाते करते और मैं उन्हें समझने का प्रयास ! इतने छोटे-छोटे बच्चे इतनी आसानी से इशारे कर अपनी बात समझा रहे थे, जैसे कोई टीचर अपने स्टूडेंट को समझाता है।

मैंने बहुत प्रयास किया बच्चो से पूछने का सुरमयी के बारे में मगर पता नही लगा पाया ! निराश होकर मैं घर लौट आया!
पर शायद भगवान से मेरा दुख देखा नही गया !! घर पर प्रांजल पापा को बोल रही थी, " पता है पापा, जहां मैं कोचिंग जाती थी ना, वहां पर एक लड़की आती थी पढ़ाने के लिए ! जो मूक बधिर और श्रवण बाधित बच्चे होते हैं ना उन्हें पढ़ाने..!!! सुरमयी नाम है उनका ! बेचारी बोल नही सकती ! पर सुन सकती हैं !! पर वो हैं इतनी अच्छी ! सबकी हेल्प करती हैं, कभी भी कोई काम बोलो, तुरंत तैयार हो जाती हैं करने को...!!"

पापा उससे बोले, "अचानक से उसकी याद कैसे आ गयी जो आज इतनी तारीफ हो रही है..??"

प्रांजल ने कहा, " पापा, कल जब मैं ऑफिस से आ रही थी ना तो मेरी स्कूटी का टायर पंक्चर हो गया था ! अंधेरा होने लग गया था ! जब उन्होंने देखा मैं अकेली ही वहां खड़ी हूँ तो वे भी आकर रुक गयी ! जब तक मेरी स्कूटी ठीक नही हुई वे वहीं खड़ी रही। पापा वो.....

प्रांजल ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी..!! पापा ने उससे पूछा, "क्या वो...??"

प्रांजल ने कहा, "उन्हें ना किराए से एक रूम की जरूरत है ! कल पूछ रही थी वो !! होस्टल वालों ने उनसे रूम खाली करने को बोला है ! क्योंकि एक दो जब कोई होस्टल चेकिंग करने आया था तो उन्होंने वहां की अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत कर दी थी ! बस तब से ही हॉस्टल वाले खुन्नस खाये बैठे हैं उनसे...!!"

"ओह...! पर वो तो बोल नही सकती ना..! फिर शिकायत कैसे की..??" इस बार मम्मी ने प्रश्न किया।

"अरे मम्मी, उन्होंने लिखित में शिकायत की है !!"

"पर वो रूम का किराया कैसे दे पाएगी..??" पापा ने पूछा।

"पापा , बताया ना मैंने, वो कोचिंग लेती हैं बच्चो की ! और अभी एक अनाथालय में लड़कियों को डांस सिखाना भी शुरू किया है उन्होंने.!! इतना तो कमा लेती हैं कि किराया दे दें ! वैसे भी सिंगल रूम ही चाहिए उन्हें तो किराया भी कहाँ ज्यादा लगेगा ! पापा, प्लीज़ ना, उन्हें सख्त जरूरत है रूम ली..!!"

पापा प्रांजल से बोले,"पर बेटा वो रूम तो कब से बन्द पड़ा है !!" मम्मी ने पापा को को बोला, " दे दीजिये ना ! वैसे भी रूम बन्द पड़ा है कबसे..!! और लड़की रहेगी तो साफ-सफाई भी करती रहेगी ! अपनी प्रांजल के पहचान की भी है ! जरूरतमंद भी है !!"

पापा बोले, "ठीक है ! बोल देना उसको ! आ जाये ! पर एक बात बता देना उनको, फालतू के लोगों का आना-जाना नही होना चाहिए ! समय से घर आये ! और रूम को साफ-सुथरा रखेगी तो ही रूम मिलेगा !!"

प्रांजल ने खुशी से चहकते हुए हामी भरी और अपने मोबाइल पर कुछ टाइप करने लग गयी ! प्रांजल तो खुश थी पर मेरे मन मे भी अब तक ना जाने कितने लड्डू फुट चुके थे !
उसी दिन शाम को सुरमयी घर आ गयी ! प्रांजल उसे रूम दिखाने ले गयी ! उस समय मैं भी छत पर ही था ! सुरमयी मुझे देखकर एक बार तो ठिठक गयी ! फिर इग्नोर करते हुए आगे बढ़ गयी! शायद उसे रूम पसंद आ गया था ! उसने अपने पर्स में से कुछ रुपये निकाले और पापा को दे दिए ! पापा ने उससे एक एग्रीमेंट साइन करवाया जिसे उसने खुशी खुशी साइन कर दिया ! प्रांजल और सुरमयी दोनो ने मिलकर रूम की सफाई की और रात को ही होस्टल से अपना सारा सामान लेकर घर आ गयी !
अपने रात के खाने के लिए वो मार्किट से ही पोहे लेकर आई थी। मम्मी ने उसे साथ मे ही खाने को बोल दिया।


