ईश्क Ravi maharshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ईश्क

डिस्क्लेमर
इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है ।इनका किसी भी धर्म , जाति , मजहब या पंथ से कोई संबंध नहीं है इस कहानी का उद्देश्य ना तो किसी धर्म , जाति , पंथ या पार्टी की विचारधारा को बढ़ावा देना है और ना ही किसी की विचारधारा को चोट पहुंचाना है । यह कहानी ना किसी विचारधारा का समर्थन करती है और ना ही किसी का विरोध करती है यह सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई है । नगमा के हाथ कांप रहे हैं उसके हाथ में 10 नींद की गोलियां है रात के लगभग 10:00 बज रहे हैं और नगमा अपने सामने रखे सभी ग्लासों में एक-एक नींद की गोली डालती जाती है।

और उसमें दूध भर्ती जाती है अब उसने 8 गिलासों में नींद की गोलियां डाली और साथ ही दूध भी डाल दिया अब चम्मच लेकर सभी ग्लासों में घुमाने लगती है जिससे नींद की गोली गर्म दूध में पिघल जाए अब एक प्लेट मे सभी ग्लासों को एक साथ रख कर के चलती है ।

सबसे पहले अपने अब्बू के कमरे में पहुंचती हैं और उन्हें दूध देती है अब्बू के पास में अम्मी भी बैठी हुई थी पास ही बड़े भैया भी बैठे थे उसके बाद मन्झले भैया और सबसे छोटे भैया भी थे । वहां सभी को वह एक एक गिलास दूध देती है । उसके बाद अपनी दादी जी को भी दूध देती है उसके बाद बड़ी भाभी एक कमरे में जाकर उन्हें दूध देती है और छोटी भाभी को देने जाती है तो छोटी भाभी कहती है वह आज नहीं पिएंगे क्योंकि उनका मूड नहीं है यह सुनते ही नगमा सोच में पड़ जाती है कि अगर छोटी भाभी दूध नहीं पिएंगे तो वह सोएंगे नहीं और अगर सोएंगे नहीं तो जो मेरा प्लान है वह सक्सेसफुल कैसे होगा ?

नगमा भाभी के पास बैठ जाती है और उनसे बातें करने लगती है धीरे धीरे बातों ही बातों में वह भाभी से कहती है कि भाभी आप तो मेरी बात ही नहीं मानते भाभी ने कहा मैं तो हमेशा आपकी बात मानती हूं अब बताओ क्या करना है नगमा कहती है प्रॉमिस भाभी जो मैं कहूंगी मानोगी भाभी कहती है हां क्यों नहीं ।

प्रॉमिस करने के बाद नगमा भाभी के हाथ में दूध का गिलास दे देती है और कहती है कि भाभी आपने प्रॉमिस किया है आपको दूध पीना ही पड़ेगा और उसके बाद जब भाभी दूध पूरा पी लेते है तो नगमा की जान में जान आ जाती है ।

वैसे तो हमेशा नगमा की अम्मी ही दूध देती है लेकिन आज नगमा ने कहा कि अम्मी आप अब्बू व भैया के साथ बैठ कर बात करें दूध में ले आती हूं तो इस वजह से नगमा ही सब को दूध दे रही थी ।

जब सभी के ग्लास नगमा ने खाली देखे तो उसे पूरा संतोष हो गया कि हां अब सभी लोग आराम से सो जाएंगे और ठीक ढाई घंटे बाद 12:30 बजे मैं यहां से चली जाऊंगी और फिर सभी को नींद आने लगती है सभी उठ उठ कर अपने रूम में चले जाते हैं और सोने लगते हैं।

नगमा और नगमा की अम्मी दोनों एक ही रूम में सोते थे नगमा अब सोना नहीं चाहती थी इसलिए वह अपने उन दिनों को याद करने लगी जिसकी वजह से उसे आज यह कदम उठाना पड़ा सब नगमा को याद आने लगा की 2 साल पहले उसे सचिन से प्यार हो गया था नगमा और सचिन दोनों एक ही मोहल्ले के रहने वाले थे और दोनों के पिता बहुत अच्छे दोस्त भी थे नगमा और सचिन क्लास 6 से 12 वी तक एक ही स्कूल में साथ साथ पढ़े थे ईद हो या दिवाली दोनों ही एक दूसरे के घर जाकर बहुत हंसी खुशी मनाया करते थे ।

दोनों का परिवार मिलजुल कर दोस्तों की तरह रहता था उनके बीच में कोई भी धार्मिक या किसी भी प्रकार का अलगाव नहीं था दोनों ही एक दूसरे के धर्म की बराबर इज्जत करते थे ।
कभी लगा ही नहीं कि सचिन अलग धर्म का है और ना ही कभी सचिन को लगा कि नगमा अलग धर्म की है जब कॉलेज में एंट्री हुई तो नगमा सचिन के साथ बाइक पर ही चली जाती थी । क्योंकि नगमा के पापा जब कभी बिजी होते या उनके भैया को टाइम नहीं होता तो वह कहते कि सचिन के साथ चले जाना ।

सचिन के साथ आते जाते कब नगमा को सचिन से प्यार हो जाता है उसे पता नहीं चलता लेकिन जिस दिन वह अपने भाई के साथ या पापा के साथ कॉलेज जाती उस दिन उसे जाने का इतना मजा नहीं आता था वह यही चाहती कि हमेशा सचिन के साथ ही जाए इसलिए कई बार वह बहाने से एक्स्ट्रा क्लास या कोचिंग के बहाने से कई बार कॉलेज टाइम से पहले ही घर से निकल जाती थी तब तक उसके पापा और भैया तैयार नहीं हो पाते थे इसलिए वह सचिन के साथ ही बाइक पर चली जाती थी ।

दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे हर बात को एक दूसरे से शेयर भी करते थे लेकिन उन दोनों के बीच प्यार पनप रहा था और इसे उसे इन दोनों ने अभी तक एक दूसरे को कहा नहीं था सचिन भी नगमा को बहुत चाहता था वह उसे बहुत सुंदर लगती थी और बहुत ही अच्छी और सुलझी हुई लड़की लगती थी ।

एक दिन जब वह एक रोमांटिक फिल्म देखने मल्टीप्लेक्स में गए तो वहां कुछ रोमांटिक सींस को देखकर के उन दोनो की भावनाए बाहर आने लगी लेकीन किसी ने पहल नही की ।

इंटरवल में सचिन नगमा लिए कुछ खाने पीने की चीजें लाने गया और वापस आया सीन के बारे में पूछने लगा और उसके बाद मौका देखकर सचिन ने नगमा के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया ।

सचिन को थोड़ा डर भी लग रहा था कि अगर नगमा मना कर देगी तो उनके पापा की दोस्ती का क्या होगा नगमा के घर में उसकी जो इज्जत है उसका क्या होगा उसे लोग गलत समझेंगे ।

और इसी प्रकार नगमा भी डर रही थी कि वह लड़की होते हुए भी सचिन से पहले कैसे कहें कि वह उसे प्यार करती है।

नगमा भी सचिन के कहने का ही इंतजार कर रही थी इसलिए जैसे ही सचिन ने नगमा से अपने प्यार का इजहार किया उसे प्रपोज किया तो नगमा ने भी तुरंत हां कर दी ।

अब दोनों दोस्त से ज्यादा एक प्रेमी हो चुके थे अगले दिन जब नगमा सचिन के साथ बाइक पर बैठकर जा रही थी तो वह बिल्कुल पीछे नहीं सचिन से सट कर बैठी थी और अपना एक हाथ उसके कंधे पर इस प्रकार से रखा था जैसे कि वह उसकी पत्नी हो ।

सचिन को भी सब देख करके बहुत अच्छा लग रहा था उन्हें प्यार में जीते हुए 1 वर्ष हो चुका था और अब दोनों फाइनल ईयर में आ चुके थे नगमा के पापा अब नगमा के लिए लड़का ढूंढने लगे थे और इधर सचिन को भी यह पता चल गया था इसलिए सचिन भी जाॅब कि कोशिश करने लगा था क्योंकि उसे लगता था कि अगर उसका जॉब लग जाएगा तो नगमा से उसकी शादी हो सकती है ।

