कैसे मिल गए हम Bhumesh Kamdi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

कैसे मिल गए हम

अहमदाबाद से मुंबई आज का ये सफर कुछ अलग था। मुझे याद नहीं मेने आखरी बार विंडो सीट के लिए किसीको इतना पागल देखा हो। तो आज की डायरी एंट्री अपनी खिड़की वाली सीट के नाम।

मुंबई ५ घंटे दूर है, शताब्दी में आरामसे अपनी सीट पर बैठ कर कोई सीरीज देखते हुए टाइम कैसे निकल जाता है, पता ही नहीं चलता। बैग उपर रखकर फ़ोन को साइड चार्ज पर कनेक्ट कर बैठा ही था की एक आवाज आयी।

Ø  Hiie, uh can you help me plss?

सच बताऊ आवाज सुनकर दिल की धड़कन बढ़सी गयी थी एंड जब नजर मिली तो बस 440 वोल्ट का करंट मुझसे होकर गुजर गया। ऐसा लगा जैसे ये एक पेंटिंग है बेशकीमती, या एक सपना है।

Ø  Sorry, uh पर आप मेरा बैग please ऊपर रख सकते है। its really heavy, um if you just help me ?

Aree, ha sure, लाइए। क्या भरा है इसम ईंटें…

Ø  नहीं... इसमें बुक्स है,खाना है,अचार के डब्बे है, एक पुराना सा कैमरा है और हा कपडे और शूज तो है ही।

All right, I get that. अचार के डब्बे i guess माँ का प्यार हैं ना जो मुंबई साथ आ रहा है।

(Phone rings)

Ø  Hiie… Hum… Yah i just boarded. साथ वाली सीट पर एक आंटी बैठी है। ठीक है। hmm ok bye.

आंटी..!! मैं aunty तो नहीं दीखता यार।

Ø  So sorry, वो actually मेरे फिऑन्सी है थोड़े प्रोटेक्टिव है और फिर बहोत questions भी करेंगे।

I was confused और थोड़ा नाराज भी था, शायद की यह फिऑन्सी कहासे आगया।

गाडी पहले ही निकल चुकी थी तो बस चुपचाप खिड़की वाली साइड आकर बैठ गया।

Newspaper निकाला और पढ़ना शुरू कर दिया। लिब्रल आज किसी खास से मुलाकात हो सकती हे। ये पढ़के ग़ुस्सा आया की मुलाक़ात हुई भी पर दिल पहले टूट गया। ये इश्क़ भी क्या बेईमान चीज है न, कभी कभी दुनिया की सारी डेटिंग ऍप्स पर रातो बैठे रहो और एक मैच नहीं होता और कभी पलक झपकते ही इश्क़ खुद चलकर सामने आजाता हे, और आने से पहले ही अधूरा सा रह जाता है।

Ø  Horoscope, Taurus का दिन कैसा हे वो भी पढ़ दीजिये।

Hmm, Taurus तोरौस की न्यू जॉब आनी है, रिलेशन्स में थोड़ा adjusment है, और एक आंटी के साथ आज चाय भी due है।

Ø  चाय due हे मतलब ?

Dont worry मजाक कर रहा हु चाय serve होगी, साथ ही तो पी रहे है।

Ø  (Phone ringing) hii... Hum. .बस चाय serve हो रही हे newspaper पढ़ रही हु अभी। ठीक है bye

मैंने चाय के 2 कप सामने tray पर रखे और अख़बार बंद कर चाय पर फोकस किया। वो अब भी फ़ोन पर किसी को मैसेज कर रही थी and i could see टेंशन तो थी। मैंने उससे एक कप चाय पकड़ाई और कहा dont worry सब ठीक हो जायेगा, इतना स्ट्रेस चहेरे पे नजर आ रहा हे यार। एक चाय सब ठीक कर देती है उसने कप लिया और हम अपनी अपनी चाय में खो गए।

मैं खिड़की के बाहर दौड़ती पटरियों को देख रहा था ट्रैन की रफ़्तार बढ़ती गयी और कभी सड़क कभी आसमान दौड़ते गए। बचपन से मुझे साथ-साथ चलते सूरज से रेसिंग लगाना बोहोत अच्छा लगता था। ट्रैन की ये यादें हर बार ताज़ा हो जाती है, जब भी खिड़की मिल जाती है।

Ø  क्या हम थोड़ी देर सीट एक्सचेंज कर सकते है, मैं खिड़की वाली साइड बैठ जाऊ please?

