पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 35 Abhilekh Dwivedi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 35

चैप्टर 35

खोज पर खोज।

मेरे मौसाजी के विस्मित होने की वजह को पूरी तरह से समझने के लिए, और इन शानदार और विद्वान पुरुषों के संकेत के लिए, ज़रूरी है कि जीवाश्मिकी के महत्व को स्पष्ट रूप से समझें, या जीवाश्म जीवन के विज्ञान को, जो पृथ्वी के ऊपरी क्षेत्रों पर हमारे प्रस्थान से कुछ समय पहले देखने को मिला था।
28 मार्च, 1863 को फ्रांस के सोम्मे विभाग में, एबबेविल के पास मौलिन-क्विग्नन के विशाल खदानों में एम बाउचर डी पर्थेस के निर्देशन में कुछ खोजी काम कर रहे थे। काम के दौरान, वे अप्रत्याशित रूप से मिट्टी की सतह से चौदह फीट नीचे दबे एक मानव जबड़े पर आ गए। यह उस तरह का पहला जीवाश्म था जिसे कभी दिन के उजाले में लाया गया था। इस अप्रत्याशित मानव अवशेष के पास नक्काशीदार पत्थर, कपड़ों के चिथड़े, एक ही रंग के कपड़े में लिपटा चमकीले रंग का ताम्रकिट्ट पाया गया था।
इस असाधारण और अप्रत्याशित खोज की खबर ना केवल फ्रांस, बल्कि इंग्लैंड और जर्मनी में भी फैली। कई लोगों ने विभिन्न वैज्ञानिक निकायों से संबंधित पुरुषों से सीखा जिनमें सबसे उल्लेखनीय, मिल्न-एडवर्ड्स और डी क्वाट्रेफेगस जैसे महाशयों ने दिल से स्वीकारा और उस हड्डी की मौलिकता पर सवाल के लिए निर्विवाद प्रामाणिकता का प्रदर्शन किया और तब - कहावत के रूप में भी इंग्लैंड में पहचाने जाने लगे - "जबड़े की हड्डी का सवाल" के ज़बरदस्त समर्थक बन गए।
यूनाइटेड किंगडम के प्रख्यात भूगोलविद, जिन्होंने इस तथ्य को निश्चित रूप से देखा था - फल्कोनर, बक, कारपेंटर और अन्य लोग जल्द ही जर्मनी के विद्वपुरुषों को एकजुट करने लगे थे और उनमें सबसे पहले, अति जिज्ञासु, अति उत्साही, मेरे होनहार मौसाजी प्रोफ़ेसर हार्डविग थे।
बीस लाख साल पहले किसी मानव जीवाश्म की प्रामाणिकता को असंगत रूप से प्रदर्शित करना आसान नहीं था और किसी ने इसे स्वीकारा होगा, इसपर भी संदेह है।
यह प्रणाली या सिद्धांत, इसे आप जो भी कहें लेकिन, यह सच है कि एम एली डी ब्यूमोंट इसका कड़ा विरोधी था। यह विद्वान आदमी, जो वैज्ञानिक दुनिया में इतना ऊंचा स्थान रखता है, यह मानता है कि मौलिन-क्विग्नन की मिट्टी आदि काल की नहीं है बल्कि उससे काफी बाद के समय की है और इस संबंध में कुवियर के मान रखते हुए, वह कभी नहीं स्वीकार करेगा कि बीस लाख साल पहले मानव प्रजाति जानवरों के साथ समकालीन थी। मेरे योग्य मौसाजी, प्रोफेसर हार्डविग ने, भूवैज्ञानिकों के महान बहुमत के साथ एकजुट होकर दृढ़ता से विरोध किया, चर्चा की और आखिरकार काफी बातचीत और लेखन के बाद, एम एली डी ब्यूमोंट बहुत अच्छी तरह से अपनी राय में अकेले रह गए थे।
