स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ - 4 बेदराम प्रजापति "मनमस्त" द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ - 4

स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ

swatantr saxena ki kahaniyan

संपादकीय

स्वतंत्र कुमार सक्सेना की कहानियाँ को पढ़ते हुये

वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’

कहानी स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कहानीकार के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कहानीकार अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता है|

स्वतंत्र ने समाज को अपने तरीके से समझा है | वे अपने आसपास पसरे यथार्थ को अपनी कहानियों के लिए चुनते हैं| समाज व्यवस्था, राज व्यवस्था और अर्थव्यवस्था की विद्रूपताओं को सामने लाने में स्वतंत्र सन्नद्ध होते हैं| राम प्रसाद, किशन और दिलीप के चरित्र हमारे लिए जाने-पहचाने हैं | ये चरित्र शासनतंत्र से असंतुष्ट हैं और संघर्षशील हैं| उन्हें पता है कि लड़ाई बड़ी कठिन है| एक तरफ पूरी सत्ता है और दूसरी तरफ एकल व्यक्ति |

अपने कथाकार की सीमाओं की खुद ही पहचान करते हुए स्वतंत्र लेखनकार्य में निरंतर लगे रहें, हमारी यही कामना है|

संपादक

कहानी

भैया जी की कृपा

स्वतंत्र कुमार सक्सेना

उनकी आंखें चमक रहीं थी ओंठ मुस्करा रहे थे वे थोड़ा तन कर बैठ गए वे मुझे बता रहे थे। कल भैया जी भोपाल जा रहे थे तो कोठी के दरवाजे पर कार का शीशा खोल कर मेरी तरफ देख कर बोले-‘पार्टी दफतर खोल कर रोज बैठना है। साफ सफाई रखना है।’ और उन्होंने मुझे चाबी का गुच्छा थमा दिया ।-‘कोई भी आए, उससे बात करें अर्जी हो तो ले लें। मेरे आने का समय दिन बताएं।’और भी कई नेता/चमचे खड़े थे साले जल कर खाक हो गए । इस किशन का ऐसा जलवा!

व्े कहते रहे । भैया जी जब कॉलेज में पढ़ते थे तब से मैं उनकी सेवा में हूं ।

उन्होंने प्रेसीडेंट का चुनाव लड़ा तो वे रात को जंहां भी जाते लट्ठ लेकर मैं उनके साथ चलता । पिता जी ने कह रखा था किशन तुम साथ जाओ बस देखे रहना वैसे तो बहुत से लड़के साथ रहते वे बात करते उनके साथ चलते हम रात देर तक चक्कर काटते पर मैं बस साथ रहता ।

मेरी उनकी पुरानी पहिचान है। आप जानते नहीं रम्मन पैहलवान मेरा डुकरा था पूरे शहर में नाम था। पुलिस थाने तक उसकी पहुंच थी कई डकैत हाजिर करवाए चेरो की जमानत करवाई बरी कराए और नेता लोग उस समय के बड़े बड़े नेता जहां फेल हो जाते वहां डोकरा थाने में बात करा देता कई लोग अभी तक अहसान मानते हैं उसकी बात थाने में कटती नहीं थी तहसील में भी तहसील दार पटवारी सब जानते थे । कई मामले निपटवाए । जल्दी चला गया।गांजे की आदत थी डॉक्टरों ने तो कहा कि छोड़ दो पर आदत कहां छूटती है उसी में खांसी उठती थी इलाज कराया पर चला गया । मैं तब बीस का था। बाप के जाने के बाद हालत बहुत खराब थी कमाई धमाई का कुछ जम नहीं रहा था ।गलत संगत में पड़ गया । मेरे पड़ोसी एक बारदात करने गये मुझे भी साथ ले गए बताया जरा सा काम हैं मैं दुबला पतला था उन्होने मुझे एक घर में कुंदा दिया मुझे आंगन में उतर कर दरवाजा खोलना था सरल सा काम था पर मैं अंदर था तभी मकान मालिक जाग गया और सब तो उसे देख भाग गए मैं पकड़ा गया ।तब मेरी पत्नी पिताजी पर गई । वे वार्ड मेम्बर थे फौरन थाने रात को ही पहुच गए उन्होने मेरी रिपोर्ट नहीं होने दी ।बड़े दबंग थे।मकान मालिक भी मान गए उन्होंने साफ कह दिया हमसे टकराना ठीक नहीं लड़के से गलती हो गई उसे डांट फटकार दिया तुमने पिटाई कर ली । तुम्हारा कुछ नुकसान तो हुआ नहीं अब काहे की रिपोर्ट ?। थाने से मुझे लेकर लौटे । टी. आई. ने कहा छोड़ देंगे । तो कहा मैं बैठा हूं लेकर जाऊंगा । बड़े बात वाले थे। अब ऐसे नेता कहां ऐसी किसी की चलती भी तो नहीं ।