सुरमयी को आये लगभग महीना भर होने को था ! मम्मी पापा ने मेरा छत पर जाना बिल्कुल बन्द करवा दिया था !
घर मे अगर जवान बेटी या बेटा हो तो किसी लड़के या लड़की को किराए से घर में रखने पर लोग थोड़ा सोचते हैं ! चाहे वो अपनी संतान पर विश्वास करते हों मगर लोग कब क्या गलत विचार बना ले मन मे.? बस इसी डर से मेरा छत पर जाना सख्त माना था !

चाहे मैं सुरमयी को पसंद करता था ! मगर मैंने कभी भी अपने मन मे उसके बारे में कोई गलत विचार नही आने दिया !
उस दिन जब दीप मेरे घर आया तो सुरमयी को देखकर चौंक गया ! सुरमयी और प्रांजल दोनो मिलकर कुछ पेपर वर्क कर रही थी !! दीप की शक्ल देखकर प्रांजल को डाउट हो गया था, जरूर कुछ गड़बड़ है ! उसने तुरंत मुझे घूरकर देखा और मैंने दीप को..!!

सुरमयी के जाने के बाद प्रांजल ने कमर कस ली मेरी और दीप की क्लास लेने के लिए ! जब मैं बिना कुछ बोले बाहर जाने लगा तो उसने कहा, " बता रहा है या पापा को बोलूं..?"

जब देखो तब पापा के नाम की धमकी देती रहती है! मैं कोई बहाना सोच ही रहा था इतने में दीप बोल उठा, " अरे कुछ नही प्रांजल, वो इस लड़की को हमने एक दो बार तेरी कोचिंग पर देखा था ! रोज़ यही घर के सामने से ही तो निकल कर जाती थी !!"

दीप की पहली बात तो ठीक थी पर उसकी दूसरी लाइन पर मैंने अपना माथा पीट लिया ! क्या जरूरत थी कमीने को ये लाइन बोलने की ? "हमलोग रोज़ उसे घर के सामने से जाते हुए देखते थे !!"

मुझे मालूम था अब हम कितने ही बहाने बना लें ! प्रांजल का खुफिया दिमाग स्टार्ट हो चुका है और जब तक वो हम दोनो से सारी बातें नही उगलवा लेगी, छोड़ेगी नही हम दोनो को..!!"

मुझे भी लगा अगर अपने प्यार को पाना है तो किसी न किसी की मदद तो लेनी ही होगी ! तो प्रांजल की ही मदद लेते हैं..!! हमने प्रांजल को सबकुछ बता दिया। जैसा कि मुझे उम्मीद थी प्रांजल का वही रिएक्शन रहा ! कुछ नाराज़गी तो कुछ हैरानी, थोड़ी सी दया तो बहुत सारा गुस्सा जाहिर किया उसने..!!
प्रांजल मुझे खींचकर दूसरे रूम में लेकर गयी ताकि मम्मी या सुरमयी हमारी बातों को न सुन ले! दीप भी पीछे आ गया ! प्रांजल बोली, " तू सुरमयी को पसंद करता है..? पागल हो गया है ! ना जान-पहचान, ना ही उसके बारे में कुछ पता, और तो और वो बोल तक नही सकती..!!"

मैं मुस्कुराते हुए उससे बोला, " अच्छा है ना नही बोल सकती तो.!! सिर्फ मैं बोलूंगा वो सुनेगी..!!"

प्रांजल खा जाने वाली नज़रो से मुझे देख रही थी ! मैं झेंप गया ! जानता था चाहे मेरी बहन मुझसे गुस्सा हो जाएगी, मुझसे लड़-झगड़ लेगी पर मेरा साथ जरूर देगी..!! मैंने प्रांजल का चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा, " देख प्राशु.. मैं नही जानता कुछ भी उसके बारे में ! यहां तक कि मुझे उसका नाम भी अभी कुछ दिनों पहले ही पता चला है ! पर जब भी मैं उस लड़की को देखता हूँ ना, धड़कने अपने आप तेज़ हो जाती है ! रोज़ दस बजे उठने वाला लड़का उसकी एक झलक पाने के लिए सुबह सात बजे उठकर सड़क पर टहलने लगा..!!
मैं रोज़ उसे अपने घर के सामने से गुजरते देखता था ! जिस दिन वो नज़र नही आती मैं बैचेन हो जाता था मैं ! जबसे वो अपने घर मे ही रहने आयी है ना... मैं तुझे बता नही सकता कितना सुकून मिलने लगा है ! चाहे मैं उसे देख नही पाता कभी कभी, पर फिर भी मुझे तसल्ली होती थी ! एक एहसास मिलता की उसकी सांसे भी इसी हवाओ में घुली हुई है ! जो मुझे महका रही है..!!"

