Jivit Murda v Betal - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

जीवित मुर्दा व बेताल - 1

अब्बा आपको यह काम अपने ऊपर नहीं लेना था । "

" क्या करूं बेटा पेट का सवाल है और तो और ऊपर से यह काम जमींदार साहब ने दिया है । अगर मना कर दूँ तो जीना हराम हो जाएगा । "

अमावस्या की रात है । चारों तरफ देखने से ऐसा लग रहा है कि मानो किसी ने आसमान पर कालिख मल दिया है ।
जमीन पर कहीं भी एक बूंद रोशनी नहीं है । हालांकि एक लालटेन टिम टिम करते हुए रोशनी फैलाने की व्यर्थ कोशिश कर रहा है लेकिन इस गहरे अंधकार के सामने वह कुछ नहीं ।
जमील मांझी और उसका लड़का नाव लेकर आगे बढ़ चले हैं । नाव के एक तरफ जलता लालटेन ही इस अंधेरे में रोशनी का एकमात्र स्रोत है ।

सुवर्णरेखा नदी के किनारे महोबा नामक एक छोटा गांव है । इस गांव में बहुत ज्यादा लोग नहीं रहते लेकिन एक पूर्ण गांव के लिए जो कुछ भी चाहिए सब कुछ यहां पर है । प्रकृति मानो विशाल खाद्य भंडार के साथ यहां विराजमान है ।
रामनाथ गांव के सबसे धनवान व्यक्ति हैं इसीलिए वो इस गांव के कर्ताधर्ता व जमींदार हो गए हैं । उनका बहुत बड़ा मछली का व्यापार है । शहर के बड़े बड़े मछली व्यापारियों के साथ उनका लेन - देन चलता है । गांव के बहुत से लोग उनके इस कारोबार में काम करते हैं इसीलिए एक प्रकार वो यहां गांव वालों के लिए अन्नदाता हैं । स्वभाव - चरित्र से भी वो एक अच्छे आदमी हैं । जमील मांझी की तरह और भी बहुत सारे मांझी उनके लिए काम करते हैं । इनका काम है गांव से नदी के द्वारा शहर में मछली ले जाना । स्थल मार्ग की तुलना में नदी के द्वारा माल परिवहन करने का दो कारण हैं । पहला स्थल मार्ग के द्वारा माल भेजने का खर्चा ज्यादा है और समय भी ज्यादा लगता है । लेवल गर्मी में जब सुवर्णरेखा की जलधारा कम हो जाती है तब स्थल मार्ग का सहारा लिया जाया है ।

रामनाथ अपने गांव वालों के लिए प्रजा वत्सल हैं । गरीब लोगों के प्रति उनका अत्यधिक स्नेह है । सभी की सहायता के लिए वो हमेशा चले आते हैं और समस्या समाधान करने की कोशिश करते हैं ।
लेकिन इस समय किसी कारण से वो हमेशा बीमार रहते हैं शायद इसीलिए उनके चरित्र में कुछ बदलाव देखा गया है । अब लोगों के साथ ज्यादा मिलते - जुलते नहीं, ज्यादातर अकेला रहना ही पसंद करते हैं । अपने कारोबार पर भी उन्हें अब ज्यादा ध्यान नहीं है ।
इतने अच्छे आदमी के अंदर अचानक से ऐसा परिवर्तन क्यों आया ? यही प्रश्न सभी गांव वालों के अंदर है ।
रामनाथ ठाकुर का लड़का दिनेश अबतक शहर में रहकर पढ़ाई करता था । पिछड़े साल ही वह अपने पढ़ाई को खत्म करके गांव लौट आया है । लेकिन दिनेश अपने पिता की तरह नहीं है । स्वभाव तथा चरित्र से वह अपने पिता से पूरी तरह उलट है । शराब व नारी के लिए वह पागल है । इसी बीच उसने गांव में अपने जैसे कई और मनचले लड़कों का जुगाड़ भी कर लिया है ।
अब अपने पिता के बीमारी के चलते कारोबार की पूरी जिम्मेदारी जब उसके पास आई तो उसे मानो पूरा साम्राज्य मिल गया । तथा एक-एक कर उसके सभी गलत कामों की सूची सिर चढ़कर बोलने लगा । धीरे - धीरे दिनेश और उसके दोस्त गांव की लड़की और महिलाओं के सरदर्द का कारण बन गए ।

गहरा अंधेरा , छप - छप की आवाज करते हुए धीरे-धीरे जमील मांझी का नाव आगे बढ़ रहा है । मांझी नाव के एक तरफ बैठा है और ठीक उसके दुसरे तरफ उसका लड़का बैठकर पतवार चला रहा है ।
नदी के बाएं तरफ घना जंगल है । वहां से कुछ रात जागने वाले पंक्षी आवाज करते हुए इधर-उधर उड़ रहे हैं । अंधेरे में इन पेड़ों को देखकर ऐसा लग रहा है कि दानवों का समूह खड़ा है ।

