बागी स्त्रियाँ - भाग उन्नीस Ranjana Jaiswal द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बागी स्त्रियाँ - भाग उन्नीस

उस लड़की ,जिसका नाम राखी था,ने अपूर्वा को बताया कि पिता द्वारा घर से निकाले जाने के बाद इस शहर में उसने कई घरों में घरेलू नौकरानी का काम किया।झाड़ू,पोंछा,बर्तन से खाना बनाने तक का काम ,पर हर जगह से यह कहकर उसे निकाल दिया गया कि उसने उस घर के किसी पुरुष सदस्य को फंसा लिया है।कई- कई महीनों का उसका वेतन भी नहीं दिया गया। फिर उसने छोटे -बड़े कई रेस्टोरेंट,होटल और दूकानों पर रिसेप्शनिस्ट से लेकर सामान पहुंचाने का कार्य किया।बार -गर्ल का भी काम किया ।ज्यादातर जगह उसको दूसरों के साथ सोने के लिए कहा गया पर वह देह बेचकर पैसा नहीं कमाना चाहती थी।उसके साथ काम करने वाली कई लड़कियाँ खुशी -खुशी किसी अमीर कस्टमर के साथ चली जाती थीं और शानो-शौकत से रहती थीं।उसके घर वालों से लेकर गांव के सभी लोग सोचते थे कि वह गलत धंधा करती है जबकि वह इस दलदल से बचने के लिए मारी -मारी फिर रही थी।एक दिन उसने सोच लिया कि वह आत्मघात कर लेगी ।संयोग से उसी दिन वह लड़का शशांक उसे मिल गया।पहले भी उसकी उससे एक -दो बार औपचारिक मुलाकात हुई थी।वह उसके साथ बार -गर्ल का काम कर रही एक लड़की का प्रेमी था ।इधर उस लड़की से उसका ब्रेकअप हो चुका था और वह भी बेहद टूटा हुआ था।दोनों ने एक- दूसरे से अपना दुःख शेयर किया और आत्महत्या की जगह एक- दूसरे के साथ जीवन बीताने का निर्णय लिया।उसके बाद किराए का मकान लेकर दोनों साथ रहने लगे।इसी बीच राखी की होम्योपैथ के उस डॉक्टर से मुलाकात हुई और उन्होंने उसे अपने यहां नौकरी दी और भी कई तरह से उसकी मदद करते रहते हैं।पैसे की जरूरत होने पर एडवांस भी दे देते हैं ।हाँ,काम कसकर लेते हैं।एक बजे से 9 बजे रात तक कमर सीधी करने का मौका नहीं देते।संडे या अन्य छुट्टियों नें भी उसे छुट्टी नहीं मिलती।
---शारीरिक शोषण तो नहीं करते।
अपूर्वा को चिंता हुई तो पूछ लिया क्योंकि अक्सर लड़कियों की मजबूरी का फायदा पुरूष वर्ग उठा लेता है।
"नहीं ... नहीं मैम उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं।उन्होंने प्रेम-विवाह किया है।हालांकि एकदम बेमेल जोड़ी है ।उनकी पत्नी एकदम सफेद और बहुत सुंदर हैं जबकि डॉक्टर साहब बेहद सांवले और साधारण है पर दोनों में बहुत अधिक प्यार है।" लड़की ने सफाई दी।
दूसरे दिन लड़की अपने प्रेमी लड़के के साथ साधिकार उसके घर आ गई।लड़का भी उसी की तरह था।उसने लड़की से खाना बनाने को कहा और खुद अपनी स्टोरी सुनाने लगा।अपूर्व ओपन किचन ड्राइंगरूम से लगा हुआ है।इसलिए आराम से किचन में काम करते हुए बात की जा सकती है।
लड़के ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु दो साल पहले ही हुई है।वे उसके नाम से लाखों रूपए छोड़ गए थे।उसके चाचा उसके गांव के बड़ी पहुँच वाले इज्जतदार आदमी हैं ।उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं कि वह इस लड़की के साथ रहे।उन्हें इस लड़की के चरित्र पर भी भरोसा नहीं है।वैसे भी वे ऊंची जाति के हैं इसलिए घर से निकाली हुई तथा मारी- मारी फिरी लड़की को घर की बहू नहीं बना सकते।उनका वश चले तो इसे मरवा दें पर भतीजे के सामने बेवश हैं।
अभी वह आगे कुछ और बताता कि लड़की आकर बोली।
--मैम,मैंने भी उन्हें फोन पर ही सुना दिया!