Well, umm खिड़की वाली सीट मौतरमा कोई नहीं देता but फिर आप भी याद रखोगें SIDDHANT से मुलाकात हुई थी

Ø  Thank you so much, really i mean अगर कोई होता तो शायद में पूछती भी नहीं but, thank you.

तौ बस सीट एक्सचेंज her बॉडी language changed, फोटोज क्लिक कर रही थी। फिर चप्पल उतार कर चौकड़ी मारकर आरामसे खिड़की के तरफ मुँह करके बैठ गयी शायद ये भी realise नहीं कर रही थी की में literally आधे सीट पर बैठा था, पर मुझे अच्छा लग रहा था।

ट्रैन चलती गयी मैंने एक बार फिर अकबार उठाया की पढ़ लेते हे & तभी फ़ोन बजता है।

(Phone ringing)

Ø  Hiie.. बैठी हु, sorry मैंने मैसेज हि नहीं देखा। I mean was just मैसेज किया है शायद नेटवर्क जा रहा हे तो डिलीवर नहीं हुआ शायद। हा.. ok bye.

I just dont know what to say फिर सोचा किसी और के लिए इतना सोच भी क्यों रहा हूँ। और अख़बार खोलकर पड़ने की कोशिश करने लगा

Ø  मुझे ना ये खिड़की वाली सीट बहोत पसंद है। जब भी अंदर बहोत शोर होता हे न तो बाहर देखते-देखते सब ठीक लगने लगता है। कई बार जब नींद नहीं आती तो खिड़की पर सर रखके सो जाती हूँ।

बात करते करते वो वापस सीट पर ठीक से बैठ गई। बाल खुले फिरसे बांधे, पानी पिया और फिर एकदम से she looks at me, उससे नजर मिलते ही ऐसा लगा जैसे कुछ कहेना चाहती है but २ sec मुझे देखती रही और फिर वापस खिड़की के बाहर।

मुझे खिड़की वाली सीट बोहोत पसंद है, इसबार मैंने कहा।

क्यूंकि बाहर देखते देखते ना जब आँखे नम हो जाये तो किसीको पता नहीं चलता।

इसबार वो मुझे बड़ी-बड़ी वाली आँखों से देखती हे।

Ø  अरे, i wasnt crying.. बस आँख में कुछ चला गया था seriously.

वो कुछ कहती उससे पहले मेने अपना रूमाल उसको ऑफर किया।

वो रूमाल से अपनी आँखे साफ़ कर ही रही थी की फ़ोन बजता है।

Ø  Hello, hmm, नहीं हो सकता है थोड़ा गला ख़राब हो रहा है। कुछ नहीं बस बैठे है i mean बैठी हूँ। umm कल का देख लेंगे न अभी really tired कल decide करते है। ok चल लेंगे।

वो फ़ोन पर कुछ, बोहोत कुछ सुन रही थी बल्की। चुपचाप खिड़की के बाहर देखते हुए सबसे आँखे छुपकर नम आँखों से बाहर देख रही थी।

फ़ोन रखा और सर खिड़की पर टिकाकर आंखे बंद करके बैठ गयी। में उसको देखता रहा और बस सच बताऊ तो मन किया देखता रहु।

हवा से बाल चहरे पे बिखर रहे थे इससे पहले में कुछ कहता आँखे खोलकर मुझे ही देखने लगी।

Ø  क्या हुआ ? All okay?

अरे वाह, मुझे जो पूछना चाहिए वो तुम पूछ रही हो। फिर मैंने टॉपिक बदलने की कोशिश करी

Umm, listen तो मतलब, वैसे मुंबई कैसे ?

