ऑफिस में चारों ओर अफरातफरी का माहौल था। हर किसी का चेहरा आज उतरा हुआ था। हर बार की तरह इस बार इस न्यूज को कवर करनें का न तो किसी में वो जोश था और न ही धैर्य! आखिर मामला भी तो कुछ ऐसा ही था। मीडिया हाउस की सीईओ मिसेज़ मिताली आहलूवालिया की नौ साल की मासूम भतीजी को स्कूल वैन - ड्राइवर और उसके कुछ साथियों नें मिलकर गैंगरेप करके ज़िदा जलाने का जघन्य अपराध व घिनौनी कोशिश जो की थी। जहाँ हर तरफ़ इसकी कवरेज़ के लिए कई फीमेल रिपोर्टर्स आत्मविश्वास की कमी दिखा रही थीं वहीं शिवानी नें बड़े ही संवेदनशील रवैए के साथ इसे स्वीकार किया। इस केस की पूरी रिपोर्टिंग अब शिवानी के हाथ में थी और उसनें इसे बाखूबी निभाया भी। जहाँ चौबीस घंटे के अंदर वैन ड्राइवर और उसके तीन साथी पकड़े गए वहीं उसके बाकी के दो साथी अब तक फ़रार थे।
"शिवानी बेटा, ये केस तो सचमुच बहुत ही दिल दहलाने वाला था! क्या इन सबके बीच तेरा दिल कभी नहीं दहलता?"संगीता जी ने खाने की टेबल पर टीवी के रिमोट का म्यूट बटन दबाते हुए पूछा।
"दहलता है न माँ मगर हम मीडिया वालों को हक नहीं है दिल के दहलने का, रोने का या अपनी सच्ची भावनाएं व्यक्त करने का!! माँ आपनें डॉक्टर्स को देखा है न कि वो कितनी सहजता से मरीज के न रहने पर सॉरी बोलकर चले जाते हैं तो आपको क्या लगता है कि उन्हें तकलीफ़ नहीं होती। नहीं माँ ऐसा नहीं है उन्हें भी बहुत तकलीफ़ होती है मगर ये उनका फर्ज है जिसे कि उन्हें हर हाल में निभाना है और बस ऐसे ही हम मीडिया पर्सनल्स का भी है, हमें भी हर हाल में अपना काम करना ही है। आप इसी केस को ले लीजिए,अरे इसमें भी हमनें बच्ची की माँ से वो ही सारे सवाल पूछे जो कि हम किसी भी आम जनता में से किसी भी इंसान से पूछते और माँ उन्होंने व उनकी फैमिली नें यहाँ तक कि हमारी सीईओ मैम ने भी इसमें हमारा पूरा सहयोग किया। हाँ मैं मानती हूँ कि इस क्षेत्र में कई सारे चैनल्स यहाँ अपना ईमान तक गिरवी रखकर बैठे हुए हैं और बस इसीलिए कुछ के कारण हम सभी जनता के कटघरे में मुजरिम हैं पर माँ हम सभी को ये भी सोचना चाहिए कि पाँचों उंगलियाँ बराबर तो नहीं होतीं न।",इतना कहकर शिवानी अपने कमरे में चली गई।
"जान,क्या हुआ आजकल तुम बहुत उखड़ी - उखड़ी रहती हो? क्या मुझसे कुछ गलती हो गई या ऑफिस का प्रैशर है? बोलो न बेब!", आज काफी दिनों बाद शिवानी के फ्लैट पर आये हुए समर नें पूछा।
कुछ नहीं बस ऐसे ही!