'बहुत अच्छा किया न!अरे,बड़े हैं मुझे कुछ समझा ही रहे थे न !तो सुनना चाहिए न!देखिए,मैम इसकी यही बड़ी गलती है।किसी का लिहाज़ नहीं करती--लड़के ने उसे जवाब दिया।फिर दोनों आपस में ही भिड़ गए।
--मैं क्यों किसी की सुनूँ!तुमसे किस बात में कम हूँ।तुमसे ज्यादा स्मार्ट हूँ।सभी लोग टोकते हैं कि कैसे लड़के को चुन लिया है?अब तो तुम्हारा भी खर्च मैं ही उठा रही हूँ।
'अब न !पहले तो सब कुछ मैं ही करता था।स्कूटी खरीदकर दी।अब बैंक खाली हो गया है तो क्या करूँ?कोई अच्छी नौकरी मिल नहीं रही।फ्लिपकार्ट में लोकल कुरियर का काम कर रहा हूँ।वहाँ एक तो कम पैसे देते हैं ।उस पर भी पेमेंट फंसा देते हैं ।मैम ,लड़कियाँ कम भी पढ़ी -लिखी हो तो लोग उन्हें काम पर रख लेते हैं, बस देखने में ठीक- ठाक हो और उसमें फैशन- सेंस हो पर लड़कों को कोई नहीं रखता।'
अपूर्वा भी समाज में आए इस बदलाव को वर्षों से देख रही है।छोटी -बड़ी जैसी भी कम्पनी हो, मोबाइल या किसी भी चीज की दूकान,मॉल,माल्ट या डॉक्टरों का रिसेप्शन हर जगह कम उम्र की टीप -टॉप लड़कियाँ काम कर रही हैं। ये लड़कियां कम पढ़ी -लिखी हैं ।पेशे सम्बन्धी जानकारी भी उन्हें कम है,पर वे मेकअप लगाए ,मॉर्डन कपड़े पहने मुस्कुराती हुई हर जगह विराजमान हैं ।वे शो-पीस हैं ,जिनका उद्देश्य कस्टमर को उक्त दूकानों की तरफ आकर्षित करना मात्र है।मालिकान उन्हें बहुत कम पैसे देते हैं और उनके काम के घंटे भी अधिक हैं पर वे खुश रहती हैं।विवाह होने तक वे अपने इस काम को करते रहना चाहती हैं।उनकी अपनी जरूरत भर का पैसा उन्हें मिल जाता है इसलिए उनके घरवाले भी खुशी से उन्हें इजाजत दे देते हैं कि घर में बैठे रहने से अच्छा ही है।लड़कियों को बाहर निकलने की आजादी मिल जाती है।मॉर्डन कपड़े और मेकअप करने की छूट भी ।इसी समय में वे ब्वाय फ्रेंड भी बना लेती हैं और उनके साथ विवाह पूर्व प्रेमानुभव का सुख भी उठा लेती हैं ।
समय कितना बदल गया है।नैतिक मापदंड बदल गए हैं।पाप- पुण्य,गलत -सही,पवित्रता -अपवित्रता की अवधारणा बदल गई है और सबसे ज्यादा बदली है --युवा पीढ़ी की सोच!लड़कियाँ किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं।विशेषकर कई- कई फ्रेंड बनाने ,सेक्स का आनन्द उठाने और बिना अपराध -बोध के सब-कुछ छोड़कर आगे बढ़ जाने में।