कुछ समय बाद नगमा के पिता ने एक अलग जगह पर बड़ा ही शानदार घर खरीद लिया था नगमा अपने परिवार के साथ उसी बड़े बंगलों में शिफ्ट हो गई थी अब दोनों अलग-अलग मोहल्ले में रहने लग गए थे ।

परिस्थितियां इस प्रकार बदली की सरकार ने एक कानून बनाया जिसका नाम था सी ए ए अब दोनों जो दोस्त थे वह इस कानून के एक समर्थन में आ गया था तो दूसरा विरोध में आ गया था ।
नगमा के पिता ने इसी के विरोध में शहर में सबसे बड़ी रैली का आयोजन किया था जिस वजह से उनका बहुत बड़ा नाम हो गया था इसी प्रकार सचिन के पिता भी राजनीति में सक्रिय थे उन्होंने कुछ दिनों बाद सीएए के समर्थन में एक बहुत बड़ी रैली का आयोजन कर दिया ।
दोनों दोस्त जो पहले एक साथ रहते थे गप्पे लड़ाते थे अब दोनों ही एक दूसरे की रैली को कमजोर बता रहे थे और अपने को बढ़ा सिद्ध कर रहे थे ।
अब सचिन और नगमा को लगने लगा कि इस धार्मिक कट्टरता के माहौल में उनकी शादी कभी भी नहीं हो सकती इसलिए सचिन ने प्लान बनाया की रात के 12:30 बजे हम निकल जाएंगे और तब तक आप अपने घर वालों के लिए नींद की गोलियां दे देना जिससे वह आराम से सो सकें और हमें कोई डिस्टर्ब ना हो ।
वैसे वह चाहते तो दिन में भी जा सकते थे लेकिन सचिन और नगमा इस प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते थे क्योंकि दिन में उन्हें पहचाने जाने का डर था अब सचिन व नगमा एक बाइक पर भी आ जा नहीं रहे थे क्योंकि उनका घर अलग अलग हो चुका था ।
एक बार नगमा सचिन से बात कर रही थी तो उसके रिश्तेदार ने वहीं डांटा कि जब इस प्रकार का माहौल चल रहा हो तो अन्य धर्म के लड़कों से बात नहीं करनी चाहिए अब नगमा को पूरा यकीन हो चला था कि जब उसके घर वाले उसे किसी अन्य धर्म के लड़के से बात तक नहीं करने देते तो कैसे उसकी शादी को स्वीकार करेंगे ?
इसलिए अंत में थक हार का नगमा ने यह कदम उठाया क्योंकि वह अब सचिन के बिना जीना नहीं चाहती थी अब उसे हर पल हर सांस के साथ सचिन ही याद आता था नगमा ने घर पर एक दो बार मरने की कोशिश की क्योंकि वह सचिन के साथ भाग करके अपने परिवार का नाम खराब नहीं करना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी ना तो उससे फांसी लगाई गई और ना ही उससे जहर खाया जा रहा था ।
अपने दिल के हाथों हार करके नगमा ने सचिन के साथ जाने में ही ठीक समझा क्योंकि दिल और दिमाग में जीत दिल की हुई थी और उसके दिल ने कहा कि वह सचिन के साथ ही रहना चाहता है ।
इसलिए आज नगमा ने सचिन के द्वारा दी गई नींद की गोलियों को दूध में मिलाकर सभी घरवालों को पिला दिया था।
अचानक से नगमा को एक मोटरसाइकिल की आवाज सुनी और वह फिर से जल्दी से उठ कर उसने बाहर देखा तो सचिन था और उसने मोबाइल में टाइम देखा फिक्स 12:30 बज रहे थे नगमा ने सचिन को खिड़की से इशारा किया कि आप बाइक बंद कर दे लाइट भी बंद कर दे और बाइक को ऐसे ही बिना आवाज किए घर से थोड़ा आगे की तरफ पार्क करें सचिन ऐसे ही करने लगा ।
और नगमा ने दबे पाव घर में एक बार घूम लेना उचित समझा ताकि उसे कंफर्म हो जाए कि कोई जाग नहीं रहा है नगमा एक-एक करके सभी रूम के आसपास चक्कर लगाने लगी जब उसे कंफर्म हो गया कि वहां कोई भी जाग नहीं रहा तो उसमें एक बार नम आंखों से अपने घर को देखा वह पूरे घर के हर एक कोने को अपनी आंखों की यादों में बसा लेना चाहती थी ।
उसके बाद उसने अपना बैग निकाला उसमें कुछ रुपए और अपनी कुछ ड्रेस पैक की अपना बैग लेकर के वह घर से बाहर निकलने से पहले अम्मी और अब्बू को देखना चाहती थी वह उन दोनों के पास गई और हाथ जोड़कर दुआ की कि या अल्लाह मुझे माफ कर देना क्योंकि मैं अपने अम्मी और अब्बू के खिलाफ जा रही हूं लेकिन मैं दिल से मजबूर हूं ।
और नगमा सचिन के साथ बाइक पर बैठ कर चली गई नगमा और सचिन दोनों ही बाइक पर जा रहे थे सचिन ने ऐलान किया था कि सुबह 6:00 बजे तक वह मोटरसाइकिल को रोकेगा नहीं टंकी उसकी फुल है और बाइक की सर्विस भी करवाई हुई है इसलिए वह 6 घंटे तक लगातार चलेंगे ।
और उसके बाद तब तक वह इस शहर और इसके पुलिस के हाथ से बहुत दूर निकल चुके होंगे सचिन ने अपने एक दोस्त को एक कमरा किराए पर लेने के लिए कह दिया था सचिन लगातार चलता रहा और अपने दोस्त के पास पहुंच गया था।
दोस्त ने सचिन के गले लगा और नगमा को नमस्ते भाभी जी कहां नगमा थोड़ी शर्मा गई थी उसके बाद राकेश ऊन्हे एक घर में ले गया और वहां उनका परिचय कराया कि यह मेरे दूर के भैया और भाभी है इनका नाम सचिन है और यह सुनीता भाभी है ।
भैया यहां जॉब करते हैं उनके रहने के लिए यहां व्यवस्था थी नहीं इसलिए मैंने आप से 2 दिन पहले बात की थी यह वही है किराएदार ने कहा हां अच्छा है लेकिन आपकी भाभी के कपड़े थोड़े अलग लग रहे हैं इतना सुनते ही तीनों चेहरे हो गये।
सिचुएशन को देखकर के नगमा ने कहा कि अंकल में कपड़े की शौकीन हूं और मुझे अलग-अलग ड्रेसेज पहनना पसंद है । मकान मालिक ने कहा ठीक है यह आपका कमरा है लेकिन आपका सामान कुछ लेकर नहीं आये आप लोग ?
अब सिचुएशन को संभालने की बारी सचिन की थी सचिन ने कहा कि हम बहुत दूर से आए हैं और वहां से यहां तक सामान लाते तो किराया काफी पड़ जाता , इसलिए हम जरूरत की चीजें यहीं से ही खरीद लेंगे ।
उधर जब सुबह 6:00 बजे नगमा की अम्मी उठी तो घङी देखते ही वह चौक गई कि यह क्या हुआ मैं हमेशा सुबह 4:30 बजे उठ जाती हूं आज 6 कैसे बज गए और घर में किसी ने मुझे जगाया तक नहीं जबकि सभी बच्चे 6:00 बजे से पहले पहले उठ जाते हैं ।
अम्मी ने बाहर आकर देखा तो कोई भी नहीं उठा था अम्मी को यह सब अजीब लगा और अम्मी सोचने लगी कि ऐसा कैसे हुआ घर में अभी तक कोई नहीं उठा और मैं रात में एक दो बार टॉयलेट के लिए जरूर उठती थी लेकिन रात को मै बिल्कुल भी नहीं उठी और ऐसा कैसे हुआ नगमा की अम्मी किचन में गई उसने पास देखा नगमा नहीं थी सोचा शायद फ्रेश होने गई होगी और उसके बाद उसने देखा कि घर में सभी सोए हुए थे तो उसने दरवाजे को पीट कर जगाना शुरू किया सबसे पहले बड़े बेटे को उसके बाद अन्य सभी को जगाया ।
