कुछ चित्र मन के कैनवास से - 12 - एम्पायर स्टेट बिल्डिंग Sudha Adesh द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 12 - एम्पायर स्टेट बिल्डिंग

एम्पायर स्टेट बिल्डिंग

अंपायर स्टेट बिल्डिंग में लो विजिबिलिटी ( कम दर्शनीयता ) के बावजूद काफी भीड़ थी । हम कतार में लग गए । सिक्योरिटी चेक के पश्चात हर एक व्यक्ति का फोटो खींचा जा रहा था । हमारा भी फोटो खींचा गया । धीरे-धीरे लगभग 15 मिनट कतार में चलते-चलते हुए हम लिफ्ट तक पहुंच गए । लिफ्ट ने लगभग 1 मिनट में हमें 86 मंजिल पर पहुंचा दिया । लिफ्ट की गति देखकर हम आश्चर्यचकित थे । लिफ्ट से बाहर निकलते ही हम ऑब्ज़र्वेटरी डेक ( निरीक्षण करने का स्थान ) पहुंच गए । अभी गेट के बाहर बने गलियारे में आए तो बहुत तेज हवा तथा पानी था । वहां अधिक देर तक खड़ा रहना हमारे लिए संभव नहीं था ... आखिर हम अंदर आ गए । अंदर से भी शीशे की सहायता से बाहर दिख रहा था । हमें बताया गया कि हम यहां से 80 मील दूर के दृश्य देख सकते हैं । दृश्य तो दिख रहे थे पर मौसम ठीक न होने के कारण।साफ नहीं दिख रहे थे । न्यूयॉर्क से लगे शहर न्यू जर्सी तथा मेनहट्टन की सीमाएं दिख रही थीं । साथ ही विश्व प्रसिद्ध ब्रुकिलेन पुल भी जो न्यूयॉर्क को मैनहैटन से जोड़ता है ।

खूबसूरत दृश्यों को आंखों में भरकर बाहर ही रहे थे कि कल वाली वही फैमिली दिखाई दी । मुझसे रहा नहीं गया, अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वे दिल्ली से हैं । उनके पति देवांशु का वहां अपना बिजनेस है । देवांशु के भाई बोस्टन में रहते हैं। वे यहां उनसे मिलने तथा यहां घूमने के इरादे से आये हैं । उन लोगों के साथ कुछ पल बिताकर अच्छा लगा । मैंने दोनों बच्चों को अपने पर्स से निकाल कर एक -एक चॉकलेट दी । वे दोनों बहुत ही खुश हुए तथा बोले,' आंटी आप इंडिया में हमारे घर अवश्य आइएगा ।'

फोन नंबरों के आदान-प्रदान के साथ उस परिवार के साथ कुछ समय बिताकर 86 मंजिल से दिखते विहंगम दृश्यों को आंखों में समाए हम बाहर निकल ही रहे थे कि सामने खड़ी एक महिला ने हमें हमारे फोटो पकड़ा दिए । हम फोटो लेकर बाहर आ गए । बाद में सोचा कि कहीं हमें इस फोटो का पेमेंट तो नहीं करना था पर न उसने कहा और ना हमने ही पूछा ।

बाहर निकलते ही एक स्टोर दिख गया । सोचा नाश्ते के लिए कुछ ले लें पर यहां बिस्किट ब्रेड काफी महंगे लगे । दो या तीन डॉलर का एक पैकेट... थोड़ा और घूमे तो एक जगह ड्राई फ्रूट्स रखे थे । काजू का 200 ग्राम का एक डिब्बा ढाई डॉलर का देखकर लगा कि ब्रेड, बिस्कुट खरीदने से तो अच्छा है यही खरीदना उचित होगा । सोचकर 3 डिब्बे ले लिए । मिनरल वाटर की बोतल जो होटल के कमरे में रखी थी वह 5 डॉलर की थी । यहां डेढ़ डॉलर में मिल रही थी । हमने यह दोनों चीज खरीदीं तथा रेस्टोरेंट में वेज सैंडविच खाकर अपने कमरे में आ गए आखिर कल हमें ऑरलैंडो के लिए निकलना था ।

