Space in the space books and stories free download online pdf in Hindi

अन्तरिक्ष में पाखी

पाखी एक बड़ी ही प्यारी सी चंचल लड़की थी। अपने मम्मी पापा की सबसे प्यारी बेटी। इकलौती संतान थी पर कभी कोई नखरे नहीं थे पाखी के। अपने ही दुनिया में मस्त रहती थी।

पाखी को तरह-तरह के चित्र बनने का और उस पर रंग भरने का बड़ा ही शौक था।
वैसे पढ़ने में भी अच्छी थी पांखी,पर रंगों का बड़ा शौक था उसे ,

उसके पास तरह-तरह के डेढ़ सारे रंग थे। जब भी खाली होती थी पाखी तो वो कुछ देर अपने चित्रकारी में बिताती थी।जो भी बनाती थी वो अपने पापा को जरूर दिखाती थी।

ये उसके ड्राइंग बुक में हमेशा चांद, सितारे, अन्तरिक्ष यान इन सब का चित्र रहता था और पुछने पर बोला करती थी कि अन्तरिक्ष में मेरा घर होगा।

मम्मी ने कहा पाखी बेटा तैयार हो गई? पाखी ने कहा हां मम्मी,आती हूं।
तभी बस की होर्न बजने लगा और फिर पाखी भी दौड़ कर गेट के बाहर निकल गई।बस में चढ़ कर हांफने लगी और मम्मी को बाई बोली।
बस निकल पड़ी।

फिर सोनिया अन्दर आ गई और बोली ओह आज पाखी लंच बॉक्स भुल गई।

फिर सोनिया का दिनचर्या शुरू हो गया काम वाली बाई को सब सफाई करवाना इत्यादि।

सोनिया को पाखी का रूम कभी सजाना नही पड़ता था क्योंकि पाखी अपने कमरे को बहुत अच्छी तरह से सजा देती थी उसका कमरा देखने लायक होता था।दिवालो पर बहुत सारे आर्ट बने थे। कुछ बादलों के चित्र, कुछ अंतरिक्ष यान, सूर्य,तारा, चांद और ना जाने क्या क्या-क्या।
इतनी छोटी सी बच्ची की इतनी ऊंची सोच ही काफी है।


फिर उधर पाखी के स्कूल में आर्ट टीचर ने कहा कि सोमवार एक कंपटिशन होने वाला है टापिक है "अपनी सोच अपना रंग"।सब बच्चे डायरी में नोट करने लगे।

पाखी तो बहुत ही खुश हो गई और उसने भी नोट कर लिया।

फिर लंच ब्रेक में पाखी ने जल्दी से लंच किया और सीधे टीचर रूम में जाकर आर्ट टीचर रश्मि से कहा कि टीचर आप ने जो टापिक् बोला है उसके बारे में कुछ जानकारी चाहिए।

रश्मि टीचर हंसते हुए बोली अच्छा ठीक है पांखी मैं कल बतातीं हुं।

फिर पाखी क्लास में चली गई।

फिर स्कूल के बाद बस में बैठ कर घर आ गई।
पाखी ने नाश्ता करते हुए सब कुछ बता दिया मम्मी को।
सोनिया बोलीं अरे वाह पाखी इस बार भी तुम ही फर्स्ट आओगी।
पाखी ने कहा नहीं मम्मी इस वार की प्रतियोगिता आसान नहीं होगा।
सोनिया बोलीं अच्छा ठीक है नाश्ता खत्म कर लो।5बजे टूयशन टीचर आ जायेगी।
पाखी ने कहा हां।
फिर पाखी अपने रूम में आ गई और थोड़ी देर लेट गई और ऊपर लगे हुए चांद सितारों को देखने लगी।
ये सब पाखी को पसंद था तरह-तरह के चांद सितारे लटकने वाले सब खरीद कर लाई थी।
पाखी के रूम में उसके बहुत सारे आर्ट रिलेटेड पुरस्कार भी रखें थे।
पाखी को तरह-तरह के छोटे-छोटे पौधों को भी रखने का उनको पानी से सिंचने का बड़ा शौक था।
फिर टीचर आ गई। पाखी अभी कक्षा दो में पढ़ती थी।उसने टीचर को दिखाया क्या-क्या होम वर्क मिला है।
फिर मीना टीचर पाखी को पढ़ाने लगी और होम वर्क भी करवाया और एक घंटे बाद चली गई।

