आजकल मिताली अपने बेटे अनल को लेकर अत्यंत चिंतित रहने लगी है।वैसे अनल एक अत्यंत समझदार एवं जहीन युवक है, जिस कार्य को करने का ठान लेता है, उसे हर हाल में पूर्ण करने का माद्दा रखता है,कैरियर के प्रति वह अत्यधिक गम्भीर है।जबसे पढ़ना सीखा था तबसे कॉमिक्स पढ़ने का शौक था उसे,कार्टून कैरेक्टर देखकर उनके चित्र भी बनाया करता था, शिनचैन, डोरेमॉन, ड्रैगन बॉल इत्यादि उसके पसंदीदा कार्यक्रम थे।थोड़ा बड़े होने पर कहानियां लिखने का प्रयास करने लगा था।हाई स्कूल तक आने तक उसने एनिमेशन लाइन में कॅरियर बनाने का निश्चय कर लिया था।इंटर में वह विज्ञान विषय नहीं लेना चाहता था लेकिन मिताली का मानना था कि अगर इंटर करने तक विचार बदल गया तो इंजीनियरिंग या एमबीए करने का ऑप्शन तब भी रहेगा,किन्तु अनल ने जो निश्चय कर लिया तो उसके विचार यथावत रहे।
अनल के पिता MBA करके एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत थे।मिताली ने कम्प्यूटर साइंस से एमटेक किया था, पति के स्थानांतरण होने के कारण जॉब नहीं कर सकी।अनल के थोड़ा समझदार होने के पश्चात प्ले स्कूल खोल लिया था और जो कुछ सालों में अच्छा स्थापित हो गया था।धीरे धीरे वह और कोर्सेज प्रारंभ करना चाहती थी।वे अनल को भी MBA या इंजीनियरिंग कराना चाहते थे लेकिन अनल ने एनिमेशन से ग्रेजुएशन करना चाहा, वह आगे जाकर एक प्रोडक्शन हाउस खोलना चाहता था, जिसमें वह एनिमेशन फिल्मों के साथ साथ वेब सीरीज भी प्रोड्यूस कर सके।आजकल समझदार माता पिता बच्चों की इच्छा को पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, इसलिए मुंबई में एक अच्छे कॉलेज में बीएससी इन एनिमेशन में एडमिशन दिला दिया।अंतिम सेमेस्टर के समय ही कोरोना ने पूरे विश्व में कहर बरपा दिया।बच्चों की पढ़ाई ऑन लाइन होने लगी,जैसे -तैसे सेमेस्टर समाप्त हो गया।अब यह तो सभी जानते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा काल में प्रायोगिक जानकारी नगण्य ही होती है।पढ़ाई पूर्ण करने के बाद इंटर्नशिप,उसके बाद कहीं एकाध वर्ष सीखने के पश्चात बच्चे कार्य क्षेत्र में उतरने लायक हो पाते हैं।जो क्रिएटिव क्षेत्र होते हैं वहां तो औऱ अधिक निपुणता की आवश्यकता होती है।
लॉक डाउन के कारण अनल और उस जैसे तमाम बच्चों को घर बैठना पड़ा, जबकि यह समय उनके कॅरियर के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था।जो बच्चे कॅरियर के प्रति गम्भीर थे,वे अपना समय व्यर्थ जाता देख अवसादग्रस्त होने लगे थे। समझाने का प्रयास करने पर झुंझलाकर वह कहता था कि आप मेरी मनःस्थिति नहीं समझ सकते,कमरे में बन्द रहता है। दोस्तों से अनावश्यक बातें करना,गॉसिप करना उसे हमेशा समय का दुरुपयोग प्रतीत होता था।वह अधिकतर हॉलीवुड की फिल्में एवं सीरीज देखना पसंद करता है, उसमें भी वह सीखने का प्रयास करता है।वहाँ के ग्राफिक्स, वहां के उच्च तकनीक से अनल अत्यंत प्रभावित रहता है।ग्रेजुएशन के पश्चात वह डायरेक्शन का कोर्स करना चाहता था, क्योंकि वह डायरेक्शन के साथ प्रोडक्शन करना चाहता है।अब लॉक डाउन में यू ट्यूब वगैरह से जितना सीख सकता है, सीखने का प्रयास करता रहता है लेकिन घर में कैद होकर उसका चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है।माता-पिता का प्रयास अनल को किसी तरह इस संकट के दौर में सम्हालने का है।
अधिकतर लोग घोर मानसिक, आर्थिक, शारीरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं।तमाम इंडस्ट्री ठप पड़े हुए हैं, लोग बेरोजगार हो रहे हैं,ऐसी स्थिति में नए लोगों के लिए कहाँ गुंजाइश है।मिताली के बहन का बेटा पिछले साल से नीट की तैयारी कर रहा है, इक्जाम टलता जा रहा था,कुछ समय से मन उचटने लगा था पढ़ाई से,परिणामस्वरूप सेलेक्शन नहीं हो सका,अब पुनः तैयारी कर रहा है और फिर कोरोना के दूसरे लहर के कारण सभी इक्जाम टाल दिए गए हैं।पिछले साल में प्रोफेशनल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले बच्चे दो सेमेस्टर के इक्जाम ऑन लाईन देने के बाद भी अबतक अपने कॉलेज का मुँह भी नहीं देख सकें हैं।
नवम्बर- दिसम्बर में कोरोना का प्रभाव काफ़ी कम हो गया था, तब अनल ने फ़रवरी के बैच में डायरेक्शन के कोर्स में एडमिशन ले लिया।4 माह के कोर्स की फीस साढ़े तीन लाख थी।पहले माह ऑन लाइन क्लासेज चलने वाले थे,उसके बाद रेगुलर होने थे,अंतिम माह में सेट पर असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर ट्रेनिंग होनी थी लेकिन मार्च से कोरोना की दूसरी लहर ने आतंक मचा दिया, इस बार हालात बेहद खराब हैं, हर रोज हजारों लोगों की जान जा रही है, हॉस्पिटल में जगह नहीं है, दवाओं औऱ ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी है।सारे इक्जाम,क्लासेज पुनः ऑन लाइन कर दिए गए हैं।अब डायरेक्शन, एक्टिंग जैसी चीज ऑन लाइन क्या सीखी जा सकती है?जैसे-तैसे बच्चे थोड़ा अवसाद से उबरने लगे थे कि पुनः हालात पहले से अधिक बदतर हो गए।अब कोई सांत्वना, कोई तर्क किसी को समझा नहीं पा रहा है।न जाने कोरोना के इन दुष्प्रभावों से सभी कबतक उबर पाएंगे,जबकि अभी तो तीसरी लहर के आने की संभावना बताई जा रही है।
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