एक बार भैया जी से एक नेता उखड़ रहा था । एम. पी. का इलेक्शन था हम प्रचार में गए थे वे चार पांच लोग थे रास्ते में कार रोक ली ।वह तो हावी होने लगा ।हम कम थे, मैं, भैया जी और ड्राईवर मैने और कुछ न सूझा तो साले की पीठ पर लट्ठ दे मारा फिर एक दम लाठी भांजने लगा। वे सब भागते बने धमकाते चले गए। रिपोर्ट हुई पुलिस ढूंढती फिरी। मैं सेंवढ़ा निकल लिया साढ़ू की बहिन एक गांव में ब्याही है वहां छः महीने रहा वहीं दुकान कर ली बीबी मायके चली गई बकरियां व कुत्ता पड़ोसी सिर्रिया रखे रहा । घर पर ताला पड़ा रहा । भैया जी जिनका प्रचार कर रहे थे वे जीते ।जब सब निपट गया भैया जी का संदेश मिला तो लौट आया ।मैं सब के काम आता हूं ।सब मेरे काम आते हैं ।

मैं-‘ एक बार सुना था तुम्हें बन्द कर दिया था तुमने लखन के गिरोह की मदद की थी । किशन -‘हां वो बात ऐसी है कि बिहारी सेठ का लड़का है न उसकी पकड़ हो गई ।वे सब लोग चार पांच लड़के गोठ करने सिंध किनारे गए थे। उनके दो तीन नौकर भी थे, मुझे तो सरमन हलवाई ले गया था उसने रात को कहा कल चलना है मैने पूंछा तो बताया कि कल गोठ है । मैं भी उसके साथ ब्‍याह सगाई में मिठाई बनाने लेबर कारीगर के काम में जाता था । लखन को खबर हो गई वह आ गया सब लड़के पकड़ लिऐ दूसरे दिन उसने और तो छोड़ दिए पर सेठ का लड़का बाद में फिरौती लेकर छोड़ा हम सब धरे गए दस दिन बन्द रहे खूब सरकारी मेहमान रहे एक टूट गया बक्कर गया कि किशन ने लड़का पहिचनवाया मैं और लोग पिटते रहे तब भैया जी काम आए उन्होंने छुड़वाया । पुलिस कुछ नहीं कर सकी ऊपर से फोन करवाया भैया जी की तब उनकी थोड़ी बहुत चलने लगी थी । ’मैं-‘ पर सुना है उसमें तुम्हें कुछ मिला तो था किशन-‘ हां थोड़ा बहुत चूरन चटनी उससे मैने अपना मकान सुधरवा लिया दो पक्के कमरे बन गए । बाद में तो जब भैया जी इलेक्शन लड़े तो लखन ने मदद की मैने ही सम्पर्क कराया था वे उसके संरक्षक बन गए पूरे गिरोह का सरेंडर कराया ऊपर बात की तब खतरा था सरेंडर के बीच में ही पुलिस एनकाउंटर न करा दे ंतब भैया जी काम आएं वह मुझे बहुत मानता है अब मस्त है पचास बीघा जमीन है बेटा थानेदार है चलती है सब चैन है । अरे उस बिहारी सेठ को भी बचाया बिना लाइसेंस के नम्बर दो में गेंहू भरे था छापा पड़ा ब भैया जी ही काम आए ।वे सबके काम आते हैं अब जलने वाले तो कुछ भी कहते रहते हैं । ,’

