कोई समाचार नहीं.. Alok Mishra द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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कोई समाचार नहीं..

कोई समाचार नहीं ...


भोलाराम जी को समाचार देखे ,सुने और पढ़े बगैर चैन ही नहीं मिलता । यही कारण है देश ही नहीं पूरी दुनिया के घटनाक्रम पर हमेशा ही पकड़ बनाए रखते हैं । उन्हें मुंह जबानी ही अनेक देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुद्राओं के विषय में ज्ञान प्राप्त हैं । वे देश और विदेश के घटनाक्रम को विस्तार से समझते है और समझा भी सकते है ।अनेक छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होते हैं सामान्य ज्ञान के लिए भोलाराम जी की संगत का लाभ उठाते हैं । भोलाराम जी को यूं देखा जाए तो वह कुल सात जमात तक ही पढ़े हैं । कहते हैं उन्हें कभी सरकारी नौकरी भी मिल गई थी परंतु उन्होंने अपना जीवनयापन फल और सब्जी की दलाली से ही किया । कुर्ता, पजामा और सफेद होती दाढ़ी के साथ अक्सर वे अपनी दुकान पर चलती हुई न्यूज़ चैनलों के सामने पाए जाते हैं । उनकी टी.व्ही. में ऐसा लगता है जैसे न्यूज़ चैनलों के अलावा कोई और चैनल है ही नहीं ।
एक दिन सब्जी लेते हुए हम जब उनकी दुकान के सामने से गुजरे तो आश्चर्य में रह गए आज तो भोलाराम जी की अपनी कुर्सी पर आराम से अधलेटे सास- बहू वाला सीरियल देखते हुए पाए गए । हमारे मन का कीड़ा
कुलबुलाने लगा । वैसे भी इस अनहोनी का राज़ जाने बगैर आपका यह खबरी कैसे लौट आता ? सो हमने जोर से कहा " चच्चा प्रणाम।" चच्चा याने भोलाराम जी ने हमारी तरफ देखा और बड़े अनमने ढंग से अभिवादन का जवाब दिया । हम भी अपने सब्जी के थैले के साथ उनकी दुकान में जा धमके और खाली कुर्सी पर अपनी तशरीफ रखते हुए बोले "चच्चा क्या बात है ;आज सीरियल देखा जा रहा है?" भोलाराम जी को लगा जैसे किसी ने उन्हें बिना कपड़ों के देख लिया हो। वे खिसिया से गए और बोले "अमा यार मिश्रा जी.... आप ही बताओ सीरियल ना देखें तो क्या करें ? टी.व्ही., रेडियो और अखबारों में आजकल कोई समाचार ही नहीं है । "
कोई समाचार नहीं. ... ! हम सोच में पड़ गए और बोल पड़े " चच्चा कैसी बात करते हो? समाचार के बिना कोई टी.व्ही., रेडियो और अखबार चल भी सकते हैं क्या ? " भोलाराम जी ने रिमोट उठा लिया और एक समाचार चैनल लगाते हुए बोले " चलिए तो फिर समाचार देखते हैं । " चैनल पर किसी राजनीतिक पार्टी की रैली का लाइव प्रसारण हो रहा था । भोलाराम जी ने और भी समाचार चैनल बदले तो दूसरी चैनलों पर भी उसी पार्टी या किसी अन्य पार्टी कि चुनाव प्रचार को ही समाचारों के रूप में दिखाया जा रहा था । भोलाराम जी बोले " अमा यार मिश्रा जी. ..... अब आप ही बताइए किस पार्टी का चुनाव प्रचार आपको समाचार के रूप में देखना है ? " हम भी सोच में पड़ गए । हम तो आज तक इसे समाचार समझते रहे हैं ।‌ भोलाराम जी बोले " अमा यार ...आप भी नहीं समझ पाए ? य लोग हमें समाचार के नाम पर बेवकूफ बना रहे हैं और समाचार के नाम पर हमारे दिमाग को अपने बस में करने का प्रयास कर रहे हैं । मैं तो भोलाराम जी की बात से सन्न हीं रह गया और बोला " दिमाग को वश में कर सकते हैं क्या मतलब है ? " भोलाराम जी ने टी.व्ही. बंद कर दी अखबार उठा लिया और दिखाते हुए बोले " देखिए प्रथम पृष्ठ पर चुनावी रैलियां, गाली -गलौज और चुनावी आंकड़ों को समाचार में छापा गया है । नौसेना प्रमुख की नियुक्ति का समाचार एक कोने में है ।चलो है तो ..... समाचार के नाम पर हमें केवल वही मिल रहा है जो वे हमें देना चाहते हैं । मैं सोचने लगा भोलाराम जी ने किसी डिबेट में बैठे नेता की तरह " वश में कर सकते हैं ?" वाले सवाल से किनारा कर लिया । मैं भी किसी तेजतर्रार डिवेट संचालक की तरह बोला " ये वश में कर सकते है वाली बात समझ में नहीं आई ? " भोलाराम जी बोले "अमा यार ......आप भी न..... तो बताइए आप किसी पार्टी या सरकार को कैसे जानते हैं ? " मेरी ओर देखने लगे क्या बोलता..... लेकिन फिर भी बोला " समाचार माध्यमों से क्योंकि वे तो कभी मिलते ही नहीं इसी । " वे इसी उत्तर की प्रतीक्षा में थे वे बोले " तो यही समाचार माध्यम आपको यह बताते हैं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा मैं ने हां में मुंडी झटकी तो वे मुस्कुरा मुस्कुरा दिए और बोले " यदि वे दिनभर एक ही को अच्छा कहने लगे तो.....। " मैंने जवाब दिया "..... तो वो हमें अच्छा लगने लगेगा । " भोलाराम जी
" बोले तो बस हमें वही दिखा रहे हैं जिसमें इनका लाभ है । कोई चैनल किसी पार्टी से जुड़ा है तो कोई अन्य किसी से वे हमें समाचार दिखाने के स्थान पर विज्ञापन दिखा रहे हैं । और हमारे विचारों को वश में करके प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं । " मैं इस वार्ता को समाप्त करना चाहता था तो बोल पड़ा " तो अब हम क्या करें? " भोलाराम जी समझ गए अब मैं उठना चाहता हूं वव सुपारी के दो गड़े हाथ पर रख कर मेरी बढ़ाते हुए बोले " अमा यार .....हमनें तो सोच- विचार कर ही निर्णय लेना है न .....तो समाचार - समाचार छोड़ो सास - बहू के सीरियल देखते हैं ।"
मैं सब्जी के थैले के साथ-साथ दार्शनिक मुद्रा में घर की ओर रवाना हो गया ।
आलोक मिश्रा "मनमौजी "