विवाह गौरी शंकर की Ambika Jha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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विवाह गौरी शंकर की

गौरी बचपन से ही शरारती थी
हर बात जानने कि,सवाल जवाब करने।
की आदत थी।
गौरी, मां तुम ने अपनी पहली बेटी के शादी से सबक क्यों नहीं लिया। चलो जाने दो दूसरी बेटी के ससुराल के बारे मैं जानकारी क्यों नहीं ली।
तीसरे दामाद के बारे में जो पता चला वह भिखारी है तो बेटी से रिश्ता क्यों तोड़ लिया क्या बेटी ने भाग कर शादी की थी।
मां, उन्होंने पूरी जानकारी के साथ ही शादी करवाई थी
पर हमारे किस्मत मैं ही जमाई का सुख नहीं था।
इसलिए हमारे साथ धोखा हुआ।
गौरी, हमारी शादी ऐसे ही किसी से मत कर देना।
मैं पहले से कह देती हूं।
पहले मैं लड़के से मिलकर बात करके पूरी तरह तसल्ली कर लूं। फिर शादी करूंगी।
मां तुम्हारी तिनों बहने सुशीलऔर संस्कारी थी कभी
अपने माता-पिता पिता से इस तरह से बात नहीं की।
गौरी, हां इसलिए एक इस दुनियां में नहीं है, दूसरी कहां गयी तुम्हें पता ही नहीं, और तीसरी भिखारी के साथ ब्याह दी ।इसलिए पिताजी ने उनसे रिश्ता तोड़ ली तीनों में से कोई भी तुम्हारे पास नहीं है।

गौरी के पिता दोनों मां बेटी के संवाद सुन लेते हैं।
और मन ही मन इस बार किसी की एक भी नहीं चलने दूंगा ,खुद जाऊंगा उसके घर बार माता-पिता सगे संबंधी पांच गांव पहले से ही पता करूंगा फिर देखता हूं कौन हमें धोखा देता है।🙏🙏

🌹🌹इधर महादेव देखते हैं इस बार मामला गंभीर है।पहले जैसा कुछ नहीं तो।
एक गांव का निर्माण करते हैं।
आस पास के पांच गांवों के सीमाओं पर अपने आदमियों को खड़ा कर देते हैं।

कुछ दिनों बाद नारद जी को समझा कर भेजते हैं
हिमालय ऋषि के पास।
नारद जी ,हमने सुना है आप की पुत्री विवाह योग्य हो गई है।
हिमालय ऋषि, हां पर इस बार हम अपनी बेटी का विवाह किसी राजकुमार से नहीं, बल्कि किसी गरीब लड़के से करेंगे,
ताकि वो ज्यादा से ज्यादा हमारे साथ ही रहे और जंवाई भी हमलोग के साथ ही रहे।
नारद जी, हमारे गांव में एक अति सुंदर किसान रहता है , नाम है शंकर अगर आप कहो तो उसके साथ विवाह तय कर दें।वह गरीब है और उसके मां बाप भी बचपन में ही स्वर्ग लोक में जा चुके हैं।
उसके परिवार मैं ऐसा कोई नहीं जिसे बेटी जंवाई को आपके पास रहने पर आपत्ति हो ।
हिमालय ऋषि, ठीक है हमें गांव का नाम और पता दे दिजिए। हम दो चार दिन मैं आ कर घर वर देख लेंगे।
नारद जी नाम और पता देकर चले गए।🙏🙏

🌹🌹हिमालय ऋषि अपने साथ अपने पांच सेवक को लेकर निकले।
हिमालय ऋषि अपने सेवकों से कहते हैं। लड़के का नाम शंकर है इस नाम के किसी इंसान को कोई जानता है ऐसा हर जगह पूछो।
और जितना ज्यादा जानकारी ला सकते हो लेकर आओ।
और चारों को चारों दिशाओं में भेज कर
एक सेवक को अपने साथ लेकर निकले।
रास्ते में एक किसान खेत में काम कर रहा था।

सेवक जा कर पूछता है, शंकर नाम के किसी इंसान को जानते हो।
किसान,कौन शंकर, कहीं आप लोग कैलाशपुरी नगरी में रहने वाले किसान शंकर की बात तो नहीं कर रहे।
सेवक हां वही, क्या जानते हो उसके बारे मैं
किसान हां बहुत ही मेहनती पढ़ा लिखा और संस्कारी लड़का है।
सेवक घर मैं कोन कोन है और जमीन कितना है
किसान, अकेला है माता पिता बचपन में ही छोड़कर कर चले गए। एक बहन थी, उसकी भी शादी हो गई।
अकेले रहता है।
किसान से जानकारी लेकर हिमालय ऋषि अपने सेवक के साथ। कैलाश पहूंचे।🙏🙏

🌹🌹नगर वासी।आप लोग कौन हो, कहां से आये है और किनके यहां जाना है।
सेवक, हिमाचल के राजा हिमालय ऋषि है ये, और कैलाश में शंकर नाम के लड़के के घर आए हैं।
अपनी राजकुमारी के शादी के लिए बातचीत करने।
जैसे ही सुना, शंकर के विवाह के संबंध में उनके यहां स्वयं राजा आऐ है।
सारे नगर वासी उनके स्वागत में जुट गये।

