प्रियांशु ने कहा, "आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं आंटी। मेरी पढ़ाई पूरी हो गई है, दो-तीन कंपनी में इंटरव्यू भी दे चुका हूँ। इंटरव्यू भी बहुत ही अच्छे हुए हैं। किसी ना किसी कंपनी से दो-चार दिनों में ही कॉल भी आ जाएगा। बस उसके बाद तुरंत हम विवाह कर लेंगे। मेरी मॉम और डैड भी आपसे मिलने आ जाएँगे।"
"तुमने अपने घर में बता दिया है प्रियांशु?"
"हाँ आंटी बिल्कुल बता दिया है। इसमें डरने की क्या बात है। मैं रुपाली से प्यार करता हूँ और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है।"
रुपाली यह सुनकर अपनी माँ की तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
प्रियांशु ने कहा, "अच्छा चलता हूँ आंटी। रात की ट्रेन है, मुझे अपने दोस्तों से भी मिलना है।"
"ठीक है बेटा आते रहना।"
अरुणा ने रात को रुपाली के पापा विजय को यह सारी बातें बताई। तब उन्होंने कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है। लड़का अच्छा है, उसने उसके माता-पिता को भी बता दिया है, फिर क्या है। अजय भी बहुत ही अच्छा लड़का है पर उसे इस तरह झूठ नहीं बोलना चाहिए था।"
"छोड़ो ना विजय उसकी भी ग़लती नहीं है। अपने प्यार के कारण मजबूर है वह। मुझे तो उसके लिए बहुत दुःख होता है। काश मेरी और एक बेटी होती तो मैं उसे मेरा दामाद ज़रूर बना लेती।"
"अरे पगली पर उसे तो रुपाली चाहिए ना।"
"हाँ वह तो है।"
विजय ने कुछ सोचते हुए कहा, "देखो हमारी रुपाली समझदार बच्ची है। उसका चयन ग़लत नहीं हो सकता।"
आख़िरकार वह ख़ुशी का दिन आ गया। प्रियांशु को एक बहुत बड़ी कंपनी से कॉल आ गया। उसकी नौकरी लग गई। उसने रुपाली को फ़ोन करके अपनी नौकरी के बारे में बताते हुए कहा, "रुपाली तैयारी कर लो लाल रंग के जोड़े में सजने की।"
"ये क्या कह रहे हो?"
"हाँ आ रहा हूँ मैं, घोड़े पर सवार होकर तुम्हें लेने।"
"वाह प्रियांशु मैं बहुत ख़ुश हूँ। तुम्हें बहुत-बहुत बधाई। लेकिन प्रियांशु मेरे लिए अभी तक कहीं से कॉल नहीं आया है।"
"आ जाएगा, बस तुम अब सब चिंता छोड़ कर मेरे घर आने के बारे में सोचो। आ रहे हैं पापा मम्मी तुम्हारे घर तुमसे मिलने।"
"बड़ी जल्दी है तुम्हें प्रियांशु।"
"बिल्कुल, क्यों तुम्हें नहीं है जल्दी? कितना इंतज़ार किया है हमने एक दूसरे के लिए।"
"क्यों प्रियांशु, हम हर रविवार को मिलते तो हैं।"
"अच्छा तो क्या ऐसे ही मिलते रहना चाहती हो? चलो ठीक है मना कर देता हूँ मम्मी पापा को कि अभी मत जाना। अभी समय और बाकी है।"
"क्या प्रियांशु, मैं मज़ाक कर रही थी।"
"अरे तो मैं भी मज़ाक ही कर रहा हूँ।"
"चलो माँ बुला रही हैं, फ़ोन रखती हूँ। "
"आई लव यू तो कह कर जाओ।"
"नहीं बाद में…"
"नहीं-नहीं अभी, इतनी ग्रेट न्यूज़ सुनाई है, बोलना तो पड़ेगा।"
"ठीक है लो, आई लव यू, ओ के बाय।"
दूसरे ही दिन प्रियांशु के मम्मी पापा रुपाली का हाथ माँगने उसके घर आ गए।
विजय और अरुणा ने जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया। बहुत ही जल्दी सारी बातें तय हो गईं क्योंकि ना तो प्रियांशु के माता-पिता को दहेज चाहिए था ना ही उनकी कोई और शर्त थी। दोनों परिवारों ने यह निर्णय लिया कि विवाह सूरत में ही किया जायेगा।
प्रियांशु के पापा ने कहा, "हम लोग चार-पाँच दिन पहले सूरत आ जाएँगे।"
विवाह की तारीख भी निकाल ली गई। दोनों परिवारों में शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं। रुपाली बहुत ख़ुश थी।
उनमें से किसी की हिम्मत ही नहीं हुई अजय को यह सब बताने की। लेकिन अजय का दोस्त कार्तिक उसके घर आया और उससे कहा, "अजय भाई तुझे पता है, रुपाली की शादी हो रही है।"
"क्या! क्या बात कर रहा है यार?"
"हाँ तारीख़ भी निकल गई है, 14 फरवरी वैलेंटाइन डे के दिन। अजय मेरे भाई कुछ कर ले। एक बार फिर कोशिश कर ले यार। तेरा प्यार जा रहा है हमेशा-हमेशा के लिए तुझसे दूर।"
"नहीं कार्तिक जितनी कोशिश कर सकता था कर ली मेरे भाई। मैं समझ गया हूँ कि मेरे भाग्य में रुपाली का प्यार है ही नहीं।"
"तो तू उसके बिना कैसे जियेगा यार?"
"कौन जियेगा यार!"
"क्या बोल रहा है तू?"
"सच कार्तिक, रुपाली के बिना जीना मेरे बस में नहीं है। अभी तक ज़िंदा हूँ इस उम्मीद में कि शायद वह मान जाएगी। मेरे पास आ जाएगी लेकिन इस ख़बर ने मुझे तोड़ दिया यार।"
"अजय तू चिंता मत कर मैं जाऊँगा रुपाली से बात करने। मैं बताऊँगा उसे कि तेरे जितना प्यार उसे और कोई कर ही नहीं सकता।"
"नहीं कार्तिक रहने दे यार, जी लेने दे उसे उसकी मन पसंद ज़िंदगी, उसके मन पसंद साथी के साथ।"
अजय की बात ना मानते हुए कार्तिक ने रुपाली को फ़ोन लगाया, "हेलो"
"हेलो कौन?"
"मैं कार्तिक"
"ओह हाय कार्तिक, कैसे हो तुम?"
"मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ, सुना है शादी कर रही हो?"
"हां बिल्कुल।"
"मैं तुझसे बात करना चाहता हूँ, रुपाली।"
"हाँ तो बोल ना कार्तिक! ऐसा कर तू घर ही आ जा। मैं बहुत ही व्यस्त हूँ, मैं निकल नहीं पाऊँगी। वैसे बात क्या है? अचानक मिलने का प्रोग्राम बना लिया।"
"तुम्हारी शादी हो रही है यार, क्या मैं मिल भी नहीं सकता।"
"बिल्कुल मिल सकते हो कार्तिक, आ जाओ।"
"नहीं रुपाली तुम्हारे घर के पास जो होटल है ना 'मिठास', वहां मिल सकती हो?"
"ठीक है कार्तिक लेकिन सिर्फ़ 15 मिनट।"
"हाँ ठीक है भाई, पता है शादी की तैयारियों में व्यस्त हो। मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं लूँगा।"
शाम को रुपाली होटल ‘मिठास’ में आ गई । बैठ कर दोनों ने कॉफी ली। कार्तिक ने कहा, "रुपाली आज मैं तुमसे बहुत ही गंभीर मसले पर बात करने आया हूँ।"
"प्लीज़ यार कार्तिक तुम कहीं अजय की सिफ़ारिश लेकर तो नहीं आए हो?"
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः