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होली कब है ?

होली कब है ?
रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ये तो ठहरे पुलिस वाले इन्हें कोर्इ रामगढ -वामगढ तो लूटना है नहीं फिर ये गब्बर का डायलाग मुझ सांभा पर क्यों चिपका रहे है ? बाद में हमें विश्वस्त सूत्रों से मालूम हुआ कि कप्तान साहब ने पुलिसिया होली हेतु वसूली पर हमारे रामलाल को ही तो लगाया है । उन्हें अपनी लूट की कार्यवाही होली तक खत्म करनी है बस वे पूछते रहते है '' होली कब है ? शहर में रामलाल ही नहीं बहुत से लोग दूसरों से पूछ रहे है कि होली कब है ? नेताओं के चमचे होली को लेकर बहुत फिक्रमंद है । उन्हें आयोजन के लिए पैसे नहीं जुटाने है ; पैसे तो नेता जी ही खर्च करेंगे । उन्हें तो बस अपने साथ बड़ी सी टोली चाहिए ; जब वे नेता जी को चरण स्पर्श कर टीका लगाने जावें । आखिर नेता जी को भी चमचे की औकात तो मालूम होनी चाहिए ही । उधर नेताजी को भी तो होली का इंतजार है क्योकिं चुनाव भी पास ही है और वोटरों के बीच जा कर नाचने का कोर्इ अवसर छोड दे तो लानत है , ऐसे नेता पर । वे सोचते हैैै कि पिछले दिनों जो आरोपों कीे कालिख उन पर लगी थी वो भी होली के रंग में दब जाएगी । एक युवा कर्इ दिनों से खोया -खोया सा होली के इंतजार में इसलिए है कि इसी बहाने सही उसे अपनी प्रेमिका को छूने का अवसर तो प्राप्त होगा । उसने पिछले कर्इ दिनों से अनेकों बार उस सीन को मन ही मन दोहराया है ; टेक रीटेक सीन में प्रेमिका की अम्मा आकर पूरा सीन ही बिगाड देती है । शायद फाइनल सीन में वो न भी आए लेकिन अभी तो मजा किरकिरा कर ही जाती है।
अफसर भी होली के इंतजार में है । अरे... नहीं उन्हें कहां होली खेलनी है ? आपको तो मालूम ही है कि मार्च और होली का छिपकली और दीवार सा सम्बन्ध है । वे तो बस इसी बहाने मार्च समापन कर सरकार के खजाने पर डाका डालने की फिराक में है । सरकारी कार्यालयों में साल भर बजट न होने का रोना रोने वाले अफसर मार्च में उसे कैसे खत्म करें की जुगत लगाते दिखते है । इससे उनके आस - पास का वातावरण रंगीन हो जाता है इसीलिए वे साल भर ही पूछते है कि होली कब है ? शराब के ठेके वाले ने पूछा तो मुझे लगा की इसका पूछना तो जायज ही है क्योंकि इसे तो ड्रार्इ डे के दिन दुकान बंद रखनी होती है । वो बोला "ऐसी कोर्इ बात नहीं है । ड्रार्इ डे को तो माल और अधिक लगेगा उसे दुकान से हटा कर कहीें और रखना होगा । फिर दाम भी तो अधिक ही मिलेंगे । अरे साहब ... कभी तो सेवा का मौका दीजिए आपको जिस दिन माल चाहिए हो हमें बताए बंदा आपकी खिदमत में हाजिर है लेकिन कुछ खास दिन, खास जगह और खास दाम पर । "
हमारे साहित्यकार मित्र भी होली की चिन्ता में है । ऐसा क्या लिखें कि बस आप को पसंद आ जाए । प्रकाशक भी होली पर कुछ नया ही चाहता है अब इस पुरानी होली पर क्या लिखे कि जो नया सा लगे । कुछ मित्र तो अभी से भांग के गोलों में साहित्य खोज कर स्वानुभूति के आधार पर लिखने की कोशिश कर रहे है । कुछ इंटरनेट पर पचा-पचाया तलाश रहे है । कुछ को किसी समारोह के लिए टाइटल लिखने का काम मिला है वे उसमें ही अपनी सारी प्रतिभा झोंके दे रहे है । कुछ होली को बेमौके मिलने वाले श्रोंताओं को अवसर के रुप में देख रहे है तो कुछ को होली के अवसर पर होने वाले कविसम्मेलनों के निमंत्रण का इंतजार है । हमारे पत्रकार साथियों को होली के अवसर पर दो तीन दिनों तक निकलने वाले अपने - अपने पत्र पत्रिकाओं के विज्ञापन अंकों का इंतजार है । इन विज्ञापनों से ही तो आपके पत्र और आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा का पता चलता है । कोर्इ नेता ,अफसर और प्रतिष्ठान इस अवसर पर पत्रकार को मना कर दे ऐसा कैसे हो सकता है । आखिर उसे समाज में सम्मान के साथ रहना है कि नहीं ?
हमारे शराबी ,गंजेड़ी और भंगेड़ी मित्रों को नशे के लिए भी होली का इंतजार है । उनमें से कुछ तो अपना कोटा पहले ही जमा कर लेना चाहते है और कुछ को दूसरों के कोटे से मुफ्त में मिलने वाले नशे के लिए ही होली का इंतजार है । वे जब नशे में धुत होकर ''होली है..... का नारा लगाते है तो सबको मालूम हो ही जाता है कि आज होली है और उन्होंने पी ली है । मोहल्ले के कुछ रंगदार से दिखने वाले लड़कों को पहले से ही मालूम है कि होली कब है । उन्होेंने चंदे की रसीद छपवा ली है और सबको बताते है कि होली कब है ? जो इसका मतलब जानते है वे चुपचाप उन्हे चंदा दे देते है । जो नहीं जानते वे अगली होली में उनको खोज कर चंदा देंगे । इन सबके बीच अस्पताल के बिस्तर पर पडा मरीज भी पूछ रहा है कि होली कब है ? उसकी बीमारी का इलाज शहर में नहीं हो सकता और होली के पहले कहीं ले जाने का कोर्इ फायदा तो है नहीं । उसे तो इंतजार है होली तक के अपने जीवन का । शहर के मजदूर भी पूछ रहे है कि होली कब है क्योंकि होली के रंग और मस्ती के बीच उनकी रोजनदारी छुप जाएगी । चुल्हा तो उस दिन भी जलेगा । खाना तो उस दिन भी बनेगा लेकिन कैसे ये उसे ही मालूम है वही जानता है कि बिना मेहनत के एक दिन उसके लिए कैसा होता है इसीलिए वो बार - बार पूछ रहा है कि होली कब है ?
''होली कब है ?'' इसका मतलब धमकी , चेतावनी ,खुशी,मक्कारी और बेबसी कुछ भी हो सकता है लेकिन होली का मतलब तो एक ही है कि '' आओ हम सब भेदभाव भूल कर एक ही रंग में रंग जाए ।
आलोक मिश्रां

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