सुबह 8:00 बज कर 35 की हमारी यू.एस. एयरवेज की फ्लाइट नम्बर 2249 न्यूयॉर्क से शिरलोटे के लिए थी जिसे 10:00 बज कर 44 मिनट पर शिरलोटे पहुंचना था तथा वहां से 44 मिनट पश्चात 11:00 बज कर 55 मिनट पर यू.एस. एयरवेज की फ्लाइट ऑरलैंडो के लिए थी । ऑरलैंडो में हमारे अभिन्न मित्र श्री महापात्रा की पुत्री संगीता रहती है । दरअसल उसी के बार-बार आग्रह करने के कारण हमने ओरलैंडो का कार्यक्रम बनाया था । वह हमें रिसीव करने एयरपोर्ट आ रही थी । अमेरिका में बातें करने के लिए प्रभा ने हमें एक यहीं ( अमेरिका ) का नंबर दे दिया था ।

सुबह 5:00 बजे हमने टैक्सी को बुलाया था । हमारे होटल से न्यूयॉर्क के लागार्डिया एयरपोर्ट तक की 45 मिनट की ड्राइव थी । सुबह का समय था रश कम था अतः 30 मिनट में ही हम एयरपोर्ट पहुंच गए । टैक्सी ड्राइवर अत्यंत शिष्ट लग रहा था । उसने हमारा सामान उतारा । हमने उसे पैसे दिए तो उसने टिप की मांग की थोड़ा अजीब लगा । फिर हमने उसे $5 पकड़ा दिए । बाद में पता चला कि यहां टिप्स मांगना उसका अधिकार है ।

यहां हमें बोर्डिंग पास जल्दी ही मिल गया । हमने अपना सामान अपने पास रखना चाहा जिससे प्लेन से उतरते ही हम दूसरी फ्लाइट पकड़ने जा सकें पर स्टाफ ने हमें इस बात की इजाजत नहीं दी । उसने हमें बताया हमारी इस फ्लाइट तथा शिरलौटे से ऑरलैंडो जाने वाली फ्लाइट में मात्र 44 मिनट का अंतर है हमारी बात सुनकर वहां उपस्थित स्टाफ ने कहा,' नथिंग टू वरी यू हैव सफिशिएंट टाइम ।'

संतोष की बात तो यह थी कि हमें बोर्डिंग पास न्यूयॉर्क से शिरलोटे तो मिला ही साथ में शिरलोटे से ऑरलैंडो भी मिल गया । कनेक्टिंग फ्लाइट होने के कारण बोर्डिंग पास में शिरलोटे का गेट नंबर भी दिया गया था ।

समय काफी था अतः हमने एयरपोर्ट पर बनी शॉप घूमने प्रारंभ की पर यहां भी कुछ भी ऐसा नहीं दिखा जिसे देखकर ऐसा लगे कि यह सामान खरीद ही लिया जाए अब तो हमारे भारत में भी एक से एक अच्छी चीजें मौजूद है वैसे भी यहां भी हमें अधिकतर सामान चाइना का ही बिकता दिखा चाहे वह कटलरी हो चाहे खिलौने या कपड़े … घूमते घूमते सोचा की अब कुछ खा ही लिया जाए पता नहीं प्लेन में कुछ मिलेगा या नहीं एक रेस्टोरेंट में बैठ गए सेल्फ सर्विस थी । आदेशजी कॉफी के साथ फ्रेंच फ्राई और बर्गर ले आए दरअसल हमें हमें यही शुद्ध शाकाहारी लगा । समय हो गया था अतः सिक्योरिटी चेक से होते हुए बोर्डिंग पास में लिखे गेट पर जाकर बैठ गए ।

अभी हम बैठे ही थे कि घोषणा हुई कि जो यात्री न्यूयॉर्क से शिरलौटे जा रहे हैं अगर वह इस फ्लाइट से न जाना चाहे तो वह इस फ्लाइट को छोड़ सकते हैं । हम उन्हें अगली फ्लाइट में अकोमोडेट्स कर देंगे तथा इसकी एवज में उन्हें $300 दिए जाएंगे ...। घोषणा सुनकर हम दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे । हमारे लिए यह राशि कम नहीं थी पर हमारे लिए ऐसा करना संभव नहीं था क्योंकि शिरलोटे से हमारी अगली फ्लाइट ऑरलैंडो के लिए थी । अगर हम न्यूयॉर्क से शिरलौटे वाली फ्लाइट छोड़ देते हैं तो शिरलोटे से ओरलैंडो की फ्लाइट पता नहीं कब मिलेगी ? वहां हमें लेने संगीता आ रही थी । उसको भी हमें अपने परिवर्तित कार्यक्रम के बारे में बताना पड़ेगा । वैसे भी शिकागो में हमारी फ्लाइट छूट जाने से मन घबरा रहा था कि इतने कम समय के अंतर पर हम शिरलोटे से ओरलैंडो की दूसरी फ्लाइट पकड़ भी पाएंगे या नहीं । अतः अपने प्रोग्राम में परिवर्तन कर हम किसी दूसरी परेशानी में नहीं पड़ना चाहते थे ।