हम इस चर्चा के सभी विवरण से परिचित थे, लेकिन तब तक जागरूक होने से दूर थे जबकि हमारे जाने के बाद से यह मामला एक नए चरण में प्रवेश कर गया था। इसी तरह के अन्य जबड़े, हालाँकि विभिन्न प्रकारों के और बहुत अलग-अलग प्रकारों के व्यक्तियों से संबंधित थे, जो फ्रांस, स्विटजरलैंड और बेल्जियम में कुछ गुफाओं के चलायमान स्याह रेत में पाए गए थे; साथ में, हथियार, बर्तन, औजार, बूढ़ों और जवान पुरुषों के साथ बच्चों की हड्डियाँ भी मिली थीं। इसलिए चतुर्धातुक काल (बीस लाख साल पहले) में हर दिन पुरुषों का अधिक सकारात्मक अस्तित्व बना था।
लेकिन अब यह सब नहीं था। नए अवशेष ने, जो प्लियोसीन या तृतीयक निक्षेप से निकाले गए थे, उन्होंने दूरदर्शी या ज्ञानी साहसियों को प्राचीनकाल के मानव जाति से ज़्यादा सक्षम बनाया है। यह सच है कि वो अवशेष पुरुषों के नहीं थे; वह पुरुषों की हड्डियाँ नहीं थीं लेकिन वस्तुओं में निश्चित रूप से मानव जाति के अंश थे: पिंडली की हड्डी, जीवाश्म जानवरों के जांघों की हड्डी, नियमित रूप से बाहर निकले हुए, और वास्तव में ऐसे गढ़े हुए थे - मानव हस्तकला के अकल्पनीय प्रतीक हो जैसे।
इन चमत्कारिक और अप्रत्याशित खोजों के माध्यम से, कुछ ही समय में मनुष्य यहाँ अंतहीन शताब्दियों में पहुँच गया; वास्तव में वह मास्टोडन से भी पहले था; एलिफस मेरिडोनियलिस - दक्षिणी हाथी का समकालीन था; एक सौ हज़ार साल से अधिक की प्राचीनता हासिल किये हुए, जो कि प्लियोसीन अवधि के लिए सबसे प्रतिष्ठित भूवैज्ञानिकों द्वारा दी गई तारीख है। तब जीवाश्मिकी विज्ञान की ऐसी स्थिति थी लेकिन जो हम जान पाए थे, वो हार्डविग महासागर के मैदानी इलाकों के इस महान कब्रिस्तान के सामने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
बीस गज की दूरी पर आगे बढ़ते, प्रोफ़ेसर की विस्मय और खुशी को समझना आसान था, जब उन्होंने मानव जाति के एक नमूने के आमने-सामने खुद को उपस्थिति पाया। मैं कह सकता हूँ कि वास्तव में चतुर्धातुक काल से संबंधित था!
यह वास्तव में एक मानव खोपड़ी थी, पूरी तरह से पहचानने योग्य। क्या यह बोर्डेऔ में सेंट मिशेल के कब्रिस्तान की तरह, एक अजीब प्रकृति की मिट्टी थी, जिसने इसे अनगिनत युगों से संरक्षित किया था? यह वह सवाल था जो मैंने खुद से पूछा था, लेकिन मैं पूरी तरह से जवाब देने में असमर्थ था। लेकिन यह सिर के साथ खिंचे हुए चमड़े जैसी त्वचा, सभी दांत, प्रचुर मात्रा में बाल, हमारी आँखों के सामने जैसे जीवित थे!
