अनोखी दुल्हन - (मुझे सुंदर बना दो_१) 37 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनोखी दुल्हन - (मुझे सुंदर बना दो_१) 37

राज जब लंच पर अपने मैनेजर से मिला, " सुनिए मैंने जिस बिल्डिंग को बेचने के बारे में कहा था ना। वह ऑर्डर आप कैंसिल कर दें।"

" फिक्र मत करो। मैंने तुम्हें कभी सीरियसली नहीं लिया।" मैनेजर ने राज की तरफ देखते हुए कहा।

" मुझसे इस तरीके से बात कैसे कर सकते हैं आप ? भुलिएगा नहीं कपूर खानदान का इकलौता वारिस हूं मैं। कल आप को मेरे अंदर ही काम करना है।" राज ने अपनी गर्दन ऊंची करते हुए कहा।

" फिलहाल तो मिस्टर कपूर ही मेरे मालिक है। जब तुम बनोगे, जिसके चांसेस काफी कम है। तब देखेंगे कि मुझे तुम्हारे आर्डर फॉलो करने है या नहीं।" मैनेजर किम।

मिस्टर कपूर के खास चुनिंदा लोगों में से एक थे मैनेजर किम। मिस्टर कपूर ने मैनेजर कीम को अपने पोते को कामकाज सिखाने के लिए कहा था। पर राज ने कभी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। बदौलत वीर प्रताप और मिस्टर कपूर ने राज के सारे अकाउंट बंद कर। उससे उसका क्रेडिट कार्ड वापस ले लिया। जिसे पाने के लिए राज अभी भी जद्दोजहद कर रहा है।

दूसरी तरफ,
आने वाली आखिरी परीक्षाओं के चलते जूही की पढ़ाई जोरदार शुरू थी। वो शाम को आते ही देर रात तक अपने कमरे में पढ़ाई करती। शाम को जूही के कमरे पर दस्तक हुई। जब उसने दरवाजा खोला नाश्ते के साथ एक प्लेट हवा में झूल रही थी। जिसमें एक चिट्ठी रखी हुई थी। जूही ने आसपास देखा वीर प्रताप का कहीं कोई ठिकाना नहीं था। जूही ने उस प्लेट को लिया, और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।
" अच्छे से पढ़ाई करो और जैसे ही तुम्हें वक्त मिले प्लीज मेरी तलवार निकालने नीचे आ जाना। मुझे सुंदर बनना है।" जूही ने चिट्ठी पढ़ी और समझ गई कि नाश्ता किसने भेजा होगा। उसके चेहरे पर मुस्कान छा गई।

हर शाम का अब यही सिलसिला हो गया था। हर शाम नए तरीके का नाश्ता। नए तरीके की चिट्ठी के साथ। वीर प्रताप समझ नहीं पा रहा था कि, आखिर यह लड़की इतनी पढ़ाई क्यों कर रही है। आखिर अपनी जिज्ञासा के चलते उसने एक शाम जूही को किचन में रोका।

" तो तुमने क्या तय किया ?" वीर प्रताप ने जूही से पूछा।

" किस बारे में ?" जूही को उसकी बातें समझ नहीं आ रही थी।

" मेरी तलवार कब निकालोगी ?" वीर प्रताप।

" हां। उस बारे में मैंने बहुत सोचा। और मुझे लगता है कि तुम्हें खूबसूरत बनने के लिए और थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।" जूही ने अपनी नजरें नीचे करते हुए कहा।

" और वह भला क्यों ?" वीर प्रताप ने पूछा।

" वो क्या है ना। अभी मैं तुम्हें ठीक से जानती नहीं हूं। और तुम्हारा क्या भरोसा। कल को अगर तुमने खूबसूरत बनने के बाद मुझे यहां से निकाल दिया तो? यह कह कर कि मैं अब तुम्हारे किसी काम की नहीं रही। इसलिए मैं इस बारे में और सोचना चाहती हूं।" जुही ने वीर प्रताप को देखते हुए कहा।

" क्या तुमने सच में इस बारे में सोचा ?" वीर प्रताप।

" हां मैंने सच में सोचा। इतना सोचा कि मेरे सर में दर्द हो गया और मेरा पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं लग पाया।" जूही ने अपने सर को अपने हाथों से छूते हुए कहा।

