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मुझसे दोस्ती करोगे - भाग 2

मिसेज मल्होत्रा की एक बेटी भी है लगभग मुन्नी की ही उम्र की है जिसका नाम सोनिया है, मुन्नी और सोनिया काफी अच्छी दोस्त हैं, जब सोनिया स्कूल से आ जाती है तो दोनों खूब खेलती हैं, सोनिया मुन्नी को अपने सारे खिलौने दिखाती है और कई बार खिलौने दे भी देती है |

मुन्नी जाकर गार्डन मे खेलने लगी |

कुछ घंटों बाद वो खेलते खेलते सोनिया के कमरे में पहुंच जाती है और सारे खिलौने देख कर उदास हो जाती है, वह सोचती है कि उसके पास भी इतने ढेर सारे खिलौने होते तो कितना अच्छा होता | वो फर्श पे लेटकर सोचने लगती है कि काश ये ढेर सारे खिलौने उसके हो जाए, लेटे-लेटे मुन्नी की नजर बेड के नीचे जाती है ऐसा लगता है जैसे उसके नीचे दो आंखें चमक रही हो मुन्नी डर जाती है तभी उसे आवाज आती है एक धीमी और रहस्यमई आवाज " मुन्नी…. मेरे पास आओ… तुम्हें खिलौने चाहिए??? मेरे पास आओ…." |

मुन्नी घबराकर इधर-उधर देखने लगती है, लेकिन कुछ नहीं दिखता है, वह फिर बेड के नीचे देखने लगती है, उसे लगा कि शायद उसकी आंख लग गई होगी लेटे लेटे पर बेड के नीचे से गहरी गहरी सांसे लेने की आवाज आ रही थी, उसने गौर से बैठ के नीचे देखा और हाँथ डालकर खिलौने को निकालने की कोशिश करने लगी कि तभी सोनिया वहां आ जाती है और कहती है," रुक जाओ… क्या कर रही हो"??

मुन्नी डर जाती है, सोनिया कहती है, "तुम्हें गुड़िया देखनी है ना, मैं दिखाती हूं, ये सब गुड़ियों की तरह नहीं है यह बहुत खास है देखना चाहोगी" |

मुन्नी ने हां में सर हिलाते हुए कहा, "हाँ मुझे ये प्यारी गुड़िया देखनी है" |


सोनिया बेड के नीचे से वह गुड़िया निकालती है जिसे देखकर मुन्नी एकदम से डर जाती है, बिखरे बाल, बड़ी बड़ी आंखें और एक डरावनी मुस्कान थी उसके चेहरे पर, वो एक काला गाउन पहने थी जो काफी गंदा और पुराना लग रहा था |

सोनिया धीरे से बोली -" एक बात बताऊं मम्मी को मत बताना, यह गुड़िया बात भी करती है" |

मुन्नी -" अच्छा… पर कैसे भला कोई गुड़िया कैसे बात कर सकती हो वहीं गुड़िया तुम्हें कहां से मिली|

सोनिया -" मैं कल स्कूल से आ रही थी तो अपनी कॉलोनी के बाहर ही स्कूल बस खराब हो गई, घर पास में ही था इसलिए मैंने बस वाले भैया से कहा मैं घर चली जाऊंगी और मैं बस से उतर कर घर आने लगी, तब मुझे अरुणा आंटी के घर के पास एक पुराने पेड़ के पास ये गुड़िया मिली, मैं वहां से निकली तो ऐसा लग रहा था जैसे गुड़िया रो रही हो और मुझे बुला बुला रही हो इसीलिए मैंने जाकर देखा तो इसके अन्दर बहुत सी कीलें लगीं थीं, यह सच में रो रही थी इसलिए मैं इसकी सारी कीलें निकालकर इसे घर ले आई, अब ये मेरी दोस्त बन गई है, यह मुझसे बात करती है "|

मुन्नी को पहले तो उस गुड़िया से डर लगा लेकिन कुछ ही देर बाद वह उसे अच्छी लगने लगी | दोनों बच्चियां उस गुड़िया के साथ खेलती रही |

शाम को जब माला और मुन्नी घर आ गई तो मुन्नी गुड़िया के बारे में सोचती रही |


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