" अब्बा , मुझे डर लग रहा है । "

" डरो मत बेटा डरो मत हमें यह काम करना ही होगा । इसके अलावा कोई उपाय नहीं है । हमारे ठाकुर साहब अब पहले के जैसे नहीं रहे । अब बदल गए हैं वरना ऐसा कभी नहीं करते । अपने लड़के का कांड लोगों के सामने न आए इसके लिए साहब अब कुछ भी कर सकते हैं । "

" अब्बा उस दिन क्या हुआ था ? "

" अभी यह सब नहीं बता सकता तू जल्दी हाथ चला । "

" नहीं अब्बा , क्या हुआ था बताइए । "

इसके बाद जमील मांझी ने अपने लड़के को जो घटना बताई वह कुछ इस प्रकार था ।,,,

पिछले दिन जब बारिश - हल्की आंधी रूकी उस वक्त रात के लगभग एक बज रहे थे । जमींदार साहब के गुणवान लड़के को शराब पीने की नशा जागी । अपने पिता के कारण वह घर में शराब लाकर नहीं रख सकता इसीलिए चुपचाप घर से निकल अपने एक दोस्त के घर की तरफ चल पड़ा ।
1 घंटे के बाद दिनेश और उसके चार दोस्त शराब के नशे में झूमते हुए जमींदार घर की तरफ ही लौट रहे थे । दिनेश ने कुछ ज्यादा ही पी लिया था इसीलिए उसके दोस्त उसे घर छोड़ने आ रहे थे ।
इसी तरह नशे में झूमते हुए वो सभी मंदिर के सामने वाले रास्ते की तरफ चल पड़े । रात गहरे अंधेरा वाला है इसीलिए सभी के हाथों में एक टॉर्च था । हालांकि उन सभी के टॉर्च की रोशनी से रास्ता चलने लायक नहीं था क्योंकि नशे में वो सही से रास्ते पर टॉर्च नहीं दिखा रहे
थे ।
उस रात को बारिश से बचने के लिए भोला पागल मंदिर के चौखट पर ही सो रहा था । इतनी रात को दिनेश और उसके दोस्तों को रास्ते से आते देख उसके दिमाग में एक शैतानी बुद्धि आ गया । उन सभी को डराने के लिए वह मंदिर के चौखट से सीधे रास्ते पर उनके सामने कूद पड़ा ।
पहले वो सभी यह देख डर से इधर - उधर गिर पड़े । भोला पागल यह दृश्य देखकर बहुत खुश हुआ और रास्ते पर खड़े होकर लगातार हँसता रहा । इसके बाद सभी नशेड़ी थोड़ा सम्भलकर जब सामने टॉर्च जलाया तो देखा भोला पागल खिलखिलाते हुए हँस रहा है ।
यह देख उनके मन का डर खत्म हो गया और उसके जगह एक तीव्र गुस्से व बदले की भावना ने अपना जगह बना लिया । वो सभी उस पागल को पकड़कर मारने लगे लेकिन भोला पागल का हंसी नहीं रुका । अब दिनेश झपटकर मारते हुए पागल के सीने पर बैठ उसके गले को जोर से दबाया । बाकी सभी पागल के छटपटाते हाथ - पैर को पकड़े रखा । कुछ ही समय में भोला पागल के हंसने की आवाज बंद हो गया । धीरे-धीरे उसका
छटपट करता शरीर शांत हो गया । नशे में दिनेश और उसके दोस्तों ने भोला पागल की हत्या कर डाला ।...

जमील मांझी का लड़का बोला,
" वो सभी कितने हरामी हैं । केवल इतनी सी बात के लिए एक आदमी को मार डाला । "

" चुप कर बेटा चुप कर ऐसी बातें नहीं कहते । वो सभी हमारे अन्नदाता हैं । "

गांव के लोगों के बीच अगर यह बात फैल जाती तो वह दिनेश को हत्या के लिए प्रश्न पूछते । रामनाथ पिता होकर अपने लड़के को क्या ही सजा देंगे । लेकिन अगर वह भी चुप रहे तो गांव वालों के सामने अपना सम्मान खो सकते हैं इसीलिए बेटे के स्नेह में अंधा पिता अपने लड़के को बचाने के लिए चुपचाप भोला पागल के लाश को कहीं ठिकाने लगाने का निर्णय लिया ।
इस गांव में ज्यादा लोग नहीं रहते इसीलिए गांव के पास वाले श्मशान में दाह संस्कार करने पर लोगों के मन में कई सारे प्रश्न उठ सकते हैं । इसीलिए बहुत कुछ सोचकर रामनाथ ने एक रास्ता निकाला ।
अपने सबसे भरोसेमंद जमील मांझी को बुलाया व उसे पूरी घटना बताकर इस लाश के दाह संस्कार का जिम्मा उसे दिया ।
अमावस्या की रात को इसीलिए सभी से छुपकर चुपचाप जमील मांझी व उसका लड़का भोला पागल के शरीर को लेकर जल मार्ग से चल पड़े हैं । उनका गंतव्य 5 मील दूर नदी के किनारे एक सुनसान श्मशान है वहीं पर इस लाश का दाह संस्कार करेंगे । हालांकि यह काम करने के लिए मांझी पहले राजी नहीं था लेकिन बहुत सारे पैसों का लालच दिखाने पर वह अंत में तैयार हो गया ।