" पढ़ाई पर ध्यान नहीं लग रहा था तो इतना सारा नाश्ता क्यों किया ?" वीर प्रताप ने नाश्ते की प्लेट की तरफ उंगली करते हुए पूछा।

" हां। दिखा दिए ना अपने सही रंग। इसीलिए मुझे तुम पर शक होता है‌‌। अगर तुम्हें इतनी परेशानी थी तो भेजा ही क्यों ?" जूही ने पूछा।

" इतना पढ़ कर क्या करना है ?" वीर प्रताप ने उसका ध्यान भटकाने की कोशिश की जिसमें वह कामयाब रहा।

" मुझे बड़ा होकर रेडियो प्रोड्यूसर बनना है। मैंने अपने सारे सब्जेक्ट भी उसी हिसाब से चुने हैं।" जूही।

" तुम्हारी रफ्तार देखकर नहीं लगता कि तुम इस जन्म में बन पाओगी। सिर्फ एक तलवार निकालने का काम तुम्हें दिया गया है। लेकिन वह भी तुमसे हो नहीं पा रहा। रेडियो में क्या करोगी ?" वीर प्रताप ने कहा।

" कितने बुरे हो तुम ? इतना भला-बुरा सुनाने की जरूरत नहीं है। तुम्हें मुझ से इतनी परेशानी है। तो जब मैंने कहा था 50,000 देकर पीछा छुड़ा लो। तब क्यों नहीं माने ?" अपनी कमर पर हाथ रखते हुए जुहिने पूछा।

" एक शक्तिशाली पिशाच और अमीर होने के अलावा, मैं इस दुनिया के भूतों का राजा हूं। और तुम कह रही हो के तुम्हें सिर्फ 50,000 देकर अपने से अलग कर दू। इतना भी क्रुर नहीं हूं मैं।" वीर प्रताप ने कहा। " और वैसे भी तुम 50000 में घर तक खरीद नहीं सकती। सिर्फ 50,000 लेकर तुम करोगी क्या ?" वीर प्रताप दिखाना नहीं चाहता था। लेकिन जूही को छेड़ने में उसे अलग ही मजा आता था। आज तक जहां किसी ने उसकी आंखों में आंखें डालकर बात तक नहीं की। वहीं यह लड़की उससे ऊंची आवाज में झगड़ा करती थी।

" मुझे घर नहीं खरीदना। मुझे वह पैसे अपने ट्यूशन फीस के लिए चाहिए थे। मेरी स्कॉलरशिप और सैलरी मिलाकर मेरे पास कॉलेज में भरने के लिए और हॉस्टल में रहने के पैसे हैं। लेकिन परेशानी सिर्फ कोर्स के ट्यूशन और बुक्स की प्राइस में होगी। इसीलिए पैसे चाहिए थे।" जुहिने फिर से गर्दन झुकाते हुए कहा। " मैं कोई तुम्हारी पुरानी गर्लफ्रेंड जैसी पैसो के पीछे पागल लड़कियों में से नहीं हू।"

" मेरी कोई..........." वीर प्रताप आगे कुछ बोल पाए उसे पहले यमदूत पीछे से बोल पड़ा।

" उसे 50,000 दे दो।" यमदूत।

" तुम से किसी ने पूछा ?" अब वीर प्रताप को गुस्सा आ रहा था।

" कितने कठोर हो तुम। उस बच्ची की कहानी सुनने के बाद भी तुम्हारा दिल पिघला नहीं। कहा ना उसे 50,000 दे दो।" यमदूत ने अपने ग्लास में से जूस का घूंट लेते हुए कहा।

" कहा ना अपने काम से काम रखो। एक बार में क्या कहा समझ नहीं आता।" वीर प्रताप ने यमदूत से पूछा।

" उसने कहा इसे ₹50000 दे दो।" जूही ने पीछे से आवाज लगाई।

" रेडियो प्रोड्यूसर बनना है ना। निकलो यहां से और अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करो।" वीर प्रताप ने उसे सीढ़ियों का रास्ता दिखाते हुए कहा।