दोस्ती के उसूल Ambika Jha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दोस्ती के उसूल

एक आम का पेड़ था उस पर एक मैना रहती थी, उसी पेड़ के नीचे एक नाग-नागिन का जोड़ा था ।
नागिन गर्भवती थी।
जंगल के पास एक गाँव था उस गाँव में मंगलू नाम का एक किसान था। उसकी धर्मपत्नी माया भी गर्भवती थी।
घर में सास कुछ खाने-पीने नहीं देती थी।
रोज़-रोज़ मारपीट और गाली गलौच करती थी। जिससे माया बहुत परेशान रहती थी।
पति के लिए भोजन लेकर खेत पर काम करने के लिए आती थी।
खेत पर ही दोनों खाना खा लेते थे बचे हुए जो भोजन रहते थे वह पेड़ के नीचे रख देती थी और चली जाती थी।
नाग-नागिन उस बचे हुए भोजन को खा कर अपना दिन व्यतीत कर रहे थे। मैना कुछ अस्वस्थ हो गई थी कुछ दिनों से। अपने लिए भोजन नहीं ला पाती थी। नागिन को मैना पर दया आ गई और उसी भोजन में से उसने उसे भी भोजन करने को कहा।
अब उसी भोजन में से वह भी भोजन करने लगी। एक दिन मंगलु की
धर्म पत्नी को उसके सास ने भोजन ले जाते हुए देख लिया और दंड स्वरूप उसे बहुत मारा और मारकर कोठरी में बंद कर दिया।
कहा कि तुम रोज हमसे छुपा कर खेत पर ढेर सारा भोजन ले जाती हो इस दंड के स्वरूप तुम्हें दो दिन तक भोजन नहीं मिलेगा।
उसी पेड़ के नीचे बहुत सारी चींटियाँ भी रहती थी वे भी उसी भोजन को खाकर के अपना जीवन निर्वाह कर रही थी।
जब बहुत देर तक माया अपने पति के लिए भोजन लेकर खेत पर नहीं आई, तो मंगलू खुद ही घर चला गया।
और यहाँ नाग-नागिन के साथ-साथ मैना और चींटी भी भोजन की प्रतीक्षा में पल-पल समय व्यतीत कर रही थी। दो दिन तक लगातार भोजन ना मिलने पर
चींटी निकली भोजन के तलाश में।
गाँव में एक घर के पास से गुजर रही थी तो उसने किसी के रोने की आवाज सुनी।
वो उस दिशा में गईं और उसने देखा। जिसके लाए हूए भोजन वो निशदिन खाया करती थी। आज वही भूख और प्यास से बेहाल जमीन पर बैठी रो रही है।
फिर उसने उसके सास और पति को भोजन करते देखा और बचे हुए भोजन को उसने नाले में डाल कर बहा दिया। जिसके बजह से बहुत सारे पानी भी बर्बाद हुआ।

फिर चींटियों ने एक युक्ति लगाई और अपनी सारी चीटियों की फौज को बुलाया।
पूरे घर में चीटियों का साम्राज्य हो गया हर जगह सिर्फ चीटियां ही चीटियां सासू मां देख कर डर गई।
बहुत सारी चीटियां माया के सास को चारों तरफ से घेर कर काटने लगी।
फिर सासू मां ने पूरे घर में पानी डालकर झाड़ू लगाया कुछ भाग गई कुछ कुचली गई और कुछ बच गई। बहुत सारी चीटियां मर गई। इतने चीटियों को मरते हुए देख कर माया को बहुत दया आ गई और माया ने सास से कहा हम घर साफ कर रहे हैं आप रहने दो। फिर माया ने सारी चिंटियों को झाड़ू से बहुत ही आराम से घर के बाहर किया और
रोटी बना कर बचे हुए आटे को उन चिंटियों के सामने छिड़क दिया। ओर चिंटियां खाने लगी।
माया के सास ने देखा ओर अपनी बहू की सूझबूझ ओर समझदारी से बहुत ही प्रभावित हुई। पर उसने कुछ नहीं कहा। फिर माया रोज की तरह ही खेत पर काम करने जाने लगी वहीं पर ख़ुद ही भोजन करके बचे हुए भोजन को पेड़ के नीचे रखने लगी।
कुछ दिन बाद नाग नागिन ने अपने बच्चों को जन्म दिया और उसी महीने में माया ने भी अपने बच्चे को जन्म दिया। माया जब भी खेत पर आती अपने बच्चे को साथ ही लेकर आती।
वही उसी पेड़ के नीचे बच्चे को सुला कर ख़ुद खेत में काम करने लगती। माया खेत के कामों में मग्न हो जाती है और बच्चे का रोना सुन नहीं पाती।
नागिन जब बच्चे के रोने की आवाज सुनती है तो वहाँ अपने बच्चे को लेकर आ जाती हैं। और बच्चा नाग-नागिन को देखकर हाथ-पाँव फेंकने लगता है और किलकारियां मार कर हंसने लगता है। उसके साथ ही खेलने लगता है जैसे कि उसे कोई सुंदर सा खिलौना मिल गया हो। मैना और चीटियां भी बच्चे के साथ खेलने लगती है।
सब के बीच एक दोस्ती का रिश्ता बन जाता है।
एक दिन अचानक तेज धूप के कारण माया खेत पर काम करते हुए बेहोश हो कर गिर जाती है।
उस दिन मंगलू खाद और बीज लेने शहर गया रहता है।
चीटियों को उनका घर पता था घर चली गई बुलाने के लिए उसकी सास को ।
चीटियों की धार घर में जैसे ही आई माया के सास ने देखा । ओर चिंटियों नेअपना रास्ता मोड़ दिया वापस खेत की ओर।सास को आश्चर्य हुआ । उत्सुकता बस चीटियों के धार के पीछे-पीछे आने लगी।
खेत पर आकर देखती है उसकी बहू बेहोश है ओर मैंना अपने चोंच से पानी डालकर उसकी बहू को होस मे लाने की कोशिश कर रही है।
नाग-नागिन का जोड़ा अपने बच्चों के साथ उसके पोते के साथ खेल रही है। मुक प्राणी जो बोल भी नहीं सकता। उसके निश्छल सेवा भाव देखकर माया के सास का हृदय परिवर्तन हो गया। और अपनी बहू को होश मे लाकर लेकर गई। उस दिन के बाद बहु के साथ आंनद पूर्वक रहने लगी।
माया ने भी अपने दोस्ती का फर्ज बहुत ही सुंदर तरीके से बना कर रखा। रोज ही कुछ भोजन पेड़ के पास रख देती थी सब ने अपनी अपने हिस्से कि दोस्ती को बहुत ही इमानदारी से निभाया।
समाप्त । अम्बिका झा 👏