"ऐसे ही क्या? कहीं तुम्हें आँटी की याद तो नहीं आ रही न!! क्योंकि वो इस बार काफी दिनों तक तुम्हारे साथ रहकर गई हैं। बोलो न जान! अच्छा इधर तो आओ।",समर ने शिवानी को अपनी बाहों में खींचने का प्रयास करते हुए कहा।
"नो समर,नो! तुम्हें तो जब देखो बस एक ही बात सूझती रहती है। तुम्हारी शुरुआत भी सेक्स करने से होती है और अंत भी!!", शिवानी नें समर को झिड़कते हुए कहा।
ओह्हो! तो मैडम आप कौन सी बृह्मचर्य की पुजारिन हैं। अरे क्या मैं ये सब अकेले करता हूँ? क्या तुम मेरे साथ बराबर का मजा नहीं लेती हो??
समर के इतना कहते ही शिवानी ने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारा और चीखते हुए उसे अपने फ्लैट से चले जाने का इशारा किया।
समर के जाने के बाद शिवानी घंटों तक तकिए में अपना मुंह छिपाये रोती रही और फिर रोते - रोते ही न जाने कब उसकी आँख लग गई।
आज शिवानी और समर के बीच झगड़ा हुए पूरे आठ दिन बीत गए थे मगर इस बीच न तो शिवानी ने ही उसे कोई कॉल की और न ही समर ने उसे।
"हैलो! बेटा,पापा मान गए हैं और वो जल्द से जल्द तुम दोनों की सगाई करवाना चाहते हैं और फिर जब भी तुम दोनों चाहो तुम्हारी शादी भी!",शिवानी की माँ फोन पर एक ही साँस में सारी बात कह गयीं। शिवानी ने इस पर बस थैंक्यू माँ कहकर फोन रख दिया।
आज शिवानी के प्रमोशन की पार्टी है। उसनें सुबह ही समर को इसका मैसेज कर दिया था। पार्टी बहुत ही शानदार थी पर शिवानी की नज़र तो हर ओर बस समर को ही तलाश रही थी। पार्टी के बाद शिवानी को आज उसकी फ्रेंड कम कलीग रिया अपनी कार से ड्रॉप करने वाली थी इसलिए वो उसके साथ ही पार्किंग लॉट में खड़ी थी कि तभी उसकी नज़र एक ओर अपनी बाइक पर बैठे हुए समर पर पड़ी और शिवानी अपनी फ्रेंड को बताकर तेज़ कदमों से चलती हुई समर के पास पहुंच गई। समर नें उसे देखते ही अपनी नज़रें झुकाकर सॉरी कहा जिसपर शिवानी भी बस आय एम सॉरी टू बोलते हुए बाइक पर उसके पीछे बैठ गई।
बाइक को हवा में लहराता हुआ समर बार - बार शिवानी को कौन्ग्रेचूलेशन्स कहते हुए अपनी खुशी ज़ाहिर कर रहा था। फिर कुछ ही देर में वो दोनों शिवानी के फ्लैट में थे कि तभी उसकी डोरबेल बजी। बाहर डिलीवरी बॉय था। समर ने पहले से ही खाना और ड्रिंक ऑर्डर कर रखी थी।
अब शिवानी के फ्लैट का माहौल बिल्कुल बदल चुका था। कभी वहाँ समर और शिवानी एक ही सिगरेट से कई छल्ले बना रहे थे तो कभी एक - दूसरे को किस कर रहे थे। इसी बीच समर नें शिवानी को ड्रिंक्स भी ऑफर किया और अब वहाँ जाम से जाम टकराने का दौर भी चल पड़ा।
"माँ का फोन आया था। समर अब बस समर! पापा चाहते हैं कि हम दोनों जल्द से जल्द सगाई कर लें तो बस अब और इंतज़ार नहीं। देखो अब तो मेरा प्रमोशन भी हो गया न तो फिर....लेट्स गेट इंगेज्ड!!",समर की बाहों में झूलते हुए शिवानी ने कहा।
अब दोनों के होंठ एक - दूसरे के होठों से जुड़ चुके थे और फिर वो दोनों एक - दूसरे में समा गए।
क्रमशः...
आपकी लेखिका...🌷निशा शर्मा🌷