अमर कौस्तुभ श्रीवास्तव द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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अमर

अगस्त १६ , २५६७
आज का दिन न सिर्फ मेरे अस्तित्व का सबसे बड़ा दिन था बल्कि आज मैने अपनी नई पहचान पाई। दरासल मै अपने चाचा की प्रयोगशाला में घूमने जा रहा था।

वह आयु बढ़ने की प्रक्रिया को धीरे करके मनुष्य की आयु कुछ सौ साल बढाना चहते थे। वह इस तकनीक से मेरा ब्लड़ कैंसर ठीक करना चाहते थे।

मै सुबह - सुबह उठ गया (जो की मै रोज नही करता था) तैयार होकर मैने अपने मल्टीविटामिन और मल्टीमिनरल आदि केप्सूल खाए। मै घर से बाहर निकल चुका था। मैं सीधे प्रयोगशाला की तरफ जा रहा था । मैने सोचा क्या वह शोध सही होगा भी नही। मुझे कई सौ साल के जीवन पर विस्वाश नही हो रहा था ।

मेरे चाचा जी मेरे गेट के सामने मेरा इन्तजार कर थे। वे मुझे प्रयोगशाला के अंदर ले गए। मैं प्रयोगशाला को देखकर दंग रह गया था।

कुछ घंटों तक तो सब ठीक था। कुछ देर बाद एक कर्मचारी आया। उसने चाचा को कुछ बताया। चाचा ने मुझे प्रयोगशाला के बाहर जाने के लिए कहा ,मैने पूछा क्यों। पर वे तब तक चले गए थे।

मैं प्रयोगशाला से बाहर निकल ही रहा था कि तभी •••••••• प्रयोगशाला में एक विस्फोट हो गया।

जब मै उठा तो मैंने अपने आप को यंत्रो से भरे कमरे मे पाया । शायद कोई अस्पताल था , पर हाई-टेक।

मैंने एक यंत्र देखा शायद कोई कैलेंडर था। मैं दंग रह गया।
तारीख थी - १२ अगस्त सन् ६५६७।

क्या मैं सचमुच चार हजार साल कोमा में था•••••••••••

मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था। क्या मैं इतने सालों तक कोमा में था? मेरे दिमाग में यह सवाल उठ रहे थे कि तभी एक आदमी मेरे पास आया।

मैने उससे पूछा मैं कहाँ हूँ। उसे शायद हिन्दी नही आती थी । वह मेरी फोटो खींचकर चला गया। मैने शीशे के पार देखा। तो वह आदमी मेरा एक्स रे देख रहा। मैं यह सोच भी नही सकता था की कोई ऐसे एक्स रे करेगा।

कुछ देर बाद एक आदमी फिर आया। बह भारतीय लग रहा था। मैने उससे पूछा मैं कहाँ हूँ? वह थोड़ा हिचकिचाकर बोला "आप वेल्स देश के न्यु वेल्स सिटी शहर के••••" मैने बीच मे ही उसकी बात काट दी।"वेल्स एक देश कबसे बन गया?"

"तीसरे विशव युद्ध में।" वह बोला , पर मुझे यकीन नहीं हुआ। उसने मुझे बताया की मेरी एजिंग प्रोसेस के बंद होने ( बूढ़े होने की प्रक्रिया) की वजह से मैं अभी तक जिंदा हुँ।

मैने उससे पूछा की मैं कैसे यहाँ आया। तो उसने बताया की प्रयोगशाला मे विस्फोट के कारण मेरी एजिग प्रोसेस रुक गई पर मैं कोमा मे भी चला गया था।

मैं खुदाई में बेहोश मिला था और तब से कोमा में था। "मैं कब यहाँ से बाहर निकल पाऊँगा।" मैंने पूछा। " कुछ सालो बाद। क्योकी अभी तो चौथा विश्व युद्ध चल रहा है।

मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा पर यही सच्चाई थी।

३१नवंबर६५६९

आज मुझे कामा से जगे २साल हो गए और मैं वहीं था।
आज के दिन की शुरुआत सामान्य थी •• पर दिन नहीं।
दोपहर को एक हमला हो गया ••••••• चौथा विश्व युद्ध यहाँ तक आ गया

जब धुआँ हटा तब•• सैनिको की एक टुकड़ी मेरे पास आ गयी । उन्हें लगा की मैं मर गया पर जब उन्हें पता चला मैं जिंदा हूं, वे चकित रह गए।

उन्हें यह आशंका नही थी की कोई इस धमाके से बच सकता है। जब मैंने अपनी आँखें खोली तब मैं एक कमरे मे था। कुछ स्काॅटिस सैनिक थे, क्योंकि उनके कपड़ों पर स्काॅटलैण्ड का झँडा था।

एक आदमी ने प्रवेश किया। उसने मुझसे अंग्रेजी मे पूछा " who are you(तुम कौन हो)?" मैंने कहा " किसी को हिंदी आती है?" आदमी ने सैनिकों को देखा और चला गया। फिर एक चला आया।

"तुम कौन हो?" उसने पूछा। मैंने कहा "मैं?••••••आह मैं अमर हूँ,यही मेरा नाम है।" मैंने कहा "उपनाम ?" आदमी ने पूछा। मैं अपना उपनाम भूल चुका था( शायद धमाके के कारण) तो मैंने उसे यही बताया।

"तो तुम भारत के हो,चार हजार साल से कोमा में, एजिंग प्रक्रिया रुकी हुई , कई जानलेवा बीमारियों से इम्युन भी किसी अमर मानव की तरह और नाम भी वही।" उसने एक फाइल को पढते हुए कहा ।