आखिर बोर्डिंग का समय हो गया । जिस विमान में हम बैठे वह बहुत ही छोटा था शायद 60-70 लोगों की कैपेसिटी वाला विमान...विमान मुझे मेरा पर्स भी अपनी गोद में नहीं रखने दिया ।

विमान में सिर्फ कॉफी सर्व की गई । समय पर हम शिरलौटे पहुंच गये पर हमें अपने सामान का इंतजार करना था । विमान के बाहर निकलते ही, हमें एक जगह डेक नुमा जगह दिखी, जहां विमान से सामान निकाल कर रखा जा रहा था । लगभग 10 मिनट में हमारा सामान आ गया । जैसे ही हमारा सामान आया हमने अपना सामान लिया तथा निर्धारित गेट नंबर एच-22 पर हम लगभग दौड़ते दौड़ते पहुंचे । वहां जाकर पता चला कि हमारी फ्लाइट गेट नंबर एच-22 से नहीं, वरन बी-21से जाएगी । सिर्फ 25 मिनट बचे थे हमें लगा यह प्लेन भी मिस हो जाएगा क्योंकि हमने एच-22 गेट की तरफ जाते हुए एक जगह बी नंबर की गेट की ओर इशारा करते हुए एरो को देखा था । वह जगह काफी दूर था । शिरलोटे एयरपोर्ट काफी बड़ा है । इस एयरपोर्ट पर गेट नंबर एच पर जाने के क्रम में हमने ए, बी ,सी से जी, एच गेट की ओर इशारा करते एरो देखे थे तथा हर किसी में 20-22 गेट तो शायद होंगे ही । बी-21 गेट काफी दूर था । अभी हम सोच ही रहे थे कि उस गेट पर मौजूद स्टाफ ने एक बैटरी ऑपरेटेड मोटर गाड़ी की ओर इशारा करते हुए उसमें हमें बैठने का इशारा किया । हम उस गाड़ी में बैठ गए उसने हमारा बोर्डिंग पास लेकर कुछ लोड किया तथा हमें हमारे गेट के पास छोड़ दिया । तब जाकर हमने चैन की सांस ली ।

बोर्डिंग प्रारंभ हो चुकी थी । हम भी सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर विमान में प्रवेश कर गए । सारे घटनाक्रम पर गौर किया तो पाया इस तरह से गेट और ट्रेन के प्लेटफॉर्म भारत में भी चेंज होते रहते हैं, उनसे यात्रियों को परेशानी भी बहुत होती है । विशेषता वृद्ध तथा बीमार लोगों को... कभी-कभी तो भगदड़ में लोगों की जानें भी चली जाती हैं । क्या इसे रोका नहीं जा सकता ? ऐसी स्थिति में यहां यात्रियों को दी जा रही सुविधाएं भारत की तुलना में काफी बेहतर हैं । काश ! ऐसी ही सुविधाएं हमारे देश में भी होती !! इस मामले में हमें हमारा देश काफी पिछड़ा लगा ।

यह विमान बड़ा था... बोइंग 767 ...लगभग डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद हम ऑरलैंडो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे । न्यूयॉर्क से ऑरलैंडो पहुंचने में हमें लगभग 4 घंटे 20 मिनट लग गए । बने चिन्हों के सहारे हम बाहर निकले । वहां पर हमारे भारत के मेट्रो जैसी ट्रेन हमारा इंतजार कर रही थी । इस तरह की दो ट्रेनें वहां खड़ी थीं । दोनों ही यात्रियों को बाहर ले जा रही थीं तथा बाहर से अंदर ला रही थीं । हम बाहर जाने वाली ट्रेन में बैठ गए । लगभग 10 मिनट की यात्रा के पश्चात हम ट्रेन से बाहर आए ।

सुधा आदेश

क्रमशः