Tantrik Rudrnath Aghori - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 1

तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी व पिशाच आत्मा - 1



रविवार को दैनिक जागरण खोलकर चाय की चुस्की लेते हुए आराम से बैठा हूँ I दो - तीन पेज पलटते ही एक खबर पर नजर टिक गई I
खबर था ' ढोंगी तांत्रिक बाबा के चक्कर में पड़कर राजधानी में एक और लोग की मृत्यु ' , मैं भी मन ही मन कहता रहा कि सचमुच यह संसार पाखंडियों से भर गया है I इस समय सिद्ध पुरुष दिखाई देना बहुत ही दुर्लभ है I असल बात यह है कि तंत्र - मंत्र , भूत - प्रेत इन सभी बातों में मुझे बहुत इंटरेस्ट है I खुद कभी साधना नही किया लेकिन ऐसे कहानियों को पढ़ने और सुनने में बहुत ही अच्छा लगता है I यही सब सोचते सोचते एक पुरानी घटना याद आ गई I
न्यूज़पेपर को पास में रख चाय के कप को हाथ में उठाकर खिड़की से बाहर देखते हुए अपने कॉलेज के दिनों की यादें सोचने लगा I...

उस समय ग्रेजुएशन का फर्स्ट ईयर समाप्त हुआ था इसीलिए कुछ दिन छुट्टियों का मौज था I मेरा जिगरी दोस्त मुकेश के घर के छत पर प्रतिदिन शाम को हम दोनों गपशप करते I ऐसे ही एक दिन गपशप चल रहा है मैं चटाई पर लेटकर आसमान में उड़ते बादलों को देख रहा था और मुकेश पास ही बैठकर सिगरेट पी रहा था I अभी जल्द ही कॉलेज में जाने के बाद सिगरेट पीने की आदत पड़ी थी I
आसमान की तरह देखते हुए मैं बोला - " अरे यार ! दिन ऐसे ही बीत रहे हैं क्या पूरी छुट्टी ऐसे ही लेटकर बिता दूंगा I "
मुकेश अंतिम फूँक को धुएं में उड़ाकर सिगरेट को घर के पीछे फेंकते हुए बोला -" चलो फिर आज इवनिंग शो में एक मूवी देख कर आते हैं । सुना है ऋतिक रोशन का ' कोई… मिल गया ' बहुत ही जबरदस्त है I फर्स्ट डे फर्स्ट शो ही हाउसफुल था I "
मुकेश के बात को सुनकर ज्यादा उत्साह नही हुआ इसीलिए मैं बोला- " आज सिनेमा देख कर क्या फायदा कल से तो फिर वही जीवन शुरू हो जाएगा I इससे अच्छा कहीं पर घूमकर आते हैं इससे मूड भी थोड़ा चेंज होता और एनर्जी भी बढ़ती समझे की नही I "
मेरे बातों को सुनकर मुकेश शांत होकर कुछ सोचने लगा I मैंने उससे फिर पूछा - " क्या हुआ चुप क्यों हो गए कुछ तो बोल ? "
मुकेश बोला - " कुछ सोच रहा हूं I कल रात को खाना खाते वक्त माँ बोल रही थी कि कुछ दिन छुट्टी है गांव वाले घर को देखकर आ सकता है I खाली पड़ा हुआ है घर में सब कुछ ठीक है या नहीं देखकर भी आ सकता था और थोड़ा वातावरण चेंज भी होता I "
मैं खुश होकर बोला - " चल न भाई , प्लीज चल बहुत मजा आएगा I गांव मुझे बहुत ही पसंद है चारों तरफ हरियाली और फ्रेश ऑक्सीजन वहाँ दिल्ली की तरह ईंटों का जंगल नहीं है I जिधर भी देखो नीला आसमान और हरियाली I "