कुछ देर बाद पाखी के पापा आफिस से आ गए।

पाखी ने पापा को पानी दिया और फिर आर्ट कम्पिटीशन के बारे में बताया।

तभी पाखी के पापा ने कहा आंख बन्द करो।

पाखी ने जल्दी से आंख बन्द कर दिया।

पाखी के पापा अमित ने बैग में से एक पैकेट निकाला और पाखी के हाथ में रख दिया।
पाखी ने आंख खोला और तुरंत पैकेट खोल कर देखने लगी तो देखा कि बहुत सारे रंग थे।
कुछ पेस्टल शेड्स कुछ मोम कलर, स्केच कलर भी थे।साथ में कलर बुक्स भी लाएं।

पाखी बहुत खुश हो गई और पापा के गले लग गई।
अमित ने कहा पाखी इस बार भी आर्ट प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करोगी।
पाखी ने कहा हां पापा जरूर।


फिर पाखी और उसके मम्मी पापा तीनों घुमने चलें गए। घर के पास ही एक पार्क था जहां पाखी लोग अक्सर जाते थे । जहां पाखी बहुत देर तक खेलती थु।सोनिया और अमित बैठ कर बातें करते थे। हमेशा की तरह आज भी ये लोग बात कर रहे थे और पाखी खेल रही थी।
कुछ देर बाद सब लोग घर वापस आ गए।

फिर फे्श होकर खाना खा कर सो गए।


दूसरे दिन पाखी समय से उठकर स्कूल के लिए तैयार हो गई।
पाखी नाश्ता करके अपना लंच बॉक्स लेकर गेट पर पहुंच गई और फिर बस आ गया और पाखी बैंठ कर चली गई।


स्कूल पहुंच कर पाखी जब क्लास में गई तो उसकी सहेली रेनू ने कहा कि क्या तैयारी की हो।
पाखी ने कहा कुछ भी नहीं किया।
फिर आर्ट टीचर रश्मि मैम ने आकर बोला कि सोमवार को कुछ भी बना सकते हो जो तुम्हारा दिल चाहे।
फिर सब ने ड्राइंग बुक खोला और जो टीचर बोर्ड पर बनाई उसकी काॅपी करने लगे और रंग भी भरने लगें।

फिर पाखी के हर विषय की टीचर्स आने लगी और कक्षा कार्य करवाने लगी।
फिर स्कूल की छुट्टी हो गई और पाखी घर आ गई।
पाखी अपने कमरे में जाकर फे्श हो कर नीचे आ गई और फिर नाश्ता कर के अपने कमरे में जाकर आर्ट बनाने लगी।

जैसा कि हमने पहले ही बोला था कि पाखी को अंतरिक्ष यान, सूर्य तारा चांद सितारे, अन्तरिक्ष सूट और एलियन ये सब बनाती रहती और बातें करती रहती।उसे मन होता कि वह अन्तरिक्ष पर जाएं। और फिर उनके जैसे ऐयर सूट पहने।

इसी तरह समय बीतने लगा और फिर सोमवार प्रतियोगिता का दिन भी आ गया। पाखी समय पहले तैयार हो कर बस के लिए खड़ी रही फिर बस आ गया और पाखी चली गई।
कक्षा में पहुंच कर ही आर्ट प्रतियोगिता में पाखी बहुत ही उत्साहित हो रही थी। फिर सभी बच्चो को वाईट सीट मिल गया और फिर सब ने नाम लिखा और चित्र बनना शुरू कर दिया।

