जीवित मुर्दा व बेताल - 2 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जीवित मुर्दा व बेताल - 2

इसी वक्त नाव घर के अंदर से एक हंसी की आवाज सुनाई देने लगा । बहुत तेज नहीं कोई धीरे-धीरे हंस रहा है । इस अंधेरी रात को नदी के ऊपर तैरते नाव में दो मनुष्य और एक लाश लेकिन अचानक नाव पर बने घर में कौन है जो हंस रहा है ?...

मांझी और उसके लड़के का एक ही हाल है । हंसी सुनकर दोनों मानो पत्थर से हो गए हैं । धीरे-धीरे जमील मांझी लालटेन को उठाकर नाव घर की तरफ गया और अल्लाह को याद करते हुए कांपते हाथों से पर्दे को उठाया । उसने अंदर जो दृश्य देखा वह उनके लिए बिल्कुल बुरा था । आश्चर्य भरे आँखों से जमील मांझी ने देखा नाव घर के अंदर भोला पागल की लाश पहले जैसा रखा हुआ है केवल जिस कपड़े से उसे ढक कर रखा गया था वह पूरी तरह अलग हो चुका है । और उस लाश के सिर के पास कोई बैठा है लेकिन वह इस नाव घर के अँधेरे में समाया हुआ है । मांझी के हाथ पैर सुन्न हो रहे थे लेकिन ना जाने क्या सोच लालटेन को उठाकर वह नाव घर के अंदर गया । लालटेन की रोशनी से नाव घर के अंदर का अंधेरा कुछ कम हुआ । जमील ने उस रोशनी में देखा कि लाश के सिर के पास एक कंकाल बैठा हुआ है लेकिन उसके हड्डियों का रंग सफेद नहीं बल्कि काला है । मानो किसी ने हड्डियों पर काला रंग लगा दिया है ।
इतना सब कुछ देखकर जमील मांझी बेहोश ही होने वाला था लेकिन वह फिर से एक और दृश्य देखकर कांप गया ।
अब नीचे लाश रुपी भोला पागल के शरीर पर उस कंकाल ने अपना एक हाथ रखा । तुरंत ही भोला पागल के शरीर से थोड़ा - थोड़ा करके चमड़ा व मांस निकलने लगा । जमील मांझी ने देखा , निकलते चमड़े व मांस धीरे - धीरे कंकाल के शरीर में जाकर जुड़े रहे थे । कुछ ही देर में वह कंकाल एक पूर्ण मनुष्य शरीर में परिवर्तित हो गया केवल चेहरा जुड़ना अभी बाकी है । यह दृश्य देखते हुए जमील मांझी उसी में खो गया है । वह एकटक यही विभत्स दृश्य देखने में व्यस्त है ।
उधर मांझी का लड़का बहुत देर से बुला रहा है । नाव घर के अंदर जाने के बाद से उसे अपने अब्बा का कोई आवाज नहीं सुनाई दिया । अंदर से केवल कुछ आवाजें उसे सुनाई दे रहा है ।
इधर आंखों के सामने ऐसे भयानक दृश्य को देखकर जमील मांझी का धड़कन न जाने कब का रुक गया है । दोनों आँख अब भी आश्चर्य से भरे व हाथ में लालटेन लेकिन शरीर में अब जान नहीं है ।
अब लाश के चेहरे का मांस कंकाल से जुड़ते ही वह हूबहू भोला पागल के जैसा दिखने लगा था । उस चेहरे पर अब एक भयानक हंसी खेल रहा है । धीरे-धीरे भोला पागल का नग्न शरीर , मरकर पत्थर हो चुके जमील मांझी के शरीर की तरफ बढ़ा । इसके बाद अपने हाथ से मांझी के सिर को एक ही बार में धड़ से फाड़कर अलग कर दिया । भोला पागल का शरीर मानो एक भयानक शैतानी शक्ति का अधिकारी बनकर लौटा आया है ।
मांझी के सिर को पास में रखकर वह अपने दोनों हाथों से शरीर को पकड़ लिया फिर सिर हीन गले पर मुँह लगाकर
अंतड़ियों को खींचकर बाहर करने लगा । गुस्से में मांझी के शरीर को नाखून से फाड़ने लगा । फिर एक बार हंस कर मांझी के शरीर से मांस फाड़ मुँह के अंदर डालने लगा ।
उधर नाव घर के दूसरी तरफ के पर्दे को हटाकर जमील मांझी के लड़के ने देखा कि जहां भोला पागल का लाश रखा हुआ था वहाँ अब एक कंकाल पड़ा हुआ है और उसके पैरों के पास एक कटा हुआ सिर । हल्की रोशनी में वह सिर को पहचान गया और तुरंत ही उसके मुँह से चिल्लाने की आवाज निकल गई ।
अबतक वह नग्न शरीर जमील मांझी के मांस को खाने में व्यस्त था लेकिन उसके लड़के के आवाज को सुनकर उसने उधर की तरफ देखा । मांझी का लड़का वह डरावना दृश्य देख जमकर पत्थर जैसा हो गया है । आश्चर्य होकर वह देखा कि उसके तरफ भोला पागल देख रहा है । उसके होंठ से लाल खून की धारा निकल रहा है, कोने के दो दाँत बड़े से हो गए हैं । एक बड़े से जीभ को निकालकर वह मांझी के खून को चाट रहा था । अब उसने जीभ को अंदर कर लिया । उसके चेहरे पर अब एक शैतानी हंसी खेल रहा है और उसी के साथ आंखों में बदले की आग भी है ।
लड़के ने एक हाथ से अपने गले के ताबीज को पकड़ लिया । भोला पागल अब पूरी तरह उस लड़के के तरफ
मुड़ा । लड़के के हाथ में नाव का पतवार था तुरंत ही उसने पतवार से भोला पागल के नग्न शरीर पर वार किया । तुरंत ही नग्न शरीर लड़के की तरफ लपका । यह देख मांझी का लड़का नाव से नदी में कूद गया और जल्दी से तैरते हुए किनारे पर जाने की कोशिश करने लगा ।
भोला पागल का नग्न शरीर अब नाव के ऊपर खड़ा हुआ । उसके बाद एक हंसी निकालकर धीरे-धीरे नदी की पानी में उतर गया ।
उधर लड़का लगभग नदी के किनारे पर पहुंच गया है लेकिन उसी वक्त पानी के अंदर से किसी ने उसके पैर को पकड़ खींच लिया । कुछ सेकेण्ड की छटपटाहट फिर लड़के का शरीर पानी के अंदर समा गया । धीरे - धीरे पानी के तरंग शांत हो गए । पानी के अंदर से कुछ हवा के बुलबुलों के साथ लाल खून भी ऊपर आया । मानो अंधेरा मिले हुए नदी पानी के साथ मिलकर उसके अस्तित्व को खत्म कर दिया । हो सकता है दूर पेड़ों पर बैठा कोई निशाचर पक्षी इस घटना का साक्षी होगा ।
कुछ ही देर में चारों तरफ का वातावरण पहले की तरह सामान्य होते ही वो सभी आवाज करते हुए इधर - उधर उड़ गए ।...

