सच या सपना? कौस्तुभ श्रीवास्तव द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सच या सपना?

सपना... एक सपना क्या होता है? सपना हमारे दिमाग का एक खेल है जो यह दर्शाता है कि हमारा दिमाग हमे कभी भी धोखा दे सकता है। जब हम सपना देखते हैं तो हमें लगता की यह सच है। पर हम धोखा खाते हैं। और हम यह धोखा एक दिन नहीं,बल्कि हर दिन खाते हैं। कुछ कहते कि यह हमारे आने वाले समय के लिए तैयर करने के लिए होते हैं तो कुछ कहते हैं की यह हमारे पिछले जन्म से संबंधित हैं। पर कभी सच और सपने की बीच की रेखा मिट जाती है और सपना सच लगता है और सच सपना.............।

निखिल अपने दोस्त मुकेश के साथ एक स्कूल ट्रिप पर जा रहा था। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। करीब रात के दस बज रहे थे और लगभग सब बच्चे सो गए थे। तभी निखिल को एक आवाज सुनाई दी। उसने मुकेश को उठाया और बताया की उसने एक आवाज सुनी।" यार तू बहुत हाॅरर फिल्म देखता है न इसलिए तुझे डर लगता है। अब सोने दे मुझे।" यह कहते हुए मुकेश सो गया। कुछ देर बाद निखिल पर वही आवाज सुनाई दी , पर अब वह सबको सुनाई दे रहा था। बस का संतुलन बिगड़ गया और बस पलट गइ।

जब निखिल को होश आया तो वह एक जंगल में पड़ा हुआ था। उसने लगा की वह उठ नहीं पाएगा, पर उसकी हालत काफी अच्छी थी और उसे कोई चोट नही लगी थी। उसने अपनी जेब से अपना मोबाइल उठाया। उसमें नेटवर्क नहीं था। उसने समय देखा-5:13। उसने अगल बगल देखा पर उसे मुकेश न दिखा, और न ही बस का और कोई। उसे बहुत डर लग रहा था पर उसने सोचा की यहाँ रुक कर कोई फायदा नहीं, और यह भी हो सोकता है की उसे कोई मिल जाए। वह उठा पर और चलने लगा। पर उसे कोई रास्ता नहीं पता था। वह सिर्फ एक सोलह साल का बच्चा था और वह एक जंगल में बिना खाना पानी के था।

उहे जंगल में शायद ही कोई जीव हो, और ज्यादातर पेड भी सूख गए थे। उसे ऐसा लग रहा था की अब उसकी मौत आ गई है तभी अचानक उसके सामने मौत की जगह कोई और ही आ गया था। वह एक बच्चा था जो करीब तेरा साल का था। " त..त..तुम कौन हो?" निखिल ने डरते हुए पुछा।वह उसके बस का बच्चा नही था। निखिल उसे पहचान नहीं पा रहा था।
" प्लीज मेरी मदद कीजिए! मेरा ऐक्सीडेंट हो गया है। मेरे म्ममी पापा बेहोश हैं। आप प्लीज मेरी मदद कीजिए!"
"मैं खुद यहाँ फसा हूँ। वैसे अगर तुम्हें पता है की तुम्हारी कार कहाँ है, तो हम उस रोड से बाहर निकल सकते हैं यहाँ से तुम आए हो।"
"और मेरे म्ममी पापा का क्या?"
"उन्हें थी उपने साथ ले जाया जाएगा।"
वह बच्चा यह सुनकर निखिल के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। निखिल ने अपने फोन से टाइम चेक किया-5:13।

निखिल और वह लड़का कुछ देर तक चले फिर वह लड़का अचानक से चौक गया। वह चिल्लाया-
"ये .....ये क्या हो रहा है?मेरी कार और रोड तो इसी जगह पर थी!!" पर निखिल ने यह सुना नहीं क्योंकि उसे कोई दिखा,....वह मुकेश था। निखिल बहुत खुश था पर तभी........