पाखी ने ड्राइंग बनना शुरू कर दी।पाखी ने बहुत ही खूबसूरत सा एक अंतरिक्ष यान, तारा चांद सितारे सब कुछ बना लिया और साथ ही एलियन का चित्र बना कर उसमें वाटर कलर करने लगी। पाखी का पुरा आर्ट हो गया फिर
टीचर को सबमिट कर दिया।

पाखी ने कहा टीचर इसका नतीजा कब पता चलेगा?
रश्मि टीचर ने कहा एक हफ्ते बाद।
फिर पाखी की छुट्टी हो गई।
पाखी जल्दी घर आ गई तो मम्मी ने कहा अरे आज जल्दी छुट्टी हो गई।
पाखी ने कहा हां मम्मी।
फिर पाखी अपने कमरे में जाकर सो गई।
और उसनेे एक सपना देखा कि वो अंतरिक्ष में गई है और मम्मी, पापा भी गए हैं।

शाम को पाखी की मम्मी ने उसे उठाया,उठो पाखी टीचर आ गई है।
पाखी उठ गई और आंख मलते हुए कहा कि मैं अंतरिक्ष में हुं ना।
सोनिया बोलीं पाखी लगता है कोई सपना देखा है।
पाखी तैयार हो कर नीचे आ गई और टीचर के पास पढ़ने लगीं।

शाम को पापा आ गए और पापा ने पूछा पाखी प्रतियोगित कैसा हुआ?

पाखी ने कहा हां पापा अच्छा हुआ।

फिर तीनों बाहर निकल गए ये लोग शापिंग मॉल गए और कुछ खरीदारी भी किया।
पाखी ने कई तरह के रंग बिरंगी आर्टिफिशियल फुल खरीद लिया।

सब घर लौट आए और डिनर करने के बाद सो गए।

दूसरे दिन पाखी के स्कूल की छुट्टी थी।

वो नाश्ता में दूध और फल खा लिया। उसके बाद अपने कमरे में जाकर रंग बिरंगी फुलों को सजाने लगी।

फिर कलर बुक में आर्ट बनाने लगी।

पाखी को तरह-तरह के छोटे-छोटे एलियन बनाने का भी शौक था।
फिर पाखी नहाने चली गई और फिर जब वापस आईं तो देखा कि उसके कलर बुक में कलर किया हुआ था। पाखी सोच में पड़ गई अरे मैंने तो कलर नहीं किया पर ये कैसे।।।
पर ये कलर किसने किया? पाखी सोच में पड़ गई और तभी सोनिया आकर बोली पाखी चल खाना खा लो।
पाखी ने कहा मम्मी आज एक अजीब सी बात हो गई।
सोनिया ने हंस कर बोली अब क्या हुआ? पाखी ने पुरी बात बताई।
सोनिया हंस कर बोली अरे पाखी ऐसा कुछ नहीं हुआ है तुझे याद नहीं होगा। तूने ही किया होगा यहां तो कोई नहीं आया।
पाखी ने सोच कर कहा अच्छा ठीक है चलो।
फिर दोनों खाना खा कर सोने चले गए।

फिर शाम को पाखी की टीचर आ गई और पाखी पढ़ने लगीं।
फिर पाखी के पापा आफिस से आ गए और फिर पाखी से पुछा कि बेटा आज क्या किया।

पाखी ने कहा हां पापा आर्ट बनाया ।
फिर तीनों तैयार हो कर निकल गए।
घुमने के बाद घर लौट आए।

