स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem(the socialization) - 13 Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem(the socialization) - 13

जैकब ने कहा मिस्टर रोए डोंट माइंड मगर कहीं आप यह तो कहना नहीं चाहते है कि किसी की हत्या करो मगर है समाज में रहकर.

अदैन्य ने कहा मिस्टर जैकब सोशलाइजेशन में कुछ अपराध पूरी तरह से डिप्रेशिएट हो जाते हैं आई मीन सिर्फ इतिहास के पन्नों पर ही मिलते हैं.


जैकब खड़े हुए और बहुत ही अदब से दरवाजे की ओर बढ़े और अदैन्य के लिए दरवाजा खोला.


अदैन्य ने भी जैकब के इस सन्मान का स्वीकार किया और बाहर चलना शुरू किया.

दोनों एक साथ कार तक साथ चले और अदैन्य ने कार का दरवाजा खोला.

जैकब ने अदैन्य से कहां ओके मिस्टर रोए सी यू इन द पार्लियामेंट.

अदैन्य ने कहा बाय.



कुछ दिनों के बाद जर्मन हाइपोथैकेट लिमिटेड मैं से फोन आता है, जोकि जर्मन की सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी मानी जाती है.


अदैन्य ने मोबाइल उठाया और हेलो कहां


सामने से भी आवाज आई हेलो मिस्टर रोए



अदैन्य ने कहा सॉरी मिस्टर आहूजा मुझे तत्काल इंडोनेशिया जाना पड़ रहा है तो फिलहाल मैं आपको कुछ कह नहीं सकता.


मिस्टर आहूजा ने कहा नो प्रॉब्लम मिस्टर रोए आप जब चाहे तब जवाब दे सकते हैं. हाइपोथैकेट के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे

अदैन्य ने थोड़ी जल्दी में कहा थैंक यू वेरी मच मिस्टर आहूजा और फोन रख दिया.

कांच की ट्राइपॉड पर पड़ी न्यूज़पेपर पर अदैन्य की नजर पडती है जिसमें ब्राजील की हेडलाइंस थी.


अदैन्य ने ऊपर ऊपर से पढा और बोला वेल डन मिस्टर जैकब और अपने दफ्तर से बाहर निकल गए.

यहां इंडोनेशिया में हालात बिगड़ते जा रहे हैं और दुनिया के लगभग सभी अर्थशास्त्री ओ ने हाथ ऊपर कर दिये है.

सो की चलन की नोट एक लाख में तब्दील हो गई है यानी कि महंगाई इतनी बढ़ गई है और सिक्के, सिक्के तो जैसे की पूरी तरह से लुप्त ही हो गए हो.

जहां ₹100000 में 1 महीने भर का राशन मुश्किल से आता था वहां सिक्कों को कौन पूछता!

इंडोनेशिया के एयरपोर्ट के बाहर निकलता हुआ अदैन्य दिख रहा है, और वह भी अकेले.

दरअसल इंडोनेशिया की सरकार को कुछ खास दिलचस्पी नहीं है अदैन्य को बुलाने में, उन्होंने दिखावे की खातिर अदैन्य जैसे उच्च कोटि के अर्थशास्त्री को बुलाया है.

मगर यह कौन जानता है की विधि ने इंडोनेशिया की जनता के भाग्य में क्या लिखा है.

एयरपोर्ट के बाहर अदैन्य ने यहां वहां नजर डाली यह सोच कर कि वेलकम ना सही कोई रिसीव कर ने तो आया ही होगा. मगर अदैन्य को निराशा ही मिली और उसने फट से एक टैक्सी को हायर किया.

ड्राइवर ने पूछा कहां जाओगे सर.

अदैन्य ने कहा सुहर्तो के दफ्तर.

ड्राइवर थोड़ा सा चौका और पूछा आप मिस्टर रॉय है ना, सर .

अदैन्य ने कहा जी, जी हां.

ड्राइवर ने कहा मैंने आपके बारे में टीवी पर देखा था.

अदैन्य ने कहा जी धन्यवाद, शुक्रिया.

यहां इंडोनेशिया के हालात तो बुरे थे ही मगर दुख की बात यह थी कि कुछ क्राइम ऑर्गेनाइजेशन ने यहां जाली नोट यानी कि फेक करंसी भी चलानी शुरू कर दी थी. और अंधाधुंधी की आग को और भी हवा दी थी.