Ø  Actually i work there. और बस अब शादी है 2 महीने बाद तो आजकल आना जाना थोड़ा ज्यादा हो गया है। मेरा घर वैसे अहमदाबाद  में बड़ी चौपट हे न उसके पास है।

अरे क्या बात कर रहे यार, रामु काका की चाय वाली गली में तो मेरा घर है।

Ø  हां तो, रामु काका जो चाय पीते-पीते तुम पार्क के गेट पर बैठोगे .सामने जो statue लगा हे बिलकुल एक हवेली नजर आती है वो हमारी है।

Ø  By the way, तुम मुंबई मैं क्या करते हो।

यार में MNC मे 9 to 5 जॉब करता हूँ, nothing great about it.

बस हा शाम को म्यूजिक बनाता हु । अपनी मिटटी की खुशबु की fusion बनता हूँ, दिल लगा रहता है।

Ø  मन नहीं करता अपने घर रहने को i mean शहर को शोर मैं मुझे बहोत घुटन होती है। पहले काम के किये आना होता था होता तो weekend पे चक्कर लग जाते थे अब तो रिश्ता ही यहाँ हो गया है। तो मुझे लगता है दूर से और दूर।

लव मैरिज..?

Ø  Um.. लव तो हो ही जायेगा ना, सब तो यही कहते है। he is good वो मेरी बहोत केयर करते है और मुझे हर चीज लेक देते है जो चाहिए वो।

हा, बस थोड़ी स्पेस नहीं देता।

मैंने ये कहा ही था की वो मुझे बड़ी-बड़ी आंखो से देखने लगी। फ़ोन उठाकर एक बार फिर खिड़की के बाहर कुछ खो सी गयी। वो कुछ बोल ही नहीं रही थी और hi & bye के बिच किसी से बोहोत कुछ सुना।

कुछ ही देर में ट्रैन रुक जाती है। स्टेशन आया था। गाड़ी 5min के ब्रेक पे थी। मेने धीरे से कहा आपको कुछ चाहिए कोल्ड-ड्रिंक या कुछ?

उसने हलके से गर्दन हिलाते हुए ना कहा और बस खिड़की के बाहर देखती रही।

मैं निचे उतरा और मुड़के वापस देखा। खिड़की के बाहर उसकी नजर मुज़पे थी, हलकी सी मुस्कुराहट भी थी। मैंने इशारे से फिरसे एक बार पूछा की चॉकलेट या कोल्ड-ड्रिंक.. कुछ-लाऊ..? उसने गर्दन हिलाकर कहा नहीं।

मैं उसको देखता रहा और शायद एहसास भी नहीं हुआ की मैंने कुछ नहीं लिया और ट्रैन ने चलने के लिए हॉर्न भी बजा दिया।

में अपनी सीट पर आया तो मुझसे बोली

Ø  क्या हुआ ? कुछ भी नहीं लिया ?

और पता नहीं मुझे क्या हुआ की मैंने एकदम से कह दिया । नहीं ऐसा नहीं है किसीके आँखोने पकड़ लिया था कुछ और दिखा ही नहीं

कहते ही लगा कुछ ज्यादा बोल दिया। um i mean सॉरी i mean कुछ मन ही नहीं किया, जिस चीज का मन ही नहीं वो क्यों करना। चाहे किसीसे फ़ोन पर बात करना ही क्यों न हो।

Ø  Im so सॉरी वो मेरी पर्सनल प्रॉब्लम है।

But है तो प्रॉब्लम ही ना..!

Ø  हा but he loves me

And you?

Ø  मैं भी.. I think  हा.. मैं भी!!!

मैं भी। क्या ?

Ø  मैं भी उसको !!!

एक एक सेकंड का अपडेट देती हो उसको। क्या खाया, कोन साथ बैठा हे, थक भी जाउंगी पर तुम्हारे लिए सब जगह आउंगी।

क्यों की वो नाह नहीं सुन सकता। फ़ोन उठाते ही डर लगता हे ना की अब किस बात पर ताना पड़ेगा, पर फ़ोन तो उठाना हे, नहीं तो वो नाराज हो जायेगा। और तुम्हारी नाराजगी, उसका क्या ? ट्रैन की खिड़की ताकि बहार देखते रहो और कोई ना देखे। ताकि बहार आसमान को देखकर अपनी आज़ादी को याद कर सको। बोलते हुए घबराती हो न, खुदसे क्या चाहती हो?

