The Author Datta Jaunjat फॉलो Current Read नागिन - का अधुरा इंतकाम By Datta Jaunjat हिंदी लघुकथा Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books My Passionate Hubby - 5 ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन... इंटरनेट वाला लव - 91 हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त... अपराध ही अपराध - भाग 6 अध्याय 6 “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच... आखेट महल - 7 छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक... 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love you केहता हे तब मानसी उसे थपड मारती हे तब वो वाहासे चला जाता है तब मानसी बोलती हे मेने बोहत बडी गलती करदी तब मानसी उसके पास जाती हे और उसे बोलती हे मुझे माफ करदो तब मानसी वाहासे चली जाती हे तब वो शिवमंदिर जाती हे वाहा .तब शिव उसे नागिन का वरदान देते हे तब मानसी बोलती हे मुझे ये वरदान नही चाहिए मे मानवी जीवन मे जीना चाहती हु तब शिव बोलते है की तुम्हे ये वरदान लेना होगा इसमे तुम्हारी ही भलाइ हे तब शिव बोलते है की मेरे से जो वरदान पाता हे वो बोहत अच्छा रहेता हे उसकी सारी बुराइ मिट जाती हे तब शिव बोलते है तो चलो मे जाता हो तब मानसी वाहासे चली जाती हे दो महिने बाद मानसी शिवमंदिर मे होती हे और उसे नागिन का वरदान मिलता हे लेकिन कैसे मिला दो महिने पेहेले मानसी शिवमंदिर से घर जाती हे और वो देखती हे तो क्या उसकी शादी कि तयारी हो रही है तब वो बोलती हे मा दुलहा कोण हे तब उसकी मा बोलती हे उसका नाम नक्ष हे तब दोनो कि शादी हो जाती है तब बोहत हवा चलती है और बारीश गिरती हे तब नक्ष के घरवाले मानसी के घरवालो को मार देते है तब मानसी को जबरदस्ती से ले जाते हे तब कोछ दिन बाद मानसी गाडी लेके शिवमंदिर के पास रोकती हे और शिव के पेर पडती हे तब वो जाती हे तब आचणक से गाडी शिवमंदिर के अंदर जाती हे और मानसी शिव के चरणो मे गिरती हे लेकिन उसे कोछ नही होता तब मानसी बोलती हे मुझे माफ करदो शिवजी मेने बोहत बडी गलती करदी तब आती है शुभांगी और बोलती हे मानसी तुम्हे वाहा जाना है वाहा हमारी मुलाकात होगी वही तुम्हे नागिन का वरदान मिलेगा तब मानसी एक पहाडी के शिवमंदिर जाती हे वो तांडव करती है और शिव बोलते है मै तुम्हे वरदान दोगा लेकिन तुम्हे बता दो कि वो असुर फिरसे आरहा हे उसे तुम अछी तरहसे पेहचानती हो और आखरी जंग मे तुम्हारा इंतकाम लेने कोइ तो आएगा और तब इस काहाणी का अंत हो जाएगा तब शिव उसे नागिन का वरदान देते हे ओर वो चली जाती हे तब वो शिवमंदिर जाती हे और बोलती हे पंडित जी मे भी एक नागिन हो समझे आप मे नागिन कैसे बणी. तब मानसी बोलती हे मेरे कातीलोको मे नही छुडोगी सबको मारडालुगी तब मानसी घर जाती हे तब नक्ष बोलता हे तुम कहा गई थी मुझे बोहत चिंता होरही थी तब उसकी मा आती है और बोलती हे मानसी कल हमारे घरमे मुदिखाइ हे तब तयार होके आणा कल सुबह मुदिखाइ की रसम होती हे तब वो निचे जाती है तब सब बोलते है नाम लो तब वो नाम लेती हे और वो घुगंट ओठाती हे और सब बोलते है वा क्या चेहरा हे नजर ना लगे तब सब चले जाते हे तब नक्ष बोलता हे मा सबको बोलाओ हमारी