जिंदगी के पहलू - 2 - प्रकृति, प्यार और इंसान Kamal Bhansali द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी के पहलू - 2 - प्रकृति, प्यार और इंसान

It seems to me that the natural world is the greatest source of excitement; the greatest source of visual beauty; the greatest source of intellectual interest. It is the greatest source of so much in life that makes life worth living." ***David Attenborough***

सही ही लगता है, प्रकृति, प्यार और इंसान, दुनिया की तीन बेशकीमती ताकते है। जिनके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती, जहां हम एक संक्षिप्त अवधि का जीवन अनेक तरह के अहसासों के साथ हर क्षण जीने का प्रयास करते है। इसी प्रयास को शायद हम जीवन भी कहते है।

मानव का सबसे पहला रिश्ता अगर प्रकृति से माना जाय तो गलत नहीं है, क्योंकि हर प्राणी ही नहीं, हर वस्तु का सृजनकर्त्ता किसी न किसी रुप में वो ही है। अंततोगत्वा यही कहना सही होगा जीवन प्रकृति और प्रेम का सुंदर समिश्रण है। सही ढंग से जीने से, आत्मानंद का अहसास जीवन अवधि तक होता रहेगा। सारगर्भित जीवन का अहसास स्वर्ग जैसा आनन्द इसी धरती पर प्रकृति, प्यार और इंसानी परिवर्तन से पाया जा सकता है, लेखक का मानना है यह सिर्फ एक सही और सुंदर कार्यकुशलता में विश्वास रखने वाला प्रबुद्ध व्यक्तित्व ही कर सकता है।

कुछ लोग ये मानकर सन्तोष कर लेते है, सुख और दुःख कर्मो के साथ भाग्य का खेल है। कथन की सत्यता या असत्यता पर सवाल न उठाकर यह प्रश्न किया जा सकता है, कि अगर ऐसा होता भी है तो क्या निष्क्रिय जीवन किसी भी तरह का अनुभव दे पाता ? माना जीवन की किसी भी स्थिति पर कोई दावा नहीं प्रस्तुत किया जा सकता, पर हम कह सकते है कि हमारे सांसारिक जीवन की एक सत्यता को आज भी हम मानते है कि जीवन सुख दुःख की छांव तले ही अपनी आयु सीमा की ओर का सफर करता है। इस यात्रा के दौरान जब भी जीवन असहज हो विपरीत परिस्थितियों का अनुभव करता है, तब, दुःख अपनी चरम सीमाओं के साथ उसकी मजबूती की परीक्षा लेने हर जगह तैयार रहता है। यही समय सही होता है जब जीवन को अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना चाहिए, उसे हर गलती का सही मूल्यांकन कर दुःख को सारी निराशाएं वापिस लौटाकर अपने आगे के पथ की निरंतरता को सहजता प्रदान करनी चाहिये। पर ऐसा होता नहीं क्यों की सुख का आदी जीवन सुख भोगते भोगते बहुत सी कमजोरियों की गुलामी करने लगता है।

प्रश्न किया जा सकता है, क्या सुख के कारण जीवन की क्षमताओं का ह्यास होने लगता है ? इस प्रश्न का सहज व सरल उत्तर यही है कि "अति" कैसी भी हो कितनी भी हो, नुकसान दायक ही होती है। जैसे हर देश सीमाओं के द्वारा विभक्त होता है, हर अति की सीमा संयमन होती है। अपनी क्षमताओं से ज्यादा उल्लंघन करने से जीवन विरोधी तत्व संग्रहित हो, खिन्नता का वातावरण तैयार करते है, और सुख के क्षण के अहसास उनके सामने लाचार से हो जाते है।

इस लेख का सारांश आप तय करे तो इतना ही कीजियेगा की वर्तमान के अच्छे जीवन को हम चाहे तो काफी और बेहतर कर सकते है। जी हां, "परिवर्तन" बहुत हि मोहक और अदाकारी शब्द है, परन्तु निरन्तरता से ही ये जीवन सहायक दोस्ती निभाता है, नहीं तो अजनबी की तरह कुछ क्षण के लिए ही मुस्कराता है। कुर्त लेविन के अनुसार यदि किसी चीज को अच्छी तरह समझना चाहते है तो उसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए, खासकर आदतों को।

