केतकी,... सुहानी सी एक लड़की ArUu द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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केतकी,... सुहानी सी एक लड़की

ये कहानी है एक औरत की। शायद उस औरत की जो इस समाज के बने नियमो से बुरी तरह जुझ रही है। अपनो से मिले धोखे और समाज़ में औरत को मिले स्थान को प्रतिचित्रित करती ये कहानी है केतकी की।

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केतकी नदी के किनारे बैठी थी
एक दम शांत ... अपलक निहार रही थी नदी की धारा में। कुछ ढूढ़ रही थी शायद। कहीं अपना वज़ूद तो नहीं?
उसकी नज़र अपनी परछाई पर जा के टिक जाती है जो नदी के पानी में बन रही थी।
गौर से अपने चेहरे को देखा । उसे लगा जैसे वो किसी और को पानी मे देख रही । उसने अपने आप को छुआ। इतनी कमजोर सी देह। आँखों से कुछ बुँदे छलक के नदी में मिल गयी ठीक वैसे जैसे हज़ारों पुराने जख्मों में एक नया जख्म मिल जाता है।
उसके पति ने उसे शराब लाने भेजा था रोज़ की तरह पर आज वो रोज़ की तरह घर नही गयी। बस आ के नदी पर बैठे गयी। ध्यान से एक बार फिर नदी में देखा।
अरे! ये कौन है?
पानी में झुरियों वाली केतकी की जगह एक छोटी सी बच्ची दिखाई दी उसे। थकी हारी केतकी की जगह ऊर्जा से भरपूर एक अक्ष दिखाई दिया उसे।
उसने अपने दिमाग पर जोर लगाया तब कहीं जा के उसे अपना अतीत याद आया। कितना प्यार अतीत। कितना सुहाना। कितना अच्छा। काश वो उसमें ही रहती। बड़ी ही ना होती। कुछ पल फिर निहारा पानी में खुद को। खून से भरी कुछ तस्वीरें सामने आने लगी।
डर से उसने अपनी आँखें बन्द कर ली। पर ये हक़ीक़त को ठुकरा नही सकती थी।
वो अतीत में गोते खाने लगी।
प्यारी सी गोरी रंग की केतकी किसको नही पसंद थी घर में। सबकी चहेती। सबकी लाडली। बस उसी लाड प्यार की बदोलत वो आज इस हालत में थी।
घर में सबसे छोटी केतकी को कभी जरूरत ही नही पड़ी कुछ काम सीखने की। दादी मम्मी पापा बहनो और चाचा चाची। सबकी लाडली थी केतकी। वक़्त बितता गया और केतकी का रंग रूप और भी ज्यादा निखरता गया। उसे कोई भी देखता तो बस देखता रह जाता। पढ़ने लिखने की उसे कोई चाह नहीं थी। दिन भर अपने उम्र के बच्चो के साथ खेलती रहती। मम्मी पापा कभी उसे कुछ नही कहते बस वो उससे निश्चल प्यार करते थे और जानते थे की इतनी सुंदर लड़की के लिए लड़को की कोई कमी नहीं होगी। बड़ी बहन उतरा भी उससे बहुत प्यार करती थी। घर का सारा काम उतरा और मम्मी दोनों मिल के संभाल लेते थे।
एक दिन घर में खुशियों ने दस्तक दी। चाची के घर में 10 साल बाद बच्चे की किलकारी सुनाई दी। धीरे धीरे चाची ने केतकी के हिस्से का सारा प्यार अपने बच्चे शशि पर लुटाना शुरू कर दिया। एक दिन शहर से लौटते समय केतकी के मम्मी पापा की एक्सीडेंट से मौत हो गयी। बस हस्ती खेलती केतकी की जिंदगी में उसी दिन से ग्रहण लग गया था। चाची चाचा का व्यवहार उनकी तरफ से अचानक बदल सा गया। उतरा तो काम और पढ़ाई दोनों में अवल थी तो वो चाची के लिए बोझ नहीं थी पर केतकी अब उसे नागवार थी। वो उसे किसी हालत में अपने साथ नहीं रख सकती थी। उतरा नही चाहती थी की वो अपनी बहन को छोड़ के कही जाए। उतरा के लाख विनती करने पर केतकी को अपने साथ रखने को राजी हुई थी चाची। एक दिन एक अमीर घर से केतकी के लिए रिश्ता आता है। बिना केतकी और उतरा को पूछे चाची केतकी की शादी वहा तय कर देती है। तय दिन पर शादी हो जाती है। लड़के वालों ने अपनी तरफ से शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उतरा भी अपनी बहन की किस्मत पर बहुत खुश थी पर उससे ज्यादा