party. बाकी है तब नक्ष की मा बोलती हे हमारे हवली चलते है तब सब जाते हे तब रस्ते मै कोइ तो बिन बजाता हे और मानसी को बोहत तकलिफ होती हे तब मानसी नागिन रुप लेकर उसके पास जाती हे और उसे बोलती हे क्यो बिन बजारहे हो तब वो बोलता हे क्यो मानसी तुम्हे पत्ता हे क्या तुम को वापस क्यो लाया गया है तब वो बोलता हे की तुम्हारी मा एक नागिन थी लेकिन वो कोण थी उसका असली नाम क्या है तुम्हे पता हे उसका नाम राणी हे उसणे तुमको अपणी दोस्त के पास दिया था और तुम्हारा पिताजी राजा थे लेकिन वो कैसे मरे वो तुम्हे जाणणा हे तो उस मंदिर मे तुम्हे जाना है वाहा उनका शरीर हे वाहा तुम जाओगी तो उनके आत्मा को शांती मिलेगी तब मानसी बोलती हे धन्यवाद मुझे सब बताणे केलिए लेकिन तुम कोण हो तब वो गायब हो जाता है तब मानसी गाडी मे फिरसे जाती हे तब मानसी को नक्ष बोलती हे मुझे शिवमंदिर जाना है तब दोनो जाते हे तब वाहा उन तिनोका शरीर पडा था वो उसे छुती हे और वो शरीर गायब हो जाता है.तब शिव बोलते है मानसी तुम्हारे मा बाबा कोण थे वो कैसे मरे वो तीसरा आदमी कोण था तो राजा एक नाग था लेकिन बाद मे वो राक्षस बण गया था और तुम्हारी मा एक नागिन थी और वो तिसरा आदमी उसका नाम दिपक था और वो एक आम इनसान था राणी ने पेहेले जन्म मे तुम्हे जन्म दिया था और वो मरगइ थी तब तुम्हे अपणे मा का इंतकाम लेना हे वो दुश्मन वापस आरहा हे तब शिव चले जाते हे तब नक्ष बोलता हे मानसी मे भी एक नाग हो हम दोणो मिलकर इंतकाम लेगे तब दोनो घर जाते हे party हो जाती है तब मानसी और नक्ष कि मिलन की रात थी तब कल सुबह मानसी उसकी सास को मार देती है और उसके ससुर को तब मानसी बोलती हे नक्ष अब होणे वाला है अंतिम जंग तब आता हे नरेंद्र और बोलता हे कि नागिन मे वापस आगया तुम्हे मारणे तब वो बोलता हे की कल सुबह हमारी जंग होगी तब नरेंद्र चला जाता है तब मानसी नक्ष को बोलती हे नक्ष खुशखबर हे तुम पापा बणने वाले हो तब वो बोलता हे तो हमे अपणे बच्चे को बचाणा होगा तुम्हे बता दो कि पिछले जन्म में शुभांगी का नक्ष अलग हे और इस जन्म में तुम अलग हो तब कल सुबह मानसी और नक्ष उस पहाडी कै शिवमंदिर मे होते हे तब मानसी बोलती हे अब होणे वाली हे बडी जंग तब नरेंद्र आता हे और बोलता हे मानसी तु मेरे हाथो से मरुगी तब बोहत लढाई होती हे तब नरेंद्र नक्ष को मारडालता हे तब. मानसी बोलती हे हे शिव मे मर गइ तो चलेगा लेकिन इस राक्षस मर जाणा चाहिए तब नरेंद्र मानसी को ओठके त्रिशुल पे गिराता हे तब बोहत हवा चलती है तब आती है राणी , शुभांगी, चंद्रकला, शिवकन्या, तब वो बोलते है अब हम सब तुम्हा रा अंत करेगे तब शिव आते है और बोलते है ये त्रिशुल लो राणी और इसे मार डालु और तोम सबको मिलकर इसे मारणा होगा तब सब बोलते है ओम नमः शिवाय और उसे मारडालते हे और वो मर जाता है तब राणी बोलती हे मानसी औठो तब शिव बोलते है वो मरगइ हे इस काहाणी मे उसे मरणा ही था तब सब नागिन चले जाते हे तब मानसी और नक्ष कि आत्मा चली जाती हे तब शिव बोलते है इस काहाणी का भी अंत होवा लेकिन मानसी बच नही पाइ और उसका बच्ची भी तो अब नागिन कि काहाणी का यही अंत होता हे तब शिव चले जाते हे . The end 🐍🐍 Download Our App