अगले दिन सुबह रामनाथ राह ताक रहे हैं कि कब जमील मांझी लौटेगा । धीरे-धीरे दिन खत्म होकर रात होने को आई लेकिन मांझी नहीं लौटा । उधर मांझी की पत्नी आंखों में आंसू लेकर बिना कुछ खाए - पिए अपने पति और बेटे की प्रतीक्षा में आँगन में बैठी हुई है लेकिन मांझी और उसका प्यारा लड़का कोई नहीं लौटा ।
इसके बाद जमींदार साहब ने बहुत खोजबीन करवाया । इधर उधर आदमियों को भेजकर पता लगाया लेकिन जमील मांझी का सुराग कहीं भी नहीं मिला ।
जमींदार साहब ने जमील मांझी की पत्नी को अपने घर में लाकर रखा है । गांव के लोगों के बीच कई प्रश्न और बातों का कौतुहल सिर चढ़ कर बोल रहा है । सभी सोच रहे हैं कि मांझी और उसका लड़का रातोंरात अपने पत्नी को बिना कुछ बताए घर छोड़ कर चले गए । लेकिन जमील मांझी को ऐसा क्या हुआ कि अपने लड़के को लेकर जाना पड़ा ? ऐसे ही कई प्रकार के प्रश्न गांव वालों के मन में हिचकोले खाता रहा । तथा इसी के साथ जमींदार साहब का सम्मान भी उनके बीच और बढ़ गया । बेचारी असहाय मांझी की पत्नी को उन्होंने अपने घर में जगह दिया है सम्मान तो बढ़ेगा ही । लेकिन असली बात से सभी अनजान रह गए । जमींदार साहब ने ही उन दोनों को एक विशेष कार्य के लिए भेजा था यह किसी को पता भी न चला । इधर गांव वाले जिसे जमींदार साहब की अच्छाई सोच रहे हैं उसके पीछे भी एक कूटनीतिक मतलब है । अगर वो मांझी की पत्नी को अपने यहां ना रखते तो वह गांव वालों को पूरी सच्चाई बता भी सकती है क्योंकि मांझी , जमींदार साहब और मांझी के लड़के के अलावा अगर कोई यह सच्चाई जानता है तो वह जमील की पत्नी ही है । अगर उसे जमींदार साहब अपने पास ना रखते तो गांव वालों को असली सच्चाई बता सकती थी जिससे फलस्वरुप जमींदार साहब और उनके गुणवान लड़के दिनेश का कांड सभी के सामने आ जाता । हालांकि गांव वालों के मन का कौतूहल इतनी आसानी से खत्म नहीं हुआ । लगातार दो दिनों में गांव तीन मनुष्य गायब हो गए , पहले भोला पागल और फिर जमील मांझी व उसका लड़का । आखिर वो सभी गए कहाँ ?
गांव के चाय की दुकान , मंदिर के चौखट , शाम के बैठक सभी जगह लोगों के बीच आलोचना का विषय यही है ।

