मेरे शब्द मेरी पहचान - 6 Shruti Sharma द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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मेरे शब्द मेरी पहचान - 6


---- महेंद्र सिंह धोनी ----

( मेरी यह कविता भारत के महान क्रिकेट जगत के खिलाड़ी हम सब के चहीते महेंद्र सिंह धोनी को समर्पित है। आशा है मेरी ये छोटी सी कविता आप सभी को पसंद आयेगी। )

* बिजली से तेज वो अपने हाथों को चलाता है ,
चाणक्य सी चतुराई वो अपने दिमाग से करवाता है ,
खेल को उसके समझ पाना ऐरे - गैरो की बस की बात नहीं ,
देख उसे अच्छे अच्छों का दम निकल जाता है ,
फिर तुझ जैसा तो उसके नाम से ही घबराता है ।

आँखे झपकने से पहले ही वो डंडो को उडाता है ,
गलती अम्पायर की वो डी.आर.एस से बताता है ,
स्टंपिग के बादशाह को स्टंप आउट करना तेरे बस की बात नही,
हारे हुए मैच में भी वो एक उम्मीद सी जगाता है ,
जीतेगा भारत हर बार यही विश्वास दिलाता है ।

अपने बल्ले से हेलिकॉपटर चलाकर सबको अपना दीवाना वो बनाता है ,
सब पर अपना एक समान याराना वो जताता है ,
कभी मैदान तो कभी सेना में रह कर अपना कर्तव्य वो निभाता है ,
यूं ही नहीं सारा जग उसे सबसे सफल कप्तान बताता है ,
उन्की इतनी मेहनत और लगन का फल है जो आज हमें नज़र आता है ,
वो सिर्फ धोनी ही है जो अनहोनी को भी होनी कर दिखाता है ,
नामुमकिन को भी वो मुमकिन सा कर जाता है ,
अपनी कप्तानी में वो भारत को वर्ल्ड कप भी जिताता है ,
और हार के जीतना भी वही सिखाता है ,
तभी तो सहाब
बाप - बाप और बेटा बेटा कहलाता है । ।
बाप - बाप और बेटा बेटा कहलाता है । ।

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---- नाम तो होने दो ----

* कुछ लम्हे चैन की नींद सो लेने तो दो ,
कर देना बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो ।

अभी लहरें उठी ही नहीं सागर तट तक तो आने दो ,
मैं खुद ही शांत हो जाउंगी पहले खुद का हौंसला तो बढाने दो।

कर देना बदनाम पहले अपना अस्तित्व तो जमाने दो ,
अरे मैं खुद ही हो जाऊंगी बदनाम पहले मुझे नाम तो कमाने दो।

अभी आस बुझी नहीं थोड़ी सी उम्मीद और तो जगाने दो ,
हरा देना पहले मुझे जीत के तो दिखने दो ।

नए फूल खिल जाएंगे ज़रा पुरानो को झडने तो दो ,
अरे काट देना पंख मेरे पहले जी भर के उड़ने तो दो ।

आस्माँ की तरफ एक कदम बढाने तो दो ,
कर देना बदनाम पहले हवाओं को मुझे गिराने तो दो ।

अभी सूरज डूबा नहीं ज़रा सी शाम होने तो दो ,
अरे बुझा देना ये दीपक पहले मुझे जग मगाने तो दो ।

अरे एक बार शान से तो जीने दो ,
कर देना बदनाम पहले मेरी पहचान तो होने दो । ।

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---- जिंदगी की सीख ----

* जिंदगी क्या कुछ सिखा जाती है ,
कभी हँसाती है कभी रुलाती है ,
तो कभी जिंदगी ही जिंदगी जीना सिखा जाती है ।

अक्सर सोचते हैं लोग की जिंदगी हमारी छोटी है ,
पर क्या करे जनाब हमरी बुद्धि ही तो मोटी है ।

जिंदगी का आनंद लेना कब सीखोगे तुम ,
सफलता की दौड़ में ही कहीं हो ना जाना गुम ।

जिंदगी को बिताना सीखो दोस्त काटना नहीं ,
वरना बोझ से झून्झ्ते रह जाओगे कहीं ।

जिंदगी में जीना सीखो और सिखाओ ,
जीवन का हर रिश्ता तुम सच्चे दिल से निभाओ।।

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✍🏻✍🏻-- श्रुति शर्मा