हम जीवन में जिन दैनिक सुखों का अनुभव करते है या करना चाहते है वो मन की खुशियां ज्यादातर सफलता और आपसी सम्बंधों की मधुरता में ज्यादा निहित होती है। शरीर का स्वस्थ स्वास्थ्य और अर्थ का संक्षिप्त साम्राज्य अगर हमारे पास है और उन पर हमारा आत्मिक शासन नीतिगत के तहत सही ढंग से काम कर रहा है तो सदा यकीन इसी पर कीजिये, इस चिंतन के साथ की इससे " बेहतर" अभी कुछ और भी आगे है। प्रकृति का एक निश्चित सन्देश हर मानव को जन्मतें ही मिल जाता है, "मेरी शुद्धता तेरी जीवन- साँसों की चाहत है, हो सके तो इस रिश्ते की गरिमा को समझ कर ही मेरे साधनों का जरुरतमय और सही उपयोग करना"। काश हम इस सन्देश की गरिमा को समझ पालन कर पाते। निश्चित मानिए, सार्थक जीवन का यही सही सार है, प्रकृति की महिमा को समझा, अपने ही जीवन की आस्थाओं को मान सम्मान का अहसास कराना होता है।

हर इंसान बेहतर होता है, हर एक का जीवन जीने का तरीका भी भिन्न होता है, पर सभी का मनपसंद जीवन पथ खुशियों की राह चाहता है। आइये, कुछ चमत्कारिक तथ्यों पर गौर करते है, जिन्हें हम जानते है, पर अपनाने की कोशिश बहुत ही कम करते है। इस तथ्य से इस लेख का कभी कोई इंकार नहीं कि हम अभी भी बेहतर जीवन जी रहे है, पर बेहतर को और बेहतर बनाने से परहेज करना भी सही नहीं महसूस होता। एक समझ भरी सही सलाह को सही रुप से समझने से इंकार भी नहीं होना भी उचित होता है। अगर कुछ अदृश्य कुशलता का हम प्रयोग कर हम स्वयं की खुशियों, सफलता और सम्बंधों को कुछ क्षणों के लिए और बढ़ाते है, तो निसन्देह इसे हम सोने पर सुहागा ही कहेंगे। चलिए जानते है, कैसे कुछ अतरिक्त क्षणों को, हम हासिल करने का प्रयास कर सकते है।

यहां स्वयं के लिए यह मानना उचित होता है कि हम दुनिया में अच्छे और बुरे दोनों ही रुप से मूल्यांकित होते है, अतः गलत भी, स्थिति वश हमारा कोई मूल्यांकन करता है, तो वो हमारे लिए निराशा का कारण न होकर स्वयं को अवलोकन करने का आधार होना चाहिए। इस तरह हमारी भावनाओं में उत्साह और उमंग भरे तत्वों का आवागमन होता रहेगा और सही समय पर हमारे प्रति नकारत्मक चिंतन रखने वाले अपने गलत चिंतन की दिशा भी बदल देंगे।

जिंदगी को अगर हम सिर्फ साँसों की आवाजाही का साधन न मान, उसे कुछ अतिरिक्त प्रयासों से उसे सम्मान देते है, तो निश्चित है, ऐसे सही प्रयास, सही राह की सैर करने वाले लोगों की राह में खुशियों के फूल बिखरेने का काम कर सकते है। इन प्रयासों में साँसों और मस्तिष्क का तालमेल का रहस्य इंग्लिस फिल्मों के कलाकार Allisan Janney के इस कथन में निहित है, गौर जरूर कीजिये " I do the best I can. Everything is everybody else's problem. संसार में अपने सीमित अस्तित्व की पहचान ही सक्षमता निर्माण के योग्य होती है। कुछ लोग सस्ती प्रसिद्धि के चक्कर में इस तथ्य को नजरअंदाज कर देते है, ये एक मानसिक कमजोरी के अलावा कुछ नहीं है।

