मे और महाराज - ( खोज_३) 25 Veena द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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मे और महाराज - ( खोज_३) 25

जैसे ही मौली ने नकाब हटाया, दोनो ने चौंकते हुए एक दूसरे को देखा।

" राजकुमार सिराज????"

" हटो जरा।" मौली को सिराज से दूर कर समायरा वहा बैठ गई। सिराज की सांसे चल रही है ये देख उसे राहत मिली। " मौली ये तो बेहोश है। एक काम करो, इसे मेरे कमरे मे ले जाते है। पहले होश मे लाने की कोशिश करते है। फिर आगे की बाते सोचेंगे।"

उन दोनो ने मिलकर सिराज को उठाया और समायरा के कमरे मे ले आएं।

" मौली। गरम पानी और एक साफ कपड़ा ले आओ।" समायरा ने कहा।

जब तक मौली उसका मंगाया सामान लाए, उसने सिराज का कुर्ता निकाल दिया। उसके फसलियो पे घाव था जैसे किसी ने चाकू मारा हो। समायरा ने अपने हाथो से छुआ। " अजीब हो। क्या जरूरत है अपने आप को इतने खतरे मे डालने की ??? पता है, अगर तुम हा कहो तो में तुम्हे अपने साथ अपने वक्त मे ले जावूंगी। वहा तुम्हे कोई खतरा नहीं होगा। बस तुम्हे अपने ये राजकुमारो वाले नखरे कम करने होंगे। जाने दो नसीबवाले हो जो में तुम्हारी सेवा करूंगी।"

" वो बेहोश है। तुम्हे सुन नही सकते।" मौली ने गरम पानी समायरा के पास रखते हुए, कपड़ा उसके हाथो मे थमाया।

" मेरी मां कहती है, जब कोई बेहोश हो, तो उस से ज्यादा बाते करो। ऐसे वक्त मे उस इंसान की आत्मा शरीर से बाहर होती है। वही आत्मा हमारी सारी बातें सुनती है।" समायराने सिराजका बदन पोछते हुए कहा। " सुनो रिहान से कहो हमने बुलाया है और राजकुमार के खाने के लिए पेज तयार करो।" हा मे सर हिलाकर मौली वहा से चली गई।

रिहान का कही कोई पता नही था। समायरा ने सिराज का घाव साफ कर, उसे अच्छे से पट्टी कर दी। सिराज का बदन बुखार की वजह से तपने लगा था। समायरा ने रात भर उसे ठंडे पानी की पट्टियां की। मौली भी रात भर वही बैठी रही रिहान के इंतेजार मे। सुबह ३ बजे के करीब रिहान समायरा के कमरे मे आया।

" राजकुमारी।" रिहान ने सर झुकाते हुए कहा।

" वो सब फिलहाल रहने दो। राजकुमार एक घाव के साथ उन काले कपड़ों मे हमे महल के पीछे मिले। अभी उनका बुखार उतर गया है। लेकिन फिर भी मुझे चिंता हो रही है। वैद जी को बुला लाओ । " समायरा ने कहा।

" आपने ये बात किसी को कही के राजकुमार घायल है ?" रिहान।

" नही। सिर्फ मुझे और मौली को ये बात पता है। मुझे लगा पहले तुमसे पूछ लूं इस सब के बारे मे।" समायरा ने कहा।

" शुक्रिया राजकुमारी।" इतना कह रिहान ने एक शीशी राजकुमार के नाक के पास रखी जिसे सुघने के बाद २ मिनटों के भीतर सिराज को होश आने लगा।

" माफ कर दीजिए राजकुमार। मुझे इस दवाई को लाने मे थोड़ा वक्त लगा।" रिहान ने वापस सर झुकाते हुए कहा।

" कोई बात नही।" सिराज।

" तो पूरी रात तुम किसी जहर की वजह से बेहोश थे ? समायरा ने पूछा।

" हा। कुछ देर के लिए बाहर रुको तुम दोनो। हमे राजकुमारी से कुछ बात करनी है।" राजकुमार सिराज ने कहा।

उनके बाहर जाते ही, समायरा ने एक हाथ अपने सर पर रखा और दूसरा सिराज के सर पर। उसका बुखार अब पूरी तरह से उतर गया था। सिराज ने समायरा का नाक पकड़ा। समायरा ने तुरंत उसके हाथ पर मार कर अपना नाक छुड़ाया।

" आपकी हिम्मत दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। आपने राजकुमार पर हाथ उठाया।" सिराज ने उसे डराने के लिए कहा।

" नही। मैने अपने पति पर हाथ उठाया। तुम्हे देख कर लगता है, तुम पूरी तरह से ठीक हो चुके हो। कहो जल्दी क्या कहना है।" समायरा ।

" यही के शुक्रिया। आपने रात भर हमारी सेवा की। " सिराज

" तुम्हे कैसे पता?" समायरा।

" बस हमे ऐसा लगा के हमने बेहोशी मे आपकी आवाजे सुनी हमसे कुछ कहती हुई।" सिराज आगे कुछ कहे उस से पहले समायरा ने उसे रोका।

" बस बस ज्यादा याद करने की कोशिश मत करो। तुम्हे आराम की जरूरत है। यहां सो जाओ।" समायरा ने कहा।

सिराज ने रिहान और मौली को अंदर बुलाया। " माफ कर दीजिए हम यहां नही रुक सकते। रिहान हमे कमरे तक ले जाएगा। सुबह अगर कोई पूछे तो बस इतना कह देना की हम कल शाम से आप के साथ थे। हम घायल है, या हम कही और से आए ये सारी बाते सिर्फ हम चार लोगो के बीच ही रहेंगी। समझ गई आप दोनो।" सिराज की बात सुन मौली और समायरा ने एक दुसारेकी तरफ देखते हुए हा कहा। रिहान राजकुमार को लेकर चला गया ।

दूसरे दिन सुबह सुबह मौली और समायरा तयार होकर बाहर घूमने निकले। दोनो ने बस बगीचे मे कदम रखा वैसे ही उनकी मुलाकात गौर बाई से हुई।

" सुप्रभात दीदी।" उसने मुस्कुराते हुए कहा, समायरा या मौली किसी ने भी उसे कोई जवाब नही बल्कि दोनो ने उसे अनदेखा किया।

" क्या हुवा आप हमे देख क्यो नही रही ? राजकुमारी शायरा।" गौर बाई ने बात शुरू करने के लिए समायरा का ध्यान खींचने की कोशिश की।

" बिल्कुल सही। अब समझी तुम । यहां कोई दीदी नही है। में तुम्हारे लिए एक राजकुमारी थी, हु और रहूंगी। इसलिए अपनी औकात कभी मत भूलना।" समायरा ने तीखी नजरो से कहा।

गौर बाई को बोहोत गुस्सा आ रहा था, लेकिन जिस काम के लिए वो आई थी वो बोहोत जरूरी था। इसलिए उसने अपना गुस्सा ना दिखाना ही सही समझा। " हा हा । आप भी बड़ी मज्जाकिया है दीदी।"

समायरा ने आंखे बड़ी कर घूर घूर कर उसे देखा। " अच्छा अच्छा। समझ गए राजकुमारी। पर हम इन बातो के लिए नही आए। आप ने आज की ताजा खबर सुनी या नही ?"

" कैसी खबर ?" समायरा ने पूछा।

" कल रात बड़े राजकुमार अमन पर किसी ने जानलेवा हमला किया।" गौर बाई की बाते सुन समायरा और मौली ने एक दूसरे को देखा।