सब ने वही बात कही जो नगमा की अम्मी सोच रही थी कि इतनी लेट तो हम कभी नहीं उठे उसके बाद सभी बोले यार वह तो ठीक है लेकिन नगमा कहीं नहीं दिख रही वह कहां गई अब उन्होंने पूरे घर को चेक करना शुरू किया तो नगमा कहीं नहीं थी ।
अब उनके मन में कुछ डर बैठने लगा यह क्या हुआ बड़े भैया ने कहा देखो अब्बू से कुछ मत कहना हम खुद ही देखते हैं हो सकता है रात को कहीं किसी सहेली के पास गई हो या और कुछ लेकिन अब्बू को अभी मत बताना अचानक अब्बू की जोर से आवाज आने लगी कि नगमा यह तूने सही नहीं किया सभी दौड़ते हुवे अब्बू के कमरे में पहुंचे।
अब्बू के हाथ में एक लेटर था वह उसे ही देख कर के बोल रहे थे सभी ने पूछा क्या हुआ अब आप इतना जोर जोर से क्यों बोल रहे हैं अब्बू ने कहा कि यह देखो क्या गुल खिला कर गई है तुम्हारी बेटी और नगमा की अम्मी की तरफ लेटर दिखाया बड़े भैया ने लेटर को हाथ में लिया और पढ़ने लगा :-
अस्सलाम वालेकुम अब्बु और अम्मी भाई और भाभी हमें माफ कर दीजिएगा क्योंकि हम अपनी मोहब्बत में मजबूर हैं हमने सचिन को भूलने की बहुत कोशिश भी की हमने मरने की भी कोशिश की लेकिन फिर भी हम उन्हें भूल नहीं पाए इसलिए आप हमें माफ कर दीजिएगा क्योंकि हम आपसे दूर जा रहे हैं , हम सचिन के साथ रहेंगे अम्मी और अब्बू और भाई आप सभी की बहुत याद आएगी हो सके तो अपनी इस बेटी बहन को माफ कर दीजिएगा
आपकी नगमा ।
लेटर को पढ़ते ही भाई को बहुत गुस्सा आने लगा और उसने कहा कि चलो सभी अभी अपने लोग बुलाते हैं और सचिन के घर जाकर उसको लेकर के आते हैं ।
तभी अब्बू ने रोका और कहा कि क्या तुम्हें पक्का पता है वह वही है पहले आप तीनों भाई ही जाओ और जाकर के उनके घर की तलाशी लो उनसे पूछो । वह क्या कहते हैं ? उसके बाद ही हम आगे कुछ तय करेंगे ।
उधर सचिन के दोस्त ने आर्य समाज के एक मंदिर में सचिन और नगमा की शादी करवा दी थी और अब दोनों विधिवत रूप से पति-पत्नी थे नगमा की इच्छा थी कि उनका निकाह भी हो इसलिए उसने सचिन से कहा कि आपके दोस्त से पूछो क्या कोई काजी की व्यवस्था हो सकती है जो हमारा निकाह संपन्न करवा सकें सचिन ने अपने दोस्त से कहा तो राकेश ने कहा कि मैं जरूर कोशिश करता हूं ।
उधर सभी भाई और अपने दोस्तों को लेकर के एक गाड़ी में जाते हैं और सीधे ही सचिन के घर पहुंचते हैं और पहुंचते ही आवाज लगाते हैं सचिन सचिन कहां है ?
बाहर आ देखते हैं तो सचिन के पिता बाहर आते हैं और पूछते हैं क्या हुआ बेटा क्यों सचिन को बुला रहे हो सचिन नहीं है यहां वह अपने किसी दोस्त की शादी में गया है दो-तीन दिन बाद आएगा गाड़ी से सभी लोग नीचे उतरते हैं और सीधे ही घर में आते ही कहते हैं कि हमें चेक करना है और सभी चेक करने लग जाते हैं तभी सचिन के पिता एजाज का हाथ पकड़ लेते हैं कहते हैं आप ऐसे ही किसी के घर में कैसे घुस सकते हैं ?
बात क्या है वह तो बताओ कम से कम वरना मैं भी किसी से कम नहीं हूं क्योंकि तुम जानते हो कि मैं भी शहर के बड़े लोगों में शामिल हूं। एजाज बहुत गुस्से में बोलते हुए कहता है नगमा घर पर नहीं है और हमें लगता है कि वह सचिन के साथ कहीं गई है वह आपके घर में हो सकती है ।
सचिन के पापा कहते हैं कि आप यशवंतराव से बात कर रहे हैं जो कि इस शहर के एक बड़े आदमी हैं आप उन पर इस प्रकार का गिरा हुआ आरोप नहीं लगा सकते क्या आपके पास कोई सबूत है कि मेरा बेटा आपकी बेटी को भगा कर ले गया है ? वह भी आपके घर से।
और अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर के नगमा के पिता से बात करते हैं हेलो फारुख यहां एजाज , सलीम और समीर आए हैं और साथ ही उनके कुछ दोस्त भी हैं वह मेरा घर चेक करना चाहते हैं कह रहे हैं कि नगमा यहां पर है , तो मैं पहले ही बता देता हूं ना तो यहां नगमा है और ना ही सचिन है।
हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे लेकिन आज के टाइम पर हम दोनों दोस्त नहीं हैं इसलिए अगर मेरी अनुमति के बगैर कभी आपके बेटों ने मेरे घर में घुसने की कोशिश की तो मैं पुलिस कंप्लेंट कर दूंगा और अपने बेटे को अभी और इसी वक्त वापस बुला लो और फोन को डिसकनेक्ट कर देता है ।
तभी आज एजाज का फोन बसता है और उसे कहा जाता है कि वापस आ जाओ एजाज गुस्से में कहता है कि नहीं अब्बू बात आपसे नहीं सम्भलेगी कि मैं इसे संभालता हूं। लेकिन अब वो कहते हैं कि नहीं जब मैंने एक बार कह दिया वापस आ जाओ तो वापस आ जाओ और हां चुपचाप आ जाना ।
फारुख अपने कुछ दोस्तों को फोन करके अपने घर पर बुलाता है और मीटिंग करता है उस मीटिंग में सबसे पहले यह तय होता है कि हमारा सबसे पहला काम है अपनी लड़की को वापस लाना और दूसरा उस लड़के और उसके परिवार को सबक सिखाना ताकि फिर कोई हमारी बिरादरी की लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सके।
फारुख कहते हैं कि हमें यह काम इतनी सावधानी से करना होगा कि पूरे शहर में मेरे नाम का ढिंढोरा भी ना पीटा जाए वरना मेरी जो थोड़ी बहुत इज्जत है वह भी चली जाएगी इसलिए फारुख के सभी दोस्त तय करते हैं कि सभी अपने अपने स्तर पर नगमा को ढूंढ लेंगे और जैसे ही वह मिल जाती है सभी एक दूसरे को खबर कर देंगे ।
और हां सचिन के घर के आस-पास हम पहरा जरूर बैठाऐगे ताकि उस घर में क्या हो रहा है उसकी भी हमें जानकारी मिलती रहे।
उधर सचिन के पापा यशवंतराव भी मीटिंग करते हैं और यह कहते हैं कि लड़के ने की जो किया वह गलत किया अगर वह हमारी धर्म की किसी लड़की के साथ जाता तो मैं जरूर उसके साथ खड़ा होता लेकिन उसने एक दूसरे धर्म की लड़की को अपने साथ भगाया है और मैं कभी उस धर्म के लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता क्योंकि मैं पहले उसका दोस्त था मुझे उनके बारे में कई सारी बातों का पता नहीं था लेकिन अब धीरे-धीरे मुझे उनके बारे में पता चल रहा है उनका धर्म हिंसा पर आधारित है वह हमारी गायों को काटने वाले हैं और मैं ऐसे लोगों से कभी संबंध नहीं रखूंगा।
इसलिए सबसे पहला काम है सचिन और उस लड़की को ढूंढना जैसे ही वह मिल जाते हैं उस लड़की को पकड़ कर के सीधे उसके अब्बू और के घर छोड़ कर आना ताकि मैं उसके मुंह पर थूक कर कहू देख यह तेरी बेटी है तू संभाल इसे और फिर सचिन को घर लेकर आना उसके बाद उसकी शादी अपनी ही जाति की किसी लड़की से कर देंगे ।
