अनचाहा रिश्ता - (अनकहे जज्बात_१) 31 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता - (अनकहे जज्बात_१) 31

समीर को जैसे ही खबर मिली, वो तुंरत सब काम छोड़ पहले हॉस्पिटल पोहचा।

" अब कैसे है मिस्टर पटेल ?" समीर ने स्वप्निल से पूछा।

" डॉक्टर ने कहां अभी खतरे से बाहर है।" स्वप्निल की बात सुन समीर ने चैन की सांस ली।

" और मीरा ?" समीर ने आस पास देखते हुए पूछा।

" बड़ी मुश्किल से उसे कुछ खाने भेजा है उस अजय के साथ। रो रो कर उसने अपना बुरा हाल कर रखा है। कितना समझा रहा हूं, समझती ही नहीं।" स्वानिल ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा।

" इकलौते बाप है उसके। बुरा तो लगेगा ना उसे। और साथ मैं जिस तरीके से तूने बताया की, तुम्हारी शादी की खबर सुन उनका ये हाल हुवा है। सोच अगर कही उन्होंने तुम्हारा रिश्ता तोड़ने की बात की तो ?" समीर ने कहा।

" उसके इकलौते बाप है से क्या मतलब ? सबका बाप इकलौता ही होता है। तुझे अभी भी ये चीज अगर लग रही है ? मुझे पूरा यकीन है, होश में आने के बाद सबसे पहले वो वही करेंगे। इसीलिए तो मैं ज्यादा टेंशन में हूं। और सच बताऊं मुझे तो उनके हार्ट अटैक पर भी शक हो रहा है।" स्वानिल ने धीमी आवाज में कहा।

" हां। शक तो मुझे भी है ? मतलब इतने कमज़ोर वो लगते नही है। जीतना वोह इस हॉस्पिटल में दिखा रहे है। ऊपर से तू ने बताया कि हॉस्पिटल भी उनके दोस्त का है। " समीर ने मिस्टर पटेल के कमरे में झांकते हुए कहा।

" यहां के सीसीटीवी का एक्सेस मिल सकता है क्या ? अपनी उंगलियां घुमा। शो मि यूर मैजिक मैन।" स्वप्निल ने एक अजीब मुस्कान से समीर को कहा।

" तुझे नही लगता हम काफी पत्थर दिल बनते जा रहे हैं ?" समीर ने कुछ सोचते हुए कहा।

" मतलब ??? मैं समझ नही पा रहा हूं ?" स्वप्निल कन्फ्यूज्ड था।

" मेरा मतलब, एक बाप अपनी बेटी के दिए धोके की वजह से वहां आई सी यू में पड़ा है। लेकिन हमे फिर भी उस पर यकीन नही है।" समीर ने स्वप्निल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

मीरा के हाथ से पानी की बोतल वही जमीन पर गिरी। उसकी आवाज से दोनो ने पीछे मुड़कर देखा।

" ओह शीट।" स्वप्निल ने अपने आप को कोसा। लेकिन कोई मतलब नहीं। मीरा की आंखो के आंसू बता रहे थे के उसने उन दोनो की बाते सुन ली है। मीरा रोते हुए, सीडियो की तरफ भागी।

" समीर सर आप ऐसा कैसे बोल सकते है ? मेरी दोस्त के बारे में ? अगर उसने अपने पापा को धोका दिया तो आपका दोस्त भी उस धोखे में बराबर का दोषी है।" अजय ने समीर पर आवाज चढ़ाते हुए कहा।

" सिर्फ इतना ही सुना ना तुम दोनो ने ?" स्वप्निल ने पूछा।

" इतना ही काफी है, आपसे ज्यादा नफरत करने के लिए।" अजय आगे कुछ बोल पाए उस से पहले स्वप्निल मीरा की दिशा में भागा।

" समीर कोई जरूरत पड़े तो कॉल कर। मैं आस पास हूं।" उसने सिडियो की तरफ जाते हुए कहा। समीर ने बस उसे आंखो से इशारा किया और अपना हाथ अजय के कंधे पर रख उसे कुछ समझाने लगा।

