Visarjan - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

विसर्जन - 2

इस पर गौरव ने उस छोटी मूर्ति की तरफ देखा तो बोला “ लेकिन बेटा.. वह तो बहुत छोटी मूर्ति है और दिखने में भी इतनी अच्छी नहीं लग रही, हम ये सुन्दर और बडे वाले गणपति ले चलेंगे” ।

इतने में दुकानदार बोला “ अरे बेटा देखो... सब इन गणपति को देखकर खुश हो जाएंगे और कहेंगे इतनी बड़ी और इतनी सुंदर मूर्ति वाह....वो वाली तो छोटी सी मूर्ति है और वह भी मिट्टी की, इसकी कोई तारीफ नहीं करेगा और फेसबूक और व्हाट्सप पर कोई लाइक भी नही करेगा ” ।

दोनों ने टीटू को बहुत मनाया पर टीटू फिर भी नहीं माना और उसने जिद पकड़ ली कि उसे वही मूर्ति लेना है ।

मानसिक रूप से कमजोर टीटू का दिल न टूटे इसलिए गौरव ने छोटे गणपति की मूर्ति ही खरीद ली और घर आ गया । जब घर में रेनू ने उस मूर्ति को देखा तो कहा “ अरे .....आखिर तुम इस बार इतनी साधारण मूर्ति क्यों लाये..?? पड़ोस की मिसेज सीमा और सरला देखेंगी तो क्या कहेंगी, अब मै इस बार सोशल मीडिआ पे फोटो भी नही डालूंगी” ।

गौरव ने कहा “ अब यह तो अपने बेटे से पूछ लो, ये उसी की पसंद है, मैं उसका दिल नहीं तोड़ना चाहता था इसलिए इस बार यह साधारण सी मिट्टी की मूर्ति ले आया” ।

घर पर मूर्ति को स्थापित किया गया और पूजा अर्चना शुरू हो गई । टीटू समझता था कि लोग उसका मजाक उड़ाते हैं इसलिए भगवान से प्रार्थना करने लगा कि भगवान मुझे ठीक कर दो । गौरव और रेनू भी गणपति बप्पा से रोज यही प्रार्थना करते लेकिन इतनी प्रार्थना के बाद भी जब भी टीटू स्कूल से आता तो उदास ही होता क्योंकि रोज कोई न कोई बच्चा उसका मजाक जरूर बनाता ।

लेकिन फिर भी टीटू गणपति के लिए चुन चुन कर फूल लाता, उनका भोग लगाता और उनकी पूजा बहुत मन से करता । एक दिन रेनू ने गौरव से कहा “ सुनो...जब से गणपति बप्पा हमारे घर आए हैं तब से टीटू इतना उदास नहीं रहता जितना पहले रहता था और तो और स्कूल से वह परेशान होकर आता है लेकिन उसके बाद घर आते ही थोड़ी देर बाद फिर से खुश हो जाता है जबकि पहले वह पूरा दिन परेशान रहता था” ।

उस पर गौरव ने हंसते हुए कहा “ बस गणपति बप्पा का आशीर्वाद है और वैसे भी हमारा बेटा अब बड़ा हो रहा है धीरे-धीरे वो अपने आप को संभाल लेगा” ।

भगवान गणपति की पूजा अर्चना रोज होती रही और फिर आखिरकार गणपति विसर्जन का भी दिन आ गया । गणपति विसर्जन से एक रात पहले टीटू अपने गणपति बप्पा से दूर हो जाने के बारे में सोचते ही उदास हो जाता और यही सोच कर वह सो गया ।

सुबह उठते ही रेनू ने कहा “ अरे उठो बेटा वरना समुंदर के पास बहुत भीड़ हो जाएगी हम लोग जल्दी से पूजा करके गणपति को विसर्जित करके आते हैं । सब लोग बहुत प्यार से गणपति की मूर्ति लेकर विसर्जन के लिए घर से निकल गए ।

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