फिर रात को डिनर करते समय बारिश होने लगी।

पाखी ने खुश होकर कहा सच में मज़ा आ गया। अब मैं डाइंग करूंगी।
पाखी अपने कमरे में जाकर खिड़की के पास बैठ कर चित्र बनाने लगी और फिर वो खिड़की बन्द करना भुल गई।
और फिर पाखी सो गई।
जब नींद खुली तो उसने देखा कि वो एक अंतरिक्ष यान में पहुंच गई है और चारों तरफ सिर्फ बादल, चांद सितारे सब दिख रहे थे।
पाखी को लगा कि शायद ये सपना है पर ये हकीकत में था।
पाखी ने देखा कि एक कोई बिना चहरे वाला उसे स्पेस सूट पहना दिया और पाखी भी यान पर उड़ रही थी उसको बहुत मजा आ रहा था।
फिर पाखी ने कई तरह के आकर्षित करने वाले चीजों को देखा ।
पाखी को उन सबकी भाषा नहीं समझ आ रही थी।
कुछ स्पेनिश भाषा शायद बोल रहे थे। पाखी का सपना पूरा हो गया था उसको बहुत मजा आ रहा था।उसको अपने पापा मम्मी को भी को भी शामिल करना था।
फिर सुबह हो गई और पाखी ने देखा कि वो अपने बेड पर सो रही थी।
पाखी उठ बैठी और बोली क्या कोई सपना था?
तभी अचानक पाखी ने अपने हाथ में कुछ अजीब सा वस्तु देखा तो वो डर गई और फिर अपने हाथ को झटका दिया।
और कुछ देर बाद वो वस्तु पलंग के नीचे चला गया।
फिर पाखी तैयार हो कर नीचे पहुंच गई और चुपचाप नाश्ता करके बाहर निकल गई।
फिर वो लंच बॉक्स लेना ही भुल गई ये कहते हुए सोनिया बाहर निकल आई पर पाखी का बस जा चुका था।

सोनिया भी अपने काम में व्यस्त हो गई

स्कूल में पाखी किसी को कुछ नहीं बताई क्योंकि उसे लगा कि सब मजाक उड़ाएंगे।
फिर आर्ट टीचर ने आकर आर्ट प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम घोषित किया।
प्रथम पुरस्कार दिया जाता है पाखी को।दि्तिय पुरस्कार दिया जाता है निवेश को।
तीसरा पुरस्कार दिया जाता है रेनू को।
सब ने मिलकर ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।
सभी को एक डिजिटल सर्टिफिकेट भी मिलेगा।
पुरस्कार लंच के बाद दिया जाएगा।
पाखी सोच में पड़ गई ओह ! मैं तो लंच बॉक्स भुल गई।
फिर लंच ब्रेक हो गया ‌पाखी ने ऐसे ही बैग में हाथ डाला तो लंच बॉक्स हाथ में आ गया।
पाखी एक दम से चौंक गई और फिर लंच बॉक्स खोल कर देखा तो उसकी पसंद का पुरी भाजी रखा था।
फिर पाखी को भुख लगी थी तो उसने खा लिया। और फिर आर्ट टीचर ने पाखी को एक मेडल और सर्टिफिकेट दिया जो कि डिजिटल था। और बाकी सब को पुरस्कार दिया गया।

घर आते ही पाखी ने अपना मेंडल और सर्टिफिकेट दिखाया और फिर मम्मी से पूछा क्या आप ने लंच बॉक्स रखा था?

सोनिया मायुस हो कर बोली अरे नहीं,भुल गई।

पाखी ने कहा क्या मतलब।ये देखो ये क्या हैं?
आज पुरी,भाजी रखा था ना, ये फिर से पाखी ने पूछा।
सोनिया बोलीं अरे पाखी मैंने तेरे बैंग में रखना भुल गई,पर पुरी भाजी ही बनाई थी पर पाखी तुझे कैसे पता?