प्रांजल ने मेरे हाथ पर इतनी जोर की चिकोटी काटी की मैं चीख उठा !

प्रांजल मुझपर भड़कते हुए बोली, "हर कुछ......! मतलब कुछ भी बकवास किये जा रहा है..!! प्यार हो गया है तुझे...! शक्ल देखी है अपनी कभी गौर से..?? अरे वो गूंगी क्या..? अंधी भी होती ना.. तब भी मना कर देती तुझसे शादी करने से !! बड़ा आया प्यार करने वाला..! मज़ाक है क्या.? किसी भी सड़क चलती से प्यार हो जाता है क्या ऐसे ही..??"

मैं जानता था अगर मैंने प्रांजल को मना लिया तो पापा मम्मी को मनाने में ज्यादा परेशानी नही आएगी मुझे ! मैं प्रांजल से रिक्वेस्ट करते हुए बोला, " मान जा बहन..! देख मैं जानता हूँ तुझे थोड़ा फनी लग रहा होगा ! पर ये सच है..!!"

प्रांजल बोली, " ठीक है भाई मैं मानती हूँ कि हो गया तुझे उससे प्यार..! पर वो बोल नही सकती ! कौन है.? कहां से आई है..? हम कुछ भी नही जानते उसके बारे में..! तुझे लगता है घरवाले उसे एक्सेप्ट करेंगे..???"

मैं सहमत था प्रांजल के सवालों से ! जानता था घरवालो को मनाना इतना आसान नही होगा ! मुझे सोच में डूबा देखकर प्रांजल बोली , " हमे सबसे पहले भाभी के बारे में सबकुछ पता करना होगा...!!"

"भाभी...???" मैं और दीप दोनो चौंकते हुए एक साथ बोले।

प्रांजल बोली, "हां भाभी..! अब मेरे भाई की पत्नी बनेगी तो भाभी ही होगी ना मेरी.!"

"मतलब तू मान गयी...!!"मैं खुशी से उछलते हुए बोला ! प्रांजल ने कहा, " मैं नही मानूँगी तो तू क्या उससे प्यार करना छोड़ देगा ! भूल जाएगा उसे..? नही ना ! अब जो भी है जैसे भी है! तू भाई है मेरा ! वैसे भी अब तक जितना भी जाना है मैंने सुरमयी को उस हिसाब से इतना तो कह सकती हूँ की वो लड़की तो अच्छी है ! बस थोड़ी अंतर्मुखी है..! पहले उसके बारे में सब पता करना होगा ! उसके बाद ही तेरी गाड़ी आगे बढ़ेगी..!!"

मैं प्रांजल की बात सुनकर इतना खुश और उत्साहित हो गया कि उसे गले ही लगा लिया ! आज पहली बार मुझे सच मे फील हो रहा था क्यों एक बहन इतना मायने रखती है किसी भी भाई के लिए..!! प्रांजल मुझसे लड़ लेती, झगड़ लेती, मुझे मार-पीट लेती पर जब भी मुझे जरूरत होती वो हमेशा मेरे साथ होती ! कई बार मेरी बड़ी-बड़ी गलतियों पर उसने पापा की मार से बचाया मुझे ! पापा मम्मी के सामने मेरी वकील बनकर खड़ी हो जाती !! आज भी जब मुझे उसकी जरूरत थी तो वो गुस्सा तो हुई मगर मान गयी !!

आज प्रांजल का और महत्व बढ़ गया था मेरे जीवन मे ! काफी देर तक मैं उसे अपने सीने से लगाये रहा ! प्रांजल बोली, " आज दिन प्यार जता रहा है ना मुझपर, देखती हूँ शादी के बाद कितना जतायेगा..!!! चल हट अब ! काम करना है मुझे !!"

मैंने उससे पूछा, "अब क्या काम करना है तुझे..??"

प्रांजल बोली, " मेरी होने वाली भाभी के बारे में पता लगाने का काम करना है !! जाऊँ..??"

मैंने सिर हिलाकर हामी भरी और वो मेरे सिर पर चपत लगाकर बाहर निकल गयी..!! प्रांजल के जाते ही दीप मुझसे बोला, " यार कुछ भी बोल, प्रांजल है बहुत समझदार और सुलझी हुई लड़की ! जितनी सुंदर खुद है उतना ही सुंदर उसका मन है..!!"