लेकिन यह कहने के बाद मैं थोड़ा शांत होकर सोचने लगा कि मुकेश के गांव वाला घर खाली है तो खाने पीने की व्यवस्था कैसे होगी ?
यह बात उसे बताते ही वह बोला - " इन सभी बातों की चिंता मत करो I हमारे उस घर की देखरेख करने के लिए हरिहर नाम के एक नौकर काका थे उनके मरने के बाद उनका एक लड़का कभी-कभी घर की देखरेख करता है I मतलब वही घर के आस-पास बढ़े हुए घास व झाड़ियों को काटना और अगर कभी उसके घर में ज्यादा रिश्तेदार आ जाए तो हमारे घर में उन्हें रात को सोने के लिए कह देता है I खाने पीने की व्यवस्था वही कर देंगे इसमें सोचने की कोई बात नही I "
यह सुन मैं फिर से नए जोश में बोला - " चल फिर कल ही चलते हैं लेकिन तुम्हारा गांव वाला घर है कहाँ ?"
मुकेश बोला - " मुरादाबाद जिला , रामगंगा नदी का नाम तो सुना ही होगा उसी के किनारे I जगह बहुत ही सुंदर है कक्षा 11 में अपने मां और पिताजी के साथ गया था I ठीक है कल ही चलते हैं I "
मैं बोला - " गंगा नदी का नाम तो सुना था लेकिन रामगंगा नदी पहली बार सुन रहा हूँ I चलो अच्छा ही है एक नई नदी भी देखने को मिल जाएगा I "

घर लौटकर पिताजी से अनुमति लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई I पिताजी अकेले हैं और अपने व्यवसाय को लेकर ही व्यस्त रहते हैं और हृदय रोग से मां की मृत्यु हुई जब मैं क्लास 10 में था I
अगले दिन दोपहर को नई दिल्ली स्टेशन से श्रमजीवी एक्सप्रेस पकड़ कर लगभग तीन घंटे में हम मुरादाबाद
जंक्शन पहुंचे I स्टेशन से टैम्पो मैं बैठकर हम उतरे रामगंगा नदी के किनारे लेकिन हमें जाना होगा रामगंगा नदी के उस पार मुकेश के गांव में इसके लिए वहां से रिक्शा पकड़ हम दोनों चल पड़े I जब राम गंगा नदी के ऊपर पहुंचा तो देखा चौड़ाई में यह नदी गंगा या यमुना नही जितना बड़ा नही है लेकिन बहाव तेज है I नदी को देख रहा हूं उसी समय नजर पड़ा बाएं तरफ नदी के किनारे , वहां लकड़ीयों के ढेर पर आग जल रहा था I रिक्शा चालक इस बारे में पूछते ही उसने बताया चिता जल रहा है अर्थात वहां एक श्मशान है I मैंने सोचा किसी टाइम यहां पर घूमने जरूर आऊंगा क्योंकि सुना है गांव के पास वाले श्मशान बहुत भयानक होते हैं I यह सोचते ही मुझे रोमांच का अनुभव हुआ I कुछ देर बाद ही रामगंगा नदी व श्मशान हमसे दूर होता गया I हम अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गए I रिक्शे से यहां पहुंचने में लगभग 15 मिनट लगा I जब रिक्शे से उतरा उस समय साढ़े तीन बज रहे थे I कुछ दूर पैदल चलने के बाद मुकेश बोला - " वह देखो वही है मेरा घर I "

देखा एक टिन शेड से बना हुआ घर , घर के पास आते ही न जाने क्यों ऐसा महसूस हुआ कि अचानक शरीर भारी सा लगने लगा है I घर के आंगन में एक फावड़ा व बांस की टोकरी पड़ा हुआ था I घर के पास ही एक तीस - पैंतीस साल का आदमी बड़े घासों को काट रहा था I हमें देख कर वह आदमी पास आया I हमारा परिचय जानने के बाद जल्दी से अपने हाथ को कंधे से लटकते हुए गमछे में पोछकर हमारे हाथों से बैग को लेकर उन्हें अंदर ले गया फिर हमें घर में बैठाकर दो ग्लास ठंडा पानी दिया I
मैं उसके ओर देख रहा था इसलिए वो आदमी हंसते हुए बोला - " बेटवा हमार नाम रामाधार है I बाबू जी के मरने के बाद हम ही इस घर की देखरेख करते हैं I आप दूनौ जन कपड़ा बदल लीजिए मैं खाने की व्यवस्था करता हूं I आज तो अच्छा कुछ खिला नहीं पाऊंगा लेकिन कल सुबह आप जो कुछ भी खाना चाहेंगे वह बाजार से ले आऊंगा I "
मैं बोला - " अरे नहीं इतना व्यस्त होने की जरूरत नहीं है I हम भी तो आपको बिना बताए ही चले आए जो कुछ भी खाने को है वही बनाइए केवल पेट भर जाए I"
रामाधार प्रसन्न होकर घर से बाहर चला गया I बहुत गर्मी लग रहा था ऊपर देखा तो इलेक्ट्रिक फैन की व्यवस्था नहीं थी I इस गांव में अभी भी इलेक्ट्रिक कनेक्शन नही पहुंचा था I शर्ट को खोलकर उसी से पंखा करने लगा I कुछ देर बाद रामाधार ने दो हाथ वाला पंखा लाकर दिया I हम दोनों बैठकर बातें करने लगे I
मुकेश बोला - " कुछ देर आराम कर लो फिर बाहर घूमने जाएंगे I अभी रेस्ट लेना बहुत जरूरी है I "
आराम करते करते मुझे झपकी वाला नींद आ गई I नींद जब खुला उस समय शाम के लगभग पांच बज रहे थे I पास ही मुड़कर देखा तो मुकेश लेटा हुआ नहीं था I बिस्तर से उठ कमरे से बाहर आकर देखा मुकेश आंगन में खड़े होकर सामने रास्ते की तरफ देख रहा है I उसके पास जाकर कंधे पर हाथ रखते हैं वह चौंक उठा I उसके आंखों में डर की रेखा साफ दिख रहा था I
क्या हुआ है जानना चाहा तो उसने तीन - चार घर छोड़ एक घर की तरफ इशारा करके डरते हुए कहा - " उस घर के एक आदमी पर भूत - प्रेत का साया है I उसे भूत ने पकड़ा है I "
यह सुनकर मुझे रोमांच का अनुभव हुआ I मन में कहता रहा यही तो गांव की छुट्टी का मौज है I छुट्टी में अगर थोड़ा एडवेंचर ना हो तो क्या मजा आएगा I मुकेश की तरफ देखा उसके चेहरे के हाव - भाव अलग ही थे I मैं जानता हूं मुकेश जन्मजात डरपोक है लेकिन मुझे यह सब बहुत ही पसंद है पहले ही बताया था I
मैंने मुकेश से बोला - " तो इसमें क्या हुआ चलो एक बार देख कर आते हैं I "