ऐसे ही प्लानिंग में 1 दिन बीत जाता है अगले दिन सचिन और नगमा बाजार से शॉपिंग करने जाते हैं और अपने लिए और नगमा के लिए कुछ कपड़े खरीद कर लाते हैं क्योंकि नगमा के पास जो कपड़े थे उन कपड़ों से उसे पहचाने जाने का डर था इसलिए वह उसे साड़ी और अन्य सामान जैसे सिंदूर , हाथों में चूड़ी ।
शाम को जब राकेश आता है तो उसे सचिन कहता है कि क्या कोई काजी की व्यवस्था हुई राकेश निराशा भरे स्वरों में कहता है नहीं यार जब किसी पंडित से यह कहो कि उसे लव मैरिज करवानी है तो वे झट से तैयार हो जाते हैं वह कुछ दक्षिणा जरूर ज्यादा मानते हैं लेकिन झट से तैयार हो जाते हैं लेकिन मुझे ऐसा कोई काजी नहीं मिला जो लव मैरिज करवाने के लिए तैयार हो काजी जो भी मिले सभी ने पूरी डिटेल पूछी मां कौन है पिता कौन है किसके घर आना है तो यार इतनी मेरे पास थी नहीं ।
पकड़े जाने का डर था इसलिए मैं ऐसे ही आ गया हूं सचिन नगमा की तरफ देखा नगमा थोड़ी उदास जरूर हुई लेकिन फिर भी उसने अपने चेहरे पर हंसी लाते हुए कहा कोई बात नहीं वैसे भी शादी तो हो चुकी है और शादी और निकाह दोनों एक ही होते हैं और फिर कमरे में जाकर के अपने आंसू को पौंछने लगी।
राकेश ने अपनी जेब से सचिन को मोबाइल देते हुए कहा कि यह मोबाइल अपने पास रखना और इसमें जो सिम है वह मेरे नाम से रजिस्टर्ड है इसलिए आपको पकड़े जाने का कोई खतरा नहीं है।
उधर सचिन और नगमा दोनों के ही घरवाले पूरी शिद्दत से उन्हें ढूंढने का प्रयास कर रहे थे लेकिन कहीं पर भी वह ढूंढ नहीं पा रहे थे जब 10 दिन से ऊपर बीत गए तो एक दिन दोनों दोस्त ने फोन पर बात की और कहा कि देखो मेरी बेटी है तो आपका भी बेटा है और इसीलिए हम चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी उन्हें ढूंढ करके अपने घर लाया जाए लेकिन अगर उन दोनों के भागने की बात अगर मार्केट में बाजार में आ गई तो हमारी राजनीति का क्या होगा ?
क्योंकि आप भी अपने जाति और धर्म के समुदाय के प्रमुख नेता हैं और मैं भी हूं हम दोनों ने ही शहर की सबसे बड़ी रैलियां की है।
मैंने बिल के विरोध में की तो अपने पक्ष में की है तो यह तो तय है कि दोनों ही पार्टियों से टिकट हम दोनों को ही मिलेगा लेकिन अगर बाजार में यह बात फैल गई कि हम दोनों के ही बच्चे एक दूसरे के साथ भाग गए हैं तो हम दोनों को ही टिकट नहीं मिलेगी और हमारी राजनीति भी खत्म हो सकती है इसलिए अच्छा यही होगा कि हम दोनों ही मिल कर के अपने बच्चों को ढूंढने का प्रयास करें ।
यशवंतराव के बात समझ में आती हैं और दोनों ही एक जगह मीटिंग करने का डिसीजन लेते हैं।
उधर राकेश ने अपने ऑफिस में सचिन को जॉब दिलवा दी थी नगमा अपने पास पड़ोस के लोगों से कम ही बात करती थी क्योंकि उसके बात करने का लहजा इस प्रकार का था कि वह आसानी से पकड़ी जा सकती थी इसलिए वह कम ही बातें करती थी। शाम को सचिन और राकेश दोनों एक साथ ही ऑफिस से आते थे । राकेश अपनी बाइक पर सचिन को घर तक छोड़ जाता था और सुबह लेने आ जाता था इस प्रकार चलते हुए 15 दिन हो चुके थे ना तो सचिन और ना ही नगमा के घरवालों तक कोई खबर थी कि दोनों कहां गए हैं।
अब चुनाव की घोषणा होने वाली थी और दोनों ही नेताओं को टिकट मिलने की पूरी संभावनाएं बन गई थी क्योंकि जो पार्टी फोरम ने नाम भेजे थे उन दोनों का नाम अपने अपने पार्टी की ओर से सबसे पहले नंबर पर था इसलिए अब दोनों ने ही मिलकर के पुलिस के माध्यम से उन दोनों को ढूंढने का प्रयास शुरू किया क्योंकि अब पुलिस को भी लग गया था कि इन दोनों में से ही कोई यहां का सांसद चुना जाएगा इसलिए दोनों ने ही पुलिस कमिश्नर को बुलाया और उनसे बात की हमें इस लड़की और लड़के को ढूंढना है यह दोनों भागे हुए हैं और इस प्रकार से ढूंढना है कि कोई पुलिस में f.i.r. भी ना हो ना ही कोई पुलिस केस बने।
लेकिन हां पुलिस पूरी जिम्मेदारी से इन दोनों को ढूंढे।
कमिश्नर ने ओके कहां और अपने सबसे अधिक विश्वासी व्यक्ति स्पेक्टर विनय को यह काम दे दिया इंस्पेक्टर विनय ने सबसे पहले उनसे कुछ जानकारी ली कि
वह कितने दिन पहले गई थी ?
बाइक का नंबर क्या है? उनकी कॉल लोकेशन , कॉल हिस्ट्री सब कुछ निकालने लगे ।
इंस्पेक्टर विनय ने उस बाइक नंबर को लेकर के शहर के जितने भी टोल टैक्स थे उन सभी के पास भिजवाए और कहा कि इस नंबर की बाइक रात को इस तारीख को निकली थी क्या और निकली तो कितने बजे निकली थी।
शहर के एक टोल टैक्स की ओर से जवाब आया कि हां यह बाइक यहां से निकली थी लेकिन इस बाइक पर दो जने नहीं केवल एक ही था उसके बाद उसने अगले टोल पर यह जानकारी भिजवाइ अगले टोल से भी बात हुई उसने कहा कि हां इस बार दो जने थे लेकिन वह टोल टैक्स के सीसीटीवी में उनकी फोटो क्लियर नहीं आई क्योंकि आगे बैठी सवारी ने हेलमेट पहन रखा था और पीछे जो बैठा था उसने खुद को इस प्रकार शाॅल औढ रखा था कि उसका चेहरा पूरा ढका हुआ था रात का समय होने के कारण सीसीटीवी फुटेज साफ नहीं थे ।
लेकिन बाइक के नंबरों के आधार पर यह तय था कि वह दोनों यहीं से गए थे अब विनय ने कॉल लोकेशन जब ट्रेस किया कॉल हिस्ट्री को जब ट्रेस किया तो उसे पता चला कि यहां सचिन ने भागने से ठीक 2 दिन पहले एक नंबर पर कम से कम 5 बार बात की है उस नंबर का लोकेशन ट्रेस करने के लिए कहा गया तो वह नंबर वहां से लगभग साढे 400 किलोमीटर दूर एक शहर में ट्रेस हुआ।
अब विनय को पूरा यकीन हो गया था कि हो ना हो सचिन और नगमा इस नंबर के आसपास ही हैं इसलिए वह अपने पूरे दस्ते को लेकर के उस शहर को जाने लगा साथ ही उसने फोन किया कि यशवंतराव जी मुबारक हो मैंने आपके बेटे को लगभग ढूंढ निकाला है क्योंकि वह वही हो सकता है जब उसने इस राकेश नाम के लड़के से बात की है हालांकि सचिन अपने साथ मोबाइल लेकर के नहीं गया लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि वह वही है आप निश्चित रहे मैं अभी वहां के एक लोकल पुलिस अधिकारी से बात करके इस लड़के पर नजर रखने के लिए कहता हूं ।
जल्दी ही आपको कुछ ना कुछ विशेष खबर मिल जाएगी विनय ने अपने दोस्त अशोक को फोन किया और कहा कि उन्हें इस नंबर की लोकेशन पूरी चाहिए यह आदमी कहां जाता है किस से मिलता है किसके साथ आता है किसके साथ जाता है जो भी जानकारी हो एवरीथिंग सब कुछ मुझे चाहिए ।