दूसरे काल के इस भयानक प्रेत को देखकर मैं मूक हो गया था, लगभग आश्चर्य से स्तब्ध था। मेरे मौसाजी, जो लगभग हर अवसर पर बहुत बड़े वक्ता बनते थे, कुछ समय के लिए पूरी तरह से गूँगे हो गए थे। वो भावनाओं से इतने लैस थे कि उनके लिए कुछ भी बोलना सम्भव नहीं था। हालाँकि, कुछ समय बाद हमने उस धड़ को उठाया, जिससे खोपड़ी संबंधित थी। हमने इसे एक जगह में खड़ा किया। ऐसा लग रहा था, उसकी भयानक खोखली आँखें हमारी उद्विग्न कल्पनाओं को देखने के लिए हैं।
कुछ मिनट की चुप्पी के बाद, आदमी को प्रोफ़ेसर द्वारा परास्त कर दिया गया था। वैज्ञानिक अभिमान और उल्लास के आगे मानवीय प्रवृत्ति झुक गई थी। प्रोफेसर हार्डविग अपनी उत्साह में गुम, हमारी यात्रा की सभी परिस्थितियों को भूल गए थे, उस विशाल गुफा को भी जो हमारे सिर पर बहुत दूर तक फैली हुई थी और जहाँ हमें असाधारण स्थिति में हमें रखा गया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने खुद को किसी संस्थान में अपने चौकस शिष्यों को संबोधित करते हुए सोचा था, क्योंकि उन्होंने खुद को उपदेशक शैली में ढालकर, पहले हाथ हिलाया, और फिर कहना शुरू किया:
"सज्जनों, इस शुभ अवसर पर हमारी दुनिया के चतुर्धातुक काल के एक आदमी को पेश करने का सम्मान चाहता हूँ। बहुत से विद्वानों ने उनके अस्तित्व को नकार दिया है, जबकि अन्य सक्षम व्यक्तियों ने, शायद उच्चतर अधिकारियों ने भी, उनके जीवन की वास्तविकता में अपने विश्वास की पुष्टि की है। अगर सेंट थोमसेस के जीवाश्म यहाँ होते तो वो उन्हें श्रद्धापूर्वक अपनी उंगलियों से स्पर्श करते और उनके अस्तित्व में विश्वास करते, और इस प्रकार उनकी अप्रामाणिकता को स्वीकार करते। मैं जानता हूँ कि विज्ञान को इस प्रकृति की सभी खोजों के संबंध में सावधान रहना चाहिए। मैं उनमें से नहीं हूँ जो कई बर्नम और अन्य हकीमों के बारे में बिना जाने, खोज करने के ढोंग का व्यापार करते हैं। मैंने बेशक, अजाक्स द्वारा घुटनों की खोज के बारे में सुना है, स्पार्टिअट्स द्वारा ओरेस्टेस के शरीर की खोज के बारे में, और एस्टेरियस द्वारा उन शरीर के बारे में, दस हाथ, पंद्रह फुट - जिन्हें हम पौसानिया में पढ़ते हैं।
"मैंने ट्रपानी के कंकाल से संबंधित सभी चीजें पढीं हैं, जिन्हें चौदहवीं शताब्दी में खोजा गया था और कई लोगों ने उसे पॉलिफेमस के रूप में समझा और पाल्मिरा में सोलहवीं शताब्दी के दौरान इस विशालकाय इतिहास को खोदा गया था। महाशय, आप और मैं अच्छी तरह से जानते हैं कि 1577 में लूसर्न के पास हड्डियों की महान समीक्षा हुई थी जिसके लिए जाने-माने महान डॉक्टर फेलिक्स प्लैटर ने घोषणा की थी कि वो उन्नीस फीट ऊंचे एक विशालकाय दैत्य से सम्बंधित है।
मैंने कैसनियन के सभी ग्रंथों को सूक्ष्मता से पढ़ा है, उन सभी संस्मरणों, पर्चियों, भाषणों और ट्यूटोबोचस के, जो सिम्बरी का राजा और गॉल का आक्रमणकारी था, कंकाल के संदर्भ में प्रकाशित जवाब को भी पढ़ा है जिसे 1613 में डॉफिन के एक गड्ढे से खोद कर निकाला गया था। अठारहवीं सदी में मुझे पीटर कैम्पेट के साथ, शिउक्ज़र के उपदेशकों के अस्तित्व का खंडन करना चाहिए था। मेरे ही हाथों द्वारा लिखा गया था जिसे जाइगन्स के नाम से जाना जाता था -"
