आनंदी ने फ़ोन पर कहा रीतू दीदी शना के पहली जन्मदिन मनाने के लिए सबको अपने आलीशान बंगले में आने को बोली और कहा कि वो अपने तरफ से पार्टी देना चाहती है।
रीतू और शैलेश बहुत ही खुश हो गए।
और उन दोनों ने तय किया कि वो सब आनंदी के बंगले में जाकर रहेंगे और शना का जन्मदिन भी मनायेंगे।
अनु,अमर, राजू सब मिलकर आनंदी के बंगले में जाने के लिए पैकिंग करने लगे।
उधर आनंदी ने भी सबकुछ इंतजाम कर लिया था। और साथ ही अपने पढ़ाई को लेकर भी काफी उत्साहित थी।
आनंदी को रोज ही इंडिया से बहुत सारे फोन आते थे और साथ ही बहुत सारी पार्टियों में भी नेवता मिलता था। आनंदी अपनी तरफ से कार्ड,बुके भेज देती थी।
आज सब आनंदी के बंगले में आ गए।
सभी को आनंदी का बंगला बहुत ही शानदार लगा। बड़े कमरे, बड़ा रूम
रीतू ने कहा आनंदी शना इज सो लकी।उसको तेरी जैसी मासी मिली है।
शैलेश ने कहा वाह आनंदी बंगला बहुत ही खूबसूरत है।
आनंदी बोली चलिए आप लोग नाश्ता कर लीजिए।
रीतू ने कहा हां मुझे तो बड़े जोरों की भुख लगी है कृष्णा वाई ने क्या आलू के परांठे बनाया है।साथ में छोले पकौड़ी भी ये बात शैलेश ने कहा।
फिर सब बड़े से डाइनिंग हॉल में जाकर बैठ गए।
फिर कृष्णा वाई ने सबको थाली में आलू के परांठे, छोले पकौड़ी परोसा।
सभी बहुत ही अच्छे से खाने लगे।
आनंदी ने कहा कि दी आप और सर अपने अपने आफिस और फ्रेंड को इन्वाइट कर दिजिए।
मैं चाहती हूं शना का बर्थडे पार्टी बहुत ही खूबसूरत हो।
आगे आनंदी ने कहा दीदी मैं चाहती हूं कि कोई बच्चों के रिलेटेड थीम पर लॉन्च किया जाएं और डेकोरेशन किया जाएं। रीतू ने कहा हां आनंदी जरूर।
फिर नाश्ते के बाद आनंदी एक डायरी में सब नोट कर रही थी कि मेनू क्या होगा?
फिर सबको फोन पर डेकोरेशन मेन को लेकर और भी जो जरूरी थी सब अरेंज करवाया।
रीतू बोली आनंदी कितनी समझदार हो गई है।
आनंदी ने कहा हां दीदी कल से सब तैयारी शुरु हो जाएगी।
पार्टी थीम मिक्की माउस क्लब हाउस से लिया गया है।
आनंदी ने कहा दीदी शाम को शना की कुछ अच्छी फिफ्रल वाले फ्राक आयेगा और कुछ बार्बी डॉल भी।
रीतू ने कहा ओह माई गॉड आनंदी इतना कुछ कर दिया।
आनंदी ने कहा हां दीदी अच्छा मैं युनिवर्सिटी होकर आती हूं।
फिर आनंदी युनिवर्सिटी निकल गई।
रीतू ने कहा कृष्णा वाई आनंदी कितनी जल्दी बड़ी हो गई और सब कुछ सम्हाल लिया।
कृष्णा ने कहा हां बेबी ये सब तुम्हारे अच्छी शिक्षा से सम्भव हुआ है।
रीतू ने कहा नहीं ऐसा नहीं है आनंदी ने वो सभी गुण पहले से ही थे। क्योंकि आपने उसको बचपन से ही सही ग़लत कि पहचान कराया।
फिर शाम को आनंदी वापस आ गई।
सबने मिलकर नाश्ता चाय पी कर बातें करने लगे।
शना के सारे फ्राक आ गए जो कि बहुत ही खूबसूरत थे। बार्बी डॉल भी बहुत अच्छे लग रहे थे।
रीतू को बहुत पसंद आया।
आनंदी ने कहा बाकी सब तैयारी हो गई है।
दूसरे दिन सुबह से सब डेकोरेशन शुरू हो गया।
डाइनिंग हॉल में डेकोरेशन शुरू हो गया था। डिनर कि व्यवस्था बाहर लाॅन में हो रहा था।
शना अपने नानी की गोदी में ये सब देख रही थी।
सभी बहुत ही खुश हो रहे थे।
शना का बर्थडे एक दिन बाद था इसलिए पहले से ही तैयारी हो रही थी।
रीतू भी बहुत खुश हो अपने आफिस के दोस्त को इनवाइट किया। शैलेश ने भी अपने दोस्तो को फोन पर इन्वाइट किया।
आनंदी ने भी अपने दोस्तो को बुलाया।
आनंदी ने दो दिन की छुट्टी भी ले लिया था।
फिर सारी तैयारियां अच्छी तरह से हो गया।
शना के बर्थ डे वाले दिन सबने उसको विस किया और आनंदी ने एक हाथ में ब्रेसलेट पहना दिया और खुब प्यार दुलार करने लगी।
फिर अमर और अनु ने एक पचास हजार रुपए का चेक दिया।
रीतू बहुत खुश हो कर बोली थैंक्स यू सबको।
फिर सबने मिलकर नाश्ता किया।
सारा अरेंजमेंट एक बड़े केटेरिंग के द्वारा आर्गनाइजेशन किया गया था।
सभी बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
दोपहर को कृष्णा वाई ने शना के लिए चावल की खीर बनाकर रख दिया।
शना को सबसे पहले राजू मामा ने खीर खिलाई।
सभी लंच करने बैठ गए।
आनंदी अपने काम भी कर रही थी।
रीतू ने खाना खाते हुए कहा कि कृष्णा वाई ने लंच तो बना ही लिया।
आनंदी ने कहा हां दीदी रात का डिनर एक बड़े कुक बना रहे है।
अनु बोली अच्छा है आनंदी ने बहुत ही बढ़िया इन्तजाम किया है।
राजू ने कहा हां बहन किसकी है।। सबने बहुत अच्छी तरह खाना खा रहे थे।
आनंदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी फोटोग्राफर भी आ गए थे।
रीतू ये देख कर दंग रह गई और बोली अरे मेरी गुड़िया मेरे मन की बात समझ गई।
आनंदी ने कहा हां दीदी ये तो सब शना के लिए है।
फिर सारी विडियोगाफी प्रोजेक्ट से बड़े दिवाल पर चल रहा था सभी लोग बहुत खुश हो कर देख रहे थे।
रीतू ने कहा शैलेश देखा ये सब यादगार बन गया।
इसी तरह सब पार्टी के लिए तैयार होने लगे।
आनंदी उसी में भी अपना काम ईमानदारी से निभा रही थी।
फिर बड़े धूमधाम से शना का बर्थडे पार्टी शुरू हो गई।
सभी मेहमानों के आने के बाद रीतू और शैलेश शना का हाथ पकड़ कर केक काटा । सभी ने बर्थ-डे सांग भी गाया।
केक भी बहुत ही खूबसूरत सा था बार्बी डॉल वाला।
फिर सबको केक खिलाया गया।
सभी तरह तरह के तोहफे ला कर दे रहे थे।
कृष्णा वाई भी सभी के बीच में ही थी।
फिर सब मिलकर डांस करने लगे।
बड़े से गार्डेन पर बहुत ही खूबसूरत सा डोकोरेशन किया गया था और कुछ डोनाल्ड डक कार्टून भी आएं थे सभी बच्चे खुब मनोरंजन कर रहे थे।
फिर वहां जाकर सभी बुफे सिस्टम में बहुत सारे खाने पीने का अरेंजमेंट किया गया था।
रीतू भी अपने दोस्तो और आफिस के कलिक को खाने के लिए कहा।
फिर सभी खाना खाने लगे।
घर के बाकी लोग अपने में बातचीत करने लगे।
काफी देर बाद सभी मेहमान शना के नाम पर रिटर्न गिफ्ट लेकर और उसको श्रयंबहुत आशीर्वाद देकर चले गए।
आनंदी ने सबके लिए चांदी का सिक्का दिया और घर में भी सभी को दिया और कहा कि घर में लक्ष्मी आई है।
सभी ने ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।
और फिर सब सोने चले गए।
अगले दिन सुबह आनंदी जल्दी तैयार हो कर युनिवर्सिटी निकल गई।
आज उसका पीएचडी का सेमीनार शुरू होने वाला था।
चार दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया था।
बहुत जगह से लोग आने वाले थे।
आनंदी ने भी अपने दोस्तो के साथ जाकर बैठ गई और फिर सेमिनार शुरू हो गया।
आनंदी ने अपना पेजनटेशन दिया और काफी विद्वानों ने उसको प्रोत्साहित किया और उसके टापिक की तारीफ भी किया।
इसी तरह आनंदी का शोध संस्थान में लिखना शुरू हो गया था वो वहां पर भी बहुत सारे औरतों को इन्साफ दिलाने के लिए तैयार हो गई।
रात को ही आनंदी पुरी एकाग्रता से अपना शोध लिखा पढ़ती रहती थी।
युनिवर्सिटी से भी उसने उन पिछले साल के छात्र-छात्राओं से मिलकर भी बहुत सारी जानकारी लिया।
युनिवर्सिटी में भी जेनिफर एनिस्टन ने भी समझाया।
असाइनमेंट के लिए तैयार करें।
शोध विषय निर्धारित करें।
अनुसंधान सामग्री इकट्ठा करें।
योजना का निर्माण करें।
आनंदी ने कहा मैम प्लीज़ एक्सप्लेन इट अगेन।
जेनिफर एनिस्टन ने फिर से सब कुछ बता दिया।
इसी तरह आनंदी का शोध कार्य चलने लगा आनंदी अपनी पढ़ाई पूरी करने में सारा काम बखूबी से निभाया।
रीतू शैलेश और शना अपने घर वापस लौट आए।
राजू का परिवार भी इंडिया वापस आ गया।
इसी तरह आनंदी का लंदन में दो साल पुरा हो गया और आनंदी का अनुसंधान का काम बहुत अच्छी तरह चल रहा था।वो अपनी विषय में पुरी तरह से जागरूक हो गई थी। तरह-तरह के लोगों से मिल कर उनसे डाटा एंट्री करना और लैपटॉप पर भी अपने काम को करते रहना।
कृष्णा वाई को आनंदी की शादी की चिंता लगी रहती थी।
आनंदी का पेपर वर्क बहुत ही अच्छे से चल रहा था।
आनंदी को अपनी आई एस की सैलरी भी मिल रही थी तो सब काम ठीक से चल रहा था।
जहां जहां डोनेशन देना और लघु उद्योग के लिए उन गरीब औरतों को समय से पहले ही रूपए देना सब काम चल रहा था।
आनंदी ने कभी हारना सिखा ही नहीं।
रात को ही आनंदी अपने शोध को करती रहती थी।
सुबह तो युनिवर्सिटी में भी पुरे टाइम का उपयोग करती रहती थी।
रीतू हमेशा ही आनंदी को फोन किया करती थी।
फिर इसी तरह शना को कृष्णा वाई के पास छोड़ कर रीतू आफिस निकल जाती थी।
फिर इसी तरह दो साल निकल गए।
आनंदी अपने शोध में भी आगे निकल गई और शोध का पेपर बहुत अच्छी तरह चल रहा था।उसे ये भी बताया गया था कि अगर पेपर इनकमपिल्ट हुआं तो उसे डाक्टर की उपाधि प्राप्त नहीं होगी। इसलिए वो पूरी तरह से अपना पेपर वर्क बहुत ही अच्छे से करती थी।
एक साल और बाकी था पीएचडी में।
युनिवर्सिटी में भी जाती थी और फिर वहां भी डिस्कशन करतीं थीं और फिर जिनका पीएचडी पुरी हो गई थी उसने भी आनंदी जाकर बातचीत करती जानकारी प्राप्त करती थी।
शना भी अब तीन साल की हो गई थी अब उसको एक इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला करवा दिया।
शना अब ज्यादा देर आनंदी के घर में बिताती थी। थोड़ी बहुत बात करने लगी थी।
रीतू भी आफिस निश्चित हो कर जाती थी।
इसी तरह आनंदी का सफर लंदन में बिताने लगीं उसे फिर वापस दिल्ली जाना था। और रूका हुआ काम पूरा करना था।
आनंदी का अवकाश भी पुरा होने वाला था
आनंदी ने अपना थीसीस भी अन्तिम छोर पर ही था।
और हर एक काम, सेमिनार सब कुछ बहुत ही अच्छे से हो रहा था। शोध पुरा होने के बाद उसको युनिवर्सिटी में जाकर सबमिट करना और एक वाइवा जो कि बहुत ही तीखे सवालों के जवाब देना और सब कुछ मैनेज करना और अगर सारे सवालों के जवाब को अच्छी तरह से डिफाइन कर दिया तो आनंदी की पीएचडी पुरी होगी। और फिर आप को डाक्टरेट की उपाधि दी जाएगी।
आनंदी को सब उस पल का इंतज़ार था कि सब अच्छी तरह से और समय से हो जाएं।
क्रमशः