अशोक ने कहा कि क्यों कोई पुलिस केस है क्या आप मुझे डिटेल भिजवा दो मैं काम कर दूंगा विनय ने कहा नहीं यार एफ आई आर अभी बनी नहीं है ना ही चार्जशीट बनी है यह सिर्फ मंत्री जी के कहने और कमिश्नर के कहने पर मैं यह काम कर रहा हूं और तुझे भी यह काम करना होगा क्योंकि तू मेरा दोस्त है अशोक ने कहा क्यों नहीं यार मैं अपने दोस्त के लिए इतना तो कर ही सकता हूं और उसने दो आदमियों को बुलाकर के राकेश पर निगाह रखने के लिए कह दिया।
अब वह दोनों राकेश की हर हरकत पर नजर रखने लगे थे उन्हें पता चल गया था कि राकेश एक घर में रहता है उसका पूरा परिवार है वह ऑफीस जाता है एक लड़के को वहां से लेता है और शाम को से वापस भी छोड़ता है।
एक दिन उन्होंने उन दोनों की बातें भी सुन ली जिससे उन्हें पूरा कंफर्म हो गया कि हां यह वही है और अशोक ने वह डिटेल विनय तक भिजवा दी।
विनय ने कहा कि अशोक अपने आदमियों से कहना कि राकेश जिस से भी बात करें उसकी एक फोटो मेरे पास भेजें ताकि मैं कंफर्म कर सकूं कि यह सचिन हीं है ।
कुछ देर बाद अशोक ने विनय के व्हाट्सएप पर एक पिक्चर भेजी और विनय ने वह फोटो यशवंतराव जी को भेजी और पूछा कि क्या सचिन यही है यशवंतराव जी ने कहा कि हां बिल्कुल यही है फोटो देखते ही उन्होंने विनय को फोन किया और कहा कि यह फोटो कहां से मिली है? और अभी कहां है?
वह विनय ने कहा कि वह यहां से साडे 400 किलोमीटर दूर है हमारी टीम जाएगी और उन दोनों को पकड़ कर ले आएगी यशवंत राव ने कहा कि हां यह अच्छा है कि आप उन्हें पकड़ कर ले आना और उसके बाद उन्होंने फारुख को फोन किया और कहा कि विनय का फोन आया था उसने सचिन को ढूंढ निकाला है और जिस हिसाब से सचिन इतनी दूर रह रहा है मुझे लगता है कि नगमा भी वही है ।
अभी आप होटल में आ जाना हम दोनों मिलकर और बातचीत करते हैं होटल में उनके साथ इस शहर का सबसे बड़ा वकील अनुराग धर भी बैठा हुआ था और अनुराग उनका फैमिली मेंबर की तरह था अनुराग सचिन और नगमा के बारे में सब कुछ जानता था।
अनुराग ने यशवंतराव और फारुख को राय दी कि अगर मान लीजिए कि पुलिस उन्हें पकड़ कर ले आती है और हमारे यहां सौंप देती है तो क्या गारंटी है वह फिर से नहीं भागेंगे क्या गारंटी है कि वह अपनी शादी वाले दिन तमाशा नहीं करेंगे अगर उन्होंने शादी वाले दिन तमाशा किया और फिर उन्होंने एक दूसरे से ही विवाह करना चाहा तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे क्योंकि दोनों ही बालिग है और मीडिया को एक बना बनाया मुद्दा मिल जाएगा तो मेरी मानो तो आप उन्हें ढूंढना ही बंद कर दो जो जहां है उसे वैसे ही रहने दो।
यशवंत राव ने कहा कि कोई मीडिया मुद्दा बनाएं या ना बनाएं लेकिन मुझे मेरा बेटा चाहिए और फारूक ने भी कहा कि नहीं मुझे भी मेरी बेटी चाहिए एक बार वह घर आ जाए फिर देखना हम इस प्रकार से व्यवस्था करेंगे कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएंगे।
उधर सचिन और नगमा छोटे से घर में बहुत खुश थे नगमा पूरे दिन घर की साफ सफाई के बाद अपने अम्मी अब्बू को याद करके कभी आंसू बहा लेती थी तो कभी अपने भविष्य के सपने बुनने लगती थी कभी वह सोचती थी कि 1 दिन अब्बू का फोन आए या खुद अब्बू आ जाए और कहे बैटी चल मैं तेरे बिना नहीं रह सकता तेरी अम्मी भी तुझे बहुत याद करती है। मुझे तेरी शादी मंजूर है इस प्रकार के सपने देखते देखते कब शाम हो जाती थी नगमा को पता ही नहीं चलता था।
शाम को सचिन के आने के बाद दोनों खूब देर बात करते और सचिन उसके कामों में हेल्प करता था दोनों ही बहुत खुश थे हालांकि उनके पास संसाधन बहुत कम थे नगमा जो कभी अमीरी में ऐश करती थी आज इतने छोटे से कमरे में रह रही थी उससे बड़ा तो उसके घर में बाथरूम हुआ करता था। आज वह जैसा खाना खा रही है उससे अच्छा तो उसके घर के नौकर खाया करते हैं ।
लेकिन फिर भी नगमा को खुशी इस बात की थी कि वह अपने प्यार के साथ हैं और उसे कभी इस चीज से दुख नहीं हुआ कि वह आज कितना कम खा रही है कितनी कम जगह में रह रही है दोनों हंसी-खुशी जीवन गुजार रहे थे ।
उधर यशवंतराव और फारुख काफी सोच विचार कर रहे थे और उन्हें बार-बार वकील अनुराग की बात याद आ जाती थी कि कहीं वास्तव में उनके बच्चों ने ऐसा ही कर दिया तो जैसे वकील बोल रहे हैं और अभी तो टिकट भी फाइनल नहीं हुई है तो अगर उनके बच्चे ऐसा कर देते हैं तो उन्हें वोट कौन देगा इसलिए फारूक और यशवंतराव दोनों ने मिलकर के एक प्लान बनाया ।
प्लान में विनय को शामिल करना जरूरी था इसलिए उन्होंने विनय को मीटिंग के लिए बुलाया विनय से कहा गया कि आपके साथ आपकी पुलिस टीम के सदस्य नहीं हमारे दोनों की ओर से पांच पांच आदमी जाएंगे विनय पहले तो इसके लिए तैयार नहीं हुआ लेकिन जब उसके सामने 1 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर हुई तो विनय मना नहीं कर सका।
और वह उनके आदमियों को साथ ले जाने के लिए तैयार हुआ ।
एक दिन राकेश और सचिन जब शाम को ऑफिस से घर आ रहे थे तो रास्ते में एक एक्सीडेंट हुआ था इसलिए लंबा जाम लगा था इसलिए दोनों वही रूक कर देखने लगे कि आखिर हुआ क्या है वहां गए तो उन्होंने दो ऐसे व्यक्तियों को देखा है जिसे वह पहले कई बार देख चुके थे इंस्पेक्टर की ड्रेस में थे।
राकेश को याद आया कि इससे पहले भी उसने उन लोगों को देखा है तो राकेश को याद आ गया कि यह तो उसके घर के आसपास कई बार उसने देखे थे उसने यह बात सचिन को बताई तो दोनों का दिमाग ठनका कि यार यह क्या हुआ उसके बाद राकेश और सचिन दोनों ही उस पुलिस वाले के पास गए और उनसे पूछा राकेश ने पूछा कि सर पिछले कई रोज से मैंने आपको मेरे घर के आस-पास देखा था क्या मैं सही बोल रहा हूं ? उस पुलिस वाले ने कहा कि हां हमें तुम पर नजर रखने के लिए कहा गया था।
यह सुनते ही राकेश और सचिन दोनों ही चौक पढ़े और पूछा सर क्या बता सकते हैं कि यह काम किसने कहा था उस पुलिस वाले ने कहा कि हां यह काम हमने अशोक जी के कहने पर किया और अशोक जी के पास कोई फोन आया था u. p से अब दोनों के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी थी.।