चाची खुश थी। एक तो केतकी से पीछा छुटा उपर से उसके ससुराल वालों ने उसको इतना धन दिया था की वो आराम से शशि की शादी करवा सकती थी। महज 14 साल की उम्र में केतकी की शादी करवा दी। वहा ससुराल में भी उसकी खूब आवभगत हुई। केतकी आज सातवे आसमाँ पर थी। सहेलियों से सुना था की उसके ससुराल वाले बहुत अमीर है पर आज अपनी आवभगत देख के वो फूली नहीं समा रही थी। जब उसने अपने पति को पहली बार देखा तो वो थोड़ी सपकपा गयी थी। काला रंग बहुत काला। माँ बचपन में जिस राजकुमार का कहती थी ये उससे पूरा अलग था। चेहरा दाग से भरा हुआ। कोई 29-30 साल उम्र रही होगी। उसने जब पहली बार केतकी को छुआ था तो वो डर से सहम सी गयी थी। पर उसने अपनी किस्मत को समझ कर सबको अपना लिया था। सासु माँ ने धीरे धीरे उसे रसोई के काम में भी माहिर बना दिया था। पति भी वक़्त के साथ उसे भा गया था। 2 साल में उसके गोद में दो बच्चे भी आगए थे। महज 16 साल की उम्र में उसके 2 बच्चे।
उसका पति उसका खूब ख्याल रखता और सास ससुर से भी उसकी अच्छी बनती। पर फिर उसकी खुशियों पर ग्रहण लग गया। 2 साल बाद उसे पता लगा की उसके पति को जानलेवा बीमारी है । चाची को ये बात शादी से पहले बता दी थी बस वारिस के लिए अपने इकलौते बेटे की शादी केतकी से की थी। ये सुन के केतकी टूट सी गयी थी। कुछ दिनों बाद केतकी के पति की मौत हो गयी। सास ससुर ने अपने समझौते के अनुसार केतकी से दोनों बच्चे ले कर उसे पीहर भेज दिया। जब उसे पता लगा की ये सब चाची को पहले से पता था और ये सब बस एक समझोता था तो उसने चाची का घर छोड़ दिया। उतरा चाह कर भी उसे नही रोक पायी। दर दर भटकती केतकी अपने बच्चो और पति को याद करते हुए कब एक कोटे पर पहुँच गयी उसे पता नहीं लगा। वहा उसके जिस्म की बोली लगी और वो बिक गयी। एक शराबी उसे अपने साथ ले गया खरीद कर। और उसे किसी अमीरजादे के हाथों बेच दिया। पर वो वहा से जैसे तेसै बच के निकल गयी और अपनी आबरू की रक्षा की। उसने आजीविका के लिए कुछ काम करना चाहा पर उसे कोई काम पर रखने को तेयार नही हुआ। थक हार कर वो वापस चाची के पास चली गयी। चाची ने उसकी शादी एक शराबी से कर दी। जो रोज़ कमा कर तो देता पर जितना कमाता उससे शराब पीने की बाद ही केतकी को कुछ खाने को देता। रोज़ वो ही घर का सारा काम करती... रात को उसके लिए शराब लाती और फिर उसकी हर इच्छा पूरी करती तभी उसे कुछ खाने को मिलता। कभी किसी बात पर बहस हो जाती तो वो उसे बुरी तरह से पिटता। 23 साल की उम्र मे ही वो 35 साल जितनी दिखने लगी थी। घर के पास एक वकील साहब अपनी पत्नी के साथ रहते थे। खाली वक़्त में वो उनके पास सुख दुख बाटने चली जाती
वकील साहब उसे कानूनों के बारे में बताते जिसे वो बड़े ध्यान से सुनती। अब उसे ये भी पता लग गया था की उसको अपने बच्चों से दूर करना कानूनन गुनाह है पर वो वापस अतीत को कुरेदना नहीं चाहती थी। तो जैसा चल रहा वैसा चलने देती। पर कभी किसी छोटे बच्चे को देख कर उसे अपने बच्चो की बहुत याद आती पर वो मन मसोस कर रह जाती। आज भी वो रोज़ की तरह शराब लेने आयी थी तभी पीछे से किसी ने खबर दी की उसके पति ने ज्यादा शराब पी थी इसलिए उसकी एसिडेंट से मौत हो गयी। वो आज रोई नहीं और ना ही घर गयी। वो नदी के पास आ कर बैठे गयी। वो इस बार किसी नर्क में नही जाना चाहती थी। "नहीं कभी नहीं।" कहते हुए वो अपनी जगह से उठ जाती है। "मै अपने बच्चो को हर हाल में वापस लेकर रहूँगी। में उनको अपने जैसे बिना माँ के नहीं छोड़ सकती।" कहते हुए वो वहा से चल देती है। आत्मविश्वास से भरपूर एक नई जिंदगी की तरफ।

समाप्त