भोला बन्दर और नटखट चुहिया RACHNA ROY द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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भोला बन्दर और नटखट चुहिया


चंपक वन में सभी जानवर खुशी से मिल -जुल कर रहते थे, कि एक दिन अचानक एक साल बाद नितु चुहिया शहर से वन में रहने आ गई।
चंपक वन के हर जानवर उसे देख रहे थे। सर पर लाल टोपी, आंखो में चश्मा, हाथ में सुनहरा बैग। सब मज़े ले रहे थे। तभी नितू बोली - क्यों चोरी करने का इरादा है क्या? सब चुप हो गए।
तभी हाथी दादा बोले- नितू शहर का रंगीन चश्मा उतार लो ये हमारा वन है और हम सोचे थे कि तुम बदल गयी होगी पर तुम तो और भी घमंडी हो गई हो। नितू बोली- चलो हटो डिस्टर्ब मत करो। और तभी भोला बन्दर अपनी दुकान छोड़ कर आया और बोला- क्या बात है सब परेशान दिख रहे हैं।मोनू हिरण ने कहा लगता है वो फिर से हमारे वन में शान्ति भंग करने आई है।
नितू बुदबुदाती हुई जाने लगी। लालू गधा बोला सावधान रहना सभी, कहीं ये फिर से चोरी ना करें। किटी लोमड़ी ने कहा हां भई ,भोला दादा तुम बहुत भोले हो। भोला बन्दर ने कहा मैं दुकान छोड़ कर आया था, ग्राहकों की काफी भीड़ है -मैं चला।
भोला बन्दर का होटल था जहां पर हर प्रकार का खाना मिलता था। चंपक वन में यह दुकान काफी चलती थी क्योंकि जो नौकरी करते थे वो सब यहां पर खा लेते थे। नितू के घर के सामने ही भोला बन्दर का होटल था।नितू चुहिया खिड़की से झांक रही थी। और फिर खाने की खुशबू आने लगी नितू चुहिया को भूख भी लग रही थी तो सीधे होटल में पहुंच गई।नितू चुहिया ने कहा - हेलो भोला कैसे हो?भोला बन्दर बोला कि मैं ठीक हूं पर तुम बदल गई हो।नितू चुहिया हंस कर बोली कि तुम शहर चलो एक दम अलग दुनिया है। भोला बोला ना बाबा मुझे तो मेरा वन ही प्यारा है। नितू चुहिया बोली क्या खाने में है? भोला बन्दर बोला जो चाहो वो मिलेगा। नितू चुहिया बैठी और खाना मंगवाया। फिर बड़ी चालाकी से डट कर खाना खा लिया और जाने लगी। तभी भोला बन्दर बोला पैसे तो दो। नितू चुहिया बोली कि हां तो ल़ो ना। कह कर पांच सौ का नोट दिया। भोला बन्दर ने कहा ये क्या। मेरी इतनी कमाई नहीं है । ठीक है बाद में दे देना। नितू चुहिया हंसती हुई चली गई।भोला बन्दर सचमुच का भोला था उसने खाते में लिख दिया। उधर नितू लालच पर उतर आई। उसके इरादे नेक नहीं थे। वो छिप कर भोला बन्दर के होटल के पीछे रास्ते पर गई। और अंधेरा होने पर गड्ढा खोदना शुरू किया ।एक सुरंग बनाने में उसको काफी मेहनत करनी पड़ी । सुरंग सीधे उसके घर को जाता था।
इस चीज को करने के लिए मेहनत करनी पड़ी थी।रात भर काम करती दिन भर सोती रहती थी। और सुबह होते ही उसे भूख लगती तो सीधे भोला बन्दर के होटल पहुंच जाती। रोज का काम था ।
आज तो देसी घी की खुशबू आ रही है। क्या स्पेशल बना है? नितू चुहिया बोली।भोला बन्दर ने कहा हां,जाओ खा लो।नितू चुहिया खुशी से झूम उठी और आराम से खाना खा कर बोली भोला बन्दर कितना बिल हुआ? फिर वही नकली पांच सौ का नोट दिया। बिचारा भोला बन्दर ने कहा फिर से बड़ा नोट । मेरे पास तो पचास ,साठ रुपए होते हैं।नितू चुहिया बोली कल ले लेना। उसकी इतनी खराब आदत थी कि मुफ्त की रोटी अच्छी लगती थी। घर आकर रात का इंतज़ार करने लगी। बिचारा भोला बन्दर अपना होटल बन्द करके चला गया। और रात को नितू चुहिया अपने बनाये सुरंग से घुसी और होटल में जाकर भर पेट गेहूं खाई।