अध्याय -21
"हेलो नंदू... ये लोग मुझे तुम्हारे घर पर लाए है । मुझे कुछ हो जाए इससे पहले आ जाओ...।"इससे पहले कि नंदिनी कुछ उत्तर देती फोन फट गया । नंदिनी ने 4-5 बार वो नंबर डायल किया पर हर बार 'नॉट रिचेबल ' आ रहा था । या तो फोन की बैटरी खत्म हो गई । या फिर किसीने फोन छीन कर बंध दिया ।नंदिनी परेशान हो गई । पर सूर्यभान चैतन्य होकर काम शुरु कर दिया ।पहले उसने अपने साथी को फोन कर तुरंत 10-12 जवानो को लेकर नंदिनी के घर पहोचने को कहा ।और घर को चारों तरफ से घेर लेनेको कहा । फिर सूर्यभान, बतरा साहब, और ऑफिसर नंदिनी के घर की ओर निकल पड़े।नंदिनी और नव्या को संभालते हुए रीनी दूसरी कार से वहां से निकले ।
नंदिनी के घर को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया। सूर्यभान पुलिस इंस्पेक्टर को चौकन्ने रहने का निर्देश दिया । फिर सावधानीपूर्वक घर के अंदर प्रवेश किया । ड्राइंग रूम मे राजमल बैठा हुआ था । आस -पास उसके भाड़े के गुंडे खडे थे ।
राजमल बहुत अजीब ढंग से सोफे पर बैठा हुआ था । उसका व्यक्तित्व एक दानव की तरह लग रहा था ।एक हिंसक हस्तक्षेप, उबलता करंट, कुछ विस्फोटक व विद्रोही । बतरा साहब के साथ अन्य लोगों को देखकर राजमल के चेहरे पर नफ़रत के भाव नाचने लगे । बतरा साहब ने राजमल को एक घुसा जड़ा और बोले,
"नालायक क्यों किया मेरे साथ ऐसा? मेरे परिवार को तुमने बहुत परेशान किया । पर अब और नहीं । बता कमीने कहा है अभिनव?"
"बतरा साहब... ओह सोरी धीरज बतरा... आओ पहले आराम से बैठो तो सही यहां तुम सब को बुलवाया है तो खातिरदारी करने का मौका तो दो... फिर करते है न बात...।" राजमल ने बेफिकराय से कहा ।
"कमीने बता अभिनव कहा है? तूने क्यों किया ऐसा?" कॉलर पकड़ते हुए बतरा साहब ने कहा ।
"हां हां! सब मैंने किया । मैंने ही अभिनव को किडनेप करवाया । क्योंकि उसे मेरी सच्चाई पता चल गई थी, वो जरूर नंदिनी को बता देता । फिर नंदिनी मेरे हाथ से निकल जाती । यह मैं नहीं चाहता था । " राजमल के स्वर में नफ़रत की कड़वाहट थी । वो बोल नहीं बल्कि को थूक रहा था ।
" नंदिनी मेरे लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी । उसे कैसे हाथ से निकल जाने देता । उससे सफल एक्ट्रेस बनाने के लिए मैंने बहुत पापड़ बेले है । वही मेरे सपने पुरे कर सकती थी । मुझे पैसे चाहिए । रही बात ममता की तो मैं उसे कभी का मार चूका होता पर मेरा कमीना बाप, मटरूमल मरते समय सारी जायदाद उसके नाम कर गया । ममता को मारता तो सारी दौलत ट्रस्ट को चली जाती । इसलिए इसे निभाना मेरी मजबुरी हो गई । मेरे बेटे से तो कोई उम्मीद कर ही नहीं सकता मंदबुद्धि अपाहिज किसी काम का नहीं मेरी सारी उम्मीदें नंदिनी पर ही टिक गई । "
सूर्यभान हतप्रभ सा अपने मन में सोच रहा था -'ही इज इ सिक एनिमल । राजमल के लिए सभी सीमाए जो इंसान को इंसान से अलग करती है, धुंधली हो गई है । इसके लिए अपने और पराये, उचित और अनुचित, अनुमन्य और वंचना का भेद मिट गया है ।'
राजमल की बातें बतरा साहब के कानों में पिघले शीशे की तरह उत्तर रही थी ।
" मैं कोई बेवकूफ तो हूं नहीं कि अपनी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी के हाथ पिले कर उसे अभिनव के साथ बिदा कर दूं । मेरा दुर्भाग्य कि अभिनव को भी सारी बातें पता चल गई थी तो उसे रास्ते से हटाना जरूरी हो गया । पर क्या करू -कुछ दिनों बाद अवार्ड फंक्शन था । यह मेरे लिए बड़ा महत्वपूर्ण था । इसमें अगर नंदिनी जीतती तो नाम, दाम व काम की झडी लग जाती । कई प्रोजेक्ट खुद आते । फिल्मो की भी लाइन लग जाती । अभिनव को रास्ते से हटाने का मतलब की नंदिनी एकदम से हाथ से निकल जाती । मेरी योजना फैल हो जाती इसलिए अभिनव को जिंदा रखा । "
राजमल की बातें सुनकर बतरा साहब गुस्से में थर -थर कांपने लगे । उसे दो -चार थप्पड़ और मारकर बोले, "हैवान है तु हैवान । "
राजमल के चेहरे पर क्रूरता के भाव तेज हुए । जब वो बोल रहा था तो लगता था कि जैसे पतंगे और आग, शमा और परवाने का नृत्य जारी ।
सूर्यभान के इसारे पर एक सिपाही ने राजमल को हथकड़ी पहना दी । " राजमल अब तुम्हारा खेल ख़त्म हो चूका है । यू आर अंडर अरेस्ट ।" सूर्यभान ने कहा ।
" नो इंस्पेक्टर नो! इतनी क्या जल्दी है । खेल तो अभी शुरु हुआ है । " सूर्यभान के लिए यह आवाज़ अपरिचित थी । उसका हाथ यंत्रवत होलेस्टर में रखी रिबोलवर की और जाने लगा । " नो, नो । इंस्पेक्टर नो । ऐसी गलती मत करना । वरना में अभिनव की खोपड़ी उड़ा दूंगा । " सूर्यभान के हाथ ठिठक गए ।
वो आवाज़ रघु की थी । उसके चेहरे पर एक कोंचता सा भाव था, मानो वो सभी को नापतौल रहा हो जिस तरह कुश्ती के अखाड़े में भेजनें के पहले गुरु अपने चेले का बदन और तेल की चिकनाहट परखता है ।
नहीं, नहीं! रघु की आवाज़ तो वैसी थी जैसे कसाई अपनी बकरी का गला रेतने के लिए चाकू उठाता है । रघु ने अभिनव के सिर पर गन की नोक तानी थी । चौक्कनी मुद्रा में रघु ने कहा -
"इंस्पेक्टर राजमल को छोड़ दो वर्ना में अभिनव को गोली मार दूंगा । और हा यह सब आपकी मेहरबानी से हो रहा है वर्ना अब तक तो हम कही फुर्र हो जाते पर आपने तो भागने का कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा । तो अब भुगतो..।"
सूर्यभान के इशारे पर सिपाही ने राजमल की हथकड़ी खोल दी । जब एक सिपाही हथकड़ी खोल रहा था । तब रघु का ध्यान राजमल की और गया । उसका ध्यान बटने से एक सिपाही को मौका मिल गया, उसने पीछे से रघु की खोपड़ी पर प्रहार कर दिया । मौके का फायदा उठाकर अभिनव बाजु में हट गया । दूसरे सिपाही ने राजमल को दबोच लिया । एकपल तो रघु की आंखो के सामने असंख्य सितारे नाच उठे । पर उसने अपने को संयत किया और अभिनव पर गोली चला दी ।
"धाय! धाय!"
* * *
हॉल में जो कुछ चल रहा था, उसी वक़्त रीनी, नंदिनी, नव्या भी घर पहोची । घर मैं प्रवेश कर रहे थे तभी थोड़ी थोड़ी आवाज़ रीनी के कानों तक पहुंच रही थी । उसे जब रघु की आवाज़ सुनाई देने पड़ने लगी तो दौड़कर वो हॉल में आयी । उसने अभिनव को देखा जो दिवार के पास खड़ा हुआ था, उसका चेहरा पीला पड़ गया था । रीनी को राघव के हाथ में गन दिखाई दी, जिसे उसने अभिनव की और ताना था । रीनी ने अपना फैसला कर लिया ।
राघव ने जैसे ही अभिनव पर गोली चलाई, वैसे ही रीनी अभिनव के आगे आकर खड़ी हो गई ।
राघव की चलाई हुई गोलियों ने रीनी का सीना छलनी कर दिया । वो नीचे गिरने ही वाली थी कि उसे अभिनव ने संभाल लिया ।
रघु स्तब्ध था ।
नंदिनी हैरत में थी ।
बतरा साहब, सूर्यभान, राजमल, नंदिनी की मां और पुलिस दल जड़ से हो गए ।
बरसों बाद राघव की मुलाक़ात अपनी प्रेयसी रीनी से हुई । पर उसकी ही चलाई गोली रीनी के सीने में लग गई । दोनों गोलियां रीनी के सीने को होकर दीवार में धस गई थी । रीनी के सीने से बहने वाली खून की धाराए अभिनव के सीने को भिगो रही थी ।
रघु गन फेंककर रीनी के पास पहुंचा । रीनी के सर को सहलाते हुए बोला, " रीनी... रीनी... तुम...। तुम्हे कुछ नहीं होगा। " फिर वो सूर्यभान की तरफ मुड़ा, हाथ जोड़कर उसने कहा -
" प्लीज सर । प्लीज, इसे डॉक्टर के पास ले चलिए । "
रीनी ने आखें खोली । करारतें हुए कहा -" नहीं राघव । मुझे कही नहीं जाना हैं । मैं तो राघव..., उसी दिन ही मर गई थी जिस दिन तुम मुझे छोड़कर चले गये थे ।... राघव... ये जिंदगी तो नंदिनी की देन है । आज यह नंदिनी का सर्वस्व अभिनव की जान बचाने के काम आ गई...। " मुश्किल से इतना ही बोलकर नंदिनी बेहोश हो गई । तब तक बतरा साहब ने एंबुलेंस को फोन कर दिया था ।
* * *
सूर्यभान को राजमल ने आगे की बातें बताई -
" साहब, नंदिनी जो कमाती थी उससे मुझे संतुष्टी नहीं थी । मुझे ज्यादा पैसा चाहिए था। इस दौरान एक दिन मेरी मुलाक़ात हॉस्टल की वार्डन से हुए । उसने मुझे यह आइडिया दिया । कुछ और हॉस्टल की वार्डन से मेरी बातचीत हुई फिर मैंने बड़े बड़े लोगों को लड़कियां सप्लाई करने का काम शुरू कर दिया । कुछ दिनों में मेरा यह धंधा चल निकला । खूब पैसा आने लगा । उसी दौरान एक नामी फ़िल्म एक्टर से मिलकर ड्रग्स का कारोबार शुरु किया । एक बड़े नेता का साथ मिल गया फिर क्या था । पैसे की बौछार होने लगी ।