पाखी ने कहा हां मम्मी आप ने ही दिया था।
फिर पाखी अपने कमरे में गई और जैसे ही अलमारी खोली तो देखा कि वो वस्तु बाहर निकल आया। पाखी तो देख कर दंग रह गई अरे वाह एलियन। बड़ी आंखें, चपटी नाक,मुंह अजीब सा।

पाखी खुश हो गई और उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और चद्दर से ढक दिया।


फिर पाखी नीचे खाना खाने बैठ गई और फिर बोली मम्मी मुझे भुख लगी जल्दी खाना दे दो।

सोनिया बोलीं अच्छा ये लो एक रोटी और ले लो।


फिर पाखी धीरे से रोटी लेकर ऊपर आ गई और फिर बोली अरे दोस्त उठो ना ये खा लो।
एलियन को तो ये सब पसंद नहीं था उसे तो धूप ,गर्मी चाहिए था।
उसने कुछ नहीं खाया और तबीयत खराब हो रही थी।

पाखी के पापा आफिस से आ गए और पाखी ने सब कुछ बता दिया।

सोनिया और अमित ये सुनकर विश्वास नहीं कर रहे थे और जब पाखी ने एलियन को दिखाया। सोनिया और अमित देख कर चौंक गए।
अमित बोलें ये कैसे हुआ।
पाखी ने तभी पुरी कहानी बताई।
इतना सुनते ही अमित ने कहा कि मैं लैपटॉप पर देख रहा हूं।
अमित ने लैपटॉप पर स्टडी किया और पाखी को सब समझाने लगे।

अमित ने बोलना शुरू किया।क्या तुमने कभी सोचा कि धरती पर ऐसे कई निशान और सुराग मिले हैं जो ना सिर्फ बहुत पुराने हैं बल्कि वो इतने सटीक हैं कि ये सोचना मुश्किल है कि उस काल में रह रहे लोगों ने उन्हें बनाया होगा।
अगर हम इस विषय पर काम करने वाले विशेषज्ञों की बात मानें तो एलियन के होने-ना-होने की पूरी कहानी इस सोच पर केंद्रित है कि सदियों पहले कई और ग्रहों पर भी एलियन यानी के परलोकी जीवों का वास था।
हिस्ट्री डॉटकॉम के मुताबिक ये सोच मानती है कि दूसरे ग्रहों के ये प्राणी हमसें कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं और उन्हें विज्ञान की हमसें कहीं अच्छी समझ है।
वो ये भी कहते हैं कि एलियनों के पास ऐसे उपकरण और साधन हैं कि वो धरती पर आते हैं और फिर चले जाते हैं। इस उपकरण को अक्सर अज्ञात उड़न तश्तरी यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के नाम से जाना जाता है।
चपटे गोले के आकार में दिखने वाले इन विमान के बारे में आज भी कई जगह लोग दावा करते हैं कि उन्होंने यूएफओ को देखा। इन पर कई किस्म की फिल्में बनी हैं। न केवल हॉलीवुड में बल्कि बॉलीवुड में भी। ईटी से लेकर क्रिश तक।
इसके अलावा लोगों के दावे भी हैरान कर देने वाले रहे हैं। बड़ी आंखें, बड़ा सा सिर, छोटा कद, अजीबगरीब आवाज और रहस्यमयी शक्ति भी है।
पाखी और सोनिया सब ध्यान से सुन रहे थे।

सदियों पहले वहां से मानवों के कंकाल और टूटी हडिड्यों का मिलना इस बात को इंगित करती हैं। इसमें एक बात ये भी जोड़ी जाती है कि ये कोई ऐसी जगह रही होगी जिसमें लोगों की बीमारियों को ठीक करने की दिव्य शक्ति रही होगी
कुछ दावे ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हो सकता है कि उस जमाने के लोगों को भी एयरक्राफ्ट जैसी चीजें बनाने का कोई आइडिया हो, इस वजह से वो रनवे वहां आज भी बना हुआ है।
तो उनको संज्ञान में लेकर ऐसा माना जाता है कि वो विमान कुछ और नहीं बल्कि एलियनों के अंतरिक्ष यान थे। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक विमान भी एक तरह से एलियनों के उड़नतश्तरी का संकेत होते थे।
भारत में तो कोई यूएफओ या फिर उड़तश्तरी देखने का किस्सा सुनाई नहीं पड़ता। इनमें से कुछ अंडाकार हैं तो कुछ चपटे हुए।


