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तुम साथ हो जब मेरे...

यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जो लॉक डाउन होने के बाद मुसीबतों का सामना कर रहा था और एक दिन उसे आशा की किरण दिखती है
संदीप एक पढ़ा-लिखा नौजवान है लेकिन वह कुछ परेशान हैं क्योंकि जब से लॉक डाउन हुआ है तब से उसकी ऑफिस बंद हो गई है कुछ दिन पहले उसे सूचना मिली कि उसका बॉस कोरोना के कारण चल बसा था इस वजह से उसकी फैमिली ने यह तय किया कि वह इस ऑफिस को बंद कर देंगे यह उनके लिए अपशकुन है इस वजह से उसने अपने ऑफिस को किसी दूसरी कंपनी को बेच दिया।
दूसरी कंपनी ने ऑफिस को खरीदने के बाद पुराने स्टाफ को हटा दिया और अपना नए स्टाफ रखा सिर्फ पुराने दो लोगों को रखा था कंपनी का काम समझने के लिए और संदीप का नंबर उन दो लोगों में नहीं था ।
आज लगातार सातवां दिन है जब संदीप नौकरी के लिए घर से निकल रहा है बिल्कुल गुमसुम चुपचाप और मन ही मन सोचता जा रहा है कि आज उसे नौकरी मिलेगी या नहीं मिलेगी अभी 6 दिन तक वह कई कंपनियों के चक्कर लगा चुका है और आज भी अगर उसे नहीं नौकरी मिलती है तो फिर उसे किसी दूसरे शहर में काम के लिए जाना होगा।
उसने अपने मोबाइल से लोकेशन चेक किया तो पता चला कि तीनों ही कंपनियां एक ही रोड पर हैं इसलिए संदीप ने ऑटो के पैसे बचाने के लिए पैदल चलना ज्यादा बेहतर समझा और पैदल चलता हुआ इंटरव्यू तक पहुंच गया
आज संदीप ने तीन कंपनियों में इंटरव्यू दिया और तीनों ही कंपनियों में से उसे पॉजिटिव जवाब नहीं मिला है उसे कहा गया कि जब जरूरत होगी हम आपको फोन कर देंगे।
शाम हो चुकी थी संदीप ने कुछ खाया भी नहीं था और इस वजह से काफी थका हुआ महसूस कर रहा था उसके कंधे झुक गए थे और घर में प्रवेश करते हुए वह ऐसे चल रहा था जैसे कोई 500 किलोमीटर पैदल चलकर आया हो।
आते ही उसने अपना बैग रखा और धम से सोफे पर गिर गया उसकी इच्छा थी कि चाय के लिए पत्नी को कह दो लेकिन फिर ध्यान आया कि अगर वह चाय पीता है तो दूध एक्स्ट्रा लगेगा और शाम की चाय तो बन गई होगी दूध हम वैसे भी कम कर चुके हैं क्योंकि लॉक डाउन का टाइम है और इतने ज्यादा पैसे है नहीं वैसे भी उसे नौकरी छोड़े हुए 20 दिन हो चुके हैं और 10 दिन बाद दूध वाले का महीना हो जाएगा उसे पैसे देना होगा। चाय बनाएंगे तो गैस भी खत्म होगी और वैसे भी अब सिलेंडर खत्म होने वाला है उसके लिए भी पैसे की जरूरत होगी।
संदीप इतना ही कमा पाता था कि उसका घर आराम से चल जाए उसने कभी बचत करने की सोची ही नहीं क्योंकि उसे लगता था कि यह जिंदगी ऐसे ही चलती रहेगी और ऐसे ही कमाता रहेगा।
लेकिन लोकॅ डाउन ने इस कोरोनावायरस ने एक चीज सिखा दी थी कि जिंदगी में बचत करनी बहुत जरूरी है लेकिन अब बचत तभी होगी जब वह कमाएगा इस वजह से उसने चाय के लिए नहीं कहा।
कुछ देर बाद ऐसे ही आराम कर रहा था तभी उसकी पत्नी सुनीता उसके लिए चाय लेकर आ गई जी चाय पीजिए संदीप ने कहा लेकिन मैंने तो आपको कहा नहीं था कि आप चाय बना कर लाए। सुनीता ने कहा कि जब आप घर आए तब आप काफी थके हुए थे और इसलिए मैंने आपको चाय बना दी ।
संदीप अब चाय पीते हुए बोलने लगा यार सुनीता मैं थोड़ा परेशान हूं 20 दिन हो गए हैं मुझे जॉब नहीं मिली है महीना होने वाला है दूध वाले का हिसाब करना है ससिलेंडर खत्म होने वाला है उसका भी पैसा देना होगा और हमेशा जो सब्जी वगैरह आती है उसका भी दैना होगा और मेरे पास जॉब है नहीं तो अब कैसे होगा यार मैं क्या करूं मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ।