जब अवस्थाये कभी विपरीतता का सन्देश दे तो हमें तीन तत्वों पर सदा ध्यान देना चाहिए वो है समझ, समय और संयम इनका सही अनुपात में उपयोग, आत्मिक और मानसिक स्वास्थ्य को सम्बल प्रदान कर सकता है। ऐसी अवस्था में परिवार में मुख्य अनुभवी माता पिता और बुजर्ग लोगों के सुझावों पर जरूर प्रध्यान करना चाहिए क्योंकि वक्त की कसोटी पर उनका ज्ञान काफी सार्थक होता है। परिवार के हो रहे विभाजन से जीवन को काफी क्षति पंहुच रही है, ये इन दिनों में घट रही आत्महत्या की घटनाओं से समझा जा सकता है। माना जा सकता है, परिवर्तन एक सांसारिक नियम है, साथ में साधनों के विकास अनुरूप मानव स्वभाव भी बदलता रहता है। पर परिवर्तन और बदलाव अगर जीवन को आनन्दमय होने का अहसास दे, तो सही लगते है, नहीं तो गलत परिणाम का खामियाजा जिंदगी को ही भुगतान करना है। ये ही सोच अगर हम परिवर्तनमय होते है, तो सही दिशा की ओर हम अपनी जिंदगी का रुख कर रहे है, यकीन कीजिये। सारगर्भित जीवन हमारी आंतरिक मानसिक दशा का सम्पन्न मूल्यांकन तो करता ही है, साथ में हमें इस जहां में आने का मकसद भी बताता है।

जीवन को सारगर्भित करने वाले कुछ इंसानों के इन कथनों पर एक नजर इनायत की डालिये, कहना न होगा जीवन के गुलशन में आनन्द की बहार छा जायेगी, अगर इनसे हम अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करते है, तो।

1. शेक्सपियर के अनुसार हमें किसी की भावनाओं से इसलिये कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए कि हम उससे आगे बढ़ जाये। हो सकता है हम कुछ क्षण के लिए जीत जाये पर ऐसे सक्षम इंसान का सानिध्य हम जिंदगी भर के लिए खो देंगे।

2.नेपोलियन के अनुसार संसार को खराब आदमियों से फैलायी हिंसा उतना डर नहीं है, जितना कि अच्छे लोगों की चुप्पी से।

3.आइंस्टीन ने अपनी सफलताओं के लिए उन लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होनें उन्हें किसी भी तरह के सहयोग से इंकार किया। इससे उन्हें स्वयं हर कार्य करने की प्रेरणा मिली।

4. अब्राहम लिंकन ने दोस्ती की परिभाषा कुछ इस तरह की " अगर दोस्ती आपकी कमजोरी है तो यकीन कीजिये आप दुनिया के सबसे मजबूत आदमी है।

5. किसी को हर समय खिलखिलाते देख कभी इस बात का अंदाज नहीं लगाना चाहिए कि उनके जीवन में दुःख है ही नहीं, हां, यह हो सकता उन्होंने दुःख को संयम से आत्मसात करना सीख लिया होगा..शेक्सपियर

6. मौका मिलना सूर्य उदय के समान है अगर आप देर से जागरुक होते है तो हो सकता है आप उसे खो दे। ..विलियम आर्थर

7. सत्य है, जब हम सफल होते है तो शायद बहुत से लोग हमें प्रेरणा के लायक समझे परन्तु जब कभी हम असफलता के अन्धकार में प्रवेश करते है तो हमारी छाया भी हमारा साथ नहीं निभाती। ..हिटलर

8. खुदरा रेजगी सदा शोर करती है, परन्तु नोट सदा शांत रहते है, यानी जब हमारा सफलताओं मूल्य बढ़ता है, तो हम गंभीर हो जाते है ..शेक्सपियर

9. मैदान में हारा हुआ इंसान फिर से जीत सकता है पर मन से हारा इंसान कभी नहीं जीत सकता।

लेख समापन से पहले अर्नाल्ड श्र्वाजनगेर के इस कथन पर ध्यान देना सही होगा कि "ताकत जीतने से नही आती, आपके संघर्ष आपकी ताकत पैदा करते है। जब आप मुसीबतों से गुजरते है और हार नहीं मानते है, वही ताकत है, शायद वह आपके जीवन की सारगर्भिता भी हो"। सारांश में जीवन में सही मौलिक परिवर्तन अपनाइये, जीवन आपसे प्यार करेगा। लेखक: कमल भंसाली