एकबार मैं इसी सिलसिले में शाहजहांपुर गया हुआ था । होटल के रेस्टोरेंट में मेरी मुलाक़ात राघव से हुए । मुझे राघव काम का बंदा लगा । मासूम चेहरा, रोजी -रोटी की जद्दोजहद से झुजता हुआ पर काफ़ी तेज दिमाग़ वाला । वह किसी छोटी - मोटी नौकरी के लिए स्ट्रगल कर रहा था । मैंने उससे कहा कि 'यहां शाहजहांपुर में तो पर मुंबई में तुम्हे काम दे सकता हूं । पर उससे पहले यहां थोड़े दिन काम संभालना । फिर तुम्हे मुंबई बुला लूंगा । फिर उसे मैंने काम समझाया । पहले तो वह गुस्सा गया । उसे यह काम पसंद नहीं था । पर लालच देकर मैंने उसे मना लिया ।
राघव ने मेरा प्रस्ताव मान लिया । वह वहां का सौपा हुआ काम निपटा के जल्दी ही मुंबई आ गया । उसने यहां आकर मेरा काम अच्छे से संभाल लिया ।जल्दी ही हुस्न के व्यापार में वह रम गया । उसे मझा आने लगा । लड़कियों को अमीरों के यहां ले जाना -लाना, कोई नई चिड़िया आई तो उसे समझाबुझा इस धंधे के लिए तैयार करना, लालच देकर लड़कियो को फ़साना । उन लड़कियों को मुंबई लाना, उन्हें अड्डे पर रखना आदि जिम्मेदारियां राघव के पास थी ।
लेकिन, राघव को जो मैंने समझा था, वह तो उससे बढ़कर निकला । वह कुछ लोकल गुंडों के सोबत में आया । उनके साथ मिलके काम करने लगा । वहां ज्यादा पैसे मिलते थे । फिर वह मुझे ही आंख दिखाने लगा । वह लाइन ऑफ़ कंट्रोल पार कर चूका था ।वह मेरी ही जान का दुश्मन बन गया । पर समझदारी दिखाते हुए दुगने तिनगुने पैसे देकर मैंने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया । साथ मिलकर काम करने की गुजारिश की । रघु जो काम पहले मेरे लिए करता था । वही काम अब रघु के आदमी करते थे । हालांकि उससे हाथ मिलाकर मेरा व्यापार बढ़ने लगा ।
राघव ने अपराध की दुनिया दुनिया में बहुत तेजी से प्रगति करना शुरू की । कुछ साल पहले हमारे इलाके में सी कंपनी के डॉन आशीभ सिंह का काफ़ी नाम था । हप्तावसूली, नारकोटिक्स, अवैध देह व्यापार, कॉन्ट्रेक्ट किलिंग में उसकी तुती बोलती थी । आशीभ के पिता जयप्रताप सिंह स्टेशन पर बुक सेलर थे । छोटे -मोटे अपराधों से शुरू कर आशीभ एक दिन कुर्ला का डॉन बन गया ।
आशीभ का वक़्त ख़त्म किया इसी राघव ने । एक दिन आशीभ के इलाके कुर्ला में राघव ने उसे ऐसा धोया कि आशीभ ने माफिया से तौबा कर लिया । राघव ने आशीभ को मार -मार कर एक हाथ और एक पैर ऐसा तोडा कि आशीभ लंगड़ा -लूला बन गया । जीवन भर के लिए अपाहिज बनकर दिल्ली भाग गया । फिर राघव रघुभाई बन गया ।डॉन बन गया । उसकी वही एक्टिविटीज हो गई जो आशीभ करता था । कुछ ही महीने में रघु का नाम अंडरवर्ल्ड में छा गया । मेरे साथ साथ कई बड़े बिजनेसमेन, एक्टर्स, नेताओं के काले काम वो देखता था ।
इंस्पेक्टर, जो गुनाह मैंने किया है, उसकी सजा भोगने को तैयार हूं । "
* * *
पुलिस वाले राजमल और रघु को ले जा रहे थे कि रघु के एक ट्रक भरके गुंडे आए और सबको घेर लिया । पुलिसवालों को अपने घुटनो पर ला खड़ा किया । और रघु के पास आकर बोले, " बॉस आप कहो तो सब को उड़ा दु । "
" नहीं दोस्त..। " रघु धीमी आवाज में बोला ।
"चलो बोस और पुलिस फोर्स आये उससे पहले भाग लेते है ।"
"नहीं, अब भागते भागते थक गया हूं । तुम लोग मेरी मानो तो अपनेआप को पुलिस के हवाले करदो। "
रघु का यह बदला हुआ रूप देख गुंडों ने वहां से भागना ही मुनासिब समझा ।
वही थोड़ी देर में एंबुलेन्स के जरिए रीनी को अस्पताल पहुंचा दिया गया ।
* * *
कुछ दिनों में स्पेशल ब्रांच ने राजमल और राघव से जुड़े अन्य कई लोगों की गिरफ्तारियां की उनपर चार्जशीट बनाकर कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया ।
* * *
टैरेस के झूले पर बैठे हुए नंदिनी-अभिनव ख़ुश भी थे और दुखी भी । दुख था की रीनी का, पर साथ ही खुशी भी थी कि उसकी तबियत सुधर रही थी । नंदिनी को खुशी थी कि उसे अपने पिता मिल गए और मा का प्यार। एवं इस बार टेलीअवार्ड में उसकी सीरियल भी नॉमिनेट हुआ था । क्या पता कोनसी सीरियल को किसको अवार्ड मिले बेस्ट एक्ट्रेस ऑफ़ ध इयर का ।
"नंदिनी चुप क्यों हो?"
"चुप नहीं हूं । तुम जरा सामने तो देखो ।" नंदिनी ने अभिनव को इशारा किया ।
अभिनव ने देखा कि कोने में दो कबूतर बैठे हुए थे । वें दोनों चोंच से चोंच मिलाकर प्रेम प्रकट कर रहे थे । अभिनव को मांजरा समझ में आ गया, उसने तुरंत नंदिनी को बाहों में भर चुम्बनों की बौछार कर दी ।
" अरे छोडो न, कोई देख लेगा तो? " नंदिनी ने कृत्रिम नाराजगी दिखाई ।
"देखने दो... किसीसे डरता हूं क्या?"कहकर अभिनव ने उसे तेजी से अपने आलिंगन में भर लिया । पर वही किसी के आने की आहट सुनाई पड़ी । अभिनव नंदिनी को छोड़ कौन आया वह देखने लगा । देखा तो मा आ रही थी ।
"आओ मां ।" नंदिनी ने मां की ओर देखकर कहा । मां अभी -अभी टैरेस पर पहुंची थी ।
मा आकर नंदिनी के पास बैठ गई । वे अभिनव की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली, " बेटा, काफ़ी दिनों बाद मैंने अपने हाथों से खीर बनाई है । चलो खा लो दोनों । "
अभिनव की बजाय नंदिनी ने जवाब दिया, "हां मां, बस आ रहे है ।"
"जल्दी आना, खीर ठंडी न हो जाए ।"कहकर मा वहां से चली गई ।
नंदिनी अभिनव से मुख़ातिब हुई,"अभी, एक बात बताओ! तुम अचानक गायब क्यों हो गए? और उसके बाद क्या हुआ, मुझे बताओ ।"
" नंदू जिस दिन मैं तुमसे मिलकर गया था । उसके थोड़ी देर बाद नव्या का फोन आया मेरे पास । उसने बताया कि ' भैया, हॉस्टल का माहौल बहुत ख़राब हो गया था । वो लोग मुझसे गंदा काम करवाना चाहते थे । मैंने नहीं माना तो मेरा अपहरण करवा दिया गया है । इस खेल में राजमल अंकल भी शामिल है ।'