यहाँ मेरे मौसाजी प्राकृतिक दुर्बलता से पीड़ित थे, जिससे वो जनता के सामने कठिन उच्चारण में असहज होते थे। यह हकलाना बिल्कुल नहीं था, बल्कि एक अजीब तरह की स्वास्थ्य संबंधित हिचकिचाहट थी।
"जाइगैंस नाम का लेखन-" उन्होंने दोहराया।
हालाँकि वो इसके आगे जा नहीं सके।
"जाइगैनटीओ- "
असंभव! दुर्भाग्यपूर्ण शब्द नहीं निकलेगा। संस्थान में बड़ी हँसी हुई होती अगर ये गलती वहाँ हुई थी।"
जाइगैनटोस्टियोलॉजी!"दो डरावने दहाड़ के बाद आखिरकार प्रोफ़ेसर हार्डविग ने विस्मयकारी स्वर में कहा।
अपनी इस कठिनाई से उबर कर उत्साह और बढ़ गया -
"हाँ सज्जनों, मैं इन सभी मामलों से अच्छी तरह से परिचित हूँ, और यह भी जानता हूँ कि कुवियर और ब्लुमेनबैक ने इन हड्डियों को निर्विवाद रूप से विशालकाय अवशेषों के रूप में पहचान की थी जो चतुर्धातुक अवधि के हैं। लेकिन अब जो हम देखेंगे, उसके बाद संदेह को अनुमति देना मतलब वैज्ञानिक जाँच का अपमान करना जैसा है। यह वो शरीर है; आप इसे देख सकते हैं; आप इसे छू सकते हैं। यह एक कंकाल नहीं है, यह एक पूर्ण रूप सकुशल शरीर है, जिसे मानवशास्त्रीय वस्तु से संरक्षित किया गया है।"
मैंने इस विलक्षण और अचरज से भरे दावे की पुष्टि के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
यदि मैं चाहता तो इस लाश को सल्फ्यूरिक एसिड के घोल में धो सकता था," मेरे मौसाजी ने कहना जारी रखा, "मैं इसपर से पृथ्वी के सभी कणों और इस देदीप्यमान खोल को हटाने का कार्य करूँगा, जो इसके ऊपर अलंकृत है। लेकिन मेरे पास ऐसे अनमोल घुलने वाले माध्यम नहीं हैं। फिर भी, जैसे कि यह है, यह निकाय अपना इतिहास बताएगा।"
यहाँ प्रोफेसर ने जीवाश्म निकाय को ध्यान से संभाला और इसे दुर्लभ निपुणता के साथ प्रदर्शित किया। कोई भी पेशेवर कौतुकिया इससे अधिक गतिविधि नहीं दिखा सकता था।
"जैसा कि आप परीक्षण में देखेंगे," मेरे मौसाजी ने कहना जारी रखा, "यह केवल छह फीट लंबा है जो उन दिनों के तथाकथित दैत्यों से ज़्यादा लंबा है। यह कोकेशियान की विशेष प्रजाति से संबंधित है। यह भी हमारी तरह श्वेत नस्ल का है। इस जीवाश्म की खोपड़ी एक अंडाकार रूप में है जिसपर किसी भी प्रकार से गाल की हड्डी का विकास नहीं दिखता, और ना ही जबड़ा निकला हुआ है। जबड़े के निकले होने के कोई संकेत भी नहीं है जो चेहरे के कोण [४] को संशोधित करे। कोण को आप खुद मापें, और आप पाएंगे कि यह सिर्फ नब्बे डिग्री में है। लेकिन मैं अभी भी अपनी जांच और निष्कर्ष पर अटल रहूँगा, और मैं साहस के साथ कह सकता हूँ कि यह मानवीय नमूने या जापेटिक परिवार के नमूने से संबंधित है, जो भारत से लेकर पश्चिमी यूरोप तक पूरी दुनिया में फैला हुआ है। सज्जनों, मेरी बातों पर मुस्कुराने से कुछ नहीं होगा।"


[४] चेहरे का कोण दो विमानों द्वारा बनता है-एक या अधिक ऊर्ध्वाधर जो माथे और कृन्तक के साथ एक सीधी रेखा में होता है; अन्य जो क्षैतिज हैं, वो श्रवण के अंगों और निचले नाक की हड्डी से गुजरता है। एंथ्रोपॉलॉजिकल भाषा में प्रोग्नैथिज्म का मतलब है कि जबड़े का विशेष प्रक्षेपण जो चेहरे के कोण को संशोधित करता है।


