आज वो कॉलेज से जल्दी घर आ गयी थी
माँ ने खास हिदायत दी थी की वक़्त पर घर आ जाये । वैसे तो वो आज बहुत खुश थी। कॉलेज में भी उसकी फ्रेंड्स ने उसे छेड़ने में कोई कसर नहीं रखी थी। "हाँ भाई बहुत खास मौका है उतरा की जिंदगी का। आज उसे देखने लड़के वाले जो आ रहे है" । एक सखी ने बोला।
"अरे अरे देखो तो कैसे शर्म से लाल गुलाबी हो रही"
दूसरी ने कहा। ये सब सुन कर सच में वो काफी शरमा गयी थी। बस मुस्कुराती रह गयी। घर आ कर जल्दी से तैयार हो कर बैठे गयी। जैसे अपने राजकुमार का सदियों से इंतज़ार कर रही हो।
ये देख कर उसकी माँ भी खिलखिला उठी।
गुलाबी रंग के सूट में वो किसी गुलाब की तरह दमक रही थी। लालसूर्ख होठ ... आँखों में सुरमा और चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए उतरा आज बहुत खूबसूरत लग रही थी। थोड़ी देर में घर के सामने कार रुकने की आवाज़ आयी
वो भाग कर सीधा अपने रूम मे जा कर दरवाजे की ओट के पीछे छुप गयी। कार से 3 लोग उतरे। लड़का और उसके मम्मी पापा।
पर उसका ध्यान तो बस एक शक्स पर टिका था
वो बहुत ध्यान से उसे निहार रही थी, तभी उसने एक नज़र मे उतरा को देखा। वो शरमा के फिर से ओट की पीछे छुप गयी।
कुछ ही देर में पापा ने उसे चाय लेकर आने को कहा। वो एक पल मे उछल पड़ी मानो बस इसी पल का इतज़ार था उसे।
लड़के के बारे में जितना उसने घर वालो से सुना था उससे कही ज्यादा हैंडसम था वाइट शर्ट और ब्लैक जींस में वो बहुत प्यार नजर आ रहा था उसे।
वो झट से चाय ले कर उनके सामने पहुँच गयी।
दो चार बाते हुई सबको चाय दी गयी। लड़के की मम्मी ने दोनों को आपस में बात करने के लिए बाहर भेज दिया।
घर से थोड़ी दूर एक गार्डन था तो वे दोनों वहा चले गए।
कुछ देर की खामोशी के बाद लड़के ने पहल की।
"कैसी हो? "
"एक दम अच्छी ... आप? "
और बस इस तरह बातों का सिलसिला चल पड़ा। दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया
घर वालो ने भी अपनी सहमती दे कर उनकी पसंद को मंजूरी दे दी।
दूसरे ही दिन कॉलेज जा कर अपनी सारी फ्रेंड्स को खुशखबरी दे दी थी उसने।
पार्टी पार्टी कहते हुए सबने उसका पूरा सर पका दिया था।
अपने मंगेतर सौरभ से बात कर के उसे लगता जैसे वो बहुत खुशकिस्मत है
जब भी वो कहती "सौरभ कितना प्यार करते हो मुझसे"तो वो चाँद तारे तोड़ लाने की बात करता
कहता की जान चली जाए फिर भी तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडु।
तो आज उसी ने क्यु उसे इस हाल में अकेला छोड़ दिया था ?
क्या उसकी बाते सिर्फ खोखली थी ?
सोचते सोचते उसकी आँखों से झर झर आँसुओं की धारा बह निकली
रात को किसी ने उसे खाने के लिए नहीं पूछा।
सुबह जब देर तक वो नहीं उठी तो मां उसके कमरे मे गयी । उसे देख कर माँ की आँखों से आँसू और मुह से इतनी
जोर से चीख निकली की आस पास के लोग भी इकट्ठा हो गए
उसकी निस्प्राण देह पंखें से झूल रही थी।
तभी वहा पुलिस आ गयी
उन्होंने बताया की काफी गहन छानबिन करने से एक किताब के अंदर एक छोटा सा सुसाइट नोट मिला
वो लड़का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था
बार बार असफल होने पर उसने अपनी जान दी।
ये सुन कर सब में फिर से बाते शुरू हो गयी
"बेचारी बिना गलती के भी जान देनी पड़ी। "
"हा बहन कितनी अच्छी थी हमेशा हमारी मदद को आगे रहती थी। "
सबकी निगाहें उसकी लाश पर टिकी थी
और उसकी लाश मानो सबसे एक ही सवाल कर रही थी
"आखिर इस आत्महत्या का जिम्मेदार कौन" ???
समाप्त🙏