कुछ चित्र मन के कैनवास से - 13 - ओरलैंडो Sudha Adesh द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

कुछ चित्र मन के कैनवास से - 13 - ओरलैंडो

ओरलैंडो

ऑरलैंडो फ्लोरिडा स्टेट के मध्य स्थित अत्यधिक जनसंख्या वाला पर्यटक स्थल है । ऑरलैंडो को सुंदर शहर के नाम से भी जाना जाता है । जहां लेक एओला में स्थित फब्बारा इसका प्रतीक चिन्ह है । वहीं इसे विश्व का 'थीम पार्क कैपिटल' भी कहा जाता है ।

ट्रेन से उतरने के पश्चात हमने पिंकी संगीता से संपर्क किया । वह फ्लोरिडा में लेक मैरी में रहती है । उसी के पास हमें जाना था । उसे आने में अभी आधा घंटे की देरी थी । हम बाहर आ गए । बाहर वेटिंग एरिया भी काफी बड़ा था । कई गेट थे, बैठने के लिए कुछ बेंचेज थे , हमने उसे अपने बैठने का स्थान वहां लिखे साइन के आधार पर बता दिया तथा वहीं एक बेंच पर बैठकर उसका इंतजार करने लगे । थोड़ी ही देर में वह आ गई । लगभग 12 वर्ष पश्चात हम उससे मिल रहे थे । वह पहले जैसी ही चुलबुली लगी । अब उसके दो बेटे हैं सोम और अंशु । उसके पति सुकू जी (शुभ्रांशु ) भी बहुत ही गर्मजोशी से मिले । वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं । उनका यहां अपना घर है । घर पहुंचने में हमें लगभग 1 घंटा लग ही गया ।

उसका घर जिस कैंपस में है उसके अंदर प्रवेश करने के लिए एक बहुत बड़ा गेट है । शुभ्रांशु जी ने गाड़ी में बैठे- बैठे रिमोट से गेट खोला तथा अपने घर के सामने गाड़ी खड़ी कर दी । न गाड़ी से उतरना पड़ा न ही गेट खुलवाने के लिए किसी को बुलवाना पड़ा । भारत में ऐसी सुविधा आने में अभी बरसों लग जाएंगे ।

घर पहुंचते ही पिंकी हमें हमारे लिए नियोजित कमरे में ले गई तथा कहा, ' आंटी आफ फ्रेश हो लीजिए । तब तक मैं खाना लगाती हूँ।'

जैसे ही हम फ्रेश होकर बाहर आए । उसने गरमागर्म खाना परोस दिया । पूरी तरह इंडियन खाना... पिछले तीन-चार दिनों से फ्रेंच फ्राई और बर्गर खाते-खाते मन ऊब गया था । कोल्ड ड्रिंक तो मैंने इन 3 दिनों में इतनी पी थी कि मुझे लग रहा था कि इतनी तो अब तक मैंने पूरी जिंदगी में भी नहीं पी होगी क्योंकि मुझे कोल्डड्रिंक प्रारंभ से ही पसंद नहीं है । थोड़ी सी भी पीने से डकार आने लगती है पर यहां दिन में दो-तीन बार पीने के पश्चात भी ऐसा नहीं लगा या तो यह क्लाइमेटिक फैक्टर था या इतनी हैवी चीज खाने के पश्चात उसे पचाने के लिए इसकी आवश्यकता होती है । अधिकतर लोग पानी की वजह है यहां यही पी रहे थे क्योंकि यह पानी से भी सस्ता है । उस दिन हमने आराम किया ।

दूसरे दिन के लिए उन्होंने हमारे लिए यहां के मुख्य आकर्षण स्थल 'वाल्ट डिजनी वर्ल्ड रिजोर्ट ' के टिकट बुक करा दिए थे । हमें सुबह 7:00 बजे घर से निकलना था । इतनी सुबह भी हमारे मना करने के बावजूद संगीता ने हमारे साथ सब्जी परांठा पैक करके रख ही दिया । सुबह 7:00 बजे सुभ्रांशु जी ने हमें डिज्नी वर्ल्ड के गेट पर छोड़ दिया।
डिज्नी वर्ल्ड को चार हिस्सों में बांटा गया है । एनिमल किंग्डम, मैजिक किंग्डम, एपकोट तथा हॉलीवुड स्टूडियो । संगीता एंड सुभ्रांशु जी ने हमें सलाह दी थी कि 1 दिन में चारों भाग तो घूमना संभव नहीं है अतः पहले आप एपकोट जाइएगा क्योंकि एपकोट में साइंस से संबंधित जानकारियां हैं । वह आपको अच्छी लगेंगीं। उसके पश्चात अगर समय मिले तो हॉलीवुड स्टूडियो जाइएगा ।

टिकट हमारे पास थे ही ,उनको दिखा कर हमने अंदर प्रवेश किया तथा इनफॉरमेशन सेंटर 'यात्री जानकारी केंद्र ' में जाकर हमने बुकलेट ली । उसको देखकर हमने प्लान किया कि कहां से हमें घूमना प्रारंभ करना है । बुकलेट बहुत ही अच्छी थी। उसमें दर्शनीय स्थलों के साथ रेस्ट रूम , रेस्टोरेंट इत्यादि के बारे में भी पूरी जानकारी मैप (नक्शे ) के द्वारा दी हुई थी ।

सुधा आदेश
क्रमशः