सचिन ने पूछा : तो आपने उसे क्या बताया पुलिस वाले ने कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट बनाकर दे दी अब जल्दी से राकेश ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और सचिन के साथ सीधा चला घर जाते ही उसने नगमा से कहा कि नगमा जल्दी से जल्दी इस बाइक पर बैठो और हमें जल्दी से निकलना होगा।
नगमा ने कहा कि क्यों क्या हुआ ? राकेश ने कहा कि भाभी आपके घर वालों को पता चल गया है कि आप यही हो इसलिए जल्दी से जल्दी यहां से चलो जैसे ही इस बात को नगमा ने सुना उसे बहुत खुशी हुई कि क्या अब्बू को पता चल गया मैं यही हूं ? इसका मतलब अब वह मुझे लेने आ रहे हैं और सचिन की और कहा कि देखो सचिन मैं ना कहती थी कि अब्बू हमें एक दिन जरूर ही ढूंढ लेंगे । अब्बू हमसे बहुत प्यार करते हैं अब हम कहीं नहीं जाएंगे हम यहीं रहेंगे और देखना अब्बू आपको भी स्वीकार करेंगे ।
सचिन ने कहा कि नहीं नगमा मैं तुम्हारे अब्बू और मेरे पापा को अच्छी तरह जानता हूं वह हम दोनों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे उनके लिए राजनीति सबसे बड़ी चीज है और उन दोनों में कोई भी अपनी राजनीति को छोड़ना नहीं चाहता अगर तुम मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो तो अभी तुम्हें मोटरसाइकिल पर बैठना पड़ेगा ना चाहते हुए भी नगमा सचिन के साथ बाइक पर बैठ गई ।
सचिन ने राकेश के गले लगते हुए कहा कि थैंक यू आर आपने मेरी बहुत हेल्प की लेकिन अब भगवान जाने आगे क्या लिखा है अभी तो हमें यहां से निकलना पड़ेगा मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा राकेश ने सचिन को एक हल्की सी चपत लगाते हुए कहा साले दोस्ती में एहसान की बात करता है अरे मैं तो तेरे लिए अपनी जान तक दे दूं आइंदा अगर ऐसी बात की तो मैं तुझे गोली मार दूंगा और दोनों दोस्त एक दूसरे से गले मिलकर रोने लगे।
राकेश सचिन को हटाते हुए कहता है कि यार अब जल्दी यहां से निकल वरना पता नहीं पुलिस तब तक पहुंचती होगी और दोनों वहां से निकल जाते हैं उनके निकलने की कुछ देर बाद एसपी अशोक कुमार आते हैं और आते ही मकान मालिक से पूछते हैं कि यहां जो लड़का रहता था वह कहां है मकान मालिक कहते हैं कि उन्होंने आज ही घर खाली कर दिया है उन्होंने किराए के पैसे तो नहीं दिए लेकिन हां यह कहा कि जो सामान है वह आपका ही है तो इस वजह से मैंने उनसे पैसे नहीं मांगे ।
अशोक ने मकान मालिक की गर्दन पकड़ कर कहा तुम्हें पता है वह कौन था वह एक लड़की को भगा कर लाया था मैं चाहूं तो उस लड़की को छुपाने के जुर्म में तुझे जेल में डाल कर सङा सकता हूं और मकान मालिक को धक्के मारते हुए बाहर निकल जाता है ।
फोन पर कहता है कि विनय यार सचिन तो यहां से निकल चुका है लगता है उसे पता चल गया था विनय कहता है ठीक हैं तुम थाने पहुंचे मैं भी वहीं आ रहा हूं वहीं बैठ कर आगे की बातें करते हैं। थाने में पहुंचने के बाद विनय अशोक से पूछता जिस लड़के राकेश ने सचिन की हेल्प की थी उसको यहां लाओ पकड़कर और अशोक अपने दो आदमियों को भेजता है कुछ देर बाद राकेश को पकड़ कर लाया जाता है।
राकेश को देखते ही विनय से तीन चार थप्पड़ लगा देता है राकेश कहता है सर आप क्यों मार रहे हो मुझे क्यों लाया गया है बताएगा तब विनय राकेश की गर्दन को पकड़कर उसे नीचे झुकाते हुए कहता है कि एक तो लड़की को भगाने में सहायता करता है मैं तुझे ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस में 7 साल के लिए कम से कम अंदर कर सकता हूं और तुझे नहीं मालूम मैं क्या पूछ रहा हूं ?
राकेश फिर से अनजान बनने की कोशिश करता है और कहता है सच में सर मुझे नहीं मालूम इस बार विनायक 3 / 4 और लगा देता है और राकेश को जोर से एक कुर्सी पर धक्का देकर बैठता है और फिर अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर उसमें वह फोटो दिखाता है जिसमें राकेश सचिन के साथ बात कर रहा था ।
विनय फोटो को दिखाकर कहता है कि यह सचिन नगमा नाम की लड़की को लेकर भागा था अगर तुम मुझे इसके बारे में सही सही नहीं बताते हो तो मैं तुम्हें इस केस में आरोपी बना कर कम से कम 10 साल के लिए या 7 साल की सजा तो करवा ही दूंगा और राकेश को उठाकर सीधा ही जेल में डाल दिया जाता है ।
2 घंटे तक जेल में रहने के बाद राकेश थोड़ा डर जाता है और वह विनय को सब कुछ बताने के लिए तैयार हो जाता है राकेश सचिन के आने से पहले से लेकर के उसके जाने तक की सारी कहानी विनय को बता देता है ।
विनय पूछता है कि अब वह कहां गया है क्या तुम्हें मालूम है राकेश कहता है कि नहीं सर मुझे कुछ भी नहीं मालूम मुझे सिर्फ इतना पता है कि वह अपनी जिंदगी बचाने के लिए भाग रहा है ।
विनय राकेश से पूछता है कि तुमने जो मोबाइल राकेश को दिया था उसके नंबर बताओ क्या वह मोबाइल अभी भी सचिन के पास है राकेश कहता है हां साहब उसी के पास है अब विनय के दिमाग में एक शातिर योजना आती है वह यशवंतराव और फारुख दोनों को एक साथ फोन लाइन पर ले करके पूछता है कि मेरे लिए एक करोड़ की रकम छोटी नहीं है मैं इसके लिए कुछ भी कर सकता हूं क्या तुम्हें वास्तव में अपने बेटे और बेटी नहीं चाहिए दोनों ही कहते हैं कि हां वैसे तो हमें जिंदा चाहिए लेकिन कल को अगर वह फिर से भागते हैं तो इस बार बालिग हैं हो सकता है कि वह कोर्ट मैरिज कर ले या मीडिया के सामने आ जाए इसलिए हमें हमारी लिए ऐसा कोई रिस्क नहीं चाहिए।
विनय कहता है कि ठीक है अब से ठीक 2 मिनट बाद मैं आपको एक नंबर दूंगा उस नंबर पर आपको बात करनी होगी और आप दोनों को ही अपने अपने बेटी और बेटों से बात करनी होगी और बातें इस प्रकार से करनी है कि उनको लगे कि आप उनके लिए नाराज नहीं हो आप मान गए हैं और उन्हें बातों में लेते हुए वहीं रुकने का कहे जहां वे हैं। तब तक मैं उस जगह पर पहुंच जाऊंगा ।
रूम से बाहर आकर के विनय ने राकेश को कहा कि वह सचिन का नंबर मिलाएं और उससे कहें कि सचिन के पापा उससे बात करना चाहते हैं वह यहां आए हैं और सचिन को लेने के लिए आए हैं । राकेश सचिन का फोन लगाता है एक दो बार नहीं लगता और फिर फोन लग जाता है सचिन राकेश के नंबर देखता है और सोचता है फोन उठाउ या ना उठाऊ क्योंकि हो सकता है कि यह पुलिस की कोई चाल हो लेकिन फिर गाड़ी को साइड में रोककर फोन उठा लेता है।