अंधेरे की वजह से नदी का पानी भी काला दिख रहा है । जमील मांझी और उसका लड़का नाव चलाकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं । उनका नाव आकार में बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है और बहुत छोटा भी नहीं कह सकते । लेकिन इस नाव के बीच लकड़ी व बांस के फट्टे से बना विश्राम टांका घर काफ़ी बड़ा है और दोनों तरफ मखमल के कपड़े से ढंका हुआ है । कभी - कभी जमील मांझी के इस नाव से जमींदार साहब नदी में घूमने जाते थे इसीलिए वह हमेशा नाव पर बने इस घर को सजाकर रखता है । लेकिन उसे कभी ऐसा काम भी करना होगा उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था । आज उसके नाव पर बने घर में कोई जीवित मनुष्य नहीं है बल्कि वहाँ आज भोला पागल का लाश रखा हुआ है । लाश में अब धीरे-धीरे सड़न आने लगी है उसके दुर्गंध से उन दोनों का नाक जल रहा है ।
मांझी और लड़के दोनों ने ही नाक पर गमछा लगाया । अभी उन्हें काफ़ी दूर जाना है । इस नदी के हर एक कोने से वो भली भांति परिचित हैं इसीलिए अंधेरे में उन्हें नाव चलाने में कोई दिक्कत नहीं आ रही ।
इसी वक्त नदी के बाएं तरफ जंगल के ऊपर कुछ आग जैसा रोशनी जलकर बुझ गया । इस अंधेरे में उस रोशनी को उन दोनों ने देखा ।

मांझी का लड़का तुतलाकर बोला ,
" अब्बा ओ अब्बा वो क्या था ? "

" इधर - उधर मत देख नाव चलाता रह । "

जमील मांझी ने उसके डर को भगाने की कोशिश करना चाहा । लड़के को चुप करा दिया लेकिन उस रोशनी को उसने भी देखा था इसीलिए मन ही मन वह कुरान शरीफ पढ़ने लगा । आज आसमान व चारों तरफ शांत है शायद आज फिर आंधी - बारिश आने की संभावना है ।

" आसमान शांत है शायद बारिश आएगी इसीलिए इधर-उधर ज्यादा मत देख इससे और देर हो जाएगा । "
ये सब बोलकर मांझी अपने लड़के के मन को शांत करना चाहा ।

इसी बीच ना जाने कहां से एक जोरदार हवा आई । लालटेन की आग तुरंत ही बुझ गया । इसी बीच वह हवा टांका घर के एक तरफ के पर्दे उड़ाकर उसके अंदर प्रवेश कर गया । लेकिन अद्भुत तरीके से वह हवा दूसरी तरफ से बाहर नहीं निकली ।
कुछ ही मिनटों में सब कुछ शांत हो गया । अभी कहीं भी थोड़ी तेज हवा नहीं है । इसी बीच मांझी ने फिर लालटेन को जलाया । कुछ मिनट पहले के अद्भुत दृश्य को देख दोनों ही शांत हो गए थे । दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे । मांझी का लड़का किसी मशीन की तरह पतवार चला रहा है और मांझी आँख बंद कर मन ही मन कुरान पढ़ रहा है । अब उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि नाव पहले से थोड़ा भारी हो गया है और पानी में कुछ ज्यादा ही डूबा लग रहा है । नदी का पानी नाव के अंदर छलककर गिरने लगा । ऐसा लग रहा है कि नाव के ऊपर बहुत भारी कुछ अचानक ही चढ़ आया है ।

मांझी का लड़का कांपते पर हुए बोला,
" अब्बा , ऐसा क्यों हो रहा है ? "

जमील मांझी के चेहरे पर भी डर की रेखा साफ थी ।
" मुझे नहीं पता । या अल्लाह, अल्लाह का नाम ले । "

इसी वक्त टांका घर के अंदर से एक हंसी की आवाज सुनाई देने लगा । बहुत तेज नहीं कोई धीरे-धीरे हंस रहा है । इस अंधेरी रात को नदी के ऊपर तैरते नाव में दो मनुष्य और एक लाश लेकिन अचानक नाव पर बने घर में कौन है जो हंस रहा है ?........

...अगला भाग क्रमशः


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