इधर ऐसी एक घटिया काम करने के बाद भी दिनेश और उसके दोस्तों को कुछ भी फर्क नहीं पड़ा । बल्कि इसके उलट वो सभी और भी बेपरवाह हो गए । गांव के एक विशेष जगह पर रामनाथ से बोलकर दिनेश ने एक अड्डा घर बनवा लिया और वहीं पर पूरे दिन शराब और जुआ चलने लगा । गांव की लड़कियों और महिलाओं को उनके कारण रास्ते पर चलना भी दूभर हो गया ।
गांव के लोगों ने जमींदार साहब के पास इस बारे में कई बार शिकायत की है लेकिन विशेष कुछ काम नहीं हुआ ।
जमींदार साहब अपने लड़की के प्रति इतना दुर्बल हैं कि वो अपने लड़के के साथ ऊंची आवाज में बात भी नहीं कर पाते । दिनेश यह सब अच्छे से समझता है इसीलिए इस कमजोरी का फायदा उठाकर वह दिन पर दिन और बेपरवाह होता जा रहा था ।
इधर गांव में एक नई समस्या शुरू हो गई है । सभी को कभी कभार भोला पागल दिखाई देता । अभी कुछ दिन पहले ही दीनू यादव खेत से घर आने की तैयारी कर रहा था । सूर्य पश्चिम में लगभग अस्त हो चुका है इसीलिए चारों तरफ स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा । दीनू ने देखा मेड़ के ऊपर भोला पागल खड़ा है । इस हल्के अंधेरे में उसका चेहरा स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा लेकिन उसके शरीर गढ़न से दीनू उसे तुरंत पहचान गया । भोला पागल जब खड़ा होता था तो सामने की तरफ झुककर खड़ा होता था । इतने सालों से गांव के लोग उसके इस तरह खड़े होने से परिचित थे इसीलिए दीनू को भी पहचानने में कोई दिक्कत नहीं आई । दीनू ने पूछा ,
" अरे भोला तू लौट आया । बीच में कहाँ गायब हो गया था ? "
इसके उत्तर में एक अद्भुत हंसी के अलावा कुछ नहीं सुनाई दिया । दीनू को थोड़ा डर लगा इसीलिए वह वहाँ से चल पड़ा ।
उसी दिन रात को एक और घटना घटी । सहदेव प्रतिदिन मछली छोड़े गए तालाबों पर पहरा देता है । आसपास के गांव के कुछ लड़के आकर रात को मछली चुराते हैं इसीलिए जमींदार रामनाथ ने पहरे का काम सहदेव को दिया है । हाथ में लाठी और एक में लालटेन लेकर सहदेव प्रतिदिन की तरह इधर-उधर टहलकर देख रहा था । उसी समय उसे जलाशय की पास एक परछाई बैठा हुआ दिखाई दिया । थोड़ा सा पास जाते ही शरीर की बनावट को देखकर सहदेव जान गया कि यह भोला पागल है । सहदेव सोचने लगा कि यह इतनी रात को पानी के पास बैठकर क्या कर रहा है ? यही सोचते हुए वह लाठी उठाकर भोला पागल के तरफ आगे बढ़ा ।
" अबे ओ भोला पगले इतनी रात को वहाँ क्या कर रहा है ? भाग यहां से भाग । "
भोला बिल्कुल नहीं हिला वह बैठा ही रहा । सहदेव उसके पास जाकर खड़ा हो गया । भोला पागल कुछ अद्भुत प्रकार से हँस रहा था । उसके हंसी को सहदेव ने पहले भी सुना था लेकिन आज उसे इस हंसी से डर लगा । अनजाने में ही उसके रोंगटे खड़े हो गए । एक क्षण भी बिना रुके सहदेव वहाँ से मुड़कर जाने लगा । लौटते वक्त सुखदेव ने कुछ खच - खच करके चबाकर खाने की आवाज सुना था । इसका मतलब भोला पागल क्या कच्चा मछली खा रहा है ?

गांव के कई जगहों से ऐसे छोटी-छोटी घटनाएं सभी ने बताना शुरू कर दिया । कोई भोला पागल को देखता और कोई उसके अद्भुत हंसी को सुनता । ऐसी बातें पहले भी हुई है । सभी उसके पागलपन के बारे में जानते हैं लेकिन इस बार जिसने भी उसे देखा सभी को एक डर की अनुभूति हुई ।
इसी तरह एक और दिन बीत गया । एक गांव में एक और नई समस्या आ गई । एक - एक कर गांव से पालतू पशु गायब होने शुरू हो गए । किसी की गाय , किसी की बकरी या मुर्गी को कोई बड़े ही सफाई से चुरा रहा है ।

उधर बगल के गांव में एक और भयानक घटना घट रहा है.....

...अगला भाग क्रमशः...