पाखी ने कहा पापा अब हमें जैसे भी हों अंतरिक्ष में जाकर इसे सही सलामत पहुंचाना होगा।

अमित ने कहा हां बेटा पर ये काम बहुत कठिन होगा।

किसी भी कीमत पर यूफ ओ से सम्पर्क करना होगा!
पाखी ने कहा हां पापा,पर किसी से कहना मत।
अमित हंस कर बोले हां मेरी समझदार पाखी।।


फिर सोनिया बोलीं अरे एलियन को धुप की जरूरत होती है।

पाखी ने कहा हां मम्मी ये फिल्म में दिखाया गया था।

अमित बोलें हां कल सुबह धूप निकलते ही उसे धूप दिखाना होगा।

फिर सब खाना खा कर सो गए।

दूसरे दिन सुबह जैसे ही कड़ी धूप निकल गई। अमित, सोनिया और पाखी उसे छत पर ले गए।
कुछ ही देर बाद ही उस एलियन को धुप मिलने लगा और वो धीरे-धीरे ठीक हो गया।
कुछ देर बाद ही वो बोलने लगा पाखी, पाखी सब लोग हैरत में पड़ गए।
अमित बोलें अब इसे नीचे लेकर चले।

फिर सारे नीचे पाखी के कमरे में आ गए।

तब उस एलियन ने कहा कि वो अभी छोटा है और उस रात जब पाखी सो गई और बरसात होने लगी तो अपने कमरे की खिड़की खुली रखी थी और फिर हम अन्दर आ गए और हमने देखा कि हर तरफ हमारे घर का चित्र बना है जिसके कारण हम बहुत खुश हो गए और पाखी को अपने अंतरिक्ष यान पर ले गए। जब उसे हम छोड़ने आएं तो हमारा बैटरी डाउन हो गया और हम छुट गए।पर आप लोगों ने मेरी मदद कर दो।।मदद कर दो।। एक और मदद।ये बैटरी लाइफ है ये लेकर आओ।आओ।

अमित ने कहा हां, जरूर। पाखी ने कहा अच्छा तुमने ही मेरा लंच बॉक्स स्कूल पहुंचाया था?

एलियन बोला हां, हां । हमारी समझने की शक्ति ज्यादा है। इसलिए हम तुम्हें लंच बॉक्स देने गए थे।
पाखी हैरान हो कर पुछी अच्छा वहां किसी ने देखा क्यों नहीं?
एलियन बोला अरे मैं तो गेंद बन कर गया था।
अमित बोलें मैं अभी आता हूं।

फिर अमित एक बड़े से इलेक्ट्रानिक उपकरणों की दुकान पर गए। और वो बैटरी दिखाया तो वो दुकान दार हैरान हो कर बोला अरे सहाब ये कहां से मिला?
अमित बोलें क्या ये तुम्हारे पास है? दुकान दार बोला नहीं सर ये कहीं नहीं मिलता।
ये सब तो यान में पहुंचने पर काम आता है।


अमित वहां से घर आ गए और लैपटॉप पर खोज करने लगे की ये बैटरी लाइफ का इस्तेमाल कहा होता है। बहुत छानबीन करने के बाद अमित को पता चला कि इसे चार्ज किया जा सकता है तो तुरंत चार्ज करने दे दिया।
फिर सुबह हो गई फिर पाखी भी अपने स्कूल चली गई।
पाखी का मन स्कूल में नहीं लग रहा था पर क्या करें किसी को नहीं बता सकती थी। फिर जब छुट्टी हो गई किसी तरह वहां घर आ गई।

अमर, सोनिया और पाखी तीनों वह बैटरी लाइफ लेकर गए और बोले ये देखो।
एलियन ने वो बैटरी अपने हाथ पर लगे घड़ी में लगा दिया और तुरंत एक आवाज आने लगा।
एलियन बोला मैं सन्देश भेज दिया ।हम लोग मिलकर कर जायेंगे।
पाखी बहुत खुश हो गई और बोली अरे वाह आज पापा, मम्मी भी जायेंगे।
फिर पाखी ने अपने आर्ट बुक से एक चित्र निकाल कर एलियन को दिया। दोस्त एलियन बहुत खुश हो गया उसकी आंखे नीली -नीली सी थी।
पाखी के लिए ये एक सपना था।

फिर कुछ देर बाद ही एलियन उठ खड़ा हुआ और बोला।छत पर चलो।छत पर चलो।

फिर सब मिलकर छत पर चले गए और फिर कुछ देर बाद ही एक बड़ा सा अन्तरिक्ष यान आ गया।

हवाएं इतनी तेज हो गई जैसे कि तुफान आने वाला हो और वो यान पाखी के छत के ऊपर ही था। इतनी लाइटें जल रही थी कि पुरा छत देखने लायक था।

फिर इतनी आवाज से सारे कोलोनी वाले बाहर आ गए।उन लोगों ने वो नजारा देखा कि एलियन एवं पाखी और उसके मम्मी पापा भी धीरे-धीरे उस यान के तरफ बढ़ गए और फिर दरवाजा बंद हो गया और हवा में कुछ देर बाद उड़ गया।

सब लोग मिलकर बात करने लगे ये क्या था और पाखी कहा गई?


फिर बादलों के भीतर से वो यान गुजरने लगा।
अन्दर पाखी को और उसके मम्मी पापा को स्पेस सूट पहना दिया गया और वो उड़ने लगे।

पाखी का ये सपना सच हो गया।
एलियन के बड़े साथी ने एक छोटा सा घड़ी पाखी को दिया और कहा जब भी मन करे हमसे संपर्क करने का घड़ी के बटन दबाकर हमें बुलाना और कोई भी मुश्किल हो तब भी हमें बुलाना।
हमने देखा कि तुम हमलोगो को कितनी पसन्द करती हो।
फिर सुबह पाखी अपने कमरे में सो कर उठी और फिर उसने देखा वो घड़ी उसके हाथ में है।
पाखी रोने लगी तो सोनिया और अमित आकर पाखी को समझाया कि दोस्त का जीवन यहां पर नहीं है इसलिए वो चले गए।

ये खबर अखबार में प्रकाशित हो गई। मीडिया वाले भी इन्टरव्यू लेने पाखी के घर पहुंच गए।

पुरी कहानी सुनकर सभी पाखी की समझदारी की तारीफ कर रहे थे।

पर पाखी ने वो घड़ी के बारे नहीं बताया क्योंकि एलियन दोस्त ने मना किया था।

इसी तरह पाखी फिर अपने चित्रकारी में कुछ नया करने लगी जो अब हकीकत में उसके अन्तरिक्ष में जाकर रहने का सपना पूरा हो गया था तो उसने चित्र बना कर भी दिखाया क्योंकि उसका सपना सच हो गया था मम्मी पापा को लेकर पाखी अन्तरिक्ष में गई थी और भविष्य में फिर कभी जायेगी।


बस दोस्तों ये कहानी एक छोटी सी बच्ची पाखी और उससे जुड़ी चित्रकारी की है ।मेरा उद्देश्य सिर्फ इतना ही था कि जो जहां पर है उसे वहीं रहने दें। कभी किसी को चोट ना पहुंचाये।


बस आज यही तक।युही मेरे लिखीं कहानी को पढ़े और मुझे प्रोत्साहित करे। धन्यवाद।




अन्य रसप्रद विकल्प