एक वृक्ष के नीचे एक छोटी सी कुटिया में शंकर
खाट पर लेटा है। कुटिया के बाहर एक बहुत ही सुंदर गाय खूंटे से बंधी हुई है।

तभी हिमालय ऋषि कुटिया के बाहर आते हैं।
साथ मैं सारे नगर वासी भी।
हिमालय ऋषि, तुम्हारा नाम क्या है परिवार मैं कौन-कौन है।
महादेव, शंकर नाम है, परिवार मैं हमारे अलावा एक बहन है जिसकी शादी पास के गांव में ही कर दिया है।बहन के दो लड़के हैं पूर्वा और पछवा।
हम अकेले यहां रहते हैं, आप यहां किस प्रयोजन से आएं हैं कृपया बताइए।
हिमालय ऋषि,हम अपनी बेटी गौरी की शादी आप से करना चाहते हैं।अब आपके परिवार मै कोई बड़े छोटे तो है नहीं तो आप ही बताइए कि आप हमारी बेटी से विवाह करेंगे।
शंकर,हम ठहरे गरीब किसान आपकी बेटी राजकुमारी,हम दोनों का कोई मेल नहीं आपको तो अपनी लड़की के लिए राजकुमार ढूंढना चाहिए।
राजमहल मैं रहने वाली राजकुमारी इतनी छोटी सी कुटिया मैं कैसे रहेंगी।
हिमालय ऋषि, आप उसकी चिंता मत किजिए।
आप बस विवाह के लिए हां कह दिजिए।
शंकर, आप राजा होकर एक गरीब के घर मैं लड़की की शादी करना चाहते हैं। फिर हमें भला क्या आपत्ति हो सकती है। हमें मंजूर है।
सारे ही गांव वालों ने मिलकर उनका आदर सत्कार किया।
हिमालय ऋषि बहुत ही प्रसन्न हुए और अपने राज्य वापस आ गये।
चारों दिशाओं से लौट कर आए सेवकों ने भी वही कहा जो खेत में काम कर रहे किसान ने कहा था।
सेवक की बात से हिमालय ऋषि को इस बात की तसल्ली हो गई कि शंकर को आस पास के गांव वाले भी जानते हैं।
फिर वो शादी की तैयारियों मैं जुट गए।🙏🙏

🌹🌹शारे राज्य को फूलों से सजाया गया रोशनी से पूरा राज्य जगमगा रहा था। पूरा राज्य तरह तरह के सुगंधित पुष्प इत्र से महक उठा। नृत्य और संगीत की शहनाई गूंजने लगी।
निश्चित समय पर दूल्हे के रूप में शंकर सज धज कर नंदी पर सवार हो सारे बारातियों और गाजे बाजे के साथ हिमालय के द्वार पर आते हैं ।उनके अनुपम रूप देख कर सारे ही गांव वाले मोहित हो गए
औरतें कठपुतली की जैसे खड़ी हो गई। और गौरी के भाग्य की सराहना करने लगी।
बहुत ही सुंदर तरीके से उनका स्वागत सत्कार करते हैं।
कुछ औरतें परीक्षण करने आरती की थाल लेकर आती हैं।
बहुत ही हंसी मजाक के साथ परीक्षण कर दूल्हे को मड़वा पर बिठाकर अठोंगर कुटवा।
कोबर से हाथ पकड़ कर शंकर ग़ौरी को ला मड़वा पर बिठाते हैं।
वर को रेशमी वस्त्र फूलों की माला पहना
हंसी मजाक पूरे आनंद के साथ गौरी और शंकर की पूरे विधि विधान के साथ शादी हो गई ।
कोबर मैं महादेव ग़ौरी के रूप गुण की प्रशंसा करते हुए कहते हैं।
आज हम बहुत खुश हैं बोलो क्या चाहिए।
गौरी , सोच लो हमारे माता-पिता को पूरा सम्मान देंगे आप हर मनोरथ पूर्ण करेंगे।बस इतना ही चाहिए।
महादेव ठीक है जैसा तुम कहोगी हम वही करेंगे हम वचन देते हैं।

🌹🌹दूसरे दिन,महूअक के लिए मैना खीर बना कर दो थालों में सजाकर ले आती है।🍨🍨
मैना,गौरी के हाथ में एक छड़ी देते हुए,गौरी खीर का ध्यान रखना।
हम अभी आते हैं तुम्हारी सहेलियों को बुलाकर।
महादेव ग़ौरी को बातों मैं लगाकर ध्यान भटका सारा खीर खा गए।
जब गांव की औरत और सहेलियां आती है। थाली में खीर ना देखकर, हंसी हंसी मैं वर के साथ मजाक उड़ाती 😄😄। महादेव कहते हैं, हमें तो नहीं पता पर हो सकता है खीर बनाया ही नहीं या बिल्ली ने खाई होगी,या कहीं ग़ौरी तो नहीं। पर सारी सहेलियां हार नहीं मानती और हंसी-मजाक के साथ गायन के जरिए वर के बहनों का गालियों से स्वागत करती 🥰😍।सारी रस्में निभाकर सातवें दिन ग़ौरी को विदा करा शंकर अपने साथ लेकर गए।
मैना और हिमालय के सारे मनोरथ पूर्ण हो गये।
🌹🙏🌹

अम्बिका झा 👏