पता नही क्यों..? जब भी दीप प्रांजल की तारीफ करता, मेरा मन उसका गला दबाने का करता ! मुझे पसंद नही आता उसका प्रांजल की इस तरह तारीफ करना !!

बीते कुछ दिनों से प्रांजल और मेरी कुछ ज्यादा ही पटने लगी थी ! लड़ाई-झगड़े तो लगभग बन्द ही हो चुके थे ! पापा-मम्मी दोनो ही हैरान और असमंजस में थे हम दोनो की यूनिटी देखकर ! मम्मी ने तो पूछ ही लिया, "क्या बात है..? आजकल दोनो भाई-बहन में ज्यादा ही पट रही है..?"

हम दोनो ही बस मुस्कुरा कर रह जाते ! एक दिन प्रांजल के लिए रिश्ता आया !अगले दिन वे लोग आने वाले थे ! मम्मी ने सुबह से ही सबको काम पर लगा दिया ! दोपहर तक वो लोग आए ! साथ मे लड़का भी आया ! लड़के को देखते ही मुझे हंसी आ गयी..! एकदम दुबला पतला ! तेज़ हवा चले तो उड़ ही जाए !
प्रांजल किचन में थी ! मैं भी वहीं पहुंच गया ! थोड़ी देर बाद मम्मी ने प्रांजल से पानी लाने को कहा ! प्रांजल ने ट्रे मुझे पकड़ा दी ! मैं सबको पानी देकर आया ! फिर नाश्ते को कहा, तो वो भी प्रांजल ने मुझे थमा दिया ! मैं ही लेकर गया..!!

पिताजी हमारे बोले, " तू क्यों ले लेकर आ रहा है..? तुझे देखने आए हैं क्या..?? प्राशु को बोल, चाय लेकर आये !"

कसम से सब लोगों के सामने घनघोर बेइज्जती कर दिए पिताजी हमारी !

मैं किचन में जाकर प्रांजल से बोला, " जा पापा बोल रहे हैं चाय तू लेकर जा !!"
मैं उसे छेड़ते हुए बोला, "थोड़ा भारतीय नारी की तरह जाना ! नही तो पहलवानों की तरह पहुंच जाए ! डर जाएगा बेचारा छोरा ! सूखा हुआ है पहले ही ! तूने अगर घूरकर देख लिया तो बची खुची जान भी सूख जाएगी..!!"

मैं और प्रांजल बाहर बैठे मेहमानों की हंसी उड़ा रहे थे ! प्रांजल ने ट्रे में चाय के कप रखे ! हँसने के चक्कर मे देवी ने आधी चाय तो ट्रे में ही गिरा दी !

खैर उन लोगों ने प्रांजल को देखा, उससे बातचीत की और चले गए ! मैं सबसे बोला, " मुझे तो लड़का बिल्कुल पसंद नही आया...!!"

पापा बोले, " तो बेटा वो लड़का तुझे देखने नही आया था ! प्राशु के लिए आया था ! तुझे उससे शादी नही करनी है ! तेरी पसन्द नापसन्द तू अपने पास रख !! "

वैसे लड़का किसी को भी पसन्द नही आया था ! पसन्द शक्ल सूरत से नही बल्कि व्यवहार से ! एक घमंड था उसकी बातों में ! पर जब रिश्ता करना ही नही था तो उसके बारे में किसी ने बात करना जरूरी समझा भी नही !!
रात को मैं कमरे में मोबाइल पर गेम खेल रहा था ! प्रांजल भागती हुई आई और बोली, " भाई ! सुरमयी के बारे में पता करने का एक रास्ता मिल गया..!!"

मैं खुशी से उछलते हुए बोला ," क्या..? सच मे !! कौन सा रास्ता ?? जल्दी बता !!"

"मैंने ना दो तीन दिन से नोटिस किया है ! वो डेली एक डायरी लिखती है ! बहुत मोटी डायरी है !! आधे से ज्यादा पेज भरे जा चुके हैं ! मैंने बातों ही बातों में उससे पूछा पर कुछ बताया नही !! आज देखकर आ रही हूँ ! बहुत देर तक वो उस डायरी को सीने से लगाकर बैठी रही ! मतलब साफ है...वो डायरी ही हमे उसले बारे में बता सकती है ! उसके जीवन से जुड़ी हर जानकारी।"

प्रांजल की बात सुनकर मैं थोड़ा कशमकश में पड़ गया ! क्योंकि उसकी डायरी लाना इतना आसान ना था ! पर मेरी जासूस बहना सब पता करके आयी थी ! वो मुझसे बोली, " डायरी कब और कैसे लानी है उसकी चिंता मुझपर छोड़ दे..! ये काम मैं कर लुंगी ! तू बस उसे खुश करने का, इम्प्रेस करने के तरीके सोच !!"


(जारी)


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