कुछ सामान लिया और सब कुछ इधर उधर बिखर गया और इसके अलावा समोसे मिठाई भी हजम कर गई। और फिर वापस आ कर सो गई।नितू चुहिया को आधी रात से ही बदहजमी हो गई।तबीयत बिगड़ गई उल्टियां और पेट दर्द से कहारने लगी पर उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। सुबह भोला बन्दर आकर अपना होटल खोला तो देखा कि सब कुछ बिखरे हुए थे गेहूं की बोरी में छेद था मिठाई बिस्कुट सब इधर उधर पड़ा था ये देख कर भोला रोने लगा। उसके दो कर्मचारी सब साफ़ करने लगे।रोज सुबह आने वाले ग्राहक भी चले गए।भोला बन्दर का भारी नुक़सान हो गया। और फिर उधर से हाथी दादा गुजर रहे थे तो देखा और कहा क्या हुआ।भोला बन्दर बोला कि दादा सब कुछ नुकसान हो गया।हाथी दादा ने गुस्से में आकर बोला- किसकी इतनी हिम्मत हुई ? और फिर चले गए। भोला और उसके कर्मचारी मिल कर किसी तरह से सब कुछ पहले जैसा ठीक करते करते शाम हो गई। भोला बन्दर सोचने लगा कि आज नितू चुहिया नहीं आई क्या हुआ चल कर देखते हैं। और जब घर की तरफ गया तो भोला बन्दर ने बुलाया नितू चुहिया कैसी हो? तभी आवाज आई ऊई मां मैं मर रही हुं। तभी भोला बन्दर जल्दी से अन्दर घुस गया।तो देखा कि बेड में नितू चुहिया दर्द से कराह रही थी।भोला बन्दर बोला कि क्या हुआ? नितू बोली मुझे डॉ के पास ले चलो।भोला बन्दर ने जल्दी से नितू चुहिया को लेकर डॉ मैना के पास ले गया। डा -मैना ने पूछा इसे क्या हुआ ? भोला बन्दर बोला। डॉ दीदी आप देख लो। डॉ मैना ने चेक किया तो बोली शरीर तो बुखार से जल रहा है। मैं इंजेक्शन दे देती हुं। लगता है कुछ ज्यादा खाने की वजह से हुआ है।
भोला बन्दर सोचने लगा कि आज तो नीतू खाना खाने नहीं आई थी और ना ही वो घर पर खाना बनाती है, तो क्या? नहीं - नहीं शायद मैं ग़लत सोच रहा हूं। डॉ- मैना ने दवा लिख दिया।भोला बन्दर ने फीस दिया और नितू चुहिया को लेकर उसके घर आ गया। भोला बन्दर वहां से दवाई के दुकान पर गया और सारी दवाई लेकर आया। और फिर नितू चुहिया की दिन रात एक कर के उसकी देखभाल की, समय से दवा और बिना मसाले की खिचड़ी भी बना कर खिलाया। इस तरह एक हफ्ता बीत गया। और एक दिन नितू चुहिया उठ बैठी और उसने देखा कि भोला बन्दर ने उसकी इस तरह से सेवा की जिस कारण भोला बन्दर की सेहत बिगड़ गई।नितू चुहिया को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भोला बन्दर के पैरों पर गिर पड़ी और रोने लगी। और फिर सारी बात बताई।भोला बन्दर ने कहा चलो ठीक है तुमको पछतावा है और कुछ नहीं चाहिए मुझे।नितू चुहिया बोली मुझे बहुत पछतावा है। मैंने अपनी मौसी को फोन किया है वो आ रही है , तुम्हारा जितना नुकसान हुआ है वह दे देंगी। दूसरे दिन नितू चुहिया ने जो समान लिया था वो भोला बन्दर को वापस कर दिया और मौसी के आते ही भोला बन्दर को सारा रूपए दे दिया और जाने की तैयारी कर ली।भोला बन्दर बोला कि नितू चुहिया क्यों जा रही हो? नितू चुहिया बोली नहीं भाई मुझे जाना होगा मैं जल्द वापस आऊगी। अपने आप को बिल्कुल बदल कर आऊगी। मेहनत करूंगी,अपना पैसा कमाऊंगी तभी आऊंगी। और भोला भाई तुमने जो मुझे नया जीवन दिया है उसको कभी नहीं भूल सकती हुं। और फिर सब अपने काम में लग गए।
देखा दोस्तों -हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए और भोला बन्दर जैसा इतना सीधा भी नहीं होना चाहिए क्योंकि -उसका फायदा कोई भी उठा सकता है।