बेशक कोई भी मुस्कुराया नहीं। लेकिन उत्कृष्ट प्रोफ़ेसर अपने व्याख्यानों के दौरान बहकने वाले आकृतियों के इतने आदी थे, कि उन्हें विश्वास था कि उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान उन सभी श्रोताओं को हँसते हुए देखा है।
"हाँ।" नए सिरे से जीवंतता के साथ उन्होंने कहना जारी रखा," यह एक आदमी का जीवाश्म है, मास्टोडोन का समकालीन, जिसकी हड्डियों से यह पूरा अखाड़ा ढका गया है। लेकिन अगर मुझे यह समझाने के लिए बुलाया गया है कि वह इस स्थान पर कैसे आया, जिन विभिन्न परतों से इसे ढका गया है वो इस विशाल खोह में गिरा कैसे, तो इसके लिए मैं कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सकता। निस्संदेह अगर हम खुद को चतुर्धातुक युग में वापस ले जाते हैं, हम पाएँगे कि पृथ्वी कि सतह पर विशाल और शक्तिशाली आक्षेप हुआ था: लगातार ठंडा होने वाली सामरिक गतिविधि, जिसके माध्यम से पृथ्वी को गुजरना पड़ा था, जिससे विखंडन, भूस्खलन, और दरारें उत्पन्न हुईं, जिसके माध्यम से पृथ्वी के बड़े हिस्से ने अपना रास्ता बना लिया। मुझे कोई पूर्ण निष्कर्ष नहीं मिला है, लेकिन एक आदमी है, जिसने अपने हाथों से काम किया, उसकी टोपी और उसके नक्काशीदार निशान, जो पाषाण युग के हैं; और एकमात्र तर्कसंगत प्रस्ताव यह है, कि मेरी तरह उसने भी, विज्ञान का पथप्रदर्शक होकर एक पर्यटक की तरह पृथ्वी के केंद्र का दौरा किया। किसी भी संदर्भ में उनकी आयु और उनका प्रजाति, सबसे पुरानी प्रजाति में से एक होने पर, कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।
इन शब्दों के साथ प्रोफ़ेसर ने अपने कथन को समाप्त कर दिया, और मैं जोर से और "सर्वसम्मति से" तालियाँ बजाने लगा। इसके अलावा, आखिरकार, मेरे मौसाजी सही भी थे। अपने भांजे की तुलना में इन विद्वान पुरुषों के लिए उनके तथ्यों और तर्कों का खंडन करना कठिन रहा होगा।
एक और परिस्थिति ने जल्द ही खुद को प्रस्तुत किया। यह जीवाश्म शरीर हड्डियों के इस विशाल मैदान में एकमात्र नहीं था - एक विलुप्त दुनिया का कब्रिस्तान। अन्य शव भी पाए गए थे, क्योंकि हम उस धूल भरे मैदान को खंगाल रहे थे और मेरे मौसाजी इन नमूनों में से सबसे अधिक अद्भुत का चयन करने में सक्षम थे ताकि इसे सबसे अविश्वसनीय बताया जा सके।
सही मायने में यह एक आश्चर्यजनक तमाशा था, मानवों और जानवरों की कई पीढ़ियों के बेहिसाब अवशेष उस विशाल कब्रिस्तान में एक साथ मिले थे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब खुद हमारे सम्मुख था और हम वास्तव में इसके चिंतन से डर रहे थे।
क्या जो प्राणि पहले जीवित थे वो यहाँ प्रकृति के किसी जबरदस्त आक्षेपों के तहत मिट्टी में दफन हो गए, जब उनका अस्तित्व शुन्य हो गया, या वो भूमिगत दुनिया के नीचे रहे, आकाश में विचरे, पैदा हुए, जोड़े बने, उपहार बने और अंत में पृथ्वी के सामान्य निवासियों की तरह मर गए?
इस वर्तमान समय तक, समुद्री राक्षस, मछली और इस तरह के जानवर अभी तक जीवित दिख चुके थे!
वह प्रश्न जिसने हमें असहज किया था वो उचित था। क्या पृथ्वी के केंद्र में इस चमत्कारिक समुद्र के सुनसान किनारों पर कोई इंसान इस रसातल में भटक रहा था?
यह एक ऐसा सवाल था जिसने मुझे बहुत असहज और अस्वाभाविक बना दिया था। अगर वो वास्तव में अस्तित्व में होंगे, तो वो हमें कैसे स्वीकार करेंगे?