आज भी मुझे जॉब नहीं मिली अब कल मुझे किसी दूसरे शहर में भागना होगा वहां जाकर जॉब मिलती है जब तक पैसे मिलेंगे तब तक उधार पर काम चलाना होगा।
सुनीता ने कहा कि नहीं मैं आपको कहीं नहीं जाने दूंगी यहां शहर में तो फिर भी कोरोना केस कम है बाहर बहुत ज्यादा है इसलिए आप कहीं नहीं जाएंगे ।
संदीप बोला या फिर काम कैसे चलेगा ? दूध वाले को कैसे देंगे ? गैस खत्म हो जाएगी वह कैसे लाएंगे ? मेरे पास पैसे बिल्कुल नहीं है और बचत मैंने कि नहीं और आप ही बताओ यार कैसे होगा ? कैसे राशन आएगा इस महीने का राशन भी खत्म होने वाला होगा।
सुनीता ने कहा कहा चिंता क्यों करते हैं मैं हूं ना! संदीप आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगा आप क्या कर लोगी ? आप कमाती है क्या? नहीं कमाती तो क्या हुआ यह बात सुनकर संदीप गौर से सुनीता के चेहरे को देखने लगा संदीप ने कहा यार आपके पास कितने की बचत होगी ₹500 होंगे या हजार दो हजार रुपए होंगे सुनीता ने कहा कि पूरे 25000 हैं।
जब आप सुबह बिल्कुल उदास होकर गए थे किसी से बिना बोले तब मैंने आपके जाने के बाद अपनी जो बचत है उसको गिना तो पूरे 25000 हैं और ईतने में हमारा 3 महीने का काम आराम से चल सकता है ।
तब तक अगर जॉब मिल जाती है तो ठीक है नहीं मिलती है तो हम मैं वैसे भी काम करती हूं यहां आस-पास की जो औरतें हैं उनके में लहंगे और ब्लाउज सील देती हूं जिसकी वजह से कुछ इनकम हो जाती है और यह जो पैसे हैं यह मैंने बचत करके ही बनाए हैं ।।
संदीप ने कहा यार मैं तो आपको बहुत कम पैसे देता था जब भी आपको पैसे देता आप कभी खुश नहीं हुई हर बार यही कहती थी यह तो बहुत कम है इतने से क्या होगा और फिर भी आपने बचत कर ली सुनीता ने कहा कि हां हम औरतों की आदत होती है कि जितने भी पैसे मिल जाए हम कम ही बताते हैं।
लेकिन फिर भी मैं धीरे-धीरे बचत कर रही थी और कुछ पैसे इसमें बचत के हैं और कुछ पैसे मेरी मेहनत के हैं जब तक आपको अच्छी नौकरी नहीं मिल जाती तब तक हम एक काम करते हैं मुझे सिलाई आती है हम मास्क बनाएंगे और उन मास्क से हमारी इतनी ज्यादा कमाई तो नहीं होगी लेकिन हां थोड़े बहुत पैसे जरूर आ जाएंगे जिससे हमेशा का कुछ खर्चा चल सके तब तक आप कोई ऑनलाइन जॉब ढूंढ लेना या फिर मेरी हेल्प कर के मास्क बेचने के लिए चले जाएंगे हम इस प्रकार से हमारा काम भी चल जाएगा।
संदीप उसके बातों को सुनते सुनते उसकी आंखों से आंसू आने लगे यार मैं हमेशा आपको पैसे के लिए डांटता था मुझे नहीं मालूम था आप इतना सब कुछ कर सकती हो।
सच में यार आज एक बार तो मन किया था कि कहीं जा कर के मर जाऊं क्योंकि पैसे ही नहीं लेकिन फिर भी घर आया और आज आपकी बात सुनकर लग रहा है कि मैंने बहुत पुण्य के काम किए होंगे जो मुझे आप मिली मुझे माफ कर दो यार मैंने आपको बहुत बार डाटा है।
सुनीता ने कहा कोई बात नहीं जी यह सब चलता रहता है पति-पत्नी के बीच में लेकिन हां मैंने कुछ बचत कि वह हमारे काम आ रही है अब कल से हम मास्क बनाएंगे और मैं अपना काम तो कर ही रही हूं आप भी ऑनलाइन जॉब ढूंढते रहना और तब तक मेरा दिल कहता है कि आपने जिस कंपनी में इंटरव्यू दिया है उनमें से किसी ना किसी का फोन जरूर आएगा और आपकी नौकरी लग जाएगी आप क्यों टेंशन करते हो ।
सुनीता की बातों को सुनकर एक बार फिर से संदीप की आंखों में पानी आ गया और उसने कहा कि जरूर यार मैंने कुछ पुण्य किए होंगे जो इतनी अच्छी पत्नी मुझे मिली है सच ही कहा है किसी ने यार कि अगर पति पत्नी साथ हो तो दुनिया की कोई भी मुश्किल को आसान कर सकते हैं।

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