मेरे शब्द मेरी पहचान - 1 Shruti Sharma द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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मेरे शब्द मेरी पहचान - 1

----वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो----

वो दोस्ती ही क्या जिसमें प्यार न हो ,
वो सफलता ही क्या जिसमें इन्तजार न हो ,
दोस्ती तो दो आत्माओं का मिलन है ,
पर वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो ।।

वो पानी की क्या जो प्यास न भरे ,
वो साथी ही क्या जो विशवास न करे ,
एक दोस्त का तो जन्म सिद्ध अधिकार होता है अपने दोस्त को पकााना ,
पर वो दोस्त ही क्या जो बकवास न करे ,
वो दोस्त ही क्या जिस पे ऐतबार न हो ।
वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो ।।

वो जिंदगी ही क्या जो इम्तिहान न ले ,
वो खुशी ही क्या जो मुसकान न दे ,
एक दोस्त तो अपने दोस्त की मन की बात तक जान लेता है ,
पर वो दोस्त ही क्या जो अपने दोस्त के छिपे आँसुओं को पहचान न ले ,
वो दोस्त ही क्या जिस पे जान निसार न हो ।
वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो ।।

वो दोस्त ही क्या जो अपने दोस्त के साथ हर बार ना हो ,
वो दोस्त ही क्या जिसे अपने दोस्त की हर बात से इकरार ना हो,
वो बात ही क्या जिस बात में दोस्त का ही इजहार ना हो,
वो दोस्त ही क्या जिस पे ऐतबार न हो,
वो दिस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो।
वो दोसती ही क्या जिसमें तक़रार न हो।।

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----चरणों में स्वर्ग----

जिनके राज में तू हर पल शान से जिया करता है,
भगवान से भी पहले जिनका नाम लिया करता है,
जिनकी एक दुआ से तेरा हर जख्म भरा करता है।
ये तो वो हैं जिनका ऊपर वाला भी सम्मान किया करता है।।

जिनके दुलार से दिल भर आया करता है,
पर कभी कभी डांट से घबराया भी करता है,
मुश्किल का हल ही नही पूरा सँसार जिनमें समाया करता है।
वो माँ बाप हैं जिनमें भगवान का साया नज़र आया करता है।।

चरणों में जिनके बैठने से सुकून मिला करता है,
ये घर जिनकी बदोलत चला करता है,
कुछ पाने के लिये कही जाने की ज़रूरत नही है दोस्तों।
ये माँ बाप हैं
इनके तो चरणों में ही स्वर्ग मिला करता है।
चरणों में ही स्वर्ग मिला करता है।।

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----जहाँ से आये हैं वापिस वहीं पे जाना है----

आये हो जहाँ से वापिस वहीं पे जाना है,
कभी कहते हो नाम, मान, सम्मान कमाना है,
पर मरते समय ये यहीं रह जाना है,
कभी कहते हो सपनों को साकार बनाना है
पर उससे भी पहले अपनी मातृभूमि का मान बढाना है।
क्योंकि
जब तोड़ देंगे लोग रिश्ते तब उसी ने अपनी गोद में सुलाना है।
बस यही है इत्नी सी बात जिसे तुम्हे भी अपनाना है।।

अकेले आये हो अकेले ही जाना है,
आज मिट्टी के ऊपर तो कल नीचे जाना है,
मिट्टी से बने हैं फिर मिट्टी में ही समाना है,
तो फिर घमंड किस बात का जताना है।
जन्मे हो जहाँ से वापिस वहीं पे आना है,
ये जिन्दगी और मौत के बीच का खेल है जनाब
इस माटी को छोड और कहां जाना है,
जीना भी यहीं और मरना तो राख भी यहीं हो जाना है,
इस देश से ही हमरी आन , बान और शान है ये मैने माना है।
बा इतनी सी बात है जिसे तुम्हे भी अपनाना है।।

मैं मैं के नारे से ऊपर उठकर हम हम को जगाना है,
ये भारत हमारा है ये दुनिया को बताना है,
इन आतंकियों से अपनी माँ भरती को बचाना है,
करके देश की सेवा फिर इसकी गोद को पाना है,
छोडो ये दौलत शौहरत के पीछे भागना,
तेरी तकदीर का तुझे मिल ही जाना है,
कर इस माटी की सेवा क्योंकि यही असली खजाना है।
बस इतनी सी बात है जिसे तुझे भी अपनाना है।।

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----उगते सूरज के साथ उगता जोश----

कट जायेगी अंधेरी रात
उगते हुए सूरज के साथ नया जोश भी होगा,
पाने को मंजिल जो चलेगा तपती धूप में वो इन्सान बेहोश भी होगा,
अगर देर लगी मंजिल आने में
तो उस शख़्स में आक्रोश भी होगा,
इस दुनिया का तो काम है कहना
सुनते रहने पर एक पल के लिये वो शख़्स खामोश भी होगा,
पर मिलेगी ना जब मंजिल खुशी तो होगी और साथ ही देखने लायक बोलने वालों का उडा हुआ होश भी होगा,
और एक बार फिर कामयाबी के नये सवेरे के साथ नया उत्साह और जोश भी होगा।।

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✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻--- श्रुति शर्मा