जीवित मुर्दा व बेताल - 11 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

श्रेणी
शेयर करे

जीवित मुर्दा व बेताल - 11

अपने वंश की रक्षा के लिए जमींदार साहब इतना तुक्ष्य कार्य कर सकते हैं गांव वालों ने कभी सोचा भी नहीं था।
रात को जमील माझी की पत्नी को जमींदार साहब ने बुलवाया ।
माझी की पत्नी ने जमींदार साहब के कमरे में आकर प्रश्न किया,
" मालिक आप मुझे कहां भेज रहे हैं ? "
जमींदार साहब जानते थे कि माझी की पत्नी यह प्रश्न अवश्य पूछेगी इसीलिए उन्होंने उत्तर पहले से ही सोच कर रखा था ।

" आज हमारे मंदिर के पास वाले बरगद के नीचे एक साधिका आई है । उनके साथ मैंने बात किया । साधिका आज रात को एक विशेष यज्ञ करेंगी जिसके फल स्वरुप हमें यह पता चलेगा कि तुम्हारा पति और लड़का कहां पर है । इसीलिए वहां पर तुम्हारा रहना अति आवश्यक है। "

यह सुनकर माझी की पत्नी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी ।
वह अवश्य ही वहां पर जाएगी । यह बात जमींदार साहब को बता कर वह कमरे से बाहर निकल गई ।

माझी की पत्नी के जाते ही जमींदार साहब ने आदमी भेजकर पूरे गांव में आदेश भेज दिया कि आज की रात और अगले दिन कोई भी अपने घर से बाहर ना निकले । तथा यह भी बता दिया कि गांव वालों के कल्याण के लिए साधिका एक यज्ञ करेंगी इसीलिए सभी गांव वाले इस आदेश का पालन करें । इससे उनका ही भला होगा । रात बढ़ते ही कुछ लोग माझी की पत्नी को साधिका के पास पहुंचा आए ।

बरगद के नीचे रात के अंधेरे में जलते दीपक व धुंध परिवेश में शारदा ध्यान मग्न होकर बैठी हुई है । माझी की पत्नी साधिका के सामने हाथ जोड़कर बैठी ।

" क्या वह दोनों मिल जायेंगे ? क्या उन्हें देख पाऊँगी ? "

" हाँ क्यों नहीं , इसीलिए तो मैंने तुम्हें यहां पर बुलाया है । तुम ही तो आज इस यज्ञ की मुख्य विषय हो । "

" मुझे क्या करना होगा । "

" लो इस प्रसाद को खा लो । "
इतना बोलकर शारदा ने एक ताम्बे का ग्लास माझी की पत्नी की ओर बढ़ा दिया ।

माझी की पत्नी ने तुरंत ही उस पानी को पी लिया । इसके बाद कुछ देर वह शांत होकर बैठी रही । शारदा एकटक उसी की तरफ देख रही है । अब चारों तरफ की हल्की रोशनी भी माझी की पत्नी की आंखों से ओझल होती रही । एक बार उसने शारदा की ओर देखा ।

" मुझे ऐसा क्यों हो रहा है ? "

" सब कुछ ठीक हो जाएगा । धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा । "
इतना बोलकर शारदा ने अपना एक हाथ माझी पत्नी के सिर पर रखा । तब तक माझी पत्नी की शरीर मानो मुरझा गई थी ।

°°°°°°°°°°

उधर पिछले कुछ दिन से गोपाल को बहुत सारे अद्भुत सपने दिखाई दे रहा है । गोपाल को समझ आ रहा है कि इन सभी सपने को जोड़ने पर एक घटना बन जाता है तथा यह घटना मानो उसे कुछ इशारा करना चाहता है । एक रात उसने देखा अंधेरे में एक नाव के ऊपर एक शव रखा हुआ है और शव के सिर के पास एक काला कंकाल बैठा हुआ है । फिर उसने देखा कि शव से मांस व चमड़ा निकलकर उस कंकाल में जाकर जुड़ जाता । इस तरह लगभग हर रात एक के बाद एक जमील माझी के साथ घटित घटना व उसके लड़के के मृत्यु सब कुछ गोपाल ने अपने सपने में देखा । सभी सपने मानो कुछ इशारा करना चाहते हैं । सपने के अंत में वह उस अज्ञात आदमी को भी देखता जिसने उसे एक कागज की पुड़िया दिया था ।
गोपाल बार-बार मंदिर जाता और देवी काली की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर अपने मन के सभी बातों को बताता तथा उन अद्भुत सपने के बारे में भी मूर्ति को बताता व सवाल पूछता । देवी माता मानो उसे रास्ता दिखाते हैं ।
लेकिन उस दिन की घटना के बाद गोपाल को वह अज्ञात आदमी कभी नहीं दिखा । मंदिर के पंडित व आसपास लोगों से उसने कई बार पूछा लेकिन सभी ने यही बताया कि इस रूप वाले सन्यासी को उन्होंने कहीं नहीं देखा ।
लेकिन सपने में देखे उस भयानक पिशाच को वह पहचान गया है क्योंकि उस भयानक रात को इसी प्रेत ने उसके सीने पर बैठकर खून - मांस चूसना चाहा था ।

°°°°°°°°°°

शारदा को अपने क्रिया के सामान मिल चुका है । गांव वालों के सामने असल सत्य छुपा ही रह गया । सभी को यही लगता है कि शारदा गांव के भले के लिए पूजा कर रही है । उन्हें माझी पत्नी की ऐसी दशा का भनक भी नहीं लगा । जमींदार साहब ने मन ही मन सोच लिया था कि इसके बाद वह गांव में बात फैला देगा कि माझी पत्नी को उसने शहर के किसी आश्रम में भेज दिया है।
लेकिन इन सब में एक और भयानक विचार है जिसके बारे में जमींदार साहब को पता ही नहीं ।
बेताल से छुटकारा पाने के लिए किसी विधवा महिला के आहुति की जरूरत नहीं होती । फिर शारदा ऐसा क्यों कर रही है ?
क्योंकि शारदा बेताल को भगाने या जमींदार साहब के वंश की रक्षा के लिए यहां पर नहीं आई है । बेताल को वश में कर अपना शक्ति बढ़ाने के लिए वह यहां आई है ।
उस पीले कागज का अंतिम क्रिया यही था जिसमें बेताल वशीकरण के बारे में बताया गया है । इस क्रिया में एक जल्द ही विधवा हुई महिला की आवश्यकता होती है , जिसके अंदर वह असीम शक्तिशाली हकिनी का आह्वान कर उसी शक्ति से बेताल को अपने वश में करेगी ।
इसके बाद वह कई गुना और शक्तिशाली हो जाएगी । अपने इस कार्य को पूरा करने के लिए ही शारदा इस गांव में आई है । पिछले कुछ सालों से पूरे भारत में भ्रमण व परिश्रम करके उस पीले कागज में लिखे सभी तंत्र में उसने सिद्धि प्राप्त कर लिया है । अब केवल यही एक बाकी रह गया है । अब बेताल को वश में कर वह अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। अपने तीव्र बुद्धि के बल पर शारदा ने ऐसी कई पक्रिया को पूर्ण किया है । इस बार भी उसके कार्य में कोई बाधा ना दे इसीलिए डराकर गांव वालों को घर के अंदर बंद कर दिया । ......

.......क्रमशः.....