कभी रुपाली के मन में ख़्याल आता कि अजय उसका इतना अच्छा दोस्त है, क्या वह उसके साथ ऐसा छल कर सकता है? अंततः रुपाली ने यह निश्चय कर लिया कि वह इस विषय में प्रियांशु से ही साफ़-साफ़ बात करेगी।
उसने प्रियांशु को फ़ोन लगाकर कहा, "प्रियांशु आज शाम को फ़िल्म देखने चलो ना?"
"हाँ रुपाली तुम्हारी इच्छा सर आँखों पर और क्या हुकुम है बोलो?"
"उसके बाद बाहर ही डिनर करेंगे, ठीक है"
"और कुछ?"
"बस और कुछ नहीं।"
शाम को फ़िल्म देखने के बाद वे दोनों डिनर के लिए निकले। प्रियांशु ने पूछा, "अरे कहाँ चलना है रुपाली?"
रुपाली ने पहले से ही टेबल बुक कर रहा था। उसने कहा, "टेबल तो बुक्ड है प्रियांशु?"
प्रियांशु ने अपनी भौहें ऊपर करते हुए कहा, "अरे वाह, बहुत अच्छे रुपाली! क्या बात है।"
डिनर का ऑर्डर करने के बाद रुपाली ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को ऊपर करते हुए कहा, "प्रियांशु कुछ ही दिनों में पढ़ाई पूरी, कॉलेज लाइफ ख़त्म, फिर तुम अपने शहर वापस चले जाओगे। प्रियांशु हमारे बारे में कॉलेज में सब जानते हैं।"
"क्या जानते हैं रुपाली?"
"यही कि हम कितना साथ में घूमते फिरते हैं। इनफैक्ट सब जानते हैं कि हम प्यार करते हैं।"
"तो जानने दो ना रुपाली, हमें किसी का डर नहीं है और हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।"
"फ़र्क तुम्हें नहीं पड़ता प्रियांशु लेकिन मुझे पड़ता है।"
"तो तुम क्या चाहती हो रुपाली? "
"प्रियांशु हमें शादी कर लेनी चाहिए।"
"शादी? यह क्या कह रही हो रुपाली? अभी तो हमारा कैरियर अच्छे से बना भी नहीं है।"
"वह तो शादी करके भी बन सकता है ना प्रियांशु?"
"नहीं रुपाली इतनी जल्दी शादी, यह संभव नहीं है।"
प्रियांशु ने रुपाली के हाथ को अपने हाथों में लेकर कहा, "क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है? मेरे प्यार पर विश्वास नहीं है? हम मिलते रहेंगे ना, मैं आता रहूँगा, ज्यादा दूर नहीं हूँ । मैं हर रविवार यहाँ तुम्हारे पास रहूँगा। बस एक बार मुझे अपने पैरों पर खड़ा हो जाने दो, फिर हम शादी भी कर लेंगे। ऐसे थोड़ी अच्छा लगता है पापा के ऊपर और एक जवाबदारी डाल दूँ, भले ही वह कितने भी सक्षम क्यों ना हों।"
उसने रुपाली को प्यार भरी नज़रों से देखते हुए अपने चेहरे को उसके नज़दीक लाया। रुपाली समझ नहीं पा रही थी कि अब वह क्या करेगा किंतु उसने उसके माथे को चूमते हुए कहा, "आई लव यू रुपाली, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारे बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। देखो अभी केवल दो साल हमें एक दूसरे के लिए इंतज़ार करना होगा। उसके बाद पूरा जीवन साथ में ही तो रहना है।"
प्रियांशु की बातें और उसके अंदाज़ से रुपाली को यह लगने लगा कि प्यार में अंधा होकर शायद अजय ही झूठ बोल रहा है। वह प्रियांशु की बातों से बहुत ख़ुश हो गई और उसने अजय की बोली हर बात उसे बताने का मन बना लिया। फ़िर उसने कहा, "प्रियांशु मुझे आज अजय ने तुम्हारे बारे में बहुत कुछ बताया है।"
"क्या बताया है उसने?"
"उसने मुझसे यह कहा कि तुम सुधीर से कह रहे थे पढ़ाई ख़त्म, कॉलेज ख़त्म यानी सब ख़त्म। वह सब टाइम पास था यार। तब सुधीर ने पूछा कि क्या तू रुपाली से प्यार नहीं करता तो तुमने कहा प्यार वह मुझसे करती है मैं नहीं। सुधीर ने फिर पूछा तो क्या तू उसे धोखा देगा? उसके साथ शादी? तो तुमने कहा क्या बात कर रहा है यार शादी? तू तो शादी तक पहुँच गया, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।"
"अच्छा तो यह सब अजय ने कहा तुमसे।"
"हाँ अजय ने कहा।"
"तो उसकी इन भड़काने वाली बातों में आकर तुम वक़्त से पहले, उम्र से पहले, शादी करने के लिए कह रही थीं। रुपाली तुम बिल्कुल भोली हो। बचपना है अभी तुम्हारे अंदर। तुम्हें नहीं लगता कि वह भी तुम्हें प्यार करता है। वह तुम्हें हर हाल में पाना चाहता है किंतु मैं दीवार बनकर उसकी राह में आकर खड़ा हो गया बस इसलिए वह मुझे उसके रास्ते से हटाना चाहता है। कोई और वज़ह ना मिलने पर यह तो आराम से वह बोल ही सकता था कि मैंने सुना था। तुमने उस पर विश्वास कैसे कर लिया? मेरे प्यार पर संदेह करके तुमने मेरा बहुत दिल दुखाया है रुपाली।"
रुपाली को प्रियांशु पर पूरा भरोसा हो गया और इस बात का यक़ीन भी हो गया कि अजय ही झूठा है। वह अजय को अपने जीवन का सबसे बड़ा ख़लनायक समझने लगी, जो उससे उसका प्यार छीनना चाहता है। रात को रुपाली जब अपने बिस्तर पर गई तो वह बहुत बेचैन थी। उसने लाख अपने मन को समझाया लेकिन फिर भी बार-बार अजय की बोली हुई बातें उसे परेशान कर रही थीं। उसे वही बातें बार-बार कानों में सुनाई दे रही थीं। आँखों में वही दृश्य बार-बार घूम रहा था जब अजय ने यह सब कहा था।
फिर उसे प्रियांशु की बातें सुनाई देतीं। उसके साथ बिताया वह लम्हा याद आता जब प्रियांशु ने उसे समझाया था कि अजय क्यों इस तरह के इल्जाम लगा रहा है उस पर। वह सोच रही थी कि आख़िर कौन है उसके जीवन का नायक और कौन है ख़लनायक?
रत्ना पांडे वडोदरा गुजरात
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः