नौकरानी की बेटी - 23 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • Reborn to be Loved - 2

    Ch 2 - Psycho शीधांश पीछले भाग में आपने पढ़ा…ये है हमारे शीध...

  • बन्धन प्यार का - 27

    बहू बैठो।हिना बैठ गयी थी।सास अंदर किचन में चली गयी थी।तब नरे...

  • कुआँ

    धोखा तहुर बहुत खुश हुआ था अपने निकाह पर। उसने सुना था अपनी ब...

  • डॉक्टर ने दिया नया जीवन

    डॉक्टर ने दिया नया जीवनएक डॉक्टर बहुत ही होशियार थे ।उनके बा...

  • आई कैन सी यू - 34

    अब तक हम ने पढ़ा की लूसी और रोवन उनके पुराने घर गए थे। वहां...

श्रेणी
शेयर करे

नौकरानी की बेटी - 23

आनंदी राजस्थान में आकर अपने काम को समझने लगीं और फिर वहां भी उसने बहुत सारे रुके हुए कार्य को पुरा करवाया।


आनंदी ने पुराने सारे फाइल मंगवा लिया और फिर देखने लगी उसने देखा कि बहुत सारे काम अधुरे पड़े हैं और जैसलमेर में भाडली गांव में सात,आठ साल से पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

आनंदी एक दम सोच में पड़ गई और फिर तुरंत वहां जाने की तैयारी करने लगी।

फिर आनंदी और उसकी टीम भाडली गांव के लिए निकल पड़े और दो दिन बाद वहां पहुंच गए और जो हालत देखा आनंदी ने वो खुद को सम्हाल नहीं पा रही थी।

फिर जल्दी जल्दी डाक्टरों की टीम बुलाई गई और जो बीमार थे उनका इलाज कराया गया और फिर वहां के कुएं के पानी की जांच करवाई गई।
आनंदी भी वही रह कर उन सभी बिमार लोगों का दुख दर्द बांटने लगी।


फिर सर्च आपरेशन टीम को बुलाया गया और फिर सब घरों में नल लगवाया गया और दिन रात एक कर के आनंदी और उसकी टीम ने एक जमीन खुदवाने की व्यवस्था करवाई गई।


कुछ दिन तक खुदाई चलती रही पर सफलता हासिल नहीं हुई पर आनंदी ने हिम्मत नहीं हारी और फिर बोली एक फिट बाद ही साफ पीने का पानी मिलेगा।


आनंदी की हिम्मत रंग लाई आखिर में पीने का पानी मिल गया।

उस पानी की जांच हुई और फिर बोरिंग लगवाया गया। एक दिन सभी के घर के नलों से पानी निकलने लगा।
वो भी पीने का पानी।


वहां के लोगों ने आनंदी को बहुत सारी दुआएं दिया और फिर आनंदी अपने मिशन में कामयाब हो कर वापस आ गई।

राजस्थान में कुछ छोटे मोटे काम अधूरे पड़े थे उन्हें पुरा करवाने का श्रेय आनंदी को दिया गया।


अब कृष्णा वाई को आनंदी की शादी की चिंता सताने लगी पर आनंदी ने कहा मां अभी मुझे और पढ़ना है जिसके लिए लंदन जाना होगा हमें।


मैंने अवकाश ले लिया है और हम चार साल के लिए लंदन जायेंगे आगे की पढ़ाई के लिए।

इसी तरह आनंदी अपने तरफ से हर के बच्चे को शिक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थी ।
कहीं किसी भी गरीब, बेरोजगार को रोजगार दिलाने के लिए हर तरह की सहायता करने के लिए आगे रहती थी।

आई ए एस अफसर आनंदी ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ आन्दोलन को समर्थन दिया।
और फिर विद्यालय में जाकर भी आनंदी ने डोनेशन दिया और उन गरीब बच्चों से फीस ना लेने की हिदायत दी।

इसी तरह आनंदी एक सफल, इमानदार आई एस अफसर बनीं।


आनंदी के इतने कम समय में इतनी सारी समस्याओं का समाधान करने की वजह से प्रधानमंत्री जी बहुत प्रभावित हुए और फिर आनंदी को आई एस अफसर में टापर्स घोषित किया गया और उसे सम्मानित किया गया उसे गोल्ड मेडल और दो लाख का चेक दिया गया।

आनंदी ने घर आकर सब कुछ मां को बताया और फिर फोन पर रीतू दीदी को भी बताया।

रीतू बहुत खुश हो गई और बोली आनंदी तूने कर दिखाया।


आनंदी ने कहा कि परसों आफिस के काम जयपुर जाना होगा।
और फिर आनंदी की बैग पैकिंग कर दिया कृष्णा ने।

आनंदी ने कहा मां मैंने अवकाश ले लिया है अगले महीने ही हम लंदन जा रहें हैं। कृष्णा ने कहा हां ठीक है। आनंदी ने एयर टिकट आफिस से बुक हो गया है।

फिर आनंदी जयपुर के लिए निकल गई।


जयपुर में जाकर एक होटल में कमरा बुक करवाया गया था आनंदी के साथ उसकी पुरी आफिस की टीम थी।


फिर वहां कुछ देर आराम करने के बाद सब तैयार हो कर पार्टी के लिए निकल गए।

आई एस अफसरों की पार्टी थी वहां पर सारे अलग अलग प्रान्त से लोग आएं थे कई सारे मंत्री भी शामिल हुए थे।


पार्टी के बाद एक आम मिटिग हुई और फिर सब होटल वापस आ गए।


रात में आनंदी ने मां को फोन किया तो कृष्णा बोली मन नहीं लग रहा है कब आएगी।

आनंदी ने कहा अरे मां दो दिन में आती हूं।

अगले दिन सुबह आनंदी राजस्थान का सर्वेक्षण करने निकल पड़े। सभी आई ए एस अफसरों की टीम निकली थी।

आनंदी को जयपुर शहर देखने को मिल गया।
अफसरों की रक्षा करने के लिए सैनिक भी तैनात किया गया था।


रास्ते में कुछ स्कूली बच्चे मिलें। आनंदी ने गाड़ी चालक से गाड़ी रुकवाया और उन बच्चों को जाकर पुछा कि कहां घुम रहे थे?


बच्चों ने बताया कि स्कूल रिक्शा खराब हो गया आधे रास्ते में, तो सब घर जा रहे हैं।


आनंदी इतना सुनते ही अपने पीए से बात कर के तुरंत ही रिक्शा की व्यवस्था करवाई गई और फिर उन सारे बच्चों को घर भिजवाया।


इतना ही नहीं आनंदी ने तुरंत पुलिस से बात कर के एक्शन लिया और उस स्कूल में जाकर वहां की प्रिंसिपल से बात कर के उन रिक्शा चालकों को बुलाया गया ।

आनंदी ने खुद उन लोगों को कहा ये कैसा काम है तुम लोगों का रिक्शा खराब होने के बाद बच्चों की जिम्मेदारी तुम लोगों की नहीं है अगर सही समय पर मैं नहीं आई होती तो उन मासूम बच्चों का क्या होता?

फिर प्रिंसिपल के साथ-साथ उन रिक्शा चालकों को भी स्शपेनड किया गया।

और फिर आनंदी ने उस स्कूल के मेनेजमेंट से बात किया। स्कूल में दो लाख रुपए का चेक दिया और कहा कि अब कोई भी बच्चा पैदल नहीं जायेगा इनके लिए बस की व्यवस्था करवाई जाएगी।


जयपुर में आनंदी की वाहवाही होने लगी।
आनंदी ने अपने रिपोर्ट में कहा कि आप सभी जिस तरह हो सके एक दूसरे की सहायता करें और दुसरो को भी सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करे।

फिर आनंदी वापस लौट आईं।


और उसने अपने कारनामों से एक बार फिर सबके दिलों में जगह बनाने में सफल रही।


क्रमशः