क्या वे होते हैं? SAMIR GANGULY द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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क्या वे होते हैं?


विशाल वृक्ष की तेरहवीं शाखा से उल्टा लटकने वाले ने अचानक पूछा,

‘‘ क्या आदमी होते हैं?’’

तुरंत ही कई खोपड़ियां 360 डिग्री घूम गई और उसकी तरफ डर, गुस्से और असंमजस से देखने लगी.

सन्नाटा तो पहले ही छाया था. अब और गंभीर हो गया.

फिर वृक्ष की सबसे ऊंची चोटी पर बैठे भूत ने जवाब दिया, ‘‘ होते हैं! मगर सबको नज़र नहीं आते.’’

तेरहवीं शाखा के भूत ने फिर उतनी ही उतावली से पूछा, ‘‘ क्यों?’’

चोटी का भूत बोला, ‘‘ क्योंकि वे दूसरी दुनिया में रहते हैं. इसलिए हमें वो नज़र नहीं आते और हम उन्हें दिखाई नहीं देते.’’

उतावले भूत ने अगला सवाल पूछा, ‘‘ उन्हें देखना हो तो..?’’

चोटी के भूत ने कहा, ‘‘ ना देखो तो ही अच्छा है. आदमी से दूर रहना ही भूतों के लिए अच्छा है.’’

‘‘ क्यों, क्या वे हमें मार सकते हैं?’’ किसी और ने पूछा

‘‘ नहीं, ’’ चोटी का भूत बोला, ‘‘ मारने से भी बुरा कर सकते हैं’’

-वो क्या?

-इस्तेमाल!

-वो क्या होता है? ये सवाल कई भूतों ने पूछा था.

जवाब के लिए चोटी का भूत रूक गया. वह कुछ सोचने लगा. तभी उसकी नज़र वृक्ष के नीचे से गुजरते एक खूंखार भेड़िए पर पड़ी.

उसने कहा, ‘‘ आदमी ने इस खूंखार जानवर को भी नहीं छोड़ा. उसे पकड़कर अपने साथ ले गया और अपना पहरेदार बना लिया. जो भी जानवर या परिंदा उसकी नज़र में आया, उसने उसका इस्तेमाल अपने फ़ायदे के लिए किया. खाने-पीने, ओढ़ने-बिछाने, सवारी करने या फिर मनोरंजन के लिए’’

चोटी पर बैठे भूत की बात सुनकर कई भूत सिहर गए. कुछ भूत दूसरी तरह से सोचने लगे. एक बोला, ‘‘ आदमी हमसे डरता है या हम आदमी से?’’

चोटी का भूत बोला, ‘‘ वैसे तो दोनों ही एक दूसरे से डरते हैं, मगर सच्चाई का पता तो सामना होने पर चल सकता है.’’

इस बीच जोर से बारिश होने लगी और सब भूत अपनी शाखाओं को छोड़कर हवा में लहराने और नाचने लगे. हर बारिश में यह उनका प्रिय खेल था.

सिर्फ़ चोटी का भूत अपनी जगह पर बैठा रहा. उसने कई वर्षों से इस जगह पर कब्जा जमा रखा था. उसका कहना था जो चोटी पर रहता है उसे सब कुछ नज़र आता है. इसलिए वह डरता था कि उसके हटते ही दूसरा भूत वहां आकर बैठ जाएगा.

बारिश के बंद होते ही सारे भूत अपनी-अपनी जगह पर जा बैठे.

उतावला भूत फिर शुरू हो गया, ‘‘ मुझे एक आदमी को पकड़ना है. उसे पकड़ कर मैं उसका इस्तेमाल करूंगा. फिर तो सब कुछ मेरी मुट्‍ठी में होगा.’’

उसकी बात सुनकर कई भूत जोर-जोर से हंसने लगे. इतनी जोर से कि वृक्ष के पत्ते कांपने लगे.

एक भूत बोला, ‘‘ भाई, फिर तो तुझे आदमी पकड़ने वाले ओझा की मदद लेनी पड़ेगी.’’

उतावला भूत चौंका, ‘‘ आदमी पकड़ने वाला ओझा? अच्छा! कौन है वो? कहां मिलेगा?’’

जवाब पीपनी की तरह बोलने वाले एक भूत ने दिया, ‘‘ अरसा हो गया, एक बोरा लेकर गया था आदमी पकड़ने. अब तक नहीं लौटा, लगता है आदमियों के ओझा ने ही उसे पकड़ लिया.’’

लेकिन उतावले भूत को तसल्ली नहीं हुई.

एक दिन, बल्कि एक रात को वह अकेला निकल लिया, आदमी को ढूंढने.

वह चलता गया, उड़ता गया, तैरता गया. दिन-रात. मौसम -समय के पार. और एक दिन जा पहुंचा आदमियों के बीच.

अब वह आदमियों को देख सकता था. मगर आदमी उसे नहीं देख सकते थे. यहां वह सिर्फ़ एक तमाशबीन था, वह कुछ नहीं कर सकता था. यहां की दुनिया उसे पल-पल हैरान और परेशान कर रही थी.

और आखिर में उसे एक आदमी ने देख लिया. वह ओझा था. बड़े दिनों से भूत पकड़ने की फिराक में था. उतावला भूत समझ गया. वह भागा. ओझा भी उसके पीछे भागा. दोनों सात दिन-सात रात तक भागते रहे. फिर हांफ कर एक नदी के दो किनारों पर बैठ गए. दोनों ने जम कर पानी पीया. फिर उतावले भूत ने आदमी से पूछा, ‘‘ तुम मुझे क्यों पकड़ना चाहते हो?’’

आदमी बोला, ‘‘ तुम्हारी ताकत से अजब-गजब कारनामे करने के लिए.

भूत बोला, ‘‘ अरे मैं भी तो इसी आस के साथ तुम्हें पकड़ने आया हूं. मगर मेरे कारनामों से तुम्हें क्या फ़ायदा होगा? और किन कारनामों की बात कर रहे हो?’’

आदमी बोला, ‘‘ तुम गड़े खजानों का पता बता सकते हो. कोई मनचाही कीमतीचीज लाकर दे सकते हो.’’

भूत हंसा, बोला, ‘‘ मेरे पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है. बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद से अपनी भूत-दुनिया को सुधारना चाहता हूं. तुम्हे इस्तेमाल करूंगा मैं.’’

आदमी और जोर से हंसा, ‘‘ मेरा इस्तेमाल. मैं दूसरों को इस्तेमाल करना नहीं जानता.कोई कारनामा नहीं कर सकता. शायद इसीलिए मेरी दुनिया के लोग मुझे नालायक समझते हैं. मैं तुम्हारी मदद क्या करूंगा, मैं तो खुद दूसरों पर बोझ हूं.’’

यह कहकर आदमी जोर-जोर से रोने लगा.

भूत अच्छी मुसीबत में पड़ा. वह आदमी को चुप कराते हुए बोला, ‘‘ शायद हम दोनों की समझ में आ गया है, कि हम एक दूसरे की मदद नहीं कर सकते.ज़्यादातर भूतों या आदमियों के बस की बात नहीं. इसलिए ये आस छोड़कर लौटने में ही भलाई है.’’

आदमी आंसू पोंछते हुए बोला, ‘‘ भूत भाई, आदमी की कमजोरी की कहानी अपनी दुनिया को मत बताना. वरना... ’’

लेकिन तब तक भूत गायब हो चुका था.