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इत्तेफाक - भाग 6

वो सात बजे तक उठ जाया करती थी पर कल रात को उसे सायद बोहोत दीनो बाद सुकून की नींद आई थी तो वो आज आठ बजे तक उठी नही थी।

खीडकी मै से हल्की सी सूरज की कीरने उसके गालो को चुम रही थी, बीखरे बाल ओर नींद मे भी वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

तभी उसके करीब राज आया ओर जेसे ही उसने माथे पे कीस करने झुका तो वो जट से बैठ गई, खुशी ने देखा की सामने मा थी ओर प्यार से उसका सर सहेला रही थी वो अपने मा के गले लिपटकर बोली थोड़ा ओर सोने दो ना
मा सा ने कहा अब उठ जाओ मेरी लाडो रानी आपको कोलेज भी तो जाना है।
कोलेज की बात सुन कर वो जट सै उठ गई ओर सुबह जो ख्वाब देखा था उस के बारे मे सोच कर उसे थोडी सी शर्म आ गई ।वो फटाक से रेड्डी हो गई मा को बाय बोल के कोलेज के लिए निकल गई पूरे रास्ते मे वो राज के बारे मे ही सोच रही थी उसे लगा कि क्या उस को राज से प्यार तो नही हुआ और कब कोलेज आ गया पता ही नही चला।
अब अक सिलसिला हो गया था राज ओर खुशी के बीच सिर्फ WhatsApp मे दोनो थोड़ी बहुत बाते करते थे बाकी कोलेज के टाइम दोनो एक दुसरे से आँखो के ईशारे से ही बाते होती थी दोनो कै बीच। राज चाहता था की वो कोलेज बाहर खुशी से मीले बाते करे टाइम बीताऐ उसके साथ । पर वो कभी बोल ही नही पाया अब तो तीन साल होने को आये थे अब तो फ़ाइनल एक्जाम की डेट भी आ गई थी,
उसके पहले ‍ˈऐन्‌युअल्‌ डे का सेलिब्रेशन था ओर बीस दीन के बाद परीक्षा ।
सब लोग बड चड के हिस्सा लेकर रहै थे। कोई डान्स तो कोई सिंगिंग कोई ड्रामा सब लोग पार्ट ले रहै थे ।
खुशी ने भी सिंगिंग मे पार्ट लीया, राज ने पूछा कोनसा गाना गाने वाली है आप तो खुशी ने जट से ओडिया वॉट्सएप पे भेज दीया। ओर दोनो ईस गाने मे खो गए , जैसै ये गाना उन दोने के हालात बयान करता हो।

मेनू इश्क तेरा ले डूबा
हाँ मेनू इश्क तेरा ले डूबा)
ऐसा क्यूँ होता है तेरे जाने के बाद
लगता है हाँथों में रह गए तेरे हाथ
तू शामिल है मेरे हंसने में
रोने में है क्या कोई कमी मेरे
पागल होने में
(मेनू इश्क तेरा ले डूबा हाँ
मेनू इश्क तेरा ले डूबा)
हर दफ़ा वही जादू होता है तू जो मिले हो.. सब संवर जाता है

