चरणवंदन Alok Mishra द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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चरणवंदन

चरणवंदन

सोचता हूं सच कैसे बोलूं ? सच जो हमारे चारों ओर बिखरा है । सच जो मुझे दिखता है ,सच वह भी जो आपको दिखता है । मैं बोलने की कोशिश करता हूं और आप मौन रहते हैं । बहुत सोचने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सच बोलने से अच्छा है कि मैं समाचार माध्यमों की तरह आपकी तारीफ करूं । अरे .....आप तो गलत ही समझ बैठे यह कोई राजनीतिक बात नहीं है । यहां हम केवल उस समाचार माध्यम के चरण वंदन करना चाहते हैं जो हमें लगातार समाचारों से अधिक प्रशंसा के विज्ञापन दिखाता रहता है । इससे उस मीडिया समूह की अच्छी खासी आमदनी हो जाती है और हमारे बेरोजगार पत्रकार भाइयों को रोजगार प्राप्त हो जाता है । दर्शकों का क्या है, उन्हें समाचारों के साथ ही साथ एक के साथ एक मुफ्त के रूप में मनोरंजन भी मिल जाता है ।
साहब हम उन नेताओं को भी साष्टांग प्रणाम करते हैं जो समय की मांग यह सिद्धांतों से समझौता न करने के नाम पर पार्टियां बदलते रहते हैं । हालांकि इससे हमारे छात्रों को याद रखने में दिक्कत होती है कि आज रामलाल किस पार्टी में है । आम जनता में यह चर्चा रहती है कि कौन नेता कितने में बिका या खरीदा गया । प्रणाम करते समय हमें उन नेताओं को भी नहीं भूलना चाहिए जो चुनाव में बड़े-बड़े वादे करते हैं और बाद में अपनी व्यस्तता की वजह से भूल जाते हैं ऐसे नेता दोबारा और तिबारा भी वही वादे करते हैं ।अब साहब देश तो नेताओं से ही चलता है । यही सरकारे बनाते और बिगड़ते हैं फिर इन्हें जनता में जनता से इतनी सुविधा मिलनी ही चाहिए । मुझे याद आया हमारा देश धर्म प्रधान देश है । यहां हर आदमी का अपना धर्म भी है । ऐसे अनुकूल वातावरण में बाबाओं और भगवानों का अधिक मात्रा में पैदा होना स्वाभाविक ही है सबसे पहले जेल में बैठे बाबाओं के सामने नतमस्तक होना चाहिए । ऐसे लोगों ने मिसाल कायम की है चोरों ,ठगों और लुटेरों के लिए । कुछ बाबा अभी अपना सामान बांध कर जेल यात्रा की तैयारी कर रहे हैं ,उन्हें उनकी होने वाली यात्राओं के लिए शुभकामनाएं । जो जेल में हैं और जो जेल जाने वाले हैं उनके भक्त उनकी तस्वीरों पर अभी भी फूल चढ़ा रहे हैं, ऐसे भक्तों को भी भक्तों चरण वंदन हैं । अब मुझे व्यापारी बाबाओं के चरण स्पर्श करने की इच्छा हो रही है । वह धर्म से प्रारंभ कर के व्यापार में ऐसे घुसे कि बड़े-बड़े व्यापारी अब उनसे व्यापार सीखना चाहते हैं । ऐसे बाबाओं को देश पर उपकार करते हुए व्यापार प्रशिक्षण कार्य भी प्रारंभ कर देना चाहिए । इन बड़े-बड़े लोगों में मैं कैसे बड़े व्यापारियों को भूल सकता हूं । जोअपने बड़े-बड़े चंदों से देश में राजनीतिक दलों को चलाते हैं । वे किसी सरकार को बनाते हैं किसी को गिराते हैं। ये तो व्यापारी हैं ,व्यापार में लाभ से ऊपर देश सरकार और जनता नहीं होती । ऐसे कर्मयोगियों को सबको सलाम करना ही चाहिए
आपको लगने लगा होगा कि आज मैंने सच न बोलने की कसम खाई है । यह बिल्कुल सही है ,सच बोलूंगा तो सब की तारीफ कैसे करूंगा ? अब हम बड़े लोगों से चल कर जमीन पर आ जाते हैं । किसी ऑफिस में साहब के कमरे के बाहर खड़े छोटे कर्मचारी को धन्यवाद करना बिल्कुल ना भूलें जब वह आपसे 20-25 रुपए लेकर साहब से मिलवाने की व्यवस्था करवा देता है । आपको उस बाबू को भी एहसानमंद होना चाहिए जो ऑफिस के समय में आपको अपनी टेबल पर मौजूद मिले । इससे भी अधिक आभार तो आपको तब देना चाहिए जब आपका काम ले देकर ही सही एक ही बार में कर दे । अधिकारी अगर मिल जाए और आपसे सज्जनता पूर्वक व्यवहार कर रहा हो तो आप को उसके तुरंत ही चरण स्पर्श कर लेना चाहिए । शिक्षक समय में शाला पहुंचा हो, पटवारी ने अपकी जमीन का काम समय पर कर दे और पंचायत या नगरपालिका ने आसानी से राशन कार्ड बना दिया हो तो आप उनका चरणवंदन कर सकते हैं । आप सड़क पर गड्ढे देखें और हिचकोले खाते हुए चलें तो आपको ठेकेदारों और इंजीनियरों का धन्यवाद करना चाहिए उन्होंने आपके लिए झूले की व्यवस्था की है । किसी सरकारी पुल या भवन के गिरने में भी यही लोग आप पर मेहरबानी कर रहे होते हैं । साहब यदि नौ दिन पुराना पुल गिरा है तो नया बनेगा भी । उस में मरने वाले लोगों के परिवारों को पैसा भी मिलेगा । आप थाने जाएं और आपकी रिपोर्ट न लिखी जाए इसमें भी आपका भला है । रिपोर्ट के बाद आपको वकीलों और अदालतों के सालों चक्कर लगाने पड़ सकते हैं इसलिए रिपोर्ट न लिख कर भगा देने वाले पुलिस वालों को प्रणाम । उन वकीलों को तो दूर से प्रणाम जो केवल पेशी बढ़ाने को ही अपना व्यवसाय समझते हैं । बहुत से लोग नाराज हैं कि मैंने उनका चरण वंदन नहीं किया। वे जब भी कोई काम ऐसा करें इसमें उन्हें स्वयं मालूम होता है कि वे गलत कर रहे हैं फिर भी करते हैं तब यह महसूस करें कि मैं उनके चरण स्पर्श कर रहा हूं ।
अंत में आम आदमी को प्रणाम जो ले दे कर अपना काम करवाता है । उस किसान को प्रणाम जो घाटे में खेती करता जाता है । उस मजदूर को प्रणाम जो झूठे वादों में अपने अच्छे दिन की राह देखता रहता है।आपको भी प्रणाम जो सब पढ़ते हैं परंतु कुछ भी गढ़ने का प्रयास नहीं करते ।
आलोक मिश्रा "मनमौजी"