उस घर के सामने कुछ लोग भीड़ लगाकर खड़े थे I

मुकेश बोला - " नहीं भाई तुम्हें तो पता ही है मुझे इन सब बारे में बहुत ही डर लगता है I "
" कुछ नहीं होगा चल न एक बार देखकर आते हैं I "
मुकेश ने क्या सोचा नहीं जानता लेकिन ना चाहते हुए भी वह मेरे साथ उस घर की ओर चलने लगा I घर के सामने आकर देखा कि यह भी एक टिन शेड का घर है और घर का आंगन बहुत ही बड़ा है I उस आंगन में एक आदमी बैठकर हिलते हुए बड़बड़ा रहा है लेकिन क्या बड़बड़ा रहा है यह सुनाई नहीं दे रहा I उसके अलावा भीड़ के लोग इतनी बातें कर रहे हैं की आवाज सुनना कठिन है I
उस भीड़ में से एक आदमी बोला - " रुद्रनाथ तांत्रिक को बुलाना चाहिए I "
उसके बात की सहमति जताकर एक आदमी बोला - " सही कह रहे हो गोपाल, चलो श्मशान घाट में जाकर तांत्रिक को बुला लाते हैं I "
इस बात को सुनकर मुझे एक आइडिया आया कि यही सही वक्त है इन लोगों के पीछे - पीछे जाकर , श्मशान वाला रास्ता भी देख लूंगा और साथ ही श्मशान में बैठे तांत्रिक बाबा भी देखने को मिल जाएगा I मुकेश को जबरदस्ती साथ लेकर उन लोगों के पीछे थोड़ा दूरी बनाकर चलने लगा I
चलते हुए मुकेश बोला - " भाई मुझे श्मशान व भूतों से बहुत डर लगता है I अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे घरवालों को क्या उत्तर दोगे I "
मुकेश के बात को सुनकर , मैं हंसते हुए बोला - " देखो भाई मैं तुम्हारे गांव में घूमने आया हूँ इसीलिए मुझे पूरा गांव दिखाना तुम्हारा कर्तव्य है I तुम केवल मेरे साथ रहो I और पागल इतना डर क्यों रहा है I डरपोक कहीं का I "
मेरे बातों को सुनकर मुकेश शांत हो गया I वह शायद सोच रहा था कि मैं डरूं या न डरूं लेकिन इसे बाहर चेहरे पर नहीं दिखाना है I अगर ऐसा किया तो मुकेश के डरपोक वाले बात से मैं उसका बहुत मजाक उड़ाऊंगा I उस टाइम से डरपोक मुकेश बाहर से बहादुर मुकेश बन गया I बात करते-करते हम शमशान के पास पहुंच गए I लेकिन इस समय श्मशान में चिता नहीं जल रहा है और आसपास कोई आदमी भी नहीं है , केवल गांव के 4 लोग और उनके पीछे हम दोनों I वह चारों लोग सामने के ढलान को पार करके शमशान के अंदर गए और हम ढलान वाले जगह पर ही खड़े होकर उन्हें दूर से देखते रहे I
मैंने देखा कि एक लाल वस्त्र पहने हुए साधु बाबा सामने
लकड़ी की धूनी जलाकर बैठे हैं I साधु बाबा का चेहरा नहीं दिख रहा है लेकिन इतना दिख रहा है कि उनके बाल और दाढ़ी बहुत ही बड़े - बड़े हैं I न जाने कैसे तांत्रिक हैं यह बाबा , सुना है तांत्रिक लोग बहुत ही भयानक होते हैं I स्वस्थ मनुष्य को बीमार और बीमार मनुष्य को स्वस्थ करना उनके मंत्र शक्ति में है I यही सब सोच रहा हूं दिमाग में और सामने देख रहा था कि वह चारों आदमी तांत्रिक बाबा के सामने हाथ जोड़कर बैठे हैं और किसी बात की चर्चा कर रहे हैं I
कुछ देर बाद ही गांव के चारों आदमी लौटने लगे और मैं भी मुकेश के साथ लौट चला I
मुकेश बोला - " क्या हुआ उन्हें देखकर कुछ समझे I "
मैं बोला - " जितना तुमने समझा उतना मैंने भी , देखते हैं तांत्रिक बाबा कब भूत छुड़ाने आएंगे I "

