रिलायन्स के उस पार्क में अपूर्वा को एक लड़की मिली |वह भी मार्निंग वाक करने आई हुई थी |उसकी टीम को व्यायाम और योगा करते देख उसने भी साथ व्यायाम करने की इजाजत मांगी |सबने खुशी से हामी भर दी |उसकी टीम में ज़्यादातर लोग 50 से ऊपर थे |कोई किसी से पूर्व परिचित नहीं था |सभी इसी पार्क में आकर मिले थे और फिर उनकी एक टीम बन गयी थी |पार्क में बच्चे,किशोर ,युवा ,स्त्री पुरूष सभी आते थे |वहाँ टहलने के लिए भी पर्याप्त जगह थी और बैठने के लिए जगह -जगह पत्थरों के ऊंचे -ऊंचे बेंच थे ,जिस पर बैठकर लोग योगा किया करते थे |जिसको ज्यादा जगह की दरकार होती थी ,वह पार्क के घास वाले स्थान का चयन करता था |वहाँ सभी अपने-आप में मगन अपना काम करते थे |कोई टहलता था ...कोई योगा करता था तो कोई कसरत |कुछ महीने पहले ही उसे इस पार्क का पता चला था,जो उसके घर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर था |वहाँ ज्यादातर लड़के ही दिखते थे |कभी-कभार इक्का दुक्का लड़कियां या महिलाएं भी आती थीं |वे अधिकतर टहलकर ही वापस लौट जाती थीं |मर्दों के बीच में योगा या व्यायाम करना उन्हें अटपटा लगता था |और यह देखकर उसे अटपटा लगता था कि इसमें कैसा संकोच ?यहाँ सभी सेहत के उद्देश्य से आ रहे हैं |वह पहली महिला थी,जिसने उस टीम को ज्वाइन किया ,जिसमें सभी अधेड़ पुरूष थे |उसकी देखा-देखी एक-दो महिलाएं भी उसमें शामिल हो गईं और अब वह अठारह साल की लड़की आई थी|उसने युवाओं की टीम नहीं ज्वाइन की |कुछ युवा लड़कियां दो-तीन के गोल में अलग-थलग कुछ व्यायाम करती थी ,उन्होंने उसे बुलाया ,तो भी वह नहीं गई |ऊंचे कद की सुंदर लड़की थी |टी शर्ट और टाऊजर में आकर्षक लग रही थी |लौटते वक्त वह उसके साथ हो ली ,हालांकि वह स्कूटी से आई थी |स्कूटी उसने उस लड़के को घर ले पहुंचने को कहा,जिसके वह साथ आई थी |दुबला –पतला ,लगभग उसी की उम्र का सांवला लड़का था ,जिसे सभी ने उसका भाई समझा था|उसने भी घर का है –कहकर ही परिचय दिया |
रास्ते भर वह बोलती रही ।अपने बारे में बताती रही कि कैसे उसके पिता ने उसको घर से निकाल दिया था| वह इसी शहर के किसी गाँव से साइकिल से पढ़ने आती थी |हाईस्कूल भी किसी तरह पास कर पाई |पढ़ने में रूचि नहीं थी और पिता पढ़ाना भी नहीं चाहते थे |फिर वह नौकरी करने लगी और कमाकर बहुत सारा पैसा अपने घर वालों को दिया ,फिर भी उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया |
--ऐसा क्यों ?
"बेटी हूँ न,इसलिए |"
--ऐसे कैसे |वे पता नहीं करते कि तुम कहाँ हो? क्या करती हो?कहाँ रहती हो ?
"नहीं ,वे कोई खोज-खबर नहीं लेते|"
--और तुम्हारी माँ..।
"माँ उनके आगे कुछ नहीं बोल पाती|वे माँ को बहुत मारते हैं |माँ को वह पीटने से बचाती थी,इसलिए उससे और भी चिढ़ते थे |दरअसल मेरी माँ पंजाबी हैथोड़ी पढ़ी-लिखी भी है और पिता जी उत्तर प्रदेश के एक गाँव के पिछड़ी जाति के किसान|"
--फिर दोनों की शादी कैसे हुई !
"पिताजी पंजाब काम करने गए थे |वहीं से माँ को भगाकर ले आए थे और गाँव लाकर शादी कर ली थी |पहले माँ मेरी ही तरह स्मार्ट थी पर अब बिलकुल देहातन लगती है |चार-पाँच बच्चे हुए ,जिसमें तीन बचे हैं |हमेशा बीमार रहती है |उसे पता है मेरे बारे में |वह मेरा साथ देती है और मैं उसका साथ देती हूँ |"
--कभी घर नहीं जाती?
"जाती हूँ कभी-कभी |माँ को पैसे देकर वापस आ जाती हूँ |"
--पिताजी घर में आने देते हैं ...|
"मुझे देखकर कहीं चले जाते हैं अब |मेरे पैसे से घर चलता है ,इसलिए कुछ नहीं बोलते|स्वार्थी हैं |बस मेरे पैसे से ही प्यार है उन्हें |"
--यहाँ क्या काम करती हो ?
"एक होम्योपैथ के डाक्टर के यहाँ रिसेप्सन का काम देखती हूँ |दवाई की पुड़िया वगैरह बनाती हूँ ।"
--कितना पैसा मिलता है ?
"पाँच हजार "
--बस पाँच हजार!रहती कहाँ हो ?
"किराए के कमरे में ।ढाई हजार किराया है |"
--स्कूटी का खर्चा कैसे निकालती हो ?ढाई हजार में तो खाना –पीना भी बमुश्किल चलता होगा |
"वह लड़का सहयोग करता है |"
--कौन ?जो स्कूटी ले गया वह|
"हाँ,वह भी मेरे साथ ही रहता है |"
--तुम्हारा रिलेटिव या गाँव का है |
"नहीं ,वह मुझे इसी शहर में मिला था |पहले दोस्ती हुई ,फिर हम साथ रहने लगे |"
अपूर्वा लड़की का मुंह देखती रह गई |इस उम्र में भी वह किसी पुरुष मित्र के साथ रहने की कल्पना नहीं कर सकती |और अठारह साल की कम पढ़ी-लिखी लड़की इतनी मॉर्डन है कि 'लीव इन ' में रह रही है वह भी इस छोटे से शहर में |उसके दुस्साहस पर वह हैरान थी |
अपूर्वा का घर आ चुका था |उसने ताला खोला और लड़की को भी चाय पीकर जाने को कहा |उसने लड़के को फोन किया कि थोड़ी देर से आएगी |वैसे भी उसकी ड्यूटी का समय एक से रात्रि के 9 बजे तक होता था|उसने खुद चाय बनाई और जिद की कि उसके लिए खाना बनाकर ही जाएगी ।उसके मना करने पर भी वह नहीं मानी और झटपट काम करने लगी और साथ ही अपनी स्टोरी बताती गई |