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भगवान फॅस गए.....( व्यंग्य)

भगवान फॅस गए.....

हमारे रामलाल जी हमेशा ही परेशानियों में रहते है । कुछ लोगों कहते है कि उनका और परेशानियों का चोली-दामन का साथ है तो कुछ लोग रामलाल को पैदायशी परेशान आदमी मानते है । रामलाल भी ऐसे कि अब वे छोटी-छोटी बातों पर भी परेशान हो जाते है ; आज घर में अखबार नहीं आया .... परेशानी , घरवाली ने सब्जी लाने को कह दिया ....... परेशानी और तो और आफिस में बाॅस ने अभिवादन का जवाब नहीं दिया....... परेशानी । रामलाल जिदंगी क्या है पूरी की पूरी परेशानियों का मकड़जाल है । ये अलग बात है कि कुछ परेशानियाॅ वास्तविक है और कुछ आभासी है । वैसे रामलाल किसी भी आम आदमी की ही तरह अपनी परेशानियों के लिए स्वयम् से अधिक अपने भाग्य और ग्रह नक्षत्रों को दोषी मानते है । बस ऐसे ही परेशान लोगों के लिए ही कई दरबार खुले होते है । रामलाल भी कभी एक दरबार में माथा टेकता तो कभी दूसरे में ।

रामलाल अपनी परेशानियों को किसी रोग की ही तरह मानता है जिन्हे यदि एक ड़ाॅक्टर ठीक नहीं कर पाया तो शायद दूसरा ठीेक कर दे । इस आशा में रामलाल कभी गंडे-ताबीज बांधता तो कभी रत्नों की अंगूठीयाॅ धारण करता । रामलाल को एक बाबा ने बताया कि रात को घर के दरवाजे खुले रख कर सोया करो । उसने किया .....चोरों का लाभ हो गया और रामलाल की परेशानियाॅ और बढ़ गई । उसे एक बााबा ने पाॅच हजार रुपये ले कर बताया कि रोज चार समोसे खाया करो कृपा आने लगेगी । रामलाल ने पूरी आस्था और विश्वास के साथ समोसे खाने के इस धर्मिक अनुष्ठान को दस दिनाें तक किया फिर दस दिनों तक सरकारी अस्पताल में भर्ती रहे ।

बेचारे रामलाल परेशानियाॅ पीछा छोड़ें तो कैसे ... कोई अच्छा गुरु ,भगवान या बाबा तो मिले । फिर उन्हें किसी ने भगवान बाबा का नाम बताया । भगवान बाबा के विषय में कहा जाता है कि वे जो कह देते है वही होता है । भगवान बाबा मानव की लीला करने के लिए मानव की देह में भगवान ही पैदा हुए है । भगवान बाबा के चरणों में बड़े-बड़े मंत्री-संत्री भी झुकते है । कहा तो यहाॅ तक जाता है कि भगवान बाबा के आर्शिवाद से कुछ राज्यों की सरकारें भी चल रही है । रामलाल को लगा कि शायद ये ही वे भगवान है जो उसके जीवन की परेशानियों का दूर कर सकते है । रामलाल ने इस बार परखने के लिए एक ही परेशानी बताने का निश्चय किया ।

भगवान के दरबार में हजारों भक्त थे । सब पहले से ही अपने नाम पते लिखवा कर अपने लिए निर्धारित स्थान पर बैठे थे । मंच पर भगवान किसी भजन की धुन पर कुछ गोपीयों के साथ नाच रहे थे । जब वे रुके तो वहीं से इशारा करते हुए आवाज लगाई ‘‘ रामलाल .........ओ.......... रामलाल ।’’ रामलाल चमत्कृत हो गया भगवान ने उसे बुलाया इतने सारे लोगों में ........चमत्कार ....... चमत्कार । रामलाल ने मंच पर ही सब के सामने अपनी परेशानी बताई । भगवान बाबा बोले ‘‘ जा सात दिन में सब ठीक होगा । ’’ रामलाल की वह परेशानी सात दिनों में संयोग से जाती रही ।

रामलाल अब भगवान बाबा का अनन्य भक्त है । उसके लिए भगवान से भी बढ़ कर अब भगवान बाबा है । अब वो अक्सर भगवान बाबा के आश्रम जाता दो-चार दिन ए.सी. कमरों में मुफ्त में रुकता , अच्छा भोजन करता वो भी मुफ्त में और प्रवचन सुन कर अपने आप को परेशानियों से मुक्त होता हुआ पाता । भगवान बाबा के फोटो, प्रवचन और साहित्य अब उसकी दिनचर्या का हिस्सा हो गए है ।

फिर पता लगा कि भगवान बाबा पर कोई केस 15-20 सालों से चल रहा था । अब उसका फैसला होने वाला है । रामलाल ने सोचा ‘‘ सबको नेक रास्ता दिखाने वाले भगवान गलत काम कैसे कर सकते है ? भगवान को सजा कैसे हो सकती है ? हो भी जाए तो भगवान अपना स्वरुप दिखा ही देंगे । ’’ भगवान बाबा ने अपने भक्तों को दिलासा दी और बताया कि वे निर्दोष है लेकिन मानव लीला तो करनी ही होगी । फैसले का दिन भी आ गया । भक्तों को अपने भगवान पर भरोसा था लेकिन भगवान को अपने ऊपर नहीं था । भगवान को अपने बारे में सब मालूम था वे जानते थे कि सब के सामने भगवान रुप धर कर घूमने वाला वो कभी भी आपने जीवन में तुच्छ मानव से ऊपर नहीं उठ पाया । वो जानता है उसे उसके केवल एक ही पाप की सजा मिल रही है ऐसे और न जाने कितने जिन्हें प्रमाणित भी नहीं किया जा सकता ।

आखिर फैसला आ ही गया भगवान को फंसना था और वे फंस ही गए । लाखों भक्तों को गहरा आघात लगा । वो जिस भोलेपन से उसे भगवान मान रहे थे अचानक वो भगवान ,भगवान न रहा । भगवान तो अब जेल में निवास करते है । सब ओर उनके किस्से आम है । परन्तु रामलाल जैसे भक्तों की ओर किसी ने देखा तक नहीं । रामलाल जिसे अपनी परेशानियों में रोने के लिए भगवान की आवश्यकता है अब वो फिर भगवान विहीन हो गया है । अब उसकी सारी परेशानियों से भी बड़ी परेशानी है कि उसके पास भगवान नहीं है । करोड़ों भगवान वाले देश में तब तक भगवान बाबा पैदा होते रहेंगे जब तक रामलाल अपने लिए एक अदद भगवान ढूढता रहेगा ।

आलोक मिश्रा





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