मीरा अस्पताल की सीढ़ियों पर बैठ रोएं जा रही थी। समीर के मुंह से वो लब्ज़ सुनने के बाद उसे और ज्यादा अपराधियों जैसा महसूस हो रहा था। स्वप्निल चुपचाप आकर उसके पास बैठा। उसने कोई हरकत नहीं की, नाही मीरा को चुप कराना जरूरी समझा। अपने आस पास किसी के मौजूदगी के एहसास से जब मीरा ने उसे देखा। उसने बस मीरा को अपने गले लगा लिया।

" मैं और समीर किसी और चीज़ के बारे में बात कर रहे थे। तुम गलत वक्त पर, बस गलत जगह थी। डैड बिलकुल सही सलामत है। उनके साथ जो कुछ भी हुआं उसमें हमारा कोई कसूर नहीं है। यह बस एक मुश्किल वक्त है। जो जल्द ही ढल जाएगा। फिर से डैड तुम्हारे पास होंगे। इस से ज्यादा मैं तुम्हे कुछ समझा नहीं पावूंगा।" स्वप्निल ने अपना हाथ मीरा की पीठ पर सहलाते हुए कहा।

" मुझे बहुत बुरा लग रहा है। सब लोग यही कह रहे हैं कि यह मेरी वजह से हुआ। क्या मैं बुरी बेटी हूं ?" मीरा ने अपनी आंखें पोछते हुए कहा।

" बिल्कुल नहीं। वह लोग होते कौन हैं तुम्हारा तुम्हारे पिता से रिश्ता जज करने वाले । किसी को तुम्हारी तरफ उंगली उठाने का मौका मत दो मीरा। ऐसे हालातों में तुम्हें मजबूत रहना है। ताकि तुम अपने पिता को अपने घर वापस ले जा सको। मैं तुम्हारा हर कदम साथ दूंगा वादा रहा।" स्वप्निल ने मीरा के चेहरे को छूते हुए कहा।

मीरा ने उसे एक नजर देखा। वह जब भी स्वप्निल को उदास देखती थी उसे उसकी तरफ एक खिंचाव सा महसूस होता था। आज भी जब उसे किसी के सहारे की जरूरत है फिर से स्वप्निल की तरफ खिंचाव महसूस हो रहा है। उसने पहले स्वप्निल की आंखों में देखा फिर उसके होंठों को देखा। वह धीरे से अपना मुंह उसके होठों के पास लेकर गई। और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। स्वप्निल के लिए यह इशारा था। यह कोई हवस नहीं थी, यह वह प्यार था वह एहसास था जो वह एक दूसरे के लिए महसूस करते हैं। यह चुंबन वह डोर है जो उन्हें एक दूसरे से बांधती है।

कुछ देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए। मीरा ने अपने चेहरे पर से आंसू पोछे। अब उसका चेहरा पूरी तरह से शर्म के मारे गुलाबी हो चुका था। " चलिए चलते हैं।" मीरा ने सीढ़ियों पर से उठते हुए कहा।

" अब कहां जाना है तुम्हें ?" स्वप्निल ने पूछा।

" डॉक्टर से मिलने चलते हैं। ताकि हम पूछ पाएं, कि पापा को कब तक हमारे घर ले जाएंगे।" मीरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

डॉ चौधरी से मिलने के बाद दोनों वापस आईसीयू के बाहर आकर खड़े हो गए जहां पर समीर और अजय पहले ही मौजूद थे।

मीरा को देख अजय तुरंत उसके पास भागा, " क्या तू ठीक है ? समीर सर ने बताया कि वह दोनों किसी और चीज के बारे में बात कर रहे थे।" अजय ने तुरंत मीरा से कहा ताकि उसे बुरा ना लगे।

" हां पता चला मुझे। उनके किसी दोस्त ने भाग कर शादी कर ली और उस लड़की के पिता को हार्ड अटैक आ गया।उस लड़की का नाम सविता है। जिसे यह लोग भाभी कह कर बुलाते हैं। उसी के बाद चल रही थी यहां।" अजय कुछ कह पाए उससे पहले मीरा ने सब बता दिया।