मैंने शायद सोचा भी नहीं बस कहता गया और वो मुझे देखती रही। मैंने बहुत ज्यादा कह दिया था। मुझे इतना ग़ुस्सा क्यों आ रहा था। I dont even know her.

Ø  Im so sorry, कोई और सीट खाली होते ही मैं वहा चली जाउंगी। आप बेवजह परेशां हो रहे है और मैं ठीक हूँ।

Im sorry, आप अपना फ़ोन लीजिये और बात कीजिये या सिर्फ सुनिए। it’s your choice.

यह कहकर में वहासे उठ गया और हर बार की तरह वो फ़ोन पर बात करते करते खिड़की के बाहर देख रही थी। पर हर एक सेकंड पे नजर मुज़पे जाती। कि मैं कहा जा रहा हूँ।

मुझे उसके चहेरे पर परेशानी, फ़ोन पर बात करने का pressure और एक डर दिख रहा था। मेरा दिल और दिमाग अब आपसमे लड़ रहे थे, कुछ घंटे पहले मिले एक लड़की जिसके बारेमे में कुछ नहीं जानता में क्यों परेशान हो रहा हूँ। i just walked मैं सिर्फ गेट तक जाने लगा और पीछे मुड़कर देखा तो वो बड़ी-बड़ी आंखे मुझे देख रही थी। मैं चलता गया सोचा पास ही पैंट्री है एक कप चाय request करके लेकर आउ।

सर दर्द कर रहा था और शायद में इतना नाराज खुदसे हो गया था पर उस बिचारी को इतना क्यों सुना दिया कुछ समझ नहीं आ रहा था। चाय लेकर में वापस आया तो वो मुझे बोली -

Ø  मुझे लगा की तुम चले गए।

कहा जाऊंगा यार मंज़िल तो एक ही है पर…

Sorry.. क्या बोल रहा हु मैं !! I mean last station.

वो फिरसे अपना सर खिड़की पर लगाकर कही खो गयी। मैं उसको देख रहा था जानना चाहता था क्या है जो इसको रोक रहा है ?

Ø  मेरे parents उसके parents को वादा किया था & हमारी शादी तय हो गई थी जब हम दोनों 11 साल के थे। वो मुज़से काफी बड़ा था और मैं उनकी इज्जत भी करती हु। मेरी केयर करते हे, मेरे लिए हर चीज लाते है।

हां.. हां.. सुन लिया.., गिफ्ट्स देते हे, चीज लाते हे, अरे बच्ची हो क्या ??

तुमसे पूछते की तुम क्या चाहती हो ? मुझे नहीं पता की तुम क्या करती हो,क्यों ऐसी हो ? क्या रोकता है ? पर ये गलत है यार अपनी आवाज, अपनी importance शादी के पहले ही खो दी। मतलब शादी के बाद और क्या-क्या खोना है।

Ø  सबको पता हे हमारी शादी है। में कई बार सोचती हूँ की किसी स्टेशन पे उतर जाऊ और कभी किसी को ना मिलु। कभी कबार खिड़की से दूसरे लोगो को देखती हु तो ऐसा लगता है जैसे में कैद और वो आज़ाद कितने खुश है। पर में क्या करू वादा किया है, हमारे parents ने एक दूसरे से।

यार देखो में कोई नहीं हु ये कहने वाला की वादा तोड़दो पर अपनी ख़ुशी तो ढूंढ़लो यार।

क्या हे प्यार ??

जब वो फ़ोन करता हे, क्या दिल की धड़कन तेज होती है ? जब वो नजर नहीं आता तो तुम्हरी बड़ी-बड़ी आँखे क्या उसे ढूंढ़ती है ? उसके गिफ्ट का पता नहीं पर क्या उसके करीब आने से साँसे बढ़ती है।

(Phone ringing) वो फ़ोन काट देती है ।

यार देखो में तुम्हे नहीं जानता, में सब तुम्हे क्यों कह रहा हु ये भी नहीं जानता हु। कुछ देर में स्टेशन आएगा और हम बड़े से शहर में वापस अपने मंजिल पर, फिर कभी शायद न मिले। पर तुम जहा रहो i really wish you all the best.

अपने लिए जिकर तो देखो यार, डर का सामना तो करके देखो ,अपने को एक मौका तो देखके देखो यार। खिड़की के बाहर जितनी दुनिया यहाँसे दिखती हे ना, उतनी ही अच्छी है और लोग मिलकर आएंगे।

(Phone ringing) her phone rings again इसबार वो फ़ोन उठा लेती है।

Ø  Hello, तुम बार-बार कॉल क्यों करते हो ? मैं ट्रैन में हु, ofcourse ठीक हु । हर 15min में क्या बदल जाएंगे। मुझपर चिल्लाना बंद करो, बाद मे बात करेंगे।

Wooh hoo.. This is you, i mean सच में, इतनी स्पीड पर मेने बॉस की PPT change नहीं करी boss. ऐसा लगा मैंने कुछ बहोत अच्छा किया हे। उसके आवाज में इतना confidence कहासे आया पता नहीं। हलकी सी वो मुस्कान चहेरे पर आयी और खिड़की के नसीब चली गयी।

I wanted to tell her मुझे देख कर बात करो, थोड़ी देर में रास्ते अलग होने है। पर कह नहीं सकता था तो बस साथ में बैठे ये नई अनजान दोस्त खिड़की के बाहर देख रही थी और में बार-बार उसको।

सूरज ढल रहा था, खिड़की के शीशे पे नजर पड़ी तो देखा की वो खिड़की के बाहर नहीं बल्कि अंदर मुझे देख रही थी। ट्रैन की लाइट्स जल गयी थी बाहर अँधेरा हो गया था। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या कहु। तो नजर चुराकर अपने फ़ोन में बिजी होने लगा।

Ø  SIDDHANT

ऐसे लगा मेरी धड़कन रुक गयी हो। कितना नादान है न ये दिल वैसे कुछ भी सोचता हे पर मेने रूककर कहा – “हां, बोलो ना”

इससे पहल शायद वो कुछ कहती फ़ोन फिर बज गया।

Ø  हां maa, नहीं अभी पोहोचना हे। मुझे आपसे बात करनी हे, नहीं मैं ठीक हूँ। में weekend में आकर आपसे और पापा से बात कर लुंगी।

मैं उसे देखता रह गया फिर सोचा maa से बात कर रही है तो स्पेस दे देता हूँ। उठकर जाने हि लगा था। तो बोहोत softly उसके हातो ने हाथ पकड़ लिया और आँखों ने इशारा किया की - जानेकी जरुरत नहीं, बैठ जाओ।

जो सवाल में इससे पूछ रहा था वो खुद सोच रहा था । क्या सच में मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी ? – हां conform..

में चुपचाप वापस बैठ गया। वो maa से उलझी थी पर मेरा हाथ पकड़े बैठी थी, शायद.. उसे अंदाजा भी नहीं था की शायद मेरा दिल बाहर आकर गिर सकता है।

काश में इस पल को रोक पाता। काश

एकदम से ट्रैन ने हॉर्न भी बजा दिया और तब बस उसे अहसास हुआ की सफर ख़तम।

Ø  Maa, bye. घर जाकर बात करती हूं। नहीं मे अलगे Saturday आकर खुद बात कर लुंगी। bye bye...

कहते कहते suddenly अपना हाथ अलग करते हुए थोड़ी embarrce सी फीलिंग हो गयी। situation थोड़ी awkward सी थी।

मैं उसका suitcase निकाल कर निचे ले आया, और अपनी बैग्स भी उतारकर खड़ा हुआ।

उसको देखते देखते मन में एक ख्याल आया, दरवाजे से उतरते ही हम दो अलग रास्तें पर निकल जायेंगे।

I was feeling restless. पर उसके चहेरे पे एक सुकून सा था। खिड़की के बाहर ट्रैन को रुकते देख रही थी, प्लेटफार्म पर कोई शायद लेने आ रहा था। और शायद वही जिसे में देखना नहीं चाहता था। मैं भी प्लॅटफॉम के तरफ देखने लगा वो खिड़की के तरफ देखकर ही कहने लगी

Ø  कोई नहीं आ रहा।

और यह कहते ही खिड़की को पड़दे से बंद कर दिया। ट्रैन रुक गयी और सामान भी हमने बाहर रखवा दिया था।

Ø  Thank you Siddhant! आप बहोत अच्छे है आज की journey मे कभी भूलूंगी नहीं। शायद मुझे मुझही से मिलवाने के के लिए आपको really thank you..!

कहना तो चाहता था की मत जाओ, थोड़ा रुक जाओ। पर जुबान साथ देती तो बात ही क्या थी ।

हां, बस अपना ख्याल रखो और खुश रहो यार। suitcase बाहर cab तक छोड़ दूँ।

Ø  मैं ले चलती हूँ thank you!

यह कह हम बाहर तक साथ-साथ चल पड़े।

कुछ तो कह ? क्या मे कह दूँ ? बस इसीमे गेट आ गया और उसने cab वाले भैया को बुला दिया।

Take care, Bye. Suitcase रखा और कहा भैया, आराम से ले जाना।

कैसे इतने सारे मेरे शब्द अचानक सब खो गए। कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी

Ø  Siddhant, आपने मेरा नाम तक भी नहीं पुछा वैसे।

“खिड़की वाली लड़की” वैसे ये नाम acha लगेगा। both are giggling,

Sorry, अगर मेने कुछ ज्यादा कह दिया हो तो। पर शायद हर ट्रैन के खिड़की पे हमेशा तुम याद आओगे। कहते कहते मेरी आंख नम हो गयी थी।

मत जाओ कहना चाहता था, cab वाले भैया दो बार हॉर्न बजा चुके थे।

Traffic बहोत होता हे स्टेशन के बाहर, गाड़ी ज्यादा देर रुक नहीं सकती। तो बस उसको देखता रहा, और वो गाड़ी  में बैठ गयी। में गाड़ी जाते वक़्त देख रहा था और सोच रहा था की कभी किसी मोड़ पर वापस मिल पाएंगे?

गाडी थोड़े आगे जाकर रुक गयी, मुझे कुछ ठीक नहीं लगा वो गाड़ी से उतर गयी और में तेज-तेज उसके तरफ जाने लगा। भैया ने उसका बैग भी बाहर रख दिया, और चले गए।

क्या हुआ..? कुछ भूल गए ?

Ø  भूलना नहीं चाहती इसी लिए उतर गयी।

क्या मतलब ?

Ø  आँखों में नमी तुम्हारे खुदके है, और बड़ी बड़ी बाते तुमने मुझे कह दी। पर ये नहीं कह पाए की रुक जाओ kritika या 2min और बात करलो।

रुक जाओ kritika, मत जाओ। खिड़की वाली सीट हमेशा तुम्हारी रहेगी, और में luggage भी carry कर दूंगा। तुमसे कोई सवाल नहीं करूँगा।

Kritika के आँखों में आंसू थे, ऐसा लगा जैसे ये कबसे सुनना चाहती थी। सब छोड़के मेरे करीब आयी और बोली-

Ø  मेरी दिल की धड़कन बढ़ रही है, तुम्हारे पास आने से, क्या है ये ?

जवाब ढूंढ़ने के लिए सारी जिंदगी पड़ी है, साथ में ढूंढे।

मेने फिरसे उसका suitcase उठाया और फिर एक cab बुक करी। काफी देर हो रही थी और उसे ड्राप करके मे अपने घर आगया।

कल रामु काका की चाय वाली डेट फिक्स है और देखो आज ये डायरी लिखते लिखते ये whatsapp का सिलसिला भी शुरू हो गया।