राज भी ये गाना सुनके खुश हो गया अब उसको यकीन था की खुशी उसे प्यार करती हे ओर ये इजहारे मोहब्बत हे वो।
ओर राज की खुशी का ठीकाना नही था उस ने भी तय कर लिया के वो भी अपने प्यार का इजहार कर देगा। देख ते देख ते ˈऐन्‌युअल्‌ डे भी आ गया ।
खुशी ओर राज दोनो खुश थै राज को तो कोलेज का काम देख ना था तो वो सुबह मै जल्द ही आ गया था ।
ओर खुशी भी तैयार होकर निकल गई ।
बडे से ग्राउंड मे स्टेज बनाया गया था वीआईपी मेहमान ओर सभी प्रोफेसर को आगे बैठ ने की व्यवस्था की गई थी सिनियर की टीम सब इन्तेजाम देख रही थी।
खुशी आई उसकी नजरे राज को ढूंढ रही थी दूर राज दीखा पर वो वीआईपी गेस्ट से बातचीत कर रहा था तो उस ने हाथ हिलाकर हैलो बोला ओर वो यिया का इन्तज़ार कर ने लगी । दोनो सभी से नजरे चुराके एक दुसरे को देख लेते थे। तभी खुशी का फोन बजा उसने देखा की मा सा का कोल है तो खुशी ने उठा लीया,
मां -सा - थोडी हिचकिचाहट कै साथ बोली लाडो रानी आप घर पर कबतक आऐगी
खुशी ने कहा मासाहेब अभी तो आये है क्या हुआ?
खुशी की मा थोड़ी देर चुप रह कर बोली लाडो आपके सास ससुर आने वाले है ।
खुशी के हाथ से फोन गीर गया उसने खुद को संभाला फोन हाथ मे लिया ओर बोली पर हमारी सगाई (मंगनी) कब हुई ।
समने से आवाज आई छे महीने हुए ये दुसरा झटका था उसकी आंखो से बडे बडे आंसु टपक ने लगे।
इतनी बडी बात अब बता रही है आप?
खुशी की माने कहा लाडो हमने आपके बाबा सा को कहा था की उसकी पढ़ाई पूरी हो जाने दीजिए तो उन्हो ने कहा की कोलेज के बाद अगर ज्यादा पढ़ाई कर नी है तो ससुराल जाने के बाद करे ओर तीन साल पहले ही वो अपने दोस्त को वचन दे चुके हे तो -विवाह वही होगा आपकी पढ़ाई मै आप डिस्टर्ब ना हो ईस लिए आप को नही बताया था।
खुशी- क्या बाबासा को हम पर भरोसा नही था ।
हम आ जायेंगे ओर उस ने फोन कट कर दीया। ओर गार्डन मे जाके कोई देख ना सके वहा जाके जोर जोर से रो ने लगी । रिया आइ और उसने खुशी को संभाला , वो रिया के गले लगके बोहोत रोइ दिल का बोझ थोड़ा-बहुत हलका हुआ अपने आंसुओ को पोछा कपडे और बालो को सही किया।
रिया- क्या हुआ है यार ?
खुशी- दर्द भरी भारी आवाज से, कुछ नही ओर आप हमारी सबसे अच्छी दोस्त है प्लीज आप कुछ भी मत पूछ ना हम झूठ बोलना नही चाहते ओर सच बता नही पायेंगे ।
रिया ने सोचा की कोई बात नही मे बाद मे पूछ लुंगी ।
वो दोनो गार्डन से निकल के ग्राउंड मे स्टेज बनाया हुआ था वहा आती है। राज को थोडी तसल्ली मील ती है ओर वो रिया को मैसेज करके बोलता हे
के सारे कार्यक्रम पूरे हो जाए तब बाद मै वो किसी भी तरहा खुशी को उसके पास लाये ।
रिया- ओके
बारी बारी से सब अपना अपना हुनर दीखाते है , कोई टीम डान्स तो कोई गाना गाता है कोई टीम नाटक हर कोई बस छा जाना चाहता है, जब खुशी का नाम अनाउंस होता है तो पहले उस का मन नही करता बाद मे वो कुछ सोच कर सेन्टज पर चली जाती है। वो सब कि अभिवादन करती है ओर अपना गाना सुरु करती है,

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले से ...
उसकी आंखे भर आई वो


हमको मिली हैं आज, ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो
फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो

पास आइये कि हम नहीं आएंगे बार-बार
बाहें गले में डाल के हम रो लें ज़ार-ज़ार
आँखों से फिर ये प्यार कि बरसात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो........... न ..........हो।

जेसे गाना सुरु होता है सब उसके गाने मै खो जाते है सिवा राज के क्यु की उसको लगता है की जैसे खुशी उसको बता रही है ओर जो गाने वाली थी वोतो गाया ही नही वो बेचैन हो जाता है, तभी उसके पापा की कोल आती है और वो गुस्से मे बात करता है।
इस तरफ खुशी का गाना खतम हुआ सब लोग तालीयो से उसको नवाज रहै थै सब का शुक्रिया कर कै वो नीचे आ गई ,
रिया- अब बता क्या हुआ है इतना क्यु रो रही थी।
खुशी- हमे घर जाना है ओर हम तुम को कुछ भी नही बता सकते , जब राज आये तो उनको बता देना के हम उनसे बाद मे मिलते है , अभी वो हमे मैसेज ना करे ओर वो बाय बोल कर चली गई। जब राज आया तो उस ने खुशी ने जो कहा था वो बता दिए और कहा भाई टेंशन मत लो सब कुछ ठीक हो जाऐगा।

जारी है..........

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