" वाह! मैं कितना मशहूर हूँ।" मैंने हँस कर बोला ताकी मैं खतरनाक न लगूँ ।

मैं एक सैनिक की बंदूक छीनने की सोच रहा था। पर वह समझ गया। वह दौड़कर मेरे ऊपर कूद पड़ाऔर मैं बेहोश हो गया।

वह आदमी कमरे से बाहर निकल गया।
उसने जनरल से कहा"( अंग्रेजी में) इण्डियन यूनियन वेल्स पर इसे बचाने का दवाब बनाएगी"

"और जब वे यहाँ आएंगे , तब हम उनके हेड़क्वार्टर पर हमला करेंगे•••••••••••••

मैं जब चेतना में आया। तब वे सैनिक मुझे कहीं ले जा रहे थे।मुझे वहाँ से बाहर निकले का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। मैं आधा चेतना में रहने का नाटक कर रहा था।

कुछ देर बाद मैंने एक सैनिक की बंदूक उसे लात मारकर छीन ली। मैंने कुछ सैनिकों को पैर पर गोली मार दी और भाग गया।

मैं भाग रहा था और कुछ सैनिक मेरा पीछा रहे थे। मैं छुप गया। मुझे लगा की अब मै पक्का पकड़ा गया। पर जब वे सैनिक मुझे पकड़ने ही वाले थे , एक आदमी ने आकर उनके ऊपर हमला कर दिया।

वह उनसे लड़ने लगा। उसने उन सब को धूल चटा दी। मैं यह सब ड़रा हुआ यह सब देख रहा था।

उन सब से लड़ने के बाद उहने मेरी ओर देखकर कहा " अब तुम बाहर निकल सकते हो।" मैं चौक गया। उन सौनिको के पास हीट विजन भी था, पर वे मुझे पकड़ने मे नाकाम रहे। पर इसने पर तो मुझे कुछ सकेंड़ो में पकड़ लिया।

"तुमने मुझे कैसे पकड़ लिया।" "मैं इस घर का मालिक मैं हूँ। और मैने तुम्हें यहाँ सकाॅटिस आर्मी से छुपते हुए देखा।" वह बोला

"मैं काइल एल्फवुड़ हूँ,वेल्स का एक सैनिक। मै लगभग एक साल से सकाॅटिस आर्मी से बचता रहा हूँ। और तुम ?" उसने पूछा "मैं हूँ जाॅन हूँ( मैं अपना असली नाम बताना नही चाहता था)" मैंने कहा

" एक मिनट! मैंने तुम्हें टी• वी• पर देखा है। तुम वही कोमा मे रहने वाले आदमी हो , अमर।" वह मुझे पहचान गया

"हँ। मै वही हूं" मैंने माना।

मैं उसकी शरण मे आ चुका था। मुझे यह पता भी नही थी। उसने मुझे अपनी सुरक्षा करना सिखाया। हम दोस्त बन गए पर चार महीने बाद••••••••
हमे ढूंढ लिया गया••••••••••••••••••

आज मुझे काईल के साथ रहते हुए चार महीने हो चुके थे। मैं सुबह उठा तभी काईल ने मुझसे कहा" तुम जाकर छुप जाओ। कुछ सकाॅटिस सौनिक आए हैं।"

मै छुप गया। उसने दरवाजा खोला। सौनिक मेरे बारे में पूछने लगे, काईल ने साफ साफ कह दिया कि वह मेरे भारे मैं नही जानता।

उन्होंने काईल को पकड़ लिया। उसे पीतने लगे। तभी एक सैनिक ने कहा की मैं यहीं कहीं हों। काईल चिल्लाया "भाग जाओ" और मैं भागने लगा। जब एक सैनिक मुझे पकड़ने के लिए भागा तब काईल ने उसे पकड़ कर गिरा दिया।

मैं कुछ सकेंड़ो मे बहुत दूर चला गया था। पीछे मुड़ा तब देखा काईल बेहोश था और सौनिक मुझे ढूंढ रहे थे।

कुछ देर बाद मैं एक कसबे में आ पहूँचा। वहाँ भि कु छ सौनिक थे। मैं भिखार होने का नाटक करने लगा। वे चले गए कुछ दिनो बाद मैं एक किसान के पास नौकरी मिल गई।

आज उस बात को बीते एक साल हो चुका है। और आज जब मै जाआ रहा था एक रेडियो (एक ईन्च का रेड़ियो) पर सुना "आज पूरे विश्व के लिए है खुशी का दिन , इंग्लैंड, वेल्स और नार्थ ईर्लैंड़ ने मिलकय सकाॅटसैंड़ पर हमला कर हराया और फिर से ये एक देश बन गए तीसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया•••••••••••"

मैं यह सब सुन कर फूला ना समाया। मै आजाद था।

पर तभी कुछ लो ग मेरा पीछा करने लगे।(वह पक्का वही सैनिक होंगे। लगता है की वे अलगावादी बन गए) वह मेरा पीछे पड़े हुए थे।

फिर मैंने काईल की शिक्षा आपनाई और उन पर हमला कर दिया। पर मैंने जैसे प्रहार किया एक सैनिक के जैकट के लगे बैम्ब में विस्फोट हो गया जिससे सारे सैनिक मारे गए। जनरल को लगा की मैं भी मर गया पर•••

जब धूआँ हटा तब मैं घायल था पर जिंदा •••••••••••••••••••

समाप्त

@@कौस्तुभ श्रीवास्तव 'उज्ज्वल'