यह सुनकर मेरे होश उड़ गये । मैं काफ़ी डर गया । मुझे नव्या की चिंता थी । मैंने सोचा तुम्हें बाद मैं सारी बातें बता दूंगा । पर पहले नव्या को बचाऊं । नव्या ने मुझे लोकेशन भेज दी थी । मैं वहां पर पहुंचने ही वाला था कि मैं कुछ गुंडों के चंगुल में फ़स गया । मैं अकेला था, वे तीन थे । वे मुझे गेट पर ही मिल गए, उन्हें शक हो गया कि मैं शायद नव्या की खोज में पहुंचा हूं ।
नंदिनी, तुम्हारे प्यार ने और नव्या की चिंता ने मुझे इतनी ताकत भर दी कि मैं अकेला ही उन गुंडों पर भारी पड़ गया । मेरी किस्मत अच्छी थी कि वहां पर लकड़ी का एक मोटा डंडा मिल गया । वे निहत्थे थे । उस डंडे से उनकी इतनी पिटाई कि की दो तो वही धाराशाई होकर बेहोश हो गए । एक को पकडकर मैंने उसे और घोया तो वह तोते की तरह बोलने लगा । उसने बताया कि इस अड्डे के इंचार्ज राजमल है । यहां पर लड़कियों को अपहरण करके लाया जाता है । उन्हें टॉर्चर कर वेश्यावृति के लिए मनाया जाता है । इस समय एक लड़की जिसका नाम नव्या है, अंदर कमरे मैं बंध है । उसकी रखवाली के लिए हमारे 10 साथी वहां तैनात है । उनके पास चाकू - तलवार और पिस्तौल है । राजमल साहब का सख्त आदेश है कि जो भी यहां बाधा डालता है उसे बेहिचक ख़त्म कर दो । हम सब संभाल लेंगे ।
इतने में अंदर वाले गुंडे वहां पर आ गए । वो ज्यादा लोग थे मुझे लगा कि शायद मैं इनका मुकाबला न कर पाऊं, यहां जोस से नहीं होश से काम लेना पड़ेगा । लिहाजा मैं वहां से भाग निकला ।
मैं समझ गया कि मामला काफ़ी संगीन है । राजमल का गैंग बड़ा है । उसके पास गुंडे बदमाशों की फौज है, उससे अकेला नहीं लड़ पाऊंगा । उसके लिए मुझे पुलिस की सहायता लेनी पड़ेगी ।
नंदू, पुलिस के नाम से मुझे इंस्पेक्टर नितिन की याद आई । वो तुम्हारा दोस्त, वो जरूर मेरी मदद करेगा और नव्या को बचा लेगा । नंदू तुरंत मैंने नितिन को फोन किया । नितिन को सारी बात बता दी,उसने मुझे एक जगह बुलाया । वहां जानेसे पहले मैं पप्पू की दुकान पर गया ।
वहासे तुम्हें फोन करना चाहा पर मोबाइल बंध हो गया था । वही से एक पेन कागज लेकर मैंने एक चिट्ठी पप्पू को दी और कहां की इसे तुरंत नंदिनी के पास पहुंचा दो । फिर वहां से मैं इंस्पेक्टर को मिलने गया । पर वह धोखेबाज निकला ।वो राजमल से मिला हुआ था । उसने जहां मुझे बुलाया वही गुंडों को भी बुलाया था । और मेरा अपहरण कर लिया था । वही से पता चला की बादमे पप्पू का एक्सीडेंट भी इन्ही लोगोने करवाया था ।"
"अभी...थैंक्स गॉड... तुम सकुशल हो । इतना बहुत है ।" नंदिनी ने अभिनव का हाथ पकड़ लिया ।
"अरे नंदू चलो मा वेट कर रही होंगी ।" अभीनव को अचानक ध्यान आया ।
" हा चलो... कितने दिनों बाद मा के हाथों से बना खाने को मिलेगा । " नंदिनी मुस्कुराते बोली ।
* * *
एक हप्ते बाद रीनी की तबियत में सुधार आने लगा । अभिनव - नंदिनी काफ़ी ख़ुश थे । अभिनव ने सेलिब्रेशन का प्लान तय किया । उसका पसंदीदा होटल ताज - डीलक्स रूम । शाम का समय... अभिनव नंदिनी और बेहतरीन वाइन, जो चाहो पियो, लजीज खाना और वाइल्ड लव ।
अभिनव ने मन ही मन संगीत में डूबने के लिए प्ले लिस्ट भी बनाई । नंदिनी भी सेलिब्रेशन के लिए उतावली थी । वो रेडी हो गई । उसने लोंग बॉडी फिटिंग फिशकट वाला ब्लैक गाउन पहना था । सीने पर गाउन इतनी चुस्त थी कि उसके उभार और दिखने लगे थे । उसने उंची हिल वाली जुतियां पहनी । अभिनव नंदिनी को देखता रहा । नंदिनी के इस रूप के सामने उसे सारी उपमायें फीकी लगी ।
शाम की शुरुआत जाम से जाम और होठों से होंठ टकराने से हुए । फिर दोनों अजंटा एलोरा की मूर्तियों में परिवर्तित हो गए । कुछ देर हाथों से एक -दूसरे के शरीर टटोले गए । सहलाए गई । चूमे गए । फिर वाईन का शुरूर चढ़ना शुरु हुआ । नंदिनी का नशा भी वाईन को टक्कर दे रहा था । दोनों पर एक दूसरे का नशा चढ़ने लगा । आवेश में एक दूसरे पर ऐसे लपके मानो इतने दिनों की जुदाई आज ही खत्म करनी हो । वाईन की खुमारी के बीच दोनों के सारे कपड़े उत्तर गए । वाईन की बोतल उठाकर अभिनव ने नशे पर नशा डाला और नशे का लुफ्त अपने होठों से उठाने लगा । नंदिनी के सीने पर होंठरख अभिनव और नशे में चूर हो गया ।नंदिनी की धड़कने बढ़ गई जो अभिनव को साफ साफ सुनाई दे रही थी । अभिनव ने अपनी बाहों का घेरा और कसा, मानो वह नंदिनी को नए सिरे से पा रहा हो । उन्होंने कामक्रियाओं की नई ऊचाईयां छुई । दोनों ने एक साथ अतिरेक और अलौकिक आनंद की अनुभूति प्राप्त की। दोनों में नया आत्मीय सुकून था ।
तूफान के बाद दोनों आधी करवट, एक दूसरे से सटे लेटे थे, आंखो में आंखे, टांगे आपस में गुथे हूई और होंठ छूते हुए । अभिनव ने नंदिनी की फुसफुसाहट सुनी, " डियर मेरा सबसे बड़ा अवॉर्ड तुम ही हो । "
* * *
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम!
टेली अवार्ड का वेंन्यु!!
टेलीविशन साथ फ़िल्मी सितारों का मेला ।
फ़ैशन की बहार! बाहर फैन्स का जमावड़ा । चुस्त सिकयोरिटी ।
आज खूब जमकर तैयार हूई नंदिनी । मानो हुस्न परी स्वर्ग से उत्तरी हो ।अब उसके खुशी के दिन भी थे । यह अवार्ड के लिए वो नॉमिनेट हूई थी ।हो सकता है अवार्ड मिल भी जाएं । इसी विचारों के साथ नंदिनी मालवीय स्टेडियम पहुंची । कार से बाहर निकलते ही प्रेस रिपोर्टर व फोटो ग्राफर्स ने उसे घेर लिया । गेट के बाहर अभिनव उसका इंतजार कर रहा था । वह अपने घर से सीधे यहां आया था । उसने नंदिनी का हाथ थामा । रिपोर्टरों व फोटोग्राफरों की भीड़ को हटने का संकेत दिया और दोनों आकर स्टेज के सामने निर्धारित कुर्सीयों पर बैठ गए । उसके चारों और एक्टर्स, एक्ट्रेस, प्रोडूसर, डायरेक्टर, गीतकार की भीड़ थी।ज्यादातर जाने पहचाने चेहरे ।
शुरूआती इंटरटेनमेंट प्रोग्राम - डान्स और सिंगिंग के बाद एंकर राज़ मल्होत्रा और माला दुबे ने माइक संभालकर अवार्ड सेरमनी का आगाज दिया ।
बेस्ट डी. ओ. पी, बेस्ट टाइटल सोंग, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट विलन, बेस्ट स्पोटिंग एक्टर्स, बेस्ट एक्टर्स के बाद बारी आई 'बेस्ट एक्ट्रेस ऑफ़ ध इयर ' अवार्ड की ।
राज़ मल्होत्रा ने कहा, " लेडीज एंड जेंटलमेन, हमारा अगला अवार्ड है बेस्ट एक्ट्रेस ऑफ़ ध इयर - इसके नॉमिनेशन है -
माला डूबे ने अपनी खनकती आवाज़ का जादू बिखेरते हुए घोषणा की -
देविका - फॉर ध "रिश्तो की जंजीर '
शर्मीला खन्ना - फॉर ध ' अपने बने पराये
नंदिनी -फॉर ध ' इश्क़ है तुमसे '
हेमा - फॉर ध ' लेडी डॉन '
स्टेज के दोनों तरफ स्क्रीन पर नॉमिनीटेड सीरियल और एक्ट्रेस की क्लिप चल रही थी । नंदिनी के दिल की धड़कने तेज हो गई । अभिनव ने उसका हाथ पकड़ा और धीरे से कहा -जान तुम्ही विनर होंगी । नंदिनी ने आंखे बंध कर ली ।
एंड अवार्ड गोज टू ' मिस नंदिनी फॉर ध ' इश्क़ है तुमसे '। नंदिनी मैम प्लीज कम ओन ध स्टेज ।
नंदिनी ने आखें खोली । वह खुशी से झुम उठी । पुरे स्टेडियम में दर्शकों की तालियों की गदगड़ाहट तेज हो गई । नंदिनी अपनी जगह से उठी, उसने अपने अभिनव का हाथ पकड़ा, स्टेज पर जाने लगी... नीली, पिली, रेड, ब्लू सेकड़ो लाइटो की झगमगाहट भी नंदिनी के सामने फीकी लग रही थी । मैजिकल मुस्कुराहट के साथ नंदिनी स्टेज पहुंची और ट्रॉफी ली ।ट्रॉफी को चूमा । आखें भीनी हो गई । ट्रॉफी को दर्शकों की ओर लहराया । उसके साथ खड़े अभिनव की आखों में गर्व व संतोष का छाया था ।
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और फ़िल्म ख़त्म हूई । हॉल में सीटीयां बजने लगी । बंध लाइट्स चालू हूई । सभी दर्शकों वाह, वाह कर रहे थे ।' सुपर डायरेक्शन,' कसी हुए पटकथा',' नंदिनी के किरदार की एक्टिंग बेहतरीन ',' भाई रीनी का भी जबरदस्त कैरेक्टर था । कौन वो एक्ट्रेस जिसने रीनी का रोल किया? ',' क्या म्यूजिक है', 'गाने तो बेमिसाल ','मझा आ गया ','एक्शन थ्रीलर के साथ सस्पेंस और इमोशनल भी ',' हीरो की तो बात ही निराली थी ','विलेन भी जमा हमें ','मानो यह तो सच्ची कहानी जैसी लगी '।
इस तरह की तमाम बातें पिंकी और सिंकी के कानो में पड़ रही थी । अपने पापा के पर्स से पैसे चुराकर, फ़िल्म देखने गांव के नजदीकी शहर आई पिंकी और सिंकी अपने आप में नंदिनी -रीनी को महसूस करते हुए, सपनो की दुनिया में खोई मुस्कुराते हुए गॉसिप थीएटर से एक आत्मविश्वास और अनसुलझी मुस्कान के साथ बाहर निकल गई ।
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