और राकेश वही सब कहता है जो कहने के लिए विनय ने कहा था राकेश के फोन रखने के बाद विनय यशवंतराव को फोन करता है और कहता है कि लीजिए अपने बेटे का नंबर मिलाइए और उससे बात कीजिए ।
यशवंतराव दिए गए नंबरों पर फोन करते हैं और सचिन फोन उठाता है उठाते ही यशवंतराव धीमी आवाज में कहते हैं कौन सचिन मेरे बेटे तुम कहां हो ? तुम्हारे बगैर मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा है और तुम्हारी मां भी बहुत परेशान है तुम्हारी बहन भी तुम्हें बहुत याद कर रही है और तुम्हारे बड़े भैया भी बहुत परेशान हैं तुम्हारी जो भी मांग होगी वह मैं सारी मान लूंगा लेकिन बेटा प्लीज घर आ जाओ और फिर रोने की एक्टिंग करने लगता है। यशवंतराव कहता है कि बेटा प्लीज एक बार घर आ जाओ तुम्हें देखे हुए बहुत दिन हो गए हैं तुम्हारी मां ने जब से तुम गए हो तब से खाना भी ठीक से नहीं खाया है ।
सचिन को लगता है कि पापा सच में दुखी है तो सचिन कहता है ठीक है पापा लेकिन मां का पूरा ध्यान रखना मैं आ रहा हूं यशवंतराव कहते हैं कि तुम्हें आने की जरूरत नहीं है तुम वहीं रहो मैंने यहा की पुलिस से बात की है इंस्पेक्टर विनय अपनी गाड़ी लेकर आ रहे हैं तुम और नगमा दोनों वहीं रहो और हां मैंने नगमा के पापा से भी बात कर ली है वह भी यही चाहते हैं कि तुम दोनों वापस आ जाओऔर फोन को रख देता है।
कुछ देर बाद राकेश फिर से फोन करता है और कहता है कि नगमाके पापा भी यहां आ गए हैं वह भी बात करना चाहते हैंकुछ देर बाद फिर से सचिन का फोन बजता है और वह नगमा को फोन दे देता है नगमा फोन को उठाते ही कहती है हेलो कौन अब्बू ?
अब्बू भीरोते हुए कहते हैं कि बेटी तू कहां चली गई थी तू वापस आ जा , तू मेरी सबसे छोटी बेटी थी सबसे ज्यादा मैंने तेरा ध्यान रखा तेरी अम्मी भी बहुत पर चिंता कर रही है तू जल्दी से वापस आ जा बेटी।
नगमा कहती है अब्बू क्या आपने हमें माफ कर दिया ? अब्बू कहते हैं कि दिमाग तो नहीं चाहता तुझे माफ करूं लेकिन क्या करूं एक बेटी से नाराज भी तो नहीं रह सकता इसलिए तू वापस आ जा बेटी मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगा ।
तेरी हर एक बात मानूंगा लेकिन तू वापस आजा यशवंतराव जी मेरे सामने ही बैठे हैं मैंने उनसे भी बात कर ली है वह भी इस रिश्ते के लिए तैयार हैं।
नगमा कहती है हां अब्बू सचिन के पापा का फोन आया था उन्होंने भी यही कहा कि वह तैयार हैं लेकिन उन्होंने हमें रुकने के लिए कहा है की पुलिस की गाड़ी आ रही है उसी में बैठ कर के हमें आना है ।
सचिन और नगमा एक होटल पर बैठ कर के गाड़ी का इंतजार करने लगते हैं राकेश को फोन करके कहते हैं कि यार हम इस होटल पर बैठे हैं तो आप उन पुलिस वाले को यह एड्रेस दे देना जब उन्हें इंतजार करते हुए आधा घंटा हो जाता है तो सचिन नगमा से कहता है कि यार सब कुछ इतना जल्दी और इतना सही कैसे हो रहा है मुझे लगता है कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है क्योंकि आज तक हमारे पास कोई फोन नहीं आया और आज अगर फोन आया तो हम दोनों के पापा एक साथ एक जगह पर बैठे हैं और दोनों ही हमारे शादी के लिए भी मान गए हैं ?
नगमा कहती है कि सचिन तुम तो बेवजह ही शक कर रहे हो कभी तो अच्छा सोचा करो सचिन कहता है कि मेरी बात सुनो हम इस होटल वाले से नजरें बचाकर इसके ठीक पीछे छुप जाते हैं ताकि जो पुलिस वाले आए हमें उनकी बात सुन सके अगर हमें लगे कि उनकी बातों से सब कुछ सही है तो हम उस गाड़ी में बैठ जाएंगे और अगर लगे कि कुछ हमारे साथ गेम हो रहा है तो मैं मोटरसाइकिल को इस प्रकार से रखूंगा कि हम आसानी से वहां से भाग सके।
नगमा बात मान लेती है और दोनों ही उस होटल के पीछे छुप जाते हैं जिसके एक झरोखे से वो अंदर का नजारा आसानी से देख सकते थे लगभग आधे घंटे बाद एक पुलिस की गाड़ी आकर वहां रूकती है उसमें से इंस्पेक्टर अशोक विनय और 8 से 10 आदमी और उतरते हैं उनको देखते ही सचिन नगमा से कहता है कि देख नगमा यह हमारे साथ गेम हो रहा है क्योंकि पुलिस की गाड़ी में जो आदमी उतरे हैं वह मेरे पापा के पाले हुए गुंडे बदमाश हैं मैं ईन्हे अच्छी तरह जानता हूं ।
नगमा कहती हैं कि हां 1 / 2 को तो मैंने भी अपने पापा के साथ देखा है तो इसका मतलब सचिन तुम जो कह रहे थे वह सही था ।
आदमियों को वहीं खड़ा करके अशोक और विनय उस होटल की तरफ जाते हैं और मैनेजर से कहते हैं कि सुनो यहां एक लड़का और लड़की बैठे थे कुछ देर पहले वह कहां गए ? मैनेजर कहता है कौन लड़के और लड़की ? तो विनय अपने मोबाइल से सचिन और नगमा की फोटो दिखाता है और कहता है कि यह दोनों । विनय ने वह फोटो राकेश के मोबाइल से ले ली थी मैनेजर फोटो को देखता है और कहता है कि हां कुछ देर पहले तो यहीं बैठे थे फिर मैं अपने ग्राहकों में बिजी हो गया तो मुझे नहीं मालूम कहां गए।
विनय को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और वह वापस आ जाता है और वहां जो आदमी खड़े थे वह पूछते हैं क्या हुआ साहब दोनों यही है क्याविनय कहता है नहीं यार साले भाग गए वरना तो आज 50 लाख रुपए पक्के थे ।
अशोक विनय के मुंह के और देखता है विनय कहता है कि हमें उनके एनकाउंटर करने का 50 लाख मिलेगा उसमें से मैं तुम्हें 20 लाख रुपए दूंगा और 30 लाख मैं रख लूंगा। लेकिन तुम्हें बस इतना करना है कि उनका एनकाउंटर होने के बाद उनकी बॉडी को लावारिस समझ कर उसका अंतिम संस्कार करना होगा और कहीं कोई पुलिस केस नहीं होना चाहिए।
अशोक कहता है तभी यार मैं सोचा कि विनय जैसा आदमी किसी केस में इतनी मेहनत कर रहा है तो उसे पैसे तो जरूर मिले होंगे क्योंकि विनय बिना पैसे के कुछ नहीं करता ।
उनकी बातों को सुनकर के नगमा के हाथ पैर कांपने लगते हैं और सचिन का गला सूखने लगता हैसचिन हिम्मत करते हुए मोटरसाइकिल को साइड में करता है और उसे स्टार्ट करके नगमा को बैठाने के साथ ही तेज स्पीड में चल पड़ता है ।