तांत्रिक बाबा आएंगे इसीलिए गांव के और भी लोगों ने आकर भीड़ बढ़ा दिया I हम दोनों जब लौट आए उसके तीन - चार मिनट बाद ही गांव से गए हुए चारों लोग भी वापस आ गए I
उनमें से एक आदमी ने घर के पास आकर बोला - " तांत्रिक बाबा ने कहा है कि कुछ देर बाद ही यहां पर आएंगे I और बाबा कहा है कि बहुत सारे अगरबत्ती को जुगाड़ करके रखना I "
कुछ देर बाद मैंने देखा लाल वस्त्र पहने हुए साधु रास्ते से चलते हुए इधर ही चले आ रहे हैं I तांत्रिक बाबा जब हमारे पास से अंदर जाने वाले थे न जाने क्यों हम दोनों के सामने अचानक खड़े हो गए I मेरे और मुकेश की तरफ देख , थोड़ा सा हँसे , और फिर घर के आंगन की तरफ चले गए I मैं और मुकेश एक दूसरे को आश्चर्य होकर देखता रहा I तांत्रिक बाबा को देखकर उनके लिए भक्ति अपने आप जागृत हो गई I उज्वल शरीर का रंग, सिर पर जटा , दाढ़ी की लंबाई सीने तक, गले में रुद्राक्ष की माला , पैरों में राख लगने के कारण सफेद हो गया है और उनके शरीर से एक अद्भुत प्रकार का गंध भी आ रहा है I
लेकिन तांत्रिक बाबा हम दोनों को देखकर क्यों हँसे , इसी बारे में सोच रहा था I तांत्रिक बाबा के आने के बाद भीड़ में खड़े लोग अब शांत हो गए I सभी केवल तांत्रिक बाबा के काम को देख रहे हैं I
इसी बीच तांत्रिक बाबा बोले - " अगरबत्ती लेकर आओ I "
घर के अंदर से एक महिला अगरबत्ती लाकर बाबा के हाथ में दे दिया I
तांत्रिक बाबा के आने के बाद आंगन में बैठा हुआ वह आदमी जिसके ऊपर भूत प्रेत का साया था उसमें कुछ
परिवर्तन होने लगा I वह आदमी धीरे-धीरे कांपने लगा और उसके गले से घों - घों की आवाज आने लगी I तांत्रिक बाबा अगरबत्तियों को जलाकर उस आदमी के चारों तरफ ' ॐ ॐ ॐ ' का पाठ करते हुए घूमने लगे I तांत्रिक बाबा जितना उसके चारों तरफ घुमते , वह आदमी उतना ही और तेज आवाज निकलता I अचानक एक ऐसी घटना हुई जिसके बारे में शायद वहां खड़े किसी ने भी नहीं सोचा था I नीचे बैठा हुआ आदमी दाहिने हाथ को अपने मुँह के पास लाकर , दांतों से हाथ के मांस को फाड़ खुद ही चबाने लगा I और इसके हाथ से ढेर सारा खून निकलने लगा I अचानक यह देखकर वहां खड़े सभी के मुंह से डर की आवाज निकलने आई I सामने के दृश्य को देखकर मुझे ऐसा लगा कि मैं अभी
बेहोश हो जाऊंगा I और मैंने अनुभव किया मेरे पास ही खड़ा मुकेश मेरे हाथ को पकड़कर डर से कांप रहा है I
उसके बाद तांत्रिक बाबा ने हुंकार लगाकर बोला - " कौन है तू और चाहता क्या है ? बता तू क्या चाहता है ? "
लेकिन नीचे बैठे उस आदमी का तांत्रिक बाबा की बातों पर कोई ध्यान ही नहीं , वह तो केवल अपने कच्चे मांस को चबाने में व्यस्त है I
तांत्रिक बाबा फिर जोर से बोल पड़े - " नहीं बताएगा , अब देख मैं तेरे साथ क्या करता हूँ I "
या बोलकर तांत्रिक बाबा ने अपने पोटली से छोटा सा पात्र निकाल , उसके पानी को हाथ में लेकर आदमी के ऊपर छिड़कते ही , सामने बैठा हुआ आदमी दर्द से चिल्लाते हुए बेहोश हो गया I यह दृश्य देखकर वहां खड़े सभी आश्चर्य हो गए हैं इसमें कोई शक नही I
तांत्रिक बाबा उस आदमी की ओर इशारा करते हुए कहा - " इसको कमरे में सुलाकर , उस कमरे को बाहर से बंद कर दो I मैं जब तक न कहूं उसके सामने कोई भी नहीं जाएगा I इसका जीवन समय बहुत ही कम है क्योंकि इसके किसी आम भूत - प्रेत का साया नही है I उसके शरीर पर जिस का कब्जा है उसे हम अपने तंत्र की भाषा में पिशाच आत्मा या पिशाच प्रेत कहतें हैं I अगर जल्द ही कुछ ना किया गया तो उसके प्राण को नहीं बचाया जा सकता I "