 

 

निखिल और वह लड़का कुछ देर तक चले फिर वह लड़का अचानक से चौक गया। वह चिल्लाया-
"ये .....ये क्या हो रहा है?मेरी कार और रोड तो इसी जगह पर थी!!" पर निखिल ने यह सुना नहीं क्योंकि उसे कोई दिखा,....वह मुकेश था। निखिल बहुत खुश था पर तभी... उसने कुछ अजीब देखा,मुकेश बिलकुल भी हिल नहीं रहा था। उसने देखा की उसके कंधे से कुछ गिर रहा था, जोकी खून था! निखिल ने उस बच्चे की तरफ देखा, पर वो वहाँ था ही नही। फिर उसने अपनी। नजरें घुमाई तो उसने देखा की एक लंबा आदमी मुकेश के गले मे अपने दांतों को गड़ाए खडा था। उसने मुकेश को छोड़ा और अपना मुँह निखिल की तरफ मोड़ा,अगर आप उसे मुँह कहें तो। उसके चहरे पर कुछ नहीं था। न आँख न मुह न बाल न नाक न कान!!!निखिल ने तुरंत भागना शुरू कर दिया। वह'जीव' निखिल के पीछे चल रहा था। वह जीव भाग नहीं रहा था, जैसे की वह निखिल का पीछा कर ही नहीं रहा था।

निखिल करीव बीस मिनट दौड़ता रहा, उसे लग रहा था की वह जीव उसके पीछे ही था,खौफ उसका पीछा नही छोड़ रही था। तभी वह उस लडके से तकराकर गिर गया।
"तु....तुम....तुम कहाँ चले गए थे?"
"मैं कहाँ गया था? तुम कहाँ गए थे? तुम अचानक से क्यों भागने लगे?"
"तुमने उस आदमी को नहीं देखा?"
"यार तुम पागल तो नहीं हो? मैंने किसी को नहीं देखा।"
"अच्छा ,चलो तो रोड की तरफ चलते हैं।"
"तुमने कुछ सुना नहीं क्या? वो वहाँ नहीं यहाँ वो थे।"
"ये कैसे हो सकता है?"
"पता नहीं।खैर, अब आगे क्या करना है?"
"किसी ऊची जगह पर जाके अपने मोबाइल का नेटवर्क पहूचाने की कोशिश करेंगे ताकी किसी को फोन कर सकें।" निखिल ने उठते हुए कहा।

वे दो किसी ऊची जगह की तलाश में जुट गए।कईघंटों की कडी महनत के बात उन्हें एक चट्टान दिखी। उन्होंने पहले कभी किसी चट्टान पर चढ़ाई नहीं की थी। वे बहुत मुश्किल से चढ़े पर नेटवर्क नहीं मिला।जब फिर निखिल ने टाइम चेक किया तब टाइम था-5:13।निखिल को याद आया की यह टाइम पहले भी था। जैसे ही निखिल पीछे मुडा तो... उसे वही लंबा आदमी दिखाई दिया। जब वह उस लड़के को बुलाने की कोशिश में उसे छूने की कोशिश की तो छू नहीं पाया। वो वहाँ था ही नहीं। निखिल वहाँ से भागना चाहता था, और वह भूल गया की वह एक चट्टान पर है...। वह गिर गया।

चब उसे होश आया तो वो एक हॅस्पिटल में था। जैसे ही वह उठा तो एक नर्स उसको उठा देख कर उसके माता पिता को बुलाया। उन्होंने उसे बताया की उस बस एक्सिडंट में सीर्फ निखिल ही बचा। जब निखिल ने उस जंगल के बारे में बताया की वह दो दिन से कोमा में था। कोमा में अकसर लोगों को ऐसे सपने आते हैं।निखिल को अंदर से यह लग रहा था की वह उसने माता पिता नहीं हैं। फिर जब उसने टाइम देखा तो टाइम था -5:13। फिर यब उसने नजरें घुमाइ तो उसने देखा की वही लंबा आदमी उस कमरे के कोने में था....उसे घूरता हुआ...........

समाप्त?
@@कौस्तुभ श्रीवास्तव 'उज्ज्वल'