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चेम्बर 7 

सुंदरबाग का जिला एक ऐसी जगह है जहाँ पर जाने या काम करने का साहस बहुत ही कम लोगों के पास होता है। यह शहर भी कुछ ऐसा ही है। 50 सालों में यहाँ 23 मौतें रहस्यमय तरीके से हुई हैं। इनमें से दो 15दिसंबर 1997 मे हूई थी। शाम के 9 बजे सुदंरबाग जिला अस्पताल में कुछ ही लोग रहते थे। बहुत कम लोगों ही वहाँ रहने के लिए तैयार होते थे।

"अरे यार! मैं ये कैसे भूल सकता हूँ? रुक, मैं मौर्ज(मुर्दाघर) चेम्बर 7 को चेक करना भूल गया, अभी कर के आता हूँ." वार्ड़बाॅय आशीष ने अपने दोस्त राजीव से कहा। वे दोनों जिला अस्पताल से अपने घर के लिए चल रहे थे जब राजीव को कुछ बात याद आई । "किस को पता चलेगा कि तूने ये नहीं किया। किसी को पता भी चल गया तो वो क्या उखाड़ लेगा? अरे याद नहीं है? तीन साल पहले वो नर्स भी वही चेक करने गई थी और वापस नही आई।" राजीव उसे आज का काम कल पर डालने के लिए कह रहा था, पर आशीष एक मेहनती आदमी था। "तू चिंता मत कर मैं यूँ गया और यूँ आया। अगर मैं दस मिनट में नही लौटुंगा, तब तुम मुझे ढूंढने आ जाना।" आशीष को उसकी बातें का कोई असर नहीं हुआ। रजीव ने भी साहस का काम करते हुए उसे जाने दिया।

दस मिनट बीत गए,कोई नहीं। राजीव ने सोचा कुछ और देर इंतजार कर लेते हैं। पर जब बीस मिनट बाद भी वह नही आया तब रजीव उसकी खोज में जुट गया। मौर्ज की बिल्ड़िंग एकदम खाली और ड़राने वाली थी। रजीव ड़र के मारे थर-थर काँप रहा था पर वह आशीष को अकेला नहीं छोड़ सकता था।

बहुत ड़र के साथ वह आखिरकार चेम्बर में पहुँचा। चेम्बर की लाईट ऑन थी और जमीन पर एक सफेद चादर, जो मुर्दो को पहनाई जाती है पड़ी थी। ऐसे माहौल में ये चीजें उसे बहुत ही ज्यादा ड़रा रहीं थीं।"या-र-र-र आशीष! यार ऐसा ड़रावना मजाक ना कर। मैं ड़र गया, यही तो चाहते थे; अब बाहर भी आओ यार।" राजीव को लग रहा था कि यह कोई मजाक था जो आशीष उसके साथ कर रहा था। वह उस चादर के करीब बढने लगा।"यार अब बस भी करो..." उसने उस चादर को उठाया। जैसे ही उसने चादर उठाई, चादर पर कुछ लाल गिरा। वह खून था। अ राजीव इसे देखकर चीख उठा। तभी एक खून की बूंद उसके हाथ पर गिरी। उसने आपना सीर ऊपर उठाया और छत देखखर चीख उठा। उसने देखा की आशीष की लाश छत पर टगीं है और उसका सर उल्टा मुड़ा है।

वह तुरंत वहाँ से भाग गया। वह उसे छोड़कर मेन बिल्ड़िंग के ओर दौड़ने लगा। उसके और मेन बिल्ड़िंग के बीच एक जंगल था। उस जंगल को मौत का आंचल कहा जाता है। वह पहले से ही ईतना ड़रा था और रात का शांत अंधेरा उसे और भी ड़रा रहा था। उसे लगा रहा था की वो मौत के मुह में है।

कुछ मिनत बाद जब वह वहाँ पहुँचा तो उसने एक नर्स को देखा जो मेन गेट को देखकर चिल्ला रही थी। जब उसने वहाँ अपनी नजर घुमाई तो देखा की उसकी ही लाश गेट पर टगीं थी.................

समाप्त।

@@कौस्तुभ श्रीवास्तव'उज्ज्वल'
@@ सुंदरबाग सीरीज

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