मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 5 Sarvesh Saxena द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 5

गुड़िया को देखकर मिस्टर मल्होत्रा को बार-बार पांच साल पहले अपना किया हुआ पाप याद आने लगा वह मन ही मन में बड़बडाने लगे ऐसा नहीं हो सकता ऐसा नहीं हो सकता, और ये कहते हुए वो अतीत के सागर में कहीं खो गए ।

पांच साल पहले …..

माला का पति अनिल भी बहुत सालों से मिस्टर मल्होत्रा की कंपनी में काम करता था मिस्टर मल्होत्रा का काम था बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाना,वो बहुत बड़े कांट्रेक्टर थे, पैसों की बारिश होती थी उनके यहां लेकिन उन्हें अपने पैसों का बहुत घमंड था उन्हें लगता था वह पैसों से हर चीज खरीद सकते हैं लेकिन ऐसा कहां होता है । माला के पति और उनके बीच काफी बनती थी ।
एक बार उन्हें एक बहुत बड़ी बिल्डिंग बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला कॉन्ट्रैक्ट फाइनल होते ही वह अपने साथ अनिल को भी उस जगह पर ले गए जहां वह बिल्डिंग बननी थी, उस जगह पर जाकर उन्होंने कहा "वाह क्या जगह है यहां मजा आएगा काम करके, इस बिल्डिंग को बनाने में हमें करोड़ों का फायदा होगा" इस पर अनिल ने कहा "हां सर.. अबकी बार थोड़ा मेरे बारे में भी सोचिएगा, आखिरकार हमारे पालनहार तो आप ही हैं, मेम साहब ने मेरी पत्नी को काम दिया और आपने मुझे"।

मल्होत्रा ने हंसते हुए कहा " ओह कम ऑन... तुम इसकी चिंता क्यों करते हो तुम तो मेरे पालतू आदमी हो डोंट वरी"।

ये कहकर मिस्टर मल्होत्रा जैसे ही मुड़े उन्होंने एक बच्ची को देखा जिसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे कोई एक्सीडेंट या किसी वजह से आधा पिचक गया हो, वो देखने में बड़ी भयावह लग रही थी उसकी एक आंख भी चेहरे के दबने के कारण चली गई थी उन्होंने गुस्साते हुए कहा "अरे यह भला कहां से आ गई, कौन है यह लड़की, हटाओ इसे, हाउ डिस्गस्टिंग, इसे देखकर तो मेरा पूरा दिन खराब हो जाएगा, प्लीज अनिल इसको यहां से हटाओ"।

अनिल ने उस बच्ची से कहा "आपका घर कहां है"? उस बच्ची ने बिना बोले ही दूसरी तरफ इशारा किया तो उन दोनों ने देखा कि एक छोटी सी झुग्गी झाड़ियों के पीछे थी, शायद वही उसका घर था।


अनिल ने कहा "चलो जाओ अपने घर और सुनो दोबारा यहां मत दिखना नहीं तो यह बड़े साहब बहुत मारेंगे"।

उस बच्ची ने उदास मन से कहा "मुझसे दोस्ती करोगे"

इस पर मल्होत्रा ने आग बबूला होकर कहा " ओह गॉड, तुझसे दोस्ती ...अरे तुझे उठाकर किसी गटर में फेंक दूंगा भाग जा यहां से" । ये कहकर उसने अनिल की ओर इशारा किया तो अनिल उसे घसीटने लगा और वो लड़की चिल्लाते हुए बोली "गुड़िया चाहिए…."

इस पर मिस्टर मल्होत्रा ने गुस्से में कहा "तुझे गुड़िया चाहिए तो अपने बाप से कह, अनिल प्लीज इसे दफा करो यहां से"। उनकी ये बात सुनकर बच्ची ने मल्होत्रा को घूरते हुए धीरे से कहा "मेरी गुड़िया आपके पैरों के नीचे है" यह सुनकर मल्होत्रा एकदम से चौक गया और उसने देखा तो उसके पैरों के नीचे एक गंदी सी और भयानक गुड़िया दबी हुई थी उन्होंने तुरंत उस गुड़िया को पैर से ठोकर मार कर उस बच्ची की तरफ फेंक दिया और वह बच्ची उस गुड़िया को लेकर झाड़ी में बनी अपनी झुग्गी की तरफ जाने लगी वह बार-बार पीछे मुड़कर मल्होत्रा और अनिल को देख रही थी । उसे देख कर यह दोनों भी एकदम निशब्द से रह गए तभी एकाएक मल्होत्रा ने कहा "चलो चलो हम लोग भी कहां टाइम वेस्ट कर रहे हैं, कल से यहां पर काम शुरू कर दो" ।