छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद  Alok Mishra द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद 

छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद

"प्रणाम गुरुजी" कहते हुए उन्होंने हमारे घुटने छुए । आशीर्वाद के वचन के साथ ही वे सोफे पर अपनी तशरीफ रख चुके थे । हमारे घर आए हुए सज्जन को पूरा शहर दुर्जन के नाम से जानता है । वैसे वे हैं भी यथा नाम तथा गुण उनके लिए थाना ,कचहरी और जेल मानो घर ही है अब वे हमारे जैसे सीधे सरल जिंदगी जीने वाले के घर पधारे तो हम आशंकित होने लगे । दुर्जन आत्मीयता से बोले " गुरु जी हम तो बस आपकी शरण में है ।" हम तो हकलाने ही लगे " क.....क......क्या कहा आपने?" वे बोले "गुरु जी हमारे छुट्टन है ना वह आपकी शाला में स्थानीय याने लोकल परीक्षा देने वाला है ।" यह साल के प्रारंभ में आए होते तो ट्यूशन का मामला जम जाता परंतु अभी तो परीक्षा सर पर है । हम बोले "तो.....।" दुर्जन तपाक से बोले "बस गुरु जी आप तो जानते हैं छुट्टन और ज्ञान का छत्तीस का आंकड़ा है । आप तो बस इस साल उसे पास करवा दीजिए । गुरु ,गुरु ही होता है । हमने अपने दिमाग में पूरी परिस्थितियों का आंकलन किया सोचने लगे इमानदारी के तेल से यह दिया तो जलने से रहा। दुर्जन हमें सोचते हुए देख कर बोले " क्या गुरु जी आपको इतना सोचने की क्या जरूरत नहीं है ? आप तो बस पैसे बताइए ।" हमें लगा दुर्जन ने हमारी इमानदारी के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ दिया । मन किया उसे तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दें लेकिन इस शहर में दुर्जन से दुश्मनी मोल लेना जल में मगर से बैर लेने के समान है। धीरे से समझाने वाले लहजे में बोलने लगे "देखिए दुर्जन जी.... कापियां दूसरे स्कूल जाती है जंचने के लिए ।" दुर्जन तमक कर बोला " गुरूजी छुट्टन कुछ लिखेगा तब तो कांपी जंचेगी । उसकी तो कांपीयां भी आपको ही लिखवानी होगी ।" हम सन्न रह गए । अब ऐसे भी दिन आ गए कि लिखे कोई पास कोई और हो । हमने हाथ जोड़ लिए "दुर्जन जी क्षमा करें ,हमसे यह काम नहीं हो पाएगा ।"हमारी सांस गले में अटकी थी। हम बोल तो गए लेकिन दुर्जन की प्रतिक्रिया देखना बाकी था। दुर्जन शांत भाव से बोला "आप कैसे गुरूजी हैं? आज तक हमसे ऐसा किसी ने नहीं कहा है। उसे तो पास करवाना ही हैं आपके पास कोई और रास्ता हो तो बता दो। देखिए ना मत कीजिएगा, हम तो बस आप के सहारे हैं।" हमारी सांसे सामान्य होने लगी थी । हमने उनकी ओर देखा और कहा "दुर्जन जी ....कुछ लोग हैं जो ऐसा काम करते हैं , हमने सुना है कि सोहनलाल इस काम का महारथी माना जाता है । पिछले वर्ष तो प्रावीण्य सूची में उसके तीन-चार छात्र थे ।" दुर्जन को जैसे खजाना मिल गया। वह हमें धन्यवाद देते हुए चले गए हमारी दिनचर्या सामान्य रूप से चलती रही। परीक्षा परिणाम के कुछ दिन पहले सड़क के मोड़ पर मिल गए उन्होंने लपक कर पैर छुए और बोले "" गुरुजी.....आपने एक दम सही सलाह दी थी। सोहनलाल तो महागुरु है । हमारे छुट्टन को तो परीक्षा देने जाना ही नहीं पड़ा । अब आप देखना अच्छे नंबरों से पास हो जाएगा ।
आज अचानक बहुत वर्षों पूर्व हुआ यह घटनाक्रम मानस पटल पर ताजा हो आया । मुझे याद आया यह लड़का पढ़ने में अच्छा था ही नहीं परन्तु हर वर्ष दुर्जन जी की कारस्तानी से धड़ाधड़ पास होता गया फिर मुझे मालूम हुआ कि किसी बड़े कॉलेज में पढ़ता है । समय के साथ सब बदल गया। दुर्जन भगवान को प्यारे हो गए। छुट्टन अब छोटेलाल नाम से मशहूर है । हम आज भी काले श्यामपट्ट को सफेद करने की कोशिश में लगे रहते हैं ।
आज हमारे विद्यालय में सम्माननीय शिक्षा मंत्री जी छोटे लाल जी का आगमन होने वाला है। कहा जाता है छोटे लाल जी शिक्षा की बारीकियों को बहुत अच्छे से जानते हैं। कोई समझे या न समझे हमें समझ में आता है उन्हें कैसे बारीकीयों का पता लगा ‌। छोटेलाल ने ही परीक्षा में पास और फेल होने के अस्तित्व को नकार दिया। उनका कहना है बच्चा अगर साल भर पढ़ता है तो उसे पास होना ही चाहिए । बस उन्होंने स्कूल पास होने की पद्धति ही समाप्त कर दी । अब बस साल भर पढ़ो और अगली कक्षा में जाओ वाली पद्धति चलती है। सुना है वे पाठ्यक्रम में संशोधन करवाना चाहते हैं । अब बच्चों को " दुर्जन की महानता" जैसे पाठ पढ़ाए जाएंगे । अब छोटे लाल के सामने हम जैसों की औकात ही क्या है वे बड़े-बड़े शिक्षाविदों को भी शिक्षा के विषय में ज्ञान देते हैं । लगता है छोटे लाल जी आ गए सभी बच्चे और शिक्षक जोर से नारा लगा रहे हैं । "शिक्षा मंत्री छोटे लाल जी ......जिंदाबाद"

आलोक मिश्रा "मनमौजी"