जैसे ही मोटरसाइकिल की आवाज आती है विनय , अशोक और उनके साथ के सभी आदमी मोटरसाइकिल की दिशा में देखते हैं उन्हें मोटरसाइकिल तेजी से जाती हुई दिखाई देती हैविनय समझ जाता है यह सचिन हीं हैऔर फिर विनय भी अपनी गाड़ी को स्टार्ट करते हुए फुल स्पीड में उस मोटरसाइकिल के पीछे दौड़ा देता हैj ।
यह पहाड़ी रास्ता था सचिन पहाड़ी रास्ते पर अपनी बाइक को चढ़ाने लगता है पहाड़ी रास्ता होने कारण उस पर खड्डे बहुत थे इसलिए विनय की गाड़ी को गाड़ी की स्पीड कम करनी पड़ती है और सचिन की बाइक तेज गति से चल रही थी ।
सचिन और नगमा दोनों की ही आंखों में आंसू थे कि उनके पापा ने उनसे इतना बड़ा झूठ बोला क्या किसी इंसान के लिए बच्चों से ज्यादा महत्वपूर्ण राजनीति हो सकती है सचिन और नगमा कोअभी तक यह विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके पापा उनसे झूठ बोल सकते हैं । दोनों की ही आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे और सचिन अपने स्पीड में बाइक को उड़ाते हुए चल रहा था अपनी स्पीड में वह पहाड़ के सबसे ऊपर पहुंच चुके थे जहां से ढलान शुरू होने वाली थी वहां जाकर के सचिन ने अपनी बाइक रोक दी ।
और नगमा भी बाइक से नीचे उतर गई दोनों ही एक दूसरे के आंसू पौंछने लगे और कहा कि यार यह कैसी दुनिया है जहां लोग अपने बच्चों के प्यार तक को नहीं समझते वह औरों के प्यार को क्या समझेंगे ?
नगमा रोते हुए कहने लगी सचिन यह दुनिया ऐसी क्यों होती है क्यों लोग किसी के प्यार को समझना नहीं चाहते क्यों लोग केवल अपनी ही जाति अपने ही धर्म में शादी करना श्रेष्ठ मानते हैं? उनके लिए जाति और धर्म ही बड़े क्यों होते हैं ? किसी की भावनाएं बड़ी क्यों नहीं होती ? किसी का दिल क्यों नहीं बड़ा होता ?
जब उस खुदा ने हमें जन्म दिया तो उसने यह क्यों नहीं बताया कि किस धर्म के लड़के को देखकर प्यार होगा और किस धर्म के लड़के को देखकर नफरते होगी ?
क्या खुदा कोई ऐसा दिल नहीं बना सकता था जो कि केवल अपने धर्म और अपने जाति के लिए ही धड़के ? यह सब होता तो कितना अच्छा होता हमारी तरह है किसी को अपनी जिंदगी यूं ना बर्बाद करनी पड़ती।
सचिन नगमा के आंसू पौछते हुए कहता है कि नगमा दिल उस भगवान ने बनाया और प्यार भी उस भगवान ने ही बनाया लेकिन ईस दुनिया में जाति और धर्म इंसान ने बनाई जो अपने स्वार्थ के लिए बनाए और जब तक इंसान इस से ऊपर नहीं उठेगा तब तक वह किसी के सच्चे प्यार को नहीं समझ पाएगा ।
अगर हम वापस जाते हैं तब भी हमें मार दिया जाएगा और आज तो तुम जानती हो नीचे पुलिस की गाड़ियां हैं और वह यहां तक पहुंचते ही होगी तब तक हमजिंदा रह सकते हैं तभी गोली चलने की आवाज आती है और पास ही की एक चट्टान से कुछ टकरानेकी आवाज आती है।
सचिन अब कहता है कि नगमा तुम चाहे वो तो पुलिस की गोली से मर सकते हैं तुम चाहो तो पुलिस की गाड़ी से भी मर सकते हैं मैं तो तुम्हारे साथ जीना चाहता था। अपनी जिंदगी का हर पल तेरे नाम किया था । अपनी हर सांस के साथ में तेरी सांस मिलाना चाहता था लगता है इतना ही लिखा है खुदा ने हमारा प्यार इतना ही लिखा है अब अंतिम घड़ीआ गई है ।
नगमा सचिन केआशु पौछते हुए कहती है कि ऐसा ना बोलो सचिन खुदा जो भी करता है अच्छा ही करता है मैंने खुदा से सिर्फ तुम्हें मांगा था और देखो खुदा ने 15 दिन का हमारा साथ लिख दिया15 दिन मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे खूबसूरत और खुशी के दिन थे मैं इन 15 दिनों में इतनी खुश रही हूं जितनी अपनी पूरी जिंदगी में नहीं रही ।इन 15 दिनों में मैंने अपनी जिंदगी को पूरा जी लिया है अब मैं तुम्हारे साथ ही मरना चाहती हूं।
तभी पुलिस की गाड़ियों ने नजदीक आते हुए दिखती है दोनों रोते हुएएक दूसरे को अंतिम किस करते हैंदोनों इस वक्त पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर खड़े थे एक-दूसरे को बाहों में कस कर पकड़ लेते हैं नगमा मरने से पहले अंतिम शब्द कहती है ऐ खुदा तेरी रहमतों को ऐसे ही बनाए रखना हमारा प्यार इस जन्म में पूरा ना हो सका उसे अगले जन्म में भी बनाए रखना।
और इसी के साथ दोनों एक दूसरे को कसकर पकड़ लेते हैं और नीचे की तरफ गिरने लगते हैं दोनों एक दूसरे के गले लगे हुए थे और आंखें बंद कर रखी थी दोनों नीचे गिर रहे हैं उन्हें ऐसा लगा जैसे वह आसमान में उड़ रहे हो ।
अचानक एक बड़े पत्थर दोनों ही टकरा जाते हैंदोनों आंखें खोलते हुए एक दूसरे को देखते हैं दोनों के सर से खून बह रहा था और दोनों की इच्छा हुई थी एक दूसरे को छोड़कर पहले अपने बहते हुए खून को रोके लेकिन फिर दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा और एक दूसरे के होठों पर होठ रखें और कस कर एक दूसरे को फिर से पकड़ लिया और एक बार फिर से नीचे गिरने लगे ।
और इस बार बहुत बड़े पत्थर से टकराऐ दोनों के सर से बहुत ज्यादा खून बह रहा था दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ रखा था कब उनकी सांसे चली गई नहीं पता तक नहीं चला ।
उनकी सांस कब चली गई उन्हें यह पता तकनहीं चला उनकी आंखें अब भी एक दूसरे को देख रही थी लेकिन शरीर में सांस नहीं था उनका दिल अब भी एक दूसरे के लिए धड़क रहा था लेकिन देखने वालों के नजरों में वे मर चुके थे उन्हें उनकी धड़कन सुनाई नहीं दे रही थी ।
विनय ने गाड़ी रोक कर नीचे उनके लाशों को देखा और यशवंतराव और फारुख दोनों को एक साथ लाइन पर लेकर फोन पर कहा कि मेरे पास एक प्लान है मैं नगमा की बॉडी कल आपके पास पहुंचा दूंगा और आप किसी भी एक रिश्तेदार का नाम लेते हुए कह देना कि उनके यहां जा रही थीऔर रास्ते में एक्सीडेंट हो गया।
सचिन की बॉडीमैं मुर्दाघर में रखवा दूंगा और 3 दिन बाद एक्सीडेंट की एक रिपोर्ट बनाकर बॉडी यशवंतराव तक पहुंचा दूंगा ।
यशवंतराव और फारुख दोनों ने एक संतोष की सांस ली उनके दिल में जरूर थोड़ा सा दुख था लेकिन खुशी इस बात की ज्यादा थी कि अब उनके चुनाव पर इस घटना का कोई असर नहीं पड़ेगा बल्कि उन्हें सहानुभूति भी मिलेगी आज 2 दिल एक दूसरे से प्यार के लिए कुर्बान हो गए थे एक बार फिर से इस दुनिया में जाति और धर्म जीत गया और प्यार हार गया ।
कहानी को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ।