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हम पंछी एक डाल के






तन्मय, रमा, राही और राहुल चारों बचपन के दोस्त हैं। तन्मय और रमा अनाथ बच्चों के आश्रम में रहते हैं। पर राही अपने मामा के घर रहती है। राहुल अपने पापा के साथ रहता है। एक बस्ती में रहने से चारों की दोस्ती है। दिनचर्या में चारों एक पेड़ के नीचे शुरू किया करते है।

खेल कूद में समय बिताते हैं। लेकिन ये स्कूल जाने के लिए उत्सुक हैं पर गरीबी रेखा के नीचे हो ने की वजह ये पीछे रह गए हैं। बस्ती के सामने एक आशियाना है। जिसमें इनकी ही हम उम्र लड़की नेहा रहती है और वह अपने बालकनी से हमेशा इन बच्चों को देखती रहती है लेकिन नेहा के मां पापा के पास नेहा के लिए समय नहीं है नेहा आया के साथ रहती है। एक दिन नेहा इन बच्चों से मिलने पहुंच जाती है। नेहा बोलती है कि मैं तुम लोगों से दोस्ती करना चाहती हु चारों उसकी तरफ देखने लगते हैं। तन्मय बोला- पर तुम तो बहुत अमीर हो। नेहा ने तेज़ी से पूछा कि- क्या अमीर हो ना पाप है? मैं तो दोस्त करना चाहती हूँ रमा खुश हो कर बोली - ठीक है मैं इनका नाम बता देती हूं मैं हूं रमा, ये है तन्मय, ये राही , और राहुल। अब तुम अपना नाम बता दो ये रमा ने कहा। नेहा ने बताया कि मेरा नाम नेहा है। फिर राही बोली कि आओ हम खेले। सभी एक साथ खेलने लगे शाम हो गई नेहा ने कहा- अब हम जाते हैं कल मिलेंगे। चारों ने हाथ हिलाकर अभिवादन किया। नेहा जब घर पहुंची तो आया ने कहा- तुम को वहां नहीं जाना चाहिए था नेहा सर को पता चला तो मुसीबत होगी। नेहा की आंख लाल हो गई थी। वह बोली- आप पापा को नहीं बोलना। रात को खाना खाते समय भी नेहा अपने दोस्तों को याद कर रही थी। उसे खाने का मन नहीं हुआ। जब आया सो गई तब नेहा किचन में गई और डेढ़ सारा पिज़्ज़ा रख लिया। केक रख कर सोने चली गई। सुबह जल्दी उठकर कर तैयार हो गई नाश्ता किये बिना अपने दोस्तों के पास गई नेहा ने कहा- मैं कुछ लाई हूं तुम लोगों के लिए का लेना ।तन्मय बोला- क्या युनिफॉर्म है नेहा मुस्कान के साथ बोली शाम को मिलती हु मेरा बस आ गया ये बोल कर नेहा बस में चढ़ गई। सारे मिलकर हाथ हिलाकर अभिवादन किया । फिर तन्मय ने कहा कि- नेहा ने कितना नाश्ता दिया है। चलो मिल कर खाते हैं सारे मिल कर पिज़्ज़ा और कप केक खाया,उनको पहली बार इतना अच्छा खाना मिला था। स्कूल में नेहा का ध्यान उसके दोस्तों पर था काश मेरे दोस्तों को मेरे स्कूल में पढ़ने का मौका मिल जाता ऐसा सोच में हुए नेहा की आंखें नम हो गई। नेहा , ने हां where are you? ऐसा नेहा की दोस्त शबनम ने कहा। नेहा नहीं मैं यहां हूं तो पर कुछ सोच रही थी ।शबनम ने बताया कि आज गणित का पेपर है। नेहा पता है । फिर लंच लेकर दोनों मैदान में चलें नेहा ने शबनम को अपने दोस्तों के बारे में बताया। जब छुट्टी हो गयी तो नेहा घर आकर बालकनी से देखने लगी। तन्मय ने हाथ हिलाया। नेहा ने हाथ हिलाकर अभिवादन किया आया ने कहा – नेहा नाश्ता करने आओ। नेहा तेजी से बाहर की ओर बढ़ गई बोली आकर करती हुं। आया ने बताया – आज सर अभी आने वाले हैं । नेहा बिना सुने चली गई।दोस्तों के बीच पहुंच गई। फिर सब मिलकर कर लुका छुपी खेलने लगे। राहुल बोला- नाश्ता अच्छा था । नेहा हंस कर बोली- सब को पसंद आया। मैं रोज सुबह ले आऊंगी। राही बोली – पर घर में डांट पड़ी तो? नेहा – नहीं कोई नहीं डांटेगा, तुम सब के लिए मिठाई लाई रमा ने कहा – नेहा तुम अमीर हो। नेहा बोली- नहीं मैं तुम लोगों की तरह हु। राही मासूम सी बोल पड़ी- नेहा तुम्हारी घड़ी बहुत अच्छी लगी नेहा ने कहा – मैं कल तुमको देती हुं। तन्मय बोला- परसों राही का सालगिराह है।। नेहा ने कहा कि वह अपनी राही का सालगिराह मनाएगी। उधर घर में नेहा के मां पापा आ गए। नेहा की मां आते ही रोब दिखाने लगी। आया को डांट दिया नेहा कहा है? आया ने कहा – खेलने गई। आया -जल्दी से बाहर निकल कर नेहा को लेकर आ गई।नेहा बोली - मां आज जल्दी आ गई?? मां मुझे अभी होम वर्क करना है। मैं जा रही हुं। मां ने कहा- ओह, नेहा के लिए चिकन लाई । नेहा ने अपनी पढ़ाई पूरी की फिर टहलने लगी। तभी बालकनी से तन्मय बोला- नेहा तुम्हारा घर देखने आया। ने हां ने कहा-एक बार फिर आना हा ।आया भी टहलने गई। तभी नेहा
किचन में जाकर चिकन ,बीस नान पैक कर के जल्दी से नीचे उतर कर गेट के पास गई। कुछ देर बाद तन्मय आ गया और नेहा ने तेज़ी से कहा- ये सब मिलकर खाना। फिर नेहा हाथ हिलाकर अभिवादन किया और घर लौट आई। फिर अपना डिनर किया और सोने चली गई।
दूसरे दिन सुबह नेहा का मन खुश था। उधर चारों दोस्त पेड़ के नीचे नेहा का इंतजार कर रहे हैं। नेहा पहुंच कर बोल पड़ी- खाना कैसा लगा? चारों बोल पड़े- खाना बढ़िया था वह चिकन था ना। नेहा ने कहा - हां, अच्छा टाटा। तन्मय ने कहा - कितनी अच्छी दोस्त हैं हमारी।राही बोली- हां ,हमारा कितना ख्याल रखती है। तभी नेहा की आया आकर बोली- देखो बच्चों तुम भी भोले हो नहीं समझते , नेहा से मेलजोल मत बढ़ाओ उसके माता-पिता बड़े ही गर्म मिजाज के है।उनको पता चला कि उनकी बेटी गन्दी बस्ती में आती है तो यह बस्ती हटते देर नहीं लगेगी। मुझे जो कहना था कहा। आगे तुम लोग सोच लेना। चारों सोचने लगे। अगर बस्ती नहीं रहेगा तो क्या होगा। शाम को जब नेहा वहां पहुंची तो सब उदास थे। नेहा चौक कर बोली- क्या बात है रमा? रमा ने कहा - नेहा अब यहां मत आया करो वरना बिमार पड़ जाओगी। तन्मय उदास हो कर बोला- हंमारी दोस्ती नहीं हो सकता है। नेहा सुन कर रो पड़ी बोली अब क्या करूं सुबह तक सब खुश थे। फिर घर आकर सो गई।
सुबह तैयार होकर कर जब जाने लगी तो उसने घड़ी,केक,टाफिया लेकर पेड़ के पास पहुंच गई।राही और उसके तीनों साथी वहां थे। नेहा ने कहा - राही जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और ये लो तुम्हारा तोफा।राही - पर मैं।नेहा ने रोते हुए कहा - ले लो वरना मुझे दुःख होगा।राही ने ले लिया और उसके गले लग गई। फिर नेहा चली गई। स्पोर्ट्स में भी नेहा का मन नहीं लगा। शबनम ने कहा- नेहा तुम को तो बुखार है।हाफ डे कर लो।नेहा ने टिंचर से छुट्टी लेकर घर आ गई। और फिर लेट गई।आया ने तुरन्त देखा तो डाक्टर को फोन किया। डाक्टर साहब आ गए। तभी नेहा की मां भी आ गई। डाक्टर ने कहा कि नेहा को डेंगू हो गया है।बाहर की चीज खाई होगी। नेहा ने मां ने कहा - सारा दिन कहा रहती हो तुम? नेहा क्या करती हैं, कहा जाती है।आया - मैम वह बस्ती में खेलने जाया करती है। नेहा की मां ने कहा - क्या उस बस्ती में जाती है ? तुम को किसी बात के पैसे देती हुं, एक बेबी तो नहीं सम्हाल पाती। तभी नेहा की सहेली शबनम आ गई। शबनम ने कहा - हलो आंटी नेहा कैसी है? नेहा की मां - बेटा उसको डेंगू हो गया। शबनम ओह! मैं मिल लेती हुं।शबनम नेहा के रूम में गई।देखा तो नेहा हो रही थी। फिर शबनम चली गई। बाहर निकल कर उसने देखा वह बदबूदार बस्ती।उस पेड़ के पास गई जहां नेहा के दोस्त नजर आए। तन्मय ने कहा- नेहा को क्या हुआ? शबनम ने बताया- नेहा को डेंगू हो गया । सभी रोने लगे।शबनम ने पूछा- क्या यहां पर मच्छर है? राही बोली - हां बड़े मच्छर है।शबनम कुछ सोचते हुए घर चली गई।
दूसरे दिन सुबह मुनशिपालटी के लोग आकर सफाई करवाने लगे। बस्ती में गन्दगी के साथ नाली में जमाव के कारण मच्छर ज्यादा होने लगे। कुछ देर के बाद बस्ती साफ हो गई। बच्चों को खुशी का ठिकाना नहीं था।शाम को जब शबनम नेहा को देखने आई तो नेहा पहले से अच्छी थी।आया ने बताया कि आज बस्ती में पुरी सफाई हुई है।शबनम ने बताया - उसके चाचा कलेक्टर है तो शबनम ने कहा था तो उन्होंने करवाया। फिर शबनम ने नेहा को पुछा- कैसी हो? नेहा - कमजोरी है।शबनम ने बताया- नेहा वह बस्ती अब साफ हो गया और तुम्हारे दोस्त बिमार नहीं होंगे। नेहा बोली- मैं अपने दोस्तों से मिलना चाहिए हु। तभी नेहा के मां पापा ने कहा - एक दम नहीं। फिर चारों दोस्त बाहर से बुलाने लगे। फिर क्या था नेहा के मां पापा नीचे पहुंच गए और बोले- क्या बात है शोर मचा रहे हो।भागो यहां से। तन्मय बोला- नेहा को देखने आए हैं। नेहा की मां ने कहा - गन्दे बच्चों , तुम लोगों की वजह से नेहा बिमार हो गई। कभी मत आना । चौकीदार इनको आने मत देना।शबनम ने सब कुछ देखा नेहा को बताया। फिर नेहा रोने लगी। और मन में सोचा कि ये कैसा भेदभाव है।
फिर धीरे धीरे नेहा ठीक हो गई। और वह उदास रहने लगी। एक दिन घर का सारा समान पैक हो रहा था। नेहा ने पूछा- मां कहां जा रहे हैं? मां ने कहा - नेहा हम शिफ्ट हो रहे हैं जहां शबनम रहती है । नेहा - पर क्यों मां यहां भी अच्छा है।आया बोली - नेहा तैयार हो जाओ। नेहा रोने लगी। फिर शाम तक सारा समान ट्रक में जाने लगा।तन्मय ,राही, राहुल,रमा सब सोचने लगे कि कोई जा रहा है ? नेहा ने आया से कहा कि मैं अपने दोस्तों से मिलने जा रही हुं।आया ने कहा- ठीक है। नेहा जल्दी उनके पास गई।उस पेड़ के पास जाकर देखा तो सब वहां थे।नेहा को देख कर राही बोली - कैसी हो? तन्मय क्या तुम लोग जा रहें हों? नेहा ने कहा - हां, तुम सबको मैं हमेशा याद करूंगी। सभी को रोना आ गया। राहुल बोला- नेहा हम याद रखेंगे की हम पंछी एक डाल के। तन्मय ने कहा काश नेहा गरीब होती।राही मासूम सी बोली- नेहा हम तुम्हारे लम्बी उम्र की कामना करते हैं। तभी रमा ने एक मोती का माला नेहा को पहना दिया। नेहा खुश हो कर बोली अरे ये मेरे लिए अनमोल है, मोतियों को बिखरने नहीं दुंगी मैं कभी। राहुल को नेहा ने एक लिफाफा दिया मेरे जाने के बाद पढ़ना । तन्मय को एक बैग दिया नेहा ने और बोली कुछ है सबके लिए। राहुल बोला- नेहा जब हम बड़े हो जायेंगे तो दुबारा मिलेंगे। नेहा ने तेज़ी से कहा - नेहरू पार्क आ सकते हो। सब रोने लग पड़े।नेहा बोली - अब चलती हूं।टाटा किया सबने। और फिर नेहा कार में सवार होकर चली गई।सब अपना नम आंखों से फिर पेड़ के नीचे आकर बैठ गए। तन्मय ने बैग खोला तो उसमें एक डब्बा चाकलेट,टेप रिकॉर्डर, और डेढ़ सारा रूपया। सभी चौक गये। राहुल ने कहा कि अब चिठ्ठी पढ़ लेता हूं। "प्यारे दोस्तों . तन्मय,राही,रमा, राहुल तुम लोगों की नजरों से दूर जा रही हुं पर हमेशा साथ रहुंगी। मैं अपना जमा किया हुआ रूपए १५००० तुम्हारे लिए देकर जा रही हुं। तुम कुछ अच्छे काम में लगा सकते हो। तुम लोग मेरे लिए अनमोल हों। गरीब नहीं हो तुम लोग। हमारी दोस्ती के बीच कभी ये सब नहीं आयेगा।हम सब एक डाल के पंछी है। पंछियों का झुंड तो देखा होगा ,बस इतना समझ लेना कि वह टोली हमारी है। तुम्हारी नेहा।, " राहुल ने खत को बार-बार पड़ा और सब रोने लगे। तन्मय बोला- काश नेहा हमारे साथ होती।रमा- हां, बहुत अच्छी दोस्ती निभाई आज हमारी बस्ती उसके वजह से साफ हो गया। राहुल ने कहा-नेहा बिमार थी पर हम लोग नहीं जा सके।रमा - गये तो थे लेकिन उसके माता-पिता ने आने से मना कर दिया था। इसी तरह समय बितने लगा। और ये बच्चे रोज सुबह पेड़ के नीचे मिलते थे। और नेहा को याद किया करते थे। और नेहा भी बिते हुए पलों को याद कर रो पड़ती है। तो दोस्तों ये कहानी से हमें ये सीख लेनी चाहिए कि बच्चों को कभी अलग नहीं बताना चाहिए और उनमें अमीर गरीब नहीं होता है तभी तो ये सब एक डाल के पंछी होते हैं।

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