आत्महत्या के अभिनव प्रयोग Alok Mishra द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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आत्महत्या के अभिनव प्रयोग

आत्महत्या के अभिनव प्रयोग





जमाना बदल रहा है, हम सब आधुनिक हो रहे है। इस आधुनिकता की दौड में हमारी खाना-पान, रहन-सहन के साथ ही साथ सोच-विचार भी बदल रहे है। मज़ावादी आधुनिक संस्कृति के चलते हम प्रत्येक पल का मजा लेना चाहते है। इस दौर में भी हम आत्महत्या के वही पुराने और बोरिंग तरीकों का प्रयोग कर रहे है। अब साहब रेलवे लाईन पर ट्रेन का इंतिजार करना कितना बोरिंग काम है, कुएं मे कूदना, फांसी लगाना अब ओल्ड फैशन होता जा रहा है। नब्बे के दशक में एक लेखक ने ‘‘आत्महत्या के 1001 तरीके’’ किताब लिख कर वाह-वाही बटोरी थी। दरअसल मे उस काल मे ही लोग आत्महत्या करने के नये-नये तरीकों को खोजने लगे थे। उसी दशक मेें ही तो सब के आदर्श शोले के वीरू ने आत्महत्या के लिये पानी की टंकी वाला मार्गदर्शन भी दिया था।


अब आत्महत्या करना कोई अच्छी बात तो नहीं है, लेकिन कुछ लोग ऐसे है जिन्होंने आत्महत्या करने की ठान ही ली है तो कोई कर ही क्या सकता है। आजकल अनेक लोग आत्महत्या का भी पूरा मजा लेना चाहते है। बस इसी के चलते वे आत्महत्या के लिये शराब की शरण मे जाते है। ऐसे लोग शराब पार्टियों के नाम पर सामुहिक आत्महत्या के उत्सव मनाते, अक्सर तो रोज ही। जिन्हें जल्दी मुक्ति चाहिए होती है वे शराब जैसे मुक्तिदायक पेय को सुबह से रात तक बड़ी मात्रा में लेते रहते है। ऐसे लोग यदि मृत्यु को प्राप्त न भी हो तो उनका जीवन भी मृत्यु से कोई कम नही होता। इन लोगों के लिये आत्महत्या के जुनून के सामने रूपया-पैसा, आत्म सम्मान और परिवार सब कुछ छोटे पड़ जाते है। इनका परिवार इनसे इतना परेशान होता है कि वो भी ईश्वर से प्रार्थना करता है कि भगवान इन्हें जल्द ही अपने पास बुला ले। घर में खाने के लिये कुछ हो न हो ऐसे लोगों को पीने के लिये पैसे चाहिए ही होते है। इसके चलते परिवार पहले ही आर्थिक रूप से आत्महत्या कर लेता है। इन सबके चलते शराब का सेवन करके वो व्यक्ति स्वयं के साथ ही साथ पूरे परिवार की आत्महत्या की व्यवस्था करता रहता है। ऐसे लोग यह कभी नहीं बताते की वे शराब का सेवन आत्महत्या के लिये कर रहे है। वे तो अनेक बहानों के साथ अकेले या लोगों के साथ बस आत्महत्या के प्रयास में लगे रहते है।


कुछ लोगों का काम शराब से नहीं बनता या यूं कहे कि कुछ लोगों को आत्महत्या में और अधिक फैशन और स्टाईल चाहिए होती है, वे ड्रग्स की शरण लेते है। इस प्रकार की आत्महत्या थोड़ी अधिक महंगी है लेकिन निश्चित है । बडे़-बडे़ शहरों मे आत्महत्या उत्सव को रेव पर्टियों के रूप में बडे़-बडे़ होटलों में आयोजित किया जाता है। यहां आने वालों को यमदूत का इंतजार होता है लेकिन यमदूत के रूप में स्थानीय पुलिस पहूंच कर इन लोगों को निराश ही करती है। इसके चलते पूरे परिवार की इज्जत का कचरा हो जाता है । इससे फर्क भी क्या पड़ता जिसे जीवन जीने से कोई मतलब न हो उसे इज्जत से क्या मतलब।


आजकल बहुत से लोग ऐसे है जो आत्महत्या के प्रति बहुत गंभीर है और अपने आत्म सम्मान के भी। इसलिये वो लोग शराब और ड्रग्स को आत्महत्या के लिये नही चुनते । ऐसे लोग आत्महत्या के लिये तम्बाखू को साधन मानते है । अब आप तो जानते ही है । तम्बाखू सीधे खाकर सिगरेट व बीड़ी के रूप में पीकर और गुटखे पाउच के रूप में सेवन करके आत्महत्या हेतु उपयोग की जा सकती है। यह एक लाजवाब जहर है जो सभी स्थानों पर सर्व सुलभ है। इस जहर को कहीं भी कभी भी लिया जा सकता है और अगर ज्यादा ही जल्दी है तो इसका प्रयोग लगातार बार-बार करते रहने से ये निश्चित मुक्ति का साधन साबित हो सकता है।


आज कल आत्महत्या करने के लिये और भी साधन उपलब्ध है। उधर देखिये पढ कर मनोहर मुस्कुरा रहा है वो गांजे के नशे में अपने आपको होशियार समझ रहा है। उसे क्या पता कि नशा कोई भी हो, जो करता है वो मौत की ओर दो कदम बढ़ता है। बस नशा करना आत्महत्या करना है, यदि आप कर रहे है तो आप अपने इस आत्महत्या अभिनव प्रयोग में लगे रहे। हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ है, भगवान आपकी मनोकमना जल्दी पूर्ण करें।





आलोक मिश्रा