बेहोश हुए आदमी को चार - पांच लोग पकड़कर कमरे में ले गए और बाहर से कुंडी को बंद कर दिया I इसके बाद तांत्रिक बाबा कुछ मंत्र पढ़ते हुए उस घर के एक आदमी को साथ लेकर घर के चारों तरफ कुछ दफनाने लगे I और फिर घर के सामने आकर बाबा बोले - " जल्दी से एक यज्ञ करना होगा I कल मंगलवार है कल ही इस यज्ञ को संपन्न करना होगा I और एक बात , तुम्हारे घर के आस-पास कोई घर है जिसमें मैं आज रात रह सकूं I क्योंकि इस नकारात्मक शक्ति के आसपास ही मुझे रहना होगा I और तंत्र की क्रियाएं उस घर में ही पूर्ण करना होगा I "
उस घर का आदमी थोड़ी चिंता में पड़ गया कि किसके घर में रखा जाए तांत्रिक बाबा को और रहना ही नहीं बल्कि अपने घर में तंत्र यज्ञ करने की अनुमति कौन देगा I
मैंने मुकेश से कहा - " मुकेश तुम्हारे घर में तो तांत्रिक बाबा को रहने दिया जा सकता है I घर तो खाली ही पड़ा है , तीन कमरों में से एक में हम दोनों रहते हैं बाकी दोनों तो खाली है और अगर साधु बाबा तुम्हारे घर में रात को रहेंगे तो हमें डर भी नहीं लगेगा I क्या बोलते हो भाई ? "
मेरे पूरे बात में साधु बाबा के रहने से डर नहीं लगेगा I यह सुन उसके चेहरे को देखकर लगा कि वह इसके लिए मान गया है I इसीलिए और कुछ भी ना सुन मैं भीड़ में इधर-उधर
देखने लगा क्योंकि जब हम श्मशान से लौटकर आए थे तो रामाधार को भी यहीं देखा था I रामाधार के पास जाकर मैंने सब कुछ बताया I मेरे विचार को सुन रामाधार भी बहुत उत्साहित नजर आए I इसके बाद रामाधार खुद ही उस घर के आदमी से बात करके तांत्रिक बाबा को हमारे घर में रुकने के बारे में बताया I
उस घर के आदमी की मानो बड़ी चिंता कट गई इसीलिए
रामाधार को कृतज्ञता से बोले - " भाई रामाधार मुझे चिंता से छुटकारा दिलाया I तुम्हारा यह ऋण मैं हमेशा याद रखूंगा I ईश्वर से प्रार्थना करो जिससे मेरा भाई बच जाए I "
रामाधार बोले - " अरे नहीं नहीं , मैंने कुछ नहीं किया I यह सब कुछ उन दोनों भाइयों ने किया है I उन्होंने ही मुझे यह बात तुमसे कहने के लिए कहा I "
वह आदमी हमारी ओर आभार दृष्टि से एक बार देखा और फिर रामाधार से कहा - " दोनों भाइयों और साधु बाबा के खाने का प्रबंध आज रात मेरे ऊपर है I "
रामाधार जब तांत्रिक बाबा को हमारे सामने से लेकर जा रहे थे उस समय फिर तांत्रिक बाबा हम दोनों सामने रुक गए और फिर से एक हंसी दिखाकर चले गए I तांत्रिक बाबा के इस हंसी में कुछ बात तो है I
उनकी उस मुस्कान और आँखों में देखकर ऐसा लगता है मानो मन के सभी बात बाबा अपने आंखों से ही पढ़ लेते हैं I हम फिर एक - दूसरे को देखने लगे I मन में सोचने लगा कि आज पूरी रात साधु बाबा हमारे साथ रहेंगे अगर उनके साथ कुछ बात किया जाए तो बहुत ही अच्छा होगा I ......

अगला भाग क्रमशः.....


@rahul


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