पिता जी के बाद वार्ड मेम्बर पंडित किशन लाल बने थे वे बीच में पाला बदल गए । भैया जी चुप रहे ।पिछले इलेक्शन में कई लोग तैयार थे। उन्हें जाने क्या सूझी एक दिन मुझे घर से बुलवाया ले गए और वार्ड मेम्बरी का फारम भरवा दियापूरे इलेक्शन में जल कुक्कड़ कहते रहे एम.एल. ए.साहब आपका केन्डीडेट कमजोर है हार जाएगा किरकिरी होगी । एक तरफ पंडित किशन लाल दूसरी तरफ मैं किशन उनके साथ के कई लोग कहते रहे इसे कौन वोट देगा ।भैयाजी ने कुछ नहीं कहा चुप रहे । चुनाव में वे प्रचार को खुद निकले उनके घर से बहूरानी भी वोट मांगने निकलीं मेरी पत्नी भी जाने किस किस के पैर छू आई मतलब पर तो वह बहुत मीठा बोलती है ।मैं छोटा आदमी उन्होने मुझे बना दिया वार्ड मेम्बर किशन मैं सोचता था मेम्बरी तो पढ़े लिखे लोग करते हैं बड़े दिमाग का काम होगा डर रहा था उलझन में रहा पर भैया जी ने बड़ी हिम्मत बंधाई सब बनने लगेगा चिंता मत करो वहां मुझे बस हाथ उठाना पड़ता था जैसा भैया जी कह देते थे और सब भी ऐसे ही थे हाथ उठाने वाले एक दो मेम्बर थे जो बहस करते थे सवाल उठाते थे उन्हें कोई पूंछता भी नहीं था बाकी सब जैसा भगवान अदृष्य हें पर दुनिया उनकी मर्जी से चलती है इसी तरह हमारी मुनिसपैलिटी में भी हम सब आदेश पर हाथ उठाने वाले तो बैठे रहते पर जो असली आदेश देने वाले थे वे अदृश्‍य रहते पता ही नहीं लगता जो प्रस्ताव पास कर रहे हैं वह किसकी इच्छा से पारित हो रहा है वह व्यक्तित्व भगवान की तरह अदृश्‍य रहता और किस पार्टी को फायदा पंहुचाया जा रहा है यह भी हमें बाद में पता चलता हम बस हाथ उठाते या सामने रखे गये प्रस्ताव पर दस्तखत करते हां कभी कभी जब कोई बड़ा ठेकेदार या उंची पार्टी जब भैया जी को भुगतान कर रही होती तो वे मुझे देने का इशारा करते और मुझे भी कुछ मिल जाता मैं अपने मोहल्ले के लोगो का काम कराता उनकी बात कराता दलाली करता कभी कुछ मिल जाता नही ंतो अहसान तो हो ही जाता इस तरह काम चल निकला धीरे धीरे मैं मेम्बरी के काम में एक्सपर्ट हो गया काम सीखते सीखते तीन चार साल लग गए तब तक नया इलेक्शन का टाईम आ गया ।भैया जी ही नहीं उनके घर के सब लोग मुझे बहुत मानते हैं ।बच्चे चाचा कहते हैं उनका बेटा डॉक्टर है बिदेश में रहते हैं जब आते हैं तो कार से उतरते ही मेरे भी पैर छूते हैं कई बार बिटिया को ससुराल लेने मैं गया हूं वहां दामाद दिल्ली में अफसर है। इत्ते बड़े अफसर ने आफिस में सबके सामने मुझे चाचा जी कहा ।