" अरे वाह !! मतलब यह कहानी सच्ची है।" अजय ने अचंभित होते हुए कहा।

" मतलब तुम्हें हमारी बताई बातों पर भरोसा नहीं था ?" समीर ने अपने हाथ कमर पर रखते हुए पूछा।

" मैं कोई बच्चा नहीं हूं सर। आपकी किसी भी कहानी पर भरोसा कर लूंगा। लेकिन अब जबकि मीरा ने भी सेम कहानी बताई मतलब बात सच्ची होगी।" अजय ने मीरा के सर पर हाथ रखते हुए कहा।

समीर और स्वप्निल एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे। क्यों ना हो!!! आखिर बचपन के दोस्त यूं ही थोड़ी है दोनों। यह रटी रटाई कहानी है दोनों के मुंह पर। जब कभी भी दोनों में से एक किसी परेशानी में फंसता था, दूसरे को पता था कि उसे किस वजह से किस नाम के साथ कहानी घुमानी है। बस उन्हें यह नहीं पता था, कि यह आदत उन्हें इस उम्र तक काम आएगी।

मीरा और अजय को एक दूसरे के साथ अकेला छोड़। दोनों दोस्त फिर से बात करने एक कोने में इकट्ठा हुए।
" तूने कुछ किया ?" स्वप्निल ने पूछा।

" हां कुछ तो किया है ?" समीर में अपने आसपास देखा फिर अपने जेब से अपना मोबाइल निकाला। और स्वप्निल को दिखाया।

" हम कुछ समय पहले की फुटेज देख सकते हैं ?" स्वप्निल ने एक और सवाल तैयार रखा था।

" कम ऑन मैन!!! मैं एक सिविल इंजीनियर हो आईटी नहीं। तू इससे आगे की फुटेज एक्सेस कर सकता है। लेकिन इसके पहले कि नहीं। तो थोड़ा सब्र रख और इंतजार कर।" समीर में उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

स्वप्निल ने एक नजर अजय के साथ बात कर रही मीरा पर डाली। " मीरा की यही तो खासियत है। जब बात उसके बारे में हो मुझसे इंतजार नहीं होता।"


रात को जब सब सो रहे थे। किसी एक काम मिस्टर पटेल के पास रुकना जरूरी था। मिस्टर पटेल के कहे मुताबिक डॉ चौधरी ने उनके कमरे में किसी को रुकने की इजाजत नहीं दी। स्वप्निल ने बड़ी मुश्किल से मीरा को घर भेजा था। स्वप्निल पास के कमरे में ही आराम कर रहा था। हॉस्पिटल के वातावरण की वजह से उसे नींद नहीं आ रही थी लेकिन वह बस आंख बंद कर अपने बिस्तर पर पड़ा था। अचानक उसे लगा कि मिस्टर पटेल के कमरे में कुछ हलचल हुई है। उसने तुरंत अपने मोबाइल का सीसीटीवी एक्सेस ऑन किया।

अपने सामने का नजारा देख उसकी आंखें खुली की खुली रह गई। एक वार्डबॉय मिस्टर पटेल के लिए खाना लेकर आया था। उसने खाना में मिस्टर पटेल के सामने रखा धीरे से उनके कानों में कुछ कहा। 1 मिनट के भीतर मिस्टर पटेल ने आंखें खोली और अपने चेहरे पर से सारी वायरे पास के टेबल पर निकाल कर रख दी। फिर उन्होंने अपना बदन थोड़ा मोड़ा। और खुद अपने हाथों से खाना खाया।

स्वप्निल का शक सही था।

2 आदमी एक लड़की। वो इकलौती दोनों आदमियों की जान है। दोनों उसके लिए जज्बाती है। पर दोनों को पता नहीं है कि अपने जज़्बात किस तरह से बयां करें। ठीक है चल जिद पकड़ कर बैठा है कि किसी भी हालत में अपनी बेटी को अपने पास रोक लेगा। और दूसरा है जो अपनी पत्नी के लिए कुछ भी कर गुजरने की ताकत रखता है। एक दूसरे से इस तरह लड़ते हैं दोनों, सोचो सब साथ मिलकर उसके लिए लड़ेंगे। तब समा क्या होगा ?