मैं -‘तुम्हारा बेटा क्या कर रहा है दस पास हो गया ? किशन-‘ अरे कहां भाई साहब वह भी आवारा निकल गया उस की मैने ट्यूशन लगवाई वह पढ़ने ही नहीं गया फिर उन्हीं मास्टर साहब के कहने से परीक्षा में पास कराने वाली इर्म्पोटेंट की किताबें खरीदीं वह उनहें पढ़ने के बजाय पन्ने फाड़ कर नकल करने ले गया और उत्तर कापी में लिख दिया गोल्डन बुक पेज नम्बर सात तो पकड़ा गया मैं क्या करता । फिर अभी दोस्त के साथ लड़की भगाने ने में दोस्त के साथ पकड़ा गया जैसे तैसे जमानत करा पाया केस चल रहा है।वह लड़की भैया जी की रिश्‍ते दार की बेटी थी उनकी दूर के रिश्‍ते से भांजी थी लड़का लड़की का क्लास फेलो था मेरे बेटे ने तो वे जिस कार से भागे उसकी ड्राईवरी की वह उस लड़के के दोस्त के यहां ड्राईवर था तीन महीने गायब रहे उसी में बेटा भी पकड़ा गया भैया जी बहुत नाराज रहे मैं भी दो महीने उन के पास जाने से बचता रहा आखिर लड़का लड़की ने शादी कर ली अदालत में हाजिर हो गए मामला निपट गया मैने भैया जी से माफी मांगी कहा-‘ मेरी गलती नहीं उन्होने माफ कर दिया पर बेटा नहीं गया मैने बहुत कहा पर भड़क गया फांसी चढ़ा देगे चढ़ा दें।’ मुझे भैया जी के आगे नीचा देखना पड़ा । मैं -‘ आपका बेटा स्वाभिमानी है।’ किशन-‘ बेवकूफ है।मैं -‘नई पीढ़ी है।’किशन -‘ कछु नईं जवानी के सरोदे में है ठोकर लगेगी तो दिमाग ठिकाने आ जाएंगे ।’ यहां सोहबत बिगड़ रही थी तो मेरे एक दोस्त ट्रक पर चलते हैं उनके साथ भेज दिया दस हजार खर्च कर हैवी ड्राईवरी का लाईसेंस बनवाया खर्च करना पड़ता है मैं तो नहीं करना चाहता था पर उसकी मां अड़ गई । उसी ने तो बिगाड़ा है।वह पहले यहां पुलिस के टी. आई. साहब के यहां काम करती थी वे जबलपुर में एस. पी. रहे अब भोपाल में बड़े अफसर हैं मेरी पत्नी बेटे को लेकर उन्ही साहब के पास जा पंहुची जब भी मेरा वार नहीं चलता वहां वह जाती हैं बहुत मीठा बोलती है काम करवा कर आती है लोगों को पोटने में एक्सपर्ट है। बेटा उसी के कहे में है।वे अपनी बेटी की बहुत प्रशंसा कर रहे थे बहुत सुंदर है सुघड़ है। मां के साथ घर का सारा काम करती है उसने बी.एस. सी. कर लिया है मां बहुत चिंतित रहती है उसकी शादी की कह रही थीएक दो रिश्‍तेदारों के रिश्‍ते आए भी पर पढ़े लिखे नौकर पेशा लड़के दहेज मांगते हैं मेरे पास इतने पैसे हैं नहीं बिना पढ़े या कम पढ़े लड़के मिले पर बेरोजगार फाकलेट जो दारू पीते अपराध में संलग्न मिले। हेकड़ शादी के बाद लड़की की मार पिटाई करेंगे क्या करें समाज ही ऐंसा है हम छोटे लोग मां ने तो बहुत दबाव डाला पर उसने मना कर दिया। आगे पढ़ रही है साथ में एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ाने भी जाती है । फारम भी भरती रहती है देखो कहीं शायद लग जाए । मैं -‘ तो नौकरी शुदा लड़की की कम दहेज में शादी हो जाएगी । किशन -‘देखो कोशिश तो कर रही है।’ मैं-‘भैया जी से बात करते शायद काम बन जाए । वे बुरी तरह भड़क गए बोले -‘ वह टेस्ट देती रहती है जहां होना होगा हो जाएगा ।बेटी को भैया जी की सेवा में नहीं भेजेंगे ।वे काम तो करते हैं पर जिनका काम करते हें उन्हें बिल्कुल गुलाम बना लेते हैं। फिर आप चूं नहीं कर सकते । उनके किसी काम को वह अच्छा है या बुरा मना नहीं किया जाता उचित है या अनुचित विचार नहीं किया जाता । हम तो गुलाम रहे बेटा आवारा